अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (27) खंड दो
कलीसिया में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो यहूदा हैं और वे हमेशा इस बारे में पूछताछ करने का प्रयास करते रहते हैं कि परमेश्वर के घर में कितना पैसा है और कलीसिया में सबसे ज्यादा चढ़ावे कौन चढ़ाता है। दूसरे लोग उनसे कहते हैं, “यह मामला तुम्हें नहीं बताया जा सकता। इसे जानकर तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा और इसके अलावा यह ऐसा कोई मामला नहीं है जिसके बारे में तुम्हें पूछताछ करनी चाहिए।” यह सुनने के बाद वे शत्रुतापूर्ण हो जाते हैं और कहते हैं, “तुम सब मुझसे सावधान रह रहे हो, मुझे नीची नजर से देख रहे हो, मुझे भाई-बहनों में से एक नहीं मानते हो; तुम मेरे साथ एक बाहरी जैसा व्यवहार कर रहे हो। मुझे पता है कि किसके घर में कलीसिया के पैसे की हिफाजत की जा रही है। मैं तुम लोगों की रिपोर्ट करूँगा और पुलिस को यह सब जब्त करने दूँगा—फिर मुझे पता चल जाएगा कि वहाँ कितना पैसा है!” जब भी कुछ होता है, तो वे दूसरों के साथ विश्वासघात करना चाहते हैं या उनकी रिपोर्ट करना चाहते हैं; जब कलीसिया में झूठे अगुआओं, मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों द्वारा उत्पन्न की गई बाधाओं की बात आती है, सिर्फ तभी वे कभी भी किसी भी चीज की रिपोर्ट नहीं करते हैं। या, यहाँ तक कि जब वे झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों को चढ़ावे की चोरी करते या उसे जब्त करते देखते हैं, तब भी वे इन कार्यों को उजागर नहीं करते हैं या उनकी रिपोर्ट नहीं करते हैं, और न ही वे परमेश्वर के घर को सूचना देते हैं। वे इन मामलों को लेकर चिंतित नहीं होते हैं। लेकिन अगर किसी भाई या बहन ने उन्हें भड़काया, उन्हें नाराज या नजरअंदाज किया, तो वे जाकर उसकी रिपोर्ट कर देते हैं। या अगर परमेश्वर के घर की कोई कार्य-व्यवस्था उनकी धारणाओं के अनुरूप नहीं होती है, जिससे उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है या वे कठिन परिस्थिति में पड़ जाते हैं, तो वे सोचने लगते हैं : “मैं तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा! मैं सुनिश्चित करूँगा कि तुम कलीसियाई अगुआ के रूप में अपना पद खो दो, मैं सुनिश्चित करूँगा कि कलीसिया का कार्य विफल हो जाए, मैं सुनिश्चित करूँगा कि कलीसिया टूटकर बिखर जाए!” देखा? वे इस कारण से भी कलीसियाई अगुआ की रिपोर्ट करना चाहते हैं। कुछ कलीसियाओं में ऐसे कई लोग चुने जाते हैं जो विदेशों में कर्तव्य करने के लिए उपयुक्त होते हैं—उनके परिवार और व्यक्तिगत परिस्थितियाँ इसकी अनुमति देती हैं, वे परमेश्वर के घर की अपेक्षाएँ पूरी करते हैं और सभी भाई-बहन इससे सहमत होते हैं। जब ये यहूदा लोग यह देखते हैं तो वे सोचते हैं, “ऐसी अच्छी चीजें मेरे साथ कभी नहीं होती हैं। मुझे तुम लोगों की रिपोर्ट करनी चाहिए! मैं पुलिस को बता दूँगा कि हमारी कलीसिया के कुछ लोग अपना कर्तव्य करने के लिए विदेश जाने वाले हैं। मैं सुनिश्चित करूँगा कि तुम लोग देश छोड़कर न जा पाओ। मैं बड़े लाल अजगर से तुम लोगों को गिरफ्तार करवाऊँगा या सरकार से तुम पर निगरानी रखवाऊँगा, ताकि तुम अपने घर भी न लौट सको!” अगर भाई-बहन विदेश नहीं जा पाते हैं, वे संतुष्ट महसूस करते हैं। तुम लोगों को क्या लगता है—क्या ऐसे लोगों के क्रियाकलापों की प्रकृति उन लोगों की तुलना में ज्यादा गंभीर नहीं है जो कभी-कभार गड़बड़ी करते हैं और बाधा डालते