अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (27) खंड एक
आज हम अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के विषय पर संगति करना जारी रखेंगे। इससे पहले हमने चौदहवीं जिम्मेदारी तक संगति की थी और इस जिम्मेदारी के अंतर्गत अभी भी कुछ ऐसे उप-विषय हैं जिन पर संगति नहीं की गई है। चलो संगति करने से पहले यह समीक्षा करें कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं की कितनी जिम्मेदारियाँ हैं। (ये पंद्रह हैं।) तो चलो उन्हें पढ़ो।
(अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ :
1. परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने और समझने, और परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता में प्रवेश करने में लोगों की अगुआई करो।
2. हर तरह के व्यक्ति की दशाओं से परिचित होओ और जीवन प्रवेश से संबंधित जिन विभिन्न कठिनाइयों का वे अपने वास्तविक जीवन में सामना करते हैं, उनका समाधान करो।
3. उन सत्य सिद्धांतों के बारे में संगति करो जिन्हें प्रत्येक कर्तव्य को ठीक से निभाने के लिए समझा जाना चाहिए।
4. विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कर्मियों की परिस्थितियों से अवगत रहो, और आवश्यकतानुसार तुरंत उनके कर्तव्यों में बदलाव करो या उन्हें बर्खास्त करो, ताकि अनुपयुक्त लोगों को काम पर रखने से होने वाला नुकसान रोका या कम किया जा सके, और कार्य की दक्षता और सुचारु प्रगति की गारंटी दी जा सके।
5. कार्य के प्रत्येक मद की स्थिति और प्रगति की अद्यतन जानकारी और समझ बनाए रखो, और कार्य में आने वाली समस्याएँ ठीक करने, विचलन सही करने और त्रुटियों को तुरंत सुधारने में सक्षम रहो, ताकि वह सुचारु रूप से आगे बढ़े।
6. सभी प्रकार की योग्य प्रतिभाओं को बढ़ावा दो और उन्हें विकसित करो, ताकि सत्य का अनुसरण करने वाले सभी लोगों को प्रशिक्षण प्राप्त करने और सत्य वास्तविकता में प्रवेश करने का अवसर यथाशीघ्र मिल सके।
7. विभिन्न प्रकार के लोगों को उनकी मानवता और खूबियों के आधार पर समझदारी से कार्य आवंटित कर उनका उपयोग करो, ताकि उनमें से प्रत्येक का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके।
8. काम के दौरान आने वाली उलझनों और कठिनाइयों की तुरंत सूचना दो और उन्हें हल करने का तरीका खोजो।
9. मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण, आग्रह और निरीक्षण करते हुए, परमेश्वर के घर की विभिन्न कार्य-व्यवस्थाओं को उसकी अपेक्षाओं के अनुसार सटीक रूप से संप्रेषित, जारी और कार्यान्वित करो, और उनके कार्यान्वयन की स्थिति का निरीक्षण और अनुवर्ती कार्रवाई करो।
10. परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक चीजों (पुस्तकें, विभिन्न उपकरण, अनाज आदि) की उचित रूप से सुरक्षा करो और उनका समझदारी से आवंटन करो, और क्षति और बरबादी कम करने के लिए नियमित निरीक्षण, रखरखाव और मरम्मत करो; साथ ही, बुरे लोगों को उन्हें कब्जे में लेने से रोको।
11. विशेषकर भेंटों के व्यवस्थित रूप से पंजीकरण, मिलान और सुरक्षा के कार्य के लिए मानक स्तर की मानवता वाले भरोसेमंद लोगों को चुनो; आवक और जावक चीजों की नियमित रूप से समीक्षा और जाँच करो, ताकि फिजूलखर्ची या बरबादी के मामलों के साथ-साथ अनुचित व्यय के मामलों की भी तुरंत पहचान की जा सके—ऐसी चीजों पर रोक लगाओ और उचित मुआवजे की माँग करो; इसके अतिरिक्त, किसी भी तरह से, भेंटों को दुष्ट लोगों के हाथों में पड़ने और उनके कब्जे में जाने से रोको।
12. उन विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों की तुरंत और सटीक रूप से पहचान करो, जो परमेश्वर के कार्य और कलीसिया की सामान्य व्यवस्था में विघ्न-बाधा उत्पन्न करती हैं; उन्हें रोको और प्रतिबंधित करो, और चीजों को बदलो; इसके अतिरिक्त, सत्य के बारे में संगति करो, ताकि परमेश्वर के चुने हुए लोग ऐसी बातों के माध्यम से समझ विकसित करें और उनसे सीखें।
13. परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने, गुमराह किए जाने, नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से बचाओ, और उन्हें मसीह-विरोधियों को पहचानने और अपने दिलों से त्यागने में सक्षम बनाओ।
14. सभी प्रकार के बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को तुरंत पहचानो और फिर बहिष्कृत या निष्कासित कर दो।
15. सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों की रक्षा करो, उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखो, और कार्य की विभिन्न महत्वपूर्ण मदों को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सुरक्षित रखो।)
क्या सबने ये सारी पंद्रह जिम्मेदारियाँ स्पष्ट रूप से सुनीं? (हाँ।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं की चौदहवीं जिम्मेदारी है “सभी प्रकार के बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को तुरंत पहचानो और फिर बहिष्कृत या निष्कासित कर दो।” तो तुम विभिन्न प्रकार के बुरे लोगों को कैसे पहचान सकते हो? पहली कसौटी परमेश्वर में विश्वास रखने के उनके उद्देश्य पर आधारित है। हमने लोगों द्वारा परमेश्वर में विश्वास रखने के उद्देश्यों को कितने बिंदुओं में विभाजित किया था? हमने उन्हें नौ बिंदुओं में विभाजित किया था : पहला बिंदु है अधिकारी बनने की अपनी इच्छा पूरी करना; दूसरा है विपरीत लिंग के व्यक्ति की तलाश करना; तीसरा है आपदाओं से बचना; चौथा है अवसरवादिता में संलिप्त होना; पाँचवाँ है कलीसिया के सहारे जीवन-यापन करना; छठा है शरण लेना; सातवाँ है किसी समर्थक को ढूँढ़ना; आठवाँ है राजनीतिक लक्ष्यों का अनुसरण करना; और नौवाँ है कलीसिया की निगरानी करना। यह विभिन्न प्रकार के लोगों के परमेश्वर में विश्वास रखने के इरादों और उद्देश्यों के आधार पर उनका सार पहचानना है। जिन विभिन्न प्रकार के लोगों को बहिष्कृत या निष्कासित करने की जरूरत है, उन्हें पहचानने के लिए दूसरी कसौटी विभिन्न पहलुओं में उनके मानवता सार की अभिव्यक्तियों पर आधारित है। इस कसौटी में कितनी अभिव्यक्तियाँ शामिल हैं? पहली, तथ्यों और झूठों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना पसंद करना; दूसरी, फायदा उठाना पसंद करना; तीसरी, स्वच्छंद और असंयमित होना; चौथी, प्रतिशोध की तरफ झुकाव होना; पाँचवीं, अपनी जबान पर लगाम नहीं लगा पाना; छठी, अविवेकी और जानबूझकर परेशान करने वाला होना, जिन्हें कोई भी भड़काने की हिम्मत नहीं करता है; सातवीं, लगातार व्यभिचारी गतिविधियों में लिप्त रहना; आठवीं, किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम होना; नौवीं, किसी भी समय छोड़ने में सक्षम होना; दसवीं, ढुलमुल होना; ग्यारहवीं, कायर और संदेही होना; बारहवीं, मुसीबत मोल लेने की प्रवृत्ति; तेरहवीं, जटिल पृष्ठभूमि होना। कुल मिलाकर इसमें तेरह अभिव्यक्तियाँ हैं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं की चौदहवीं जिम्मेदारी है “सभी प्रकार के बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को तुरंत पहचानो और फिर बहिष्कृत या निष्कासित कर दो।” पहली कसौटी—व्यक्ति का परमेश्वर में विश्वास रखने का उद्देश्य—से संबंधित मुद्दों पर पहले ही संगति की जा चुकी है। हम उनकी मानवता के पहले सात मुद्दों पर पहले ही संगति कर चुके हैं, जो कि दूसरी कसौटी है। आज हम उनकी मानवता की आठवीं अभिव्यक्ति से संगति करना शुरू करेंगे : “किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम होना।”
मद चौदह : सभी प्रकार के बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को तुरंत पहचानो और फिर बहिष्कृत या निष्कासित कर दो (भाग छह)
विभिन्न प्रकार के बुरे लोगों को पहचानने के मानक और आधार
II. व्यक्ति की मानवता के आधार पर
ज. किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम होना
जो लोग किसी भी समय कलीसिया से विश्वासघात करने की क्षमता स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करते हैं—तुम लोग इस प्रकार के लोगों को पहचान सकते हो, है ना? क्या इन लोगों के साथ समस्या बहुत गंभीर है? (हाँ।) कुछ लोग कलीसिया के साथ इसलिए विश्वासघात करते हैं क्योंकि वे बुजदिल होते हैं, जबकि दूसरे लोग अपनी बुरी मानवता या दूसरे मुद्दों के कारण ऐसा करते हैं। कारण चाहे कोई भी हो, इस प्रकार के लोगों का किसी भी समय भाई-बहनों के साथ विश्वासघात करने और परमेश्वर को धोखा देने में सक्षम होना यह दर्शाता है कि वे भरोसेमंद नहीं हैं। अगर कलीसिया के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी या भाई-बहनों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी उनके हाथ लग जाती है, जैसे कि भाई-बहन कहाँ रहते हैं, कलीसिया के अगुआ कौन हैं, कलीसिया किस कार्य में शामिल है या कौन-सा व्यक्ति कौन-से महत्वपूर्ण कार्य और कर्तव्य करता है, तो वे खतरा पैदा होने पर या कुछ विशेष परिस्थितियों में यह जानकारी उगलकर कलीसिया और भाई-बहनों के साथ विश्वासघात कर सकते हैं। उनका ऐसा करने का एक कारण खुद को बचाना और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। दूसरी तरफ, हो सकता है वे जानबूझकर इस तरीके से कार्य करें, इस जानकारी को गंभीरता से न लें और व्यक्तिगत फायदे के एवज में किसी भी समय इसे प्रकट करने और धोखा देने में सक्षम हो जाएँ। मिसाल के तौर पर, बड़ा लाल अजगर कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लेता है और पूछताछ के दौरान कबूलनामा थोपने के लिए उन्हें धमकी देता है, लुभाता है या यातनाएँ देता है और कहता है कि अगर उन्होंने सब कुछ उगल दिया, तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा, इसलिए वे अपनी आजादी के बदले भाई-बहनों और कलीसिया के बारे में अपने पास मौजूद सारी जानकारी प्रकट कर देते हैं। इस तरह के लोग ठेठ यहूदा हैं। मुझे बताओ, ठेठ यहूदा जैसे लोगों से कैसे पेश आना और निपटना चाहिए? (इस प्रकार के लोगों को तुरंत निष्कासित कर देना चाहिए और धिक्कारना भी चाहिए।) आम तौर पर ये ठेठ यहूदा—चाहे जानबूझकर या अनजाने में—कलीसिया से जुड़ी कुछ खास परिस्थितियों के बारे में पूछताछ करते हैं या जानकारी हासिल करते हैं और इसे ध्यान में रखते हैं। बाद में जब वे किन्हीं हालात का सामना करते हैं और गिरफ्तार कर लिए जाते हैं तो वे इस जानकारी को कबूल कर लेते हैं। ऊपरी तौर पर हो सकता है यह न लगे कि इन विवरणों के बारे में उनके पूछताछ करने और जानने का उद्देश्य बड़े लाल अजगर के सामने जानबूझकर जानकारी कबूल करना है, लेकिन जब वे गिरफ्तार हो जाते हैं तो खुद को रोक नहीं पाते हैं। फलस्वरूप उनके कबूलनामे के कारण कलीसिया के सामने कुछ प्रतिकूल परिणाम आते हैं। इस प्रकार इन विवरणों के बारे में उनका बातों-बातों में पूछताछ करना और जानना साधारण बातचीत या बेकार गपशप की प्रकृति का नहीं है; बल्कि वे ऐसा जानबूझकर और उद्देश्यपूर्ण तरीके से कर रहे हैं। इससे उनके लिए बाद में यहूदा बनने की परिस्थितियाँ तैयार हो जाती हैं। क्या दूसरों के बारे में जानकारी यूँ ही प्रकट कर देने वाले लोगों की समस्या सत्य की संगति करने या उन्हें चेतावनियाँ देने जैसे तरीकों से हल की जा सकती है? (नहीं।) क्यों नहीं? (क्योंकि इस प्रकार के लोगों में जमीर और विवेक की कमी होती है, और वे सत्य स्वीकार नहीं करेंगे, और उनके साथ सत्य की संगति करना बेकार है।) इस तरह के बुरे व्यक्ति से कैसे निपटना चाहिए जो दूसरों को यूँ ही नुकसान पहुँचा सकता