अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (21) खंड दो
मद तेरह : परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने, गुमराह किए जाने, नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से बचाओ, और उन्हें मसीह-विरोधियों को पहचानने और अपने दिलों से त्यागने में सक्षम बनाओ
कई कार्य जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह पहचानने पर करने चाहिए कि मसीह-विरोधी कलीसिया को बाधित कर रहे हैं
आगे हम मुख्य विषय पर संगति करेंगे। अगुआओं और कार्यकर्ताओं की बारहवीं जिम्मेदारी पर हमारी संगति पूरी हो गई है। इस संगति के लिए, हम तेरहवीं जिम्मेदारी पर चर्चा करेंगे : “परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने, गुमराह किए जाने, नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से बचाओ, और उन्हें मसीह-विरोधियों को पहचानने और अपने दिलों से त्यागने में सक्षम बनाओ।” तेरहवीं जिम्मेदारी में यह विषय शामिल है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मसीह-विरोधियों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। जब मसीह-विरोधी कलीसिया में दिखाई दें तो उस समय अगुआओं और कार्यकर्ताओं को क्या कार्य करना चाहिए? सबसे पहले, यह जिम्मेदारी बताती है कि ऐसी समस्याओं को हल करते समय, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को भाई-बहनों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने, गुमराह किए जाने, नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से बचाने के लिए आगे आना चाहिए। यह पहला काम है जो उन्हें करना चाहिए। जहाँ तक इस बात का सवाल है कि मसीह-विरोधी किस तरह से परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बाधित करते हैं, गुमराह करते हैं, नियंत्रित करते हैं और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाते हैं, इस बारे में पहले भी बहुत संगति की जा चुकी है, इसलिए यह विषय-वस्तु आज की संगति का मुख्य विषय नहीं होगी। आज हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान से बचाने के लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मसीह-विरोधियों के इन व्यवहारों और क्रियाकलापों का सामना करते समय कौन-सी जिम्मेदारियाँ पूरी करनी चाहिए और उन्हें क्या काम करना चाहिए। सबसे पहले, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने, गुमराह किए जाने, नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से बचाना चाहिए—यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों में से एक है। “जिम्मेदारियों में से एक” का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा किए जाने वाले कई कार्यों में से, परमेश्वर के चुने हुए लोगों की सुरक्षा करना एक महत्वपूर्ण कार्य है ताकि वे मसीह-विरोधियों द्वारा बाधा और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए बिना एक सामान्य कलीसियाई जीवन जी सकें। यह एक अपरिहार्य कार्य भी है जिसमें वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इसे महत्व देना चाहिए और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कलीसियाई जीवन के सामान्य कामकाज को बनाए रखना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है और कलीसिया के सभी कार्यों में सबसे प्रमुख कार्य है। यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी भी है। अगुआओं और कार्यकर्ताओं का मूल कार्य परमेश्वर के चुने हुए लोगों को सत्य वास्तविकता में लेकर जाना है। जब शैतान और मसीह-विरोधी लोगों को परेशान करने और गुमराह करने और परमेश्वर से उसके चुने हुए लोगों के लिए होड़ करने के लिए आते हैं तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मसीह-विरोधियों को उजागर करने के लिए खड़ा होना चाहिए ताकि परमेश्वर के चुने हुए लोग उनका भेद पहचान सकें, मसीह-विरोधियों को उनके असली