हैं? (हाँ।) इस तरह का व्यक्ति एक बड़ी समस्या है। उसके पास परमेश्वर का भय मानने वाला दिल नहीं है और वह परमेश्वर से बिल्कुल भी नहीं डरता है। परिस्थिति या कारण चाहे कोई भी हो, अगर चीजें उसके अनुकूल नहीं होती हैं, वह कलीसिया की रिपोर्ट करना और भाई-बहनों के साथ विश्वासघात करना चाहता है—वे दुष्ट लोग हैं! जब कलीसिया को ऐसे लोगों का पता चलता है, तो भविष्य की परेशानी रोकने के लिए उन्हें जल्द से जल्द बहिष्कृत या निष्कासित कर देना चाहिए। अगर मौजूदा परिवेश इसकी अनुमति नहीं देता है या परिस्थितियाँ अभी तक परिपक्व नहीं हुई हैं, तो उन पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए, उनका पर्यवेक्षण करना चाहिए और उनसे सावधान रहना चाहिए। जब परिस्थितियाँ अनुमति देती हों, तो इस तरह के खतरनाक व्यक्तियों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए—उन्हें जितना पहले और जितनी तेजी से हो सके बहिष्कृत या निष्कासित कर दो। कार्रवाई करने से पहले उनके द्वारा कलीसिया के साथ विश्वासघात करने और दुष्परिणाम उत्पन्न करने की प्रतीक्षा मत करो। एक बार जब वे ऐसा करेंगे और इससे वास्तविक दुष्परिणाम होंगे, तो बहुत ही भारी नुकसान होंगे। कौन जाने कितने भाई-बहनों के पास वापस जाने के लिए घर नहीं रहेगा या यहाँ तक कि उन्हें गिरफ्तार करके जेल में भी डाल दिया जाएगा। हो सकता है कि बहुत से भाई-बहन फिर अपना कर्तव्य करने या कलीसियाई जीवन जीने में समर्थ नहीं रहें। दुष्परिणामों की कल्पना करना भी असंभव है। इसलिए अगर अगुआओं और कार्यकर्ताओं के रूप में तुम्हें कलीसिया में ऐसे लोगों का पता चलता है जो यहूदा हैं, तो तुम्हें समय रहते ही उन्हें बहिष्कृत या निष्कासित कर देना चाहिए। अगर भाई-बहन के रूप में तुम्हें ऐसे लोगों का पता चलता है, तो जितना पहले हो सके तुम्हें कलीसिया के अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनकी रिपोर्ट कर देनी चाहिए। यह मामला कलीसिया के भाई-बहनों की सुरक्षा के साथ-साथ तुम्हारी अपनी सुरक्षा से भी संबंधित है। ऐसा मत सोचना, “उन्होंने अभी तक वास्तव में कोई विश्वासघात नहीं किया है, इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं है; वे बस क्षणिक गुस्से में बोले जा रहे हैं।” हर किसी को गुस्सा आता है—कुछ लोग गुस्सा आने पर ज्यादा से ज्यादा बस कुछ तीखी बातें कह सकते हैं, थोड़ा-सा नखरा कर सकते हैं या कुछ दिन नकारात्मक बने रह सकते हैं, लेकिन जब तक उनके पास परमेश्वर का भय मानने वाला दिल है, वे अपने दिल में परमेश्वर से डरते हैं, उनमें कुछ अंतरात्मा और विवेक है और साथ ही उनमें अपने आचरण की मूलभूत सीमाएँ होती हैं, तो चाहे कुछ भी हो, वे कभी भी ऐसी कोई चीज नहीं करेंगे जो दूसरों को नुकसान पहुँचाती हो। लेकिन उन लोगों की बात अलग होती है जो स्वाभाविक यहूदा हैं। वे बात-बात पर तुरंत कलीसिया और भाई-बहनों की रिपोर्ट कर सकते हैं, हमेशा शैतान की शक्तियों का उपयोग भाई-बहनों और कलीसिया को धमकी देने के लिए करना चाहते हैं ताकि अपने लक्ष्य हासिल कर सकें। ये लोग राक्षसों से मिले हुए हैं—उनके पास अपने आचरण की कोई मूलभूत सीमा नहीं होती है। इसलिए कलीसियाई अगुआओं और भाई-बहनों दोनों को ऐसे लोगों के बारे में विशेष रूप से चौकस रहना चाहिए जो बात-बात पर कलीसिया की रिपोर्ट कर सकते हैं। अगर किसी को ऐसे लोगों का पता चलता है जो अविवेकी, जानबूझकर परेशान करने वाले और सूझ-बूझ से अप्रभावित लोग हैं, तो उसे तुरंत अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनकी रिपोर्ट करनी चाहिए, और फिर उनकी निगरानी और पर्यवेक्षण करना चाहिए। अगर कलीसियाई अगुआओं को ऐसे लोगों का पता चलता है, तो उन्हें जल्द से जल्द इस परिस्थिति को सँभालने और हल करने की योजना बनानी चाहिए। उन्हें भाई-बहनों की रक्षा करनी चाहिए और कलीसियाई जीवन और कलीसिया के कार्य को ऐसे व्यक्तियों द्वारा क्षतिग्रस्त और बाधित होने से बचाना चाहिए। जब ऐसे लोग कहते हैं कि वे कलीसिया या भाई-बहनों की रिपोर्ट करेंगे, तो यह मत मान लेना कि यह सिर्फ क्षणिक गुस्से में कही गई बात है और इसलिए तुम सतर्क रहना बंद कर दो। दरअसल वे अक्सर ऐसी बातें कहते हैं, यह तथ्य साबित करता है कि यह विचार पहले से ही उनके दिमाग में है। अगर वे इस तरीके से सोचते हैं, तो वे इस पर अमल करने में सक्षम हैं। हो सकता है कि कभी-कभी “मैं तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा” कहने के बाद वे ऐसा नहीं करें, लेकिन न जाने वे कब वास्तव में आगे बढ़ें और ऐसा कर डालें। एक बार जब वे ऐसा करेंगे, तो दुष्परिणामों की कल्पना करना भी असंभव है। इसलिए अगर तुम उनके इन शब्दों “मैं तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा” के प्रति हमेशा सिर्फ गुस्से में कही गई बात के रूप में पेश आते हो, तो तुम नासमझ और बेवकूफ हो। तुम इन शब्दों के जरिए उनकी मानवता के सार की असलियत पहचानने में विफल हो गए हो, और यह एक गलती है। वे दूसरों को धमकाने के लिए बात-बात पर “मैं तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा” कह सकते हैं—यह बिल्कुल भी एक यूँ ही गुस्से में की गई टिप्पणी नहीं है; यह दिखाता है कि उनमें यहूदा की प्रकृति है और अपने आचरण की मूलभूत सीमाओं की कमी है। आखिर जिस व्यक्ति के पास अपने आचरण की कोई मूलभूत सीमा नहीं होती है वह किस प्रकार का अधम है? वह उस प्रकार का व्यक्ति है जिसके पास न जमीर होता है और न ही तार्किकता होती है। जमीर के बिना वह कोई भी बुरा कर्म करने में सक्षम होता है और तार्किकता के बिना वह तार्किकता की सीमाओं से परे कार्य करने में सक्षम होता है, सभी प्रकार की बेवकूफी भरी चीजें करता रहता है। यह संभव है कि कलीसिया की रिपोर्ट करने और भाई-बहनों को गिरफ्तार हुआ और कलीसिया का कार्य क्षतिग्रस्त हुआ देखने के बाद वह आँसू बहाए और अफसोस व्यक्त करे। लेकिन ये अविवेकी और जानबूझकर परेशान करने वाले लोग तार्किकता के बिना कार्य करते हैं; भविष्य में ऐसी ही स्थितियों का सामना होने पर भी वे कलीसिया की रिपोर्ट करेंगे। क्या यह उनकी प्रकृति में कोई समस्या नहीं दर्शाता है? यह वास्तव में उनका प्रकृति सार है। उनके बारे में कुछ कलीसियाई अगुआ अब भी यही मानते हैं कि वे जो कहते हैं वह सिर्फ क्षणिक गुस्से में कही गई बात है और उनकी प्रकृति खराब नहीं है। उन्हें लगता है कि यह उनकी मानवता का स्वाभाविक प्रकाशन नहीं है और यह उनकी मनुष्यता को नहीं दर्शाता है। क्या यह नजरिया गलत है? (हाँ।) भले ही वे आम तौर पर ऐसा व्यवहार प्रदर्शित नहीं करें जो उनका पाजी चरित्र दर्शाता है, लेकिन उनका अक्सर यह कहना कि वे भाई-बहनों की रिपोर्ट करेंगे और छोटी से छोटी रूठने वाली बात से भी उनका रिपोर्ट करने के बारे में सोच सकना यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि उनका चरित्र नीच और पाजी है और वे भरोसेमंद नहीं हैं। ऐसे लोगों में कोई जमीर या विवेक नहीं होता है। वे जैसे चाहे वैसे आचरण करते हैं, जमीर की किसी सीमा के बिना वे अपने हितों और प्राथमिकताओं के आधार पर जो चाहते हैं वही करते हैं। ऐसे लोगों को बाहर निकाल कर उनसे निपटना चाहिए और उनके साथ नरमी बरतने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वे बच्चे नहीं हैं; वे वयस्क हैं और उन्हें भाई-बहनों और कलीसिया की रिपोर्ट करने के दुष्परिणाम मालूम होने चाहिए। वे पूरी तरह से जानते हैं कि यह सबसे क्रूर, सबसे प्रभावी चाल है। वे इसे भाई-बहनों और कलीसिया से बदला लेने का अपना तुरुप का पत्ता, परम तरीका मानते हैं। मुझे बताओ, क्या ऐसे लोग दुष्ट नहीं हैं? (हैं।) तो दुष्ट लोगों से नरमी क्यों बरती जाए? उन्हें यहूदा मानने के लिए क्या तुम्हें तब तक इंतजार करना पड़ेगा जब तक तुम यह नहीं देख लेते कि वे भाई-बहनों और मेजबान परिवारों की ओर खुलेआम इशारा कर बड़े लाल अजगर को बता रहे हैं? जब तक तुम्हें ये सच्चाइयाँ दिखाई देंगी और तुम उनका चरित्र निर्धारित करोगे, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। दरअसल उनका प्रकृति सार उसी क्षण उजागर हो जाता है जब वे किसी मसले का सामना होने पर कलीसिया की रिपोर्ट करने के बारे में चिल्लाना शुरू कर देते हैं। उनका भेद पहचानने और उन्हें बाहर निकाल देने के लिए उनके कार्रवाई करने की प्रतीक्षा मत करो—तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। अगर किसी ने—चाहे कलीसियाई अगुआ हो या भाई या बहन—उन्हें भाई-बहनों की रिपोर्ट करने के बारे में बात करते नहीं सुना है और कोई भी उन्हें अच्छी तरह से नहीं जानता है, और जब वे किसी के द्वारा भड़काए जाने या किसी से नाराज हो जाने पर उसकी रिपोर्ट कर देते हैं, जिससे भाई-बहनों के पास छिपने और खतरे से बचते फिरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है, और कुछ लोग जो अपना कर्तव्य कर रहे हैं उन्हें जल्दी से कहीं और जाकर रहना पड़ता है, तो ऐसे में तुम भाई-बहनों को बेवकूफ होने और उनकी असलियत पहचानने में असमर्थ होने के लिए दोष नहीं दे सकते। लेकिन अगर वे बार-बार कहते हैं कि वे भाई-बहनों की रिपोर्ट करेंगे और फिर भी लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो यह सच में बेवकूफी होगी। इतना सारा सत्य सुनने के बाद भी, वे लोगों को पहचान नहीं पाते हैं—क्या वे भ्रमित नहीं हैं? (हाँ।) जो लोग कभी भी यहूदा बन सकते हैं, उनके बारे में यह मत सोचो कि उनका विश्वासघात सत्य कम समझने के कारण है, या इसलिए है क्योंकि उन्हें परमेश्वर में विश्वास रखते हुए कुछ ही समय हुआ है, या यह किसी दूसरे कारण से है। इनमें से कोई भी इसका कारण नहीं है। मूल रूप से यह उनके पाजी चरित्र के कारण है; उनके मूल में, उनका सार बुरे लोगों का सार है। उन्हें इस तरीके से पहचानना और निरूपित करना और फिर उन्हें बुरे लोगों के रूप में बहिष्कृत या निष्कासित करना पूरी तरह से सही है। ऐसा करने से भाई-बहनों की रक्षा होती है और साथ ही यह कलीसिया के कार्य को नुकसान पहुँचने से भी बचाता है। यह कलीसिया के अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। इसलिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को ऐसे लोगों से तुरंत सावधान हो जाना चाहिए और उनका पर्यवेक्षण करना चाहिए, और फिर उन्हें भाई-बहनों के साथ संगति करनी चाहिए ताकि हर कोई उनका भेद पहचान सके। उन्हें ऐसे लोगों के षड्यंत्र सफल होने से पहले ही उन्हें दूर करने का जोरदार प्रयास करना चाहिए, ताकि भाई-बहनों या कलीसिया के लिए परेशानी रोकी जा सके। यह भेद की पहचान और मामले सँभालने के सिद्धांत हैं जो ऐसे लोगों का सामना करते हुए अगुआओं और कार्यकर्ताओं के पास होने चाहिए, और यही वह तरीका है जिसका उन्हें ऐसी स्थितियों में अभ्यास करना चाहिए। क्या यह स्पष्ट है? (हाँ।) यकीनन, ऐसे लोगों से समझदारी से निपटना सबसे बढ़िया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें बाहर निकाल देने से भविष्य में कलीसिया में परेशानी नहीं आएगी। अगर एक गुप्त खतरा सँभालने से बाद में और ज्यादा खतरे उत्पन्न हो जाते हैं, तो ऐसा करने वाला कलीसियाई अगुआ निहायत ही अयोग्य है और मानक के अनुरूप होने से बहुत दूर है; वह नहीं जानता है कि कार्य कैसे करना है और उसमें अक्लमंदी की कमी है। दूसरी तरफ, अगर कोई कलीसियाई अगुआ किसी गुप्त खतरे को एक ऐसे तरीके से सँभाल सकता है जो प्रतिकूल परिणामों से बचता हो, कलीसिया के कार्य को फायदा पहुँचाता हो और भेद पहचानने की क्षमता बढ़ाने में भाई-बहनों की भी मदद करता हो, तो यह सही मायने में कार्य करने का तरीका जानना है। सिर्फ इस प्रकार का अगुआ या कार्यकर्ता ही मानक स्तर का है।
अगर कोई अगुआ या कार्यकर्ता ऐसे लोगों से मिलता है जो कलीसिया के साथ विश्वासघात करने में सक्षम हैं, लेकिन वह उन्हें पहचान नहीं पाता है या यह आभास नहीं कर पाता है कि उनमें किस तरह की मानवता है या वे कलीसिया और भाई-बहनों के लिए किस तरह की परेशानी ला सकते हैं, उनके दिल में मौजूद इन सभी चीजों के बारे में अस्पष्ट होता है और वह नहीं जानता है कि उसे ऐसे लोगों के साथ कैसे पेश आना चाहिए या उन्हें कैसे सँभालना चाहिए, यह कार्य कैसे करना चाहिए या यहाँ तक कि यह वह कार्य है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए—या, अगर वह यह जानता भी हो, लेकिन ऐसे लोगों को नाराज करने का इच्छुक नहीं हो और उन्हें बहिष्कृत या निष्कासित किए बिना मामले को जानबूझकर अनदेखा कर देता हो—तो वह किस तरह का अगुआ या कार्यकर्ता है? (नकली।) वह अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में मानक स्तर का नहीं है। एक बात यह है कि वह बेवकूफी भरे तरीके से सभी की मदद करने का प्रयास करता है, सभी के प्रति प्रेम और धीरज दिखाता है और उन सभी को भाई-बहन मानता है। यह कोई ऐसा व्यक्ति है जो भ्रमित है, नकली अगुआ या नकली कार्यकर्ता है। इसके अलावा, जब उसे कलीसिया में यहूदा जैसे लोगों का पता चलता है, तो वह मसले को तुरंत सँभालने या हल करने के लिए कुछ नहीं करता है। बल्कि, वह जानबूझकर अनदेखा कर देता है, कुछ भी दिखाई न देने का दिखावा करता है। वह अपने दिल में सोचता है, “जब तक मेरे अपने रुतबे को कोई खतरा न हो, तब तक सब कुछ ठीक है। मैं कलीसिया के कार्य, भाई-बहनों की सुरक्षा या परमेश्वर के घर के हितों की परवाह नहीं करता। जब तक मैं इस पद पर बैठा हूँ और हर दिन आनंद का अनुभव करता हूँ, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।” वह कोई वास्तविक कार्य नहीं करता है और जब उसे समस्याएँ दिखाई देती हैं, तो वह उन्हें हल नहीं करता है; वह बस अपने रुतबे के फायदों का आनंद लेता रहता है। क्या यह एक नकली अगुआ है? (हाँ।) मिसाल के तौर पर, मान लो कि किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम प्रकार का कोई व्यक्ति कलीसिया में लंबे समय से तानाशाह तरीके से कार्य कर रहा है, लगातार कलीसिया और भाई-बहनों की रिपोर्ट करने की धमकी दे रहा है। कुछ नकली अगुआ इसे देखते तो हैं, लेकिन करते कुछ नहीं हैं। यहाँ तक कि जब कोई इस व्यक्ति की रिपोर्ट करता है और उच्च-स्तरीय अगुआ उसे बाहर निकालकर उससे निपटते हैं, तब भी नकली अगुआ इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं या इसके बारे में कुछ नहीं सोचते हैं। वे सोचते हैं, “उन्हें जिसकी भी रिपोर्ट करनी है, करने दो। जब तक वे मेरी रिपोर्ट नहीं करते या कलीसियाई अगुआ के रूप में मेरी भूमिका को प्रभावित नहीं करते हैं, तब तक सब कुछ ठीक है।” क्या इस तरह का अगुआ या कार्यकर्ता एक नकली अगुआ या कार्यकर्ता होता है? (हाँ।) वह बिना कोई वास्तविक कार्य किए अपने पद पर सिर्फ इसके फायदों का आनंद लेने के लिए बैठा रहता है, उसका ध्यान एक ऐसे व्यक्ति पर जाता है जो किसी भी समय भाई-बहनों के साथ विश्वासघात करने में सक्षम है, लेकिन वह उसे बहिष्कृत या निष्कासित करने में विफल रहता है—वह एक नकली अगुआ है और उसे तुरंत उसके पद से बर्खास्त कर देना चाहिए। कुछ नकली अगुआ बर्खास्त हो जाने के बाद भी अवज्ञाकारी बने रहते हैं। वे कहते हैं, “मुझे बर्खास्त करने का तुम्हें क्या अधिकार है? क्या यह सिर्फ इसलिए था क्योंकि मैंने उस व्यक्ति को बाहर नहीं निकाला? अगर तुम लोग खुद ही उसे बाहर निकाल देते, तो क्या यह मामला निपट नहीं जाता? इसके अलावा, उसने सिर्फ इतना ही कहा था कि वह भाई-बहनों की रिपोर्ट करेगा, उसने वास्तव में तो ऐसा नहीं किया। और उसने कलीसिया के लिए कोई परेशानी भी खड़ी नहीं की। उससे क्यों निपटना?” उन्हें लगता है कि उनके साथ काफी अन्याय हुआ है। वे कोई वास्तविक कार्य नहीं करते; वे सिर्फ अपने रुतबे के फायदों का आनंद लेते हैं और जब कोई ऐसा स्पष्ट यहूदा कलीसिया में दिखाई देता है, तो वे न तो उससे निपटते हैं और न ही उसे बाहर निकालते हैं। कुछ भाई-बहन लगातार भयभीत रहते हैं, वे कहते हैं, “हमारे बीच एक यहूदा है, जो हमेशा भाई-बहनों की रिपोर्ट करने की धमकी देता है—यह बहुत ही खतरनाक है! इस व्यक्ति को कब बाहर निकाला जाएगा?” वे कलीसियाई अगुआ को इस मुद्दे के बारे में कई बार बताते हैं, लेकिन अगुआ इसका समाधान नहीं करता है, बल्कि कहता है, “यह कुछ नहीं है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद है, यह कलीसिया के कार्य या भाई-बहनों की सुरक्षा से संबंधित नहीं है।” वह मामले को नहीं सँभालता है। वह एकमात्र क्या कार्य करता है? एक प्रकार का कार्य वह है जो उसे उच्च-स्तरीय अगुआओं द्वारा सौंपा गया है, जिसे करने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है। दूसरे प्रकार का कार्य वह है जिसमें कार्य नहीं करने पर उसका रुतबा प्रभावित होगा या खतरे में पड़ जाएगा, ऐसे में वह बेमन से कुछ ऐसे काम करता है जो उसे अच्छा दिखाते हैं। लेकिन अगर उसका रुतबा प्रभावित नहीं होता है, तो जब भी संभव हो वह कार्य से बचता है। क्या यह एक नकली अगुआ है? (हाँ।) जब उसे किसी विशेष परिवेश का या गिरफ्तार किए जाने का वाकई सामना करना पड़ता है, तो छिपने के लिए वही सबसे पहले भाग निकलता है, उसे सिर्फ अपनी सुरक्षा की परवाह रहती है, उसे इस बात की कोई चिंता नहीं रहती कि क्या भाई-बहन सुरक्षित हैं और वह कलीसिया के कार्य या परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा नहीं करता है। वह चाहे जो भी करे, सब कुछ उसका अपना रुतबा बनाए रखने के लिए होता है। जब तक ऊपरवाला उसे बर्खास्त नहीं करता है, और जब तक अगले चुनाव में भाई-बहन अब भी उसे वोट देते हैं और उसे अगुआ बने रहने का मौका मिलता है, तब तक वह बेमन से कुछ कार्य करता है। अगर वह कुछ ऐसा करता है जिससे ऊपरवाले का उसके प्रति नजरिया प्रभावित हो सकता है, जो ऊपरवाले द्वारा उसे बर्खास्त किए जाने का कारण बन सकता है, या अगर उसके क्रियाकलापों और अभिव्यक्तियों के कारण भाई-बहन उसके बारे में एक गलत छवि बना सकते हैं और उसे फिर से नहीं चुन सकते हैं, तो वह कम-से-कम ऐसा कुछ कार्य करके अपनी छवि को नुकसान होने से बचाने का प्रयास करेगा जो ठीक उनके सामने है। इस तरीके से, वह अपने से ऊपर और नीचे वालों को उत्तर दे सकता है—एक सिर्फ परमेश्वर ही है जिसे वह उत्तर नहीं दे सकता है। वह जो कुछ भी करता है, वह सब कुछ सिर्फ दिखावे के लिए होता है। जब तक उच्च-स्तरीय अगुआ उसे बर्खास्त नहीं करते और भाई-बहन उसका समर्थन करना जारी रखते हैं, तब तक वह संतुष्ट महसूस करता है। कलीसिया के अगुआ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह कोई बड़ी बुराई नहीं करता है और बाहर से वह हमेशा कार्य में व्यस्त लगता है, लेकिन वह कोई वास्तविक कार्य नहीं करता है। विशेष रूप से जब वह बुरे लोगों को कलीसिया में बाधा डालते देखता है, तो वह कुछ नहीं करता है। वह इन बुरे लोगों को नाराज करने से डरता है, इसलिए जब भी संभव हो, वह उन्हें तुष्ट करने और उनसे समझौता करने का प्रयास करता है, सिर्फ सद्भाव बनाए रखने की इच्छा करता है। वह किसी को भी नाराज करने का इच्छुक नहीं होता है; भले ही ये लोग कलीसिया के कार्य में बाधा डालें या भाई-बहनों की सुरक्षा जोखिम में डालें, वह कुछ नहीं करता है। यह सच्चे अर्थों में एक नकली अगुआ है।
जो नकली अगुआ वास्तविक कार्य नहीं करते हैं, उन्हें अगर भाई-बहन बार-बार चेताते हैं, उनसे समस्याएँ हल करने के लिए कहते हैं और फिर भी वे वास्तविक कार्य नहीं करते हैं, वास्तविक समस्याएँ हल नहीं करते हैं और गलतियाँ ठीक नहीं करते हैं, तो तुम लोगों को इसकी रिपोर्ट ऊपर करनी चाहिए। अगर उच्च-स्तरीय अगुआ और कार्यकर्ता इस मुद्दे का समाधान नहीं करते हैं, तो तुम लोगों को इन नकली अगुआओं को हटाने के लिए किसी भी संभव तरीके के बारे में सोचना चाहिए। मैंने कई वर्षों से वास्तव में ये शब्द कहे हैं, लेकिन नीचे के ज्यादातर लोग गुलाम हैं जो दूसरों को नाराज करने के बजाय कुछ व्यक्तिगत नुकसान उठाना और कुछ कष्ट सहना पसंद करेंगे। परिस्थितियाँ चाहे जो भी हों, वे हमेशा बीच का रास्ता अपनाते हैं और चापलूसों के रूप में कार्य करते हैं, कभी किसी को नाराज नहीं करते हैं। लोगों को नाराज न करने की कीमत क्या है? यह परमेश्वर के घर के कार्य और हितों का बलिदान देना है, जिससे परमेश्वर के घर के हितों को नुकसान पहुँचता है और भाई-बहन बाधित होते हैं। अगर बुरे लोगों से निपटा नहीं जाता है, तो इससे अपना कर्तव्य करने वाले कई लोग प्रभावित होंगे। क्या यह परमेश्वर के घर का कार्य प्रभावित होने के समान नहीं है? (हाँ।) जब परमेश्वर के घर का कार्य प्रभावित होता है, तो कोई भी चिंतित या परेशान महसूस नहीं करता है, इसी कारण मैं कहता हूँ कि ज्यादातर लोग दूसरों के साथ सद्भाव और मित्रता बनाए रखने के लिए परमेश्वर के घर के कार्य और हितों का बलिदान दिए जा रहे हैं। वे अगुआओं और भाई-बहनों को नाराज करने से बचते हैं; वे किसी को नाराज नहीं करते हैं। हर कोई एक चापलूस के रूप में कार्य करता है। उनकी मानसिकता यह है : “तुम अच्छे हो, मैं अच्छा हूँ, सभी अच्छे हैं—आखिर हम हर समय एक-दूसरे से मिलते रहते हैं।” और इसका क्या नतीजा होता है? इससे बुरे लोगों को परिस्थिति का फायदा उठाने का मौका मिल जाता है; वे बार-बार तानाशाह तरीके से कार्य करते हैं, जो चाहे करते हैं। इसलिए अगर कलीसिया के अगुआ गैर-भरोसेमंद हैं और बुरे लोगों को दूर नहीं करते हैं, तो भाई-बहनों को अपनी रक्षा करने के लिए हर संभव तरीके के बारे में सोचना चाहिए; उन्हें बुरे लोग दिखाई देने पर उनसे बचना चाहिए, उनसे दूर रहना चाहिए और उन्हें अलग-थलग कर देना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं, “अगर हम उन्हें अलग-थलग कर देते हैं और वे नाराज हो जाते हैं, तो क्या वे फिर से हमारी रिपोर्ट नहीं कर देंगे?” अगर उन्होंने वाकई तुम्हारी रिपोर्ट की, तो क्या तुम डर जाओगे? (नहीं। इससे वे बुरे लोगों के रूप में प्रकट हो जाएँगे।) अगर वे फिर से तुम्हारी रिपोर्ट करते हैं, तो इससे यह और साबित हो जाएगा कि वे स्वाभाविक यहूदा हैं, दुष्ट लोग हैं। तुम्हें उनसे नहीं डरना चाहिए। अगर अगुआ और कार्यकर्ता अंधे हैं और चीजों की असलियत पहचानने में असमर्थ हैं, भ्रमित और निकम्मे हैं, या अगर वे ढुलमुल हैं, कभी किसी को नाराज नहीं करते हैं, बिना कोई वास्तविक कार्य किए सिर्फ अपने रुतबे के फायदों में लिप्त रहते हैं, तो भाई-बहनों को अब उनसे कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। उन्हें सिद्धांतों के अनुसार बुरे लोगों से निपटने और यहूदाओं से छुटकारा पाने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। उन्हें इन लोगों द्वारा तंग किए जाने से बचने के लिए सभा करने की जगह बदलने की या इन लोगों को दूर करने के लिए किसी होशियार विधि का उपयोग करने की जरूरत पड़ सकती है। कलीसियाई जीवन की सामान्य कार्यपद्धति और सभी कलीसियाई कार्य की सामान्य प्रगति सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण चीज है। अगर कोई कलीसियाई अगुआ वास्तविक कार्य करता है, उसमें पर्याप्त काबिलियत है और उसकी मानवता भी काफी अच्छी है, तो जब तक वह कार्य-व्यवस्थाओं के अनुसार अपना कार्य पूरा करता है, तब तक सभी को उसकी आज्ञा माननी चाहिए। अगर वह वास्तविक कार्य नहीं करता है तो उसके साथ मेल-मिलाप नहीं रखना चाहिए या उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उस समय, समस्याओं का समाधान परमेश्वर के वचनों और सत्य सिद्धांतों के अनुसार किया जाना चाहिए। अगर अगुआ को बर्खास्त करने की जरूरत है, तो उसे बर्खास्त कर देना चाहिए; अगर फिर से चुनाव जरूरी है, तो फिर से चुनाव करवाओ। अगर यह नकली अगुआ परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा नहीं करता है, उस परिवेश को सुरक्षित नहीं करता है जिसमें भाई-बहन अपना कर्तव्य करते हैं और भाई-बहनों की सुरक्षा की परवाह नहीं करता है, तो वह मानक स्तर का अगुआ नहीं हैं; वह अयोग्य है, बस एक बहुत बड़ा निकम्मा है जिससे कोई वास्तविक उद्देश्य पूरा नहीं होता है—भाई-बहनों को उसकी बात नहीं सुननी चाहिए या उससे बेबस नहीं होना चाहिए। कोई भी ऐसा अगुआ और कार्यकर्ता, जो जब भी जरूरत हो यहूदाओं को दूर नहीं कर सकता है, वह नकली अगुआ और नकली कार्यकर्ता हैं; ऐसे नकली अगुआओं और नकली कार्यकर्ताओं से ऊपर बताए गए तरीके से निपटना चाहिए। अगर उनसे तुरंत न निपटा गया तो यहूदा सभी भाई-बहनों के साथ विश्वासघात करेंगे और कलीसिया का अस्तित्व मिट जाएगा। इसके साथ ही इस आठवीं अभिव्यक्ति पर हमारी संगति समाप्त होती है : “किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम होना।”
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