है? समाधान एक ही है, जो यह है कि उन्हें बाहर निकाल दिया जाए, क्योंकि उन्होंने जो किया है वह न सिर्फ भाई-बहनों को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि कलीसिया के कार्य में भी बाधा डालता है। इस तरह के व्यवहार को भाई-बहनों के साथ विश्वासघात करने और कलीसिया के साथ विश्वासघात करने के रूप में निरूपित किया जा सकता है, इसलिए इस प्रकार के लोगों को बहिष्कृत या निष्कासित कर देना चाहिए। वैसे तो इस प्रकार के लोगों को मसीह-विरोधियों के रूप में निरूपित नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्हें ऐसे बुरे लोगों के रूप में निरूपित करने के लिए पर्याप्त आधार हैं जो कलीसिया के कार्य में गड़बड़ करते हैं और बाधा डालते हैं। इसलिए इस प्रकार के लोगों को बाहर निकाल देना पूरी तरह से सिद्धांतों के अनुसार है। इन लोगों की दिलचस्पी सत्य में नहीं है; उन्हें तो बस हर जगह अगुआओं और कार्यकर्ताओं के विवरणों के साथ-साथ कुछ भाई-बहनों के विवरणों के बारे में पूछताछ करना पसंद है। उन्हें परमेश्वर में विश्वास रखते हुए कई वर्ष हो चुके हैं और उन्होंने बहुत से सत्य नहीं समझे हैं—फिर भी उन्होंने अगुआओं और कार्यकर्ताओं और भाई-बहनों के परिवारों के बारे में काफी सारी जानकारी इकट्ठी कर ली है। चाहे किसी भी भाई या बहन का जिक्र क्यों न किया जाए, वे उसके कुछ विवरण साझा कर सकते हैं, जो दूसरों को काफी चौंकाने वाले लगते हैं। वैसे तो वे अगुआ या कार्यकर्ता नहीं हैं, फिर भी वे कलीसिया के कुछ खास आंतरिक मामलों, जैसे कि प्रशासनिक कार्य, विभिन्न संरचनाओं के प्रमुखों और बाहरी मामलों से संबंधित कुछ कार्यों के बारे में पूछताछ करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। वे अक्सर पूछते रहते हैं कि कौन, कब, कहाँ अपने कर्तव्य निभाने के लिए निकला, किसे पदोन्नत किया गया है, किसे बर्खास्त किया गया है और कलीसिया के कार्य के कुछ खास पहलू कैसे चल रहे हैं। इन चीजों के बारे में पूछताछ करने के बाद वे यह जानकारी हर जगह फैला देते हैं। इससे भी ज्यादा घिनौनी बात यह है कि कुछ लोग पूछताछ करने के बाद जुटाई गई जानकारी को लिख भी लेते हैं। क्या इससे यह नहीं पता चलता कि उनके गुप्त इरादे हैं? (हाँ।) बड़े लाल अजगर के देश में अपने खुद के मामले दर्ज करते समय उन्हें कूट या गुप्त भाषा का उपयोग करना आता है, लेकिन दूसरों की जानकारी दर्ज करते समय वे ऐसी विधि का उपयोग नहीं करते है जो जरा-सी भी समझदारी प्रदर्शित करती हो, बल्कि वे तो भाई-बहनों के असली नाम, रंग-रूप, उम्र, फोन नंबर और दूसरे विवरण लिख देते हैं। कहीं वे विश्वासघात करने का इरादा तो नहीं रखते हैं? उनके इरादे बुरे हैं और वे सचमुच विश्वासघात करने का इरादा रखते हैं। जब कुछ खतरनाक चीज होती है और पुलिस उनके द्वारा दर्ज की गई जानकारी जब्त कर लेती है, तो पुलिस को उन्हें यातना देने की भी जरूरत नहीं पड़ती है, सिर्फ डराने-धमकाने से ही वे कुछ भी छिपाए बिना तुरंत सब कुछ विस्तार से कबूल कर लेते हैं। वे जो चीजें भूल गए हैं, उन्हें याद करने के लिए वे अपने दिमाग भी दौड़ाते हैं और जैसे ही उन्हें कुछ याद आ जाता है, वे तुरंत पुलिस को बता देते हैं। वे तो पुलिस को भाई-बहनों के घरों, अगुआओं और कार्यकर्ताओं के घरों और महत्वपूर्ण कर्तव्य करने वाले लोगों के आवासों तक ले जाते हैं, ताकि उन्हें गिरफ्तार किया जा सके। क्या तुम्हें नहीं लगता है कि इस प्रकार के लोग अत्यधिक नीच होते हैं? (हाँ।) दूसरों के साथ विश्वासघात करने से पहले उनका व्यवहार किसी बुरे व्यक्ति के जैसा नहीं लगता है, किसी मसीह-विरोधी के जैसा तो बिल्कुल भी नहीं लगता है—शायद यह बस किसी साधारण भ्रष्ट मनुष्य की अभिव्यक्तियाँ होती होंगी—लेकिन गिरफ्तार होते ही वे बड़ी आसानी से किसी भी भाई-बहन के साथ विश्वासघात करने में समर्थ हो जाते हैं। बस यही एक अभिव्यक्ति उन्हें बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों से भी ज्यादा नीच बनाती है। ऐसा नहीं है कि वे कड़े बल प्रयोग, यातना और उत्पीड़न के चलते मामूली-सी जानकारी प्रकट करने से खुद को इसलिए नहीं रोक सकते कि उनकी देह बहुत कमजोर होती है और वे इसे और सहन नहीं कर पाते हैं। बल्कि वे भाई-बहनों की सुरक्षा की कोई परवाह किए बिना, कलीसिया के कार्य के बारे में तो बिल्कुल भी परवाह किए बिना खुद आगे बढ़कर और लापरवाही से वह सारी जानकारी प्रकट कर देते हैं जो उनके पास होती है। यह अत्यधिक नीचता है! यह यहूदा किस्म के लोगों की एक अभिव्यक्ति होती है।
एक और प्रकार के लोग हैं, जो जरा सा उकसाए जाते ही कलीसिया और भाई-बहनों की रिपोर्ट कर देना चाहते हैं। मिसाल के तौर पर जब वे प्राकृतिक आपदाओं, बीमारी या चोरी का सामना करते हैं, तो वे परमेश्वर के बारे में शिकायत करते हैं और वे यह भी शिकायत करते हैं कि भाई-बहनों में प्रेम की कमी है और वे उनकी समस्याएँ हल करने में उनकी मदद नहीं करते हैं। इस कारण उनके मन में कलीसिया और भाई-बहनों के साथ विश्वासघात करने की इच्छा उत्पन्न होती है। कुछ लोग अंधाधुँध कुकृत्य करते हैं और उनकी काट-छाँट कर दी जाती है, और भाई-बहन भी उनसे दूरी बना लेते हैं; इससे उन्हें लगता है कि परमेश्वर के घर में प्रेम की कमी है, इसलिए वे जोर से बोल पड़ते हैं : “तुम लोग मुझे नापसंद करने लगे हो, है ना? तुम सब मुझे नीची नजर से देखते हो, है ना? क्या मैं वाकई अब भी परमेश्वर में विश्वास रखकर आशीषें प्राप्त कर सकता हूँ? अगर मैंने आशीषें प्राप्त नहीं कीं, तो मैं तुम सबकी रिपोर्ट करूँगा!” यह ऐसे लोगों का सबसे “चिर-परिचित” कथन है। मैं क्यों कहता हूँ कि—“अगर मैंने आशीषें प्राप्त नहीं कीं, तो मैं तुम सबकी रिपोर्ट करूँगा”—उनका “चिर-परिचित” कथन है? वह इसलिए क्योंकि यह कथन उनकी मानवता को दर्शाता है। यह ऐसा कोई वाक्यांश नहीं है जिसे वे कई असंतोषजनक परिस्थितियों का सामना करने के बाद अपनी घृणा निकालने भर के लिए या मन में गहरे दबे द्वेष के कारण कहते हैं, न ही यह कोई तात्कालिक आवेग है। बल्कि यह कुछ ऐसा है जिससे उनके दिल भरे हुए हैं और यह कभी भी प्रकट हो सकता है। यह कुछ ऐसा है जो लंबे समय से उनके दिलों में मौजूद है और किसी भी क्षण फूटकर बाहर आ सकता है। यह उनकी मानवता को दर्शाता है। उनकी मानवता इतनी खराब है—अगर कोई उन्हें उकसाता है या चोट पहुँचाता है, तो वे किसी भी समय उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात करने में सक्षम हैं। अगर अपना कर्तव्य करते समय वे कार्य-व्यवस्थाओं या सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, और अगुआ और कार्यकर्ता या भाई-बहन उनकी थोड़ी-सी काट-छाँट कर देते हैं, तो वे द्वेषपूर्ण, नाराज और असंतुष्ट हो जाते हैं और फिर ऐसी चीजें कहते हैं, “मैं तुम लोगों की रिपोर्ट करूँगा! मुझे पता है कि तुम कहाँ रहते हो, मुझे तुम्हारा नाम-उपनाम पता है!” अगर तुम इस प्रकार के लोगों को तुष्ट नहीं करते हो तो वे वाकई तुम्हारे साथ विश्वासघात कर सकते हैं। वे किसी को डराने का प्रयास नहीं कर रहे हैं और न ही वे इसे उत्तेजना में आकर कह रहे हैं; अगर कोई उन्हें वाकई नाराज करता है या गुस्सा दिलाता है, तो वे उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। कुछ लोग कहते हैं, “उनसे क्यों डरना?” ऐसा नहीं है कि हम उनसे डरते हैं। अगर यह किसी लोकतांत्रिक और स्वतंत्र देश में होता तो हम उनके विश्वासघात से नहीं डरते। लेकिन बड़े लाल अजगर के देश में अगर वे वाकई विश्वासघात करते हैं तो यह भाई-बहनों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है और कलीसिया के कार्य को प्रभावित कर सकता है। अगर भाई-बहनों को वाकई गिरफ्तार कर लिया जाता है तो बड़ा लाल अजगर इस बात का बतंगड़ बना देगा। जैसे ही वे कोई उल्लंघन ढूँढ़ लेंगे, वे लोगों को लगातार गिरफ्तार करते रहेंगे। ऐसे में अनगिनत लोगों का कलीसियाई जीवन प्रभावित होगा और अनगिनत लोगों के कर्तव्य के सामान्य निर्वहन पर प्रभाव पड़ेगा। क्या ये काफी गंभीर परिणाम नहीं हैं? तुम्हें इन चीजों पर विचार करना चाहिए! इस प्रकार के लोग दूसरों से बातचीत करते समय हमेशा नखरे दिखाते हैं। अगर कोई कुछ ऐसा कहता है जिससे वे दुखी होते हैं या कोई उनकी समस्याएँ उजागर करता है और उन्हें गुस्सा दिलाता है, तो वे उस व्यक्ति से नाराज हो जाते हैं और कई दिनों तक उससे बात करने से भी मना कर सकते हैं, और जब तुम उन्हें ढूँढ़ने जाते हो और उनसे अपना कर्तव्य निभाने के लिए कहते हो, तो वे यह अनुरोध नजरअंदाज कर देते हैं। इस प्रकार के लोगों से मिलजुल कर रहना असंभव है। क्या वे बुरे लोग नहीं हैं? लोगों के किसी समूह में तुम बुरे लोगों को अक्सर ऐसी बातें कहते हुए सुनते हो : “अगर किसी ने मेरा विरोध किया, तो मैं इस मामले को आसानी से नहीं छोड़ूँगा। मुझे पता है वास्तव में तुम कहाँ रहते हो, मुझे तुम्हारी खिड़कियों के पर्दों का रंग तक मालूम है। मुझे इस बात की पूरी जानकारी है कि कहाँ तुम लोग सभा करते हो और कहाँ अगुआ और कार्यकर्ता रहते हैं!” क्या तुम लोग यह कहोगे कि इस प्रकार के लोग खतरनाक व्यक्ति होते हैं? (हाँ।) वे ठेठ यहूदा हैं। अगर सब कुछ सामान्य होता है, तो भी वे विश्वासघात करने की पहल कर सकते हैं। और अगर कोई अनहोनी हुई, तो वही सबसे पहले भाग निकलेंगे और यहूदा बन जाएँगे। इसलिए अगर कलीसिया में इस प्रकार के लोगों का पता चलता है, तो उन्हें जल्द से जल्द बहिष्कृत या निष्कासित कर देना चाहिए। इस प्रकार के लोगों में और क्या अभिव्यक्तियाँ होती हैं? मिसाल के तौर पर, भाई-बहन नियमित रूप से एक-दूसरे से मिलते रहते हैं, इसलिए सभाओं के दौरान एक दूसरे की खैर-खबर पूछने की जरूरत नहीं होती है। समय होने पर वे सभा शुरू कर देते हैं, परमेश्वर के वचन पढ़ते हैं और सत्य पर संगति करते हैं। लेकिन नखरे दिखाने वाले लोग जब यह देखते हैं कि कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा है या उनका अभिवादन नहीं कर रहा है, तो वे तैश में आ जाते हैं। वे जोर से बोल पड़ते हैं, “क्या तुम सब मुझे नीची नजर से देखते हो? हम्म! तुम लोगों में से कोई भी मेरा स्वागत नहीं करता है—ठीक है, कोई बात नहीं; मेरे पास तुमसे निपटने का तरीका है। मुझे पता है कि कलीसियाई अगुआ कहाँ रहते हैं, मुझे पता है कि तुम लोगों में से कौन अपने कर्तव्य कहाँ निभा रहा है और तुम क्या कार्य कर रहे हो, मुझे पता है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं की मेजबानी कौन कर रहा है, कौन चढ़ावों की सुरक्षा कर रहा है, किताबों की छपाई कौन सँभालता है और उन्हें ले जाने की जिम्मेदारी किसके पास है। मैं तुम सबकी रिपोर्ट करूँगा! मैं पुलिस को कलीसिया के बारे में सभी चीजों की रिपोर्ट करूँगा!” अगर लोग उनके साथ अत्यंत सम्मानपूर्ण व्यवहार करते हैं, तो सब कुछ ठीक रहता है। लेकिन जैसे ही कोई उन्हें नाराज कर देता है या भड़का देता है, तो यह एक समस्या बन जाती है—वे बदला लेने और विश्वासघात करने का प्रयास करेंगे। जब भी उनके साथ ऐसा कुछ होता है जिससे वे दुखी या असंतुष्ट हो जाते हैं, तो वे भाई-बहनों और कलीसियाई अगुओं के खिलाफ जोरदार धमकियाँ देते हैं। क्या तुम लोग यह कहोगे कि इस प्रकार के लोग डरावने और खतरनाक होते हैं? (वे खतरनाक होते हैं।) इस प्रकार के लोग यहूदा हैं जो किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम होते हैं; वे खतरनाक व्यक्ति हैं।
किसी भी समय विश्वासघात करने में सक्षम लोगों की एक और अभिव्यक्ति है। मिसाल के तौर पर, बड़े लाल अजगर के देश में ऐसी बातों को सख्ती से गोपनीय रखा जाना चाहिए—विभिन्न प्रांतों और शहरों में स्थापित कलीसियाओं की संख्या, हर कलीसिया में कितने लोग हैं, अगुआ कौन हैं और कलीसिया किस कार्य में जुटी है। यहाँ तक कि परिवार में अविश्वासी सदस्यों और रिश्तेदारों से भी सावधान रहना चाहिए और भविष्य में कलीसिया के लिए समस्याएँ रोकने के लिए इस जानकारी का खुलासा कभी नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन गुप्त इरादे रखने वाले ये व्यक्ति हमेशा ऐसी चीजों के बारे में पूछताछ करने का प्रयास करते हैं। अगर भाई-बहन उन्हें बताने से इनकार कर देते हैं तो उन्हें लगता है : “तुम लोगों को ये बातें क्यों पता हैं, जबकि सिर्फ मुझ अकेले को ही अँधेरे में रखा गया है? मुझे क्यों नहीं बताया जाता है? क्या तुम लोग मुझे भाई-बहनों में से एक नहीं, बल्कि बाहरी मान रहे हो? ठीक है, तो मैं तुम लोगों की रिपोर्ट करूँगा!” तो देखा तुमने, वे किसी भी परिस्थिति में कलीसिया और भाई-बहनों की रिपोर्ट करने में सक्षम होते हैं। किसी ने उन्हें नाराज नहीं किया है, लेकिन जरा सी भी असंतुष्टि से उनमें कलीसिया की रिपोर्ट करने की तेज इच्छा जाग उठती है। मिसाल के तौर पर, जब भाई-बहनों को परमेश्वर के वचनों की किताबें वितरित की जाती हैं, तो हर कोई उत्सुकता से यह देखना शुरू कर देता है कि किताब में परमेश्वर के वचनों के कितने पाठ हैं, उसमें कितने पृष्ठ हैं और छपाई की गुणवत्ता कैसी है। वे सभी अपने हाथ में किताब लेकर खुश और रोमांचित होते हैं। लेकिन दूसरी तरफ यहूदा प्रकार के लोग सोच रहे होते हैं : “इस किताब की छपाई कहाँ हुई? एक प्रति छापने में कितनी लागत आती है? छपाई का प्रभारी कौन है? छपाई के बाद परिवहन कौन सँभालता है? ये किताबें हमारी कलीसिया तक कैसे पहुँचाई गईं? ये किताबें कहाँ रखी जाती हैं? उनकी सुरक्षा का प्रभारी कौन है?” ये विषय स्वाभाविक रूप से संवेदनशील हैं। आम तौर पर तार्किकता और मानवता वाले लोग ऐसे मामलों के बारे में पूछताछ नहीं करेंगे, लेकिन विश्वासघात करने में सक्षम खतरनाक व्यक्ति उनके बारे में पूछताछ करने के लिए उत्सुक रहते हैं। तो तुम क्या सोचते हो—जब वे इन चीजों के बारे में पूछते रहते हैं तो क्या तुम्हें उन्हें यह बता देना चाहिए या नहीं? (हमें उन्हें नहीं बताना चाहिए।) अगर तुम उन्हें बता देते हो तो वे इस जानकारी का खुलासा करने और विश्वासघात करने में सक्षम हो जाएँगे। और अगर तुम उन्हें नहीं बताते हो तो वे ऐसा कुछ कहेंगे : “मुझे इसके बारे में पता कैसे नहीं चल पाता है? परमेश्वर का घर निष्पक्ष नहीं है! मैं परमेश्वर के घर का हिस्सा हूँ, मुझे सभी मामलों के बारे में सूचना प्राप्त करने का अधिकार है! तुम लोग मेरे साथ एक बाहरी जैसा व्यवहार कर रहे हो। तो ठीक है, मैं तुम लोगों की रिपोर्ट करूँगा!” एक बार फिर वे कलीसिया की रिपोर्ट करना चाहते हैं। क्या वे बुरे लोग नहीं हैं? अगर उन्होंने वाकई कलीसिया की रिपोर्ट पुलिस को कर दी, तो इसके क्या परिणाम होंगे? अगर भाई-बहनों को गिरफ्तार किया गया, तो क्या उन्हें जानलेवा खतरा नहीं होगा? इसके अलावा, पुलिस द्वारा गिरफ्तारियाँ हो जाने के बाद भाई-बहनों के लिए और कलीसिया के कार्य में बहुत-सी कठिनाइयाँ आएँगी। यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश को भी अलग-अलग हद तक प्रभावित करेगा—जिन लोगों को सत्य खोजना नहीं आता है, वे नकारात्मक हो सकते हैं और वे शायद सभाओं में शामिल होना भी बंद कर दें। वे बुरे लोग इनमें से किसी भी बात पर विचार नहीं करते हैं। तो क्या उनमें जमीर और विवेक है? कलीसिया जो भी कार्य कर रही है, वे उसके बारे में हमेशा सबसे पहले जानना चाहते हैं। वे तभी खुश होते हैं जब उन्हें कलीसिया में चल रही सभी चीजों के बारे में पता रहता है। अगर एक भी चीज ऐसी हो जिसके बारे में उन्हें बताया नहीं जाता है, तो वे उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और जाकर कलीसिया की रिपोर्ट कर देना चाहते हैं, जिससे एक बहुत बड़ी परेशानी पैदा हो सकती है। ऐसा व्यक्ति कैसा नीच है? वह एक दुष्ट व्यक्ति है! अगर कोई दुष्ट व्यक्ति हमेशा कलीसिया की किसी बात को लेकर चिंतित रहता है, तो इससे परेशानी जरूर पैदा होगी। मिसाल के तौर पर, अगर कुछ भाई-बहन अमीर हैं और बड़ी मात्रा में चढ़ावा चढ़ाते हैं, तो वह इस बारे में सोचना बंद नहीं करता और उनसे पूछता है, “तुमने कितना चढ़ावा चढ़ाया?” दूसरा पक्ष उत्तर देता है, “मैं तुम्हें यह कैसे बता सकता हूँ? बायाँ हाथ जो करता है, उसकी खबर दाएँ हाथ को नहीं होनी चाहिए। मैं तुम्हें नहीं बता सकता—यह गोपनीय है!” वह उत्तर देता है, “यह भी गोपनीय है? तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है। तुम मुझे भाई-बहनों में से एक नहीं मान रहे हो!” अपने दिल में वह दूसरे पक्ष की बातों का बुरा मान जाता है और सोचता है, “हम्म! तुम्हें लगता है कि तुम अपने बड़े-बड़े चढ़ावों के कारण बहुत महान हो! तुम मुझे नहीं बताओगे कि तुमने कितना चढ़ावा चढ़ाया। मुझे पता है कि तुम्हारा परिवार एक कारोबार चलाता है। अगर तुमने मुझे भड़काया तो मैं परमेश्वर में विश्वास रखने के लिए तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा और तुम्हारा कारोबार ठप हो जाएगा! फिर तुम एक पैसा तक नहीं चढ़ा पाओगे!” देखा तुमने, वह फिर से लोगों की रिपोर्ट करना चाहता है। जब भी उसे कोई छोटी-सी बात नहीं बताई जाती है, तो वह कलीसिया और भाई-बहनों की रिपोर्ट कर देना चाहता है। महत्वपूर्ण कर्तव्य करने वाले कुछ व्यक्तियों के घरों के बारे में सिर्फ कुछ लोगों को ही पता होता है। यह जानबूझकर किसी से कुछ छिपाने या दूसरों की पीठ पीछे कुछ गलत करने के बारे में नहीं है; यह इसलिए है क्योंकि परिवेश अत्यधिक खतरनाक है और सुरक्षा कारणों से ऐसी व्यवस्थाएँ जरूरी हैं। जब यह गद्दार, यह यहूदा, सुनता है कि फलाँ परिवार यात्रा करने वाले कुछ भाई-बहनों की मेजबानी कर रहा है, तो उसे लगता है कि यह रिपोर्ट करने योग्य बात है—शायद पुलिस उसे इनाम भी दे दे! वह दरवाजे के पीछे छिपकर दूसरों की बातें सुनता है और कोई चीज सुनने के बाद उसे गुस्सा आ जाता है : “तुम लोग मुझे बताए बगैर मेरी पीठ पीछे कलीसियाई मामलों पर चर्चा कर रहे हो। तुम्हें डर है कि मैं तुम्हारे साथ विश्वासघात करूँगा, इसलिए तुम मुझसे सावधान रह रहे हो और मुझसे बातें छिपा रहे हो, मुझे परमेश्वर के घर का हिस्सा नहीं मान रहे हो। ठीक है, मैं तुम लोगों की रिपोर्ट करूँगा!” देखा तुमने, वह एक बार फिर दूसरों की रिपोर्ट करना चाहता है। क्या तुम यह कहोगे कि यह व्यक्ति एक बड़ी समस्या है? (हाँ।) उसका मानना है कि भाई-बहनों या कलीसिया से जुड़ी सभी परिस्थितियों के बारे में सभी को बताया जाना चाहिए, और कि सभी को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है—खासकर उसे। अगर एक चीज भी ऐसी हो जिसके बारे में उसे नहीं बताया जाता है, तो वह लोगों की रिपोर्ट कर देने की धमकी देता है। वह रिपोर्ट करने के कार्य का उपयोग भाई-बहनों और कलीसियाई अगुआओं को लगातार धमकी देने के लिए करता है, हमेशा इसका उपयोग अपने खुद के लक्ष्य हासिल करने के लिए करता है। इस तरह के लोग कलीसिया में एक बड़ा गुप्त खतरा हैं, किसी भी समय फट सकने वाला विस्फोटक हैं। वे किसी भी समय भाई-बहनों को और कलीसिया के कार्य को नुकसान पहुँचा सकते हैं और उन पर आपदा ला सकते हैं। जब ऐसे व्यक्तियों का पता चलता है, तो उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए—उन्हें सिर नहीं चढ़ाना चाहिए।
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