रूप को बेनकाब करने को मजबूर करें, और फिर उन्हें कलीसिया से बाहर निकाल दें। यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से रोकने के लिए है। यह वह जिम्मेदारी है जिसे कलीसिया का काम करते समय अगुआओं और कार्यकर्ताओं को निभाना चाहिए। तो इन चीजों को रोकने का क्या मतलब है? उन्हें कैसे रोका जाना चाहिए? “रोकना” शब्द का शाब्दिक अर्थ है किसी चीज को होने से यथासंभव अधिकतम सीमा तक रोकना। यहाँ मुख्य बिंदु क्या है? घटनाओं को होने से रोकने से रोकथाम होती है। मसीह-विरोधियों की घटनाओं से निपटने में, अगुआओं और कार्यकर्ताओं का प्राथमिक कार्य मसीह-विरोधियों को परमेश्वर के चुने हुए लोगों को यथासंभव अधिकतम सीमा तक बाधित करने, गुमराह करने, नियंत्रित करने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाने से रोकना है। उन्हें परमेश्वर के चुने हुए लोगों को यथासंभव मसीह-विरोधियों के नुकसान से बचाना चाहिए। यही वह मुख्य कार्य है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए, और यही वह है जिसके बारे में हमें तेरहवीं जिम्मेदारी के संबंध में स्पष्ट रूप से संगति करने की आवश्यकता है। तो परमेश्वर के चुने हुए लोगों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है? मसीह-विरोधियों द्वारा किए जाने वाले इन बुरे कर्मों को होने से रोककर। उन्हें रोकने के कई तरीके और उपाय हैं, जैसे कि उजागर करना, काट-छाँट करना, गहन-विश्लेषण करना और प्रतिबंध लगाना। और क्या है? (निष्कासित करना।) यह अंतिम चरण है। जब भाई-बहनों में अभी भी समझ की कमी होती है और वे नहीं जानते कि कोई व्यक्ति मसीह-विरोधी है, लेकिन अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने पहले से ही उसे इस रूप में पहचान लिया है, अगर वे उसे सीधे निष्कासित करते हैं, तो जिन लोगों में समझ की कमी है वे धारणाएँ और राय बना सकते हैं, और कुछ लड़खड़ा सकते हैं। ऐसे मामलों में, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को क्या काम करना चाहिए? मैंने अभी क्या उल्लेख किया? (उजागर करना, काट-छाँट करना, गहन-विश्लेषण करना और प्रतिबंध लगाना।) क्या तुम लोगों के पास मसीह-विरोधियों को बुराई करने से रोकने के लिए कोई अच्छा तरीका है? क्या उनकी निगरानी करना एक अच्छा तरीका है? क्या इसे सिद्धांतों के अनुरूप एक प्रभावी तरीका और उपाय माना जाता है? (हाँ।) मसीह-विरोधियों के साथ व्यवहार करने का उचित तरीका क्या है? क्या मसीह-विरोधियों पर न्याय, ताड़ना, परीक्षण और शोधन काम कर सकते हैं? (नहीं।) क्यों नहीं? (मसीह-विरोधी सत्य स्वीकार नहीं करते; वे इससे विमुख होते हैं।) मसीह-विरोधी सत्य से विमुख होते हैं और इसे स्वीकार नहीं करते, इसलिए मसीह-विरोधियों से निपटने के लिए परीक्षण, शोधन, न्याय और ताड़ना का उपयोग करना उचित नहीं है। इसके अलावा, परमेश्वर उन पर यह कार्य नहीं करता। यह विचार उचित नहीं है, इसलिए यह तरीका निश्चित रूप से काम नहीं करेगा। तो फिर कौन-सा तरीका उचित है? बहुत-से लोग जो मसीह-विरोधियों के नुकसान से बहुत पीड़ित हैं, वे उनसे बहुत नफरत करते हैं और मानते हैं कि मसीह-विरोधियों की आलोचना की जानी चाहिए, उनकी निंदा की जानी चाहिए और उन्हें सार्वजनिक रूप से बेपर्दा किया जाना चाहिए। उन्हें लगता है कि मसीह-विरोधियों को अपनी गलतियों को स्वीकारने और कलीसिया में खुलेआम अपने पापों को स्वीकारने और पूरी तरह से शर्मिंदा होने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। क्या तुम लोगों को लगता है कि इन तरीकों को अपनाना उचित होगा? (नहीं।) अगर हम मसीह-विरोधियों के सार पर विचार करें, तो ऐसी कार्रवाई करना वास्तव में अत्यधिक नहीं होगा—शैतानों के साथ जैसा भी व्यवहार किया जाए, वह ठीक है; इसे एक कीड़े को कुचलने की तरह ही किया जा सकता है। इसलिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं का ऐसा करने का उद्देश्य बहुत जायज और सही लगता है, लेकिन क्या इन तरीकों के साथ कोई समस्या है? क्या यह काम अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के दायरे में आता है? क्या इस तरह से काम करना सिद्धांतों के अनुरूप है या नहीं? (नहीं।) स्पष्ट रूप से, यह सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। सिद्धांत कहाँ से आते हैं? (परमेश्वर के वचनों से।) यह सही है। हालाँकि इस तरह की कार्रवाइयों का लक्ष्य मसीह-विरोधी—दानव हैं—लेकिन इसके तरीके भी सिद्धांतों और परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुरूप होने चाहिए, क्योंकि इस काम को करने में अगुआ और कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं, न कि पारिवारिक मामलों या व्यक्तिगत मामलों को निपटा रहे हैं।
I. उजागर करना
मसीह-विरोधियों से निपटना और उन्हें बुराई करने, परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह करने और नुकसान पहुँचाने से रोकना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। इसका उद्देश्य परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान से बचाना है, किसी को पीड़ा पहुँचाना या किसी के खिलाफ बदला लेने के अवसर का लाभ उठाना नहीं है, और निश्चित रूप से किसी के खिलाफ अभियान चलाना नहीं है। इसलिए, मसीह-विरोधियों को बुराई करने से रोकने के लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को अधिकतम संभव सीमा तक क्या कार्य करने की जरूरत है? पहला है उन्हें उजागर करना। उजागर करने का उद्देश्य क्या है? (लोगों को समझ विकसित करने में मदद करना।) यह सही है। इसका उद्देश्य परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों के सार का भेद पहचानने में मदद करना है, ताकि वे आंतरिक रूप से मसीह-विरोधियों से खुद को दूर कर सकें और उनके द्वारा गुमराह न हों, और ताकि—जब मसीह-विरोधी उन्हें गुमराह करने और नियंत्रित करने का प्रयास करें—तो वे सक्रिय रूप से उन्हें अस्वीकार करने में सक्षम हों, बजाय इसके कि वे मसीह-विरोधियों को चालाकी करने और उनके साथ खिलवाड़ करने दें। तो क्या उन्हें उजागर करना महत्वपूर्ण है? (हाँ।) उन्हें उजागर करना बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन तुम्हें उन्हें सही ढंग से उजागर करना चाहिए। तुम्हें उन्हें कैसे उजागर करना चाहिए? तुम्हारे उजागर करने का आधार क्या होना चाहिए? क्या उन्हें मनमाने ढंग से लेबल करना ठीक है? क्या बिना आधार के बिना विचारे उनकी निंदा करना ठीक है? (नहीं।) तो तुम्हें परमेश्वर के चुने हुए लोगों की सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्हें सही ढंग से कैसे उजागर करना चाहिए? (एक बात तो यह है कि हमें उनके बुरे कर्मों के तथ्य के आधार पर उन्हें निष्पक्ष तरीके और सच्चाई से उजागर करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, हमें परमेश्वर के वचनों के अनुसार उनका भेद पहचानना और उनका गहन-विश्लेषण करना चाहिए।) ये दोनों कथन बिल्कुल सही हैं; दोनों पहलू अपरिहार्य हैं। एक बात तो यह है, तथ्यात्मक सबूत होना चाहिए। तुम्हें मसीह-विरोधियों द्वारा प्रकट किए गए गलत शब्दों, कार्यों, बेतुके विचारों और दृष्टिकोणों के आधार पर उनके सार को पहचानना और चित्रित करना चाहिए। हालाँकि, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परमेश्वर के वचनों के अनुसार उनका भेद पहचानना और उनका गहन-विश्लेषण करना चाहिए। तुम्हें परमेश्वर के किन वचनों का संदर्भ लेना चाहिए? कौन-से वचन सबसे सीधे और प्रभावशाली हैं? (जो वचन मसीह-विरोधियों को उजागर करते हैं।) यह सही है; तुम्हें कुछ ऐसे शब्द खोजने चाहिए जो मसीह-विरोधियों को बेनकाब करें, उजागर करें, उचित और निष्पक्ष रूप से तुलना करें, जिससे पूर्ण सटीकता सुनिश्चित हो। भाई-बहन इसे सुनने के बाद समझ जाएँगे; वे तुरंत शामिल व्यक्ति के प्रति समझ रखेंगे और उससे सावधान रहेंगे। अपने दिलों में समझ होने के कारण, वे इस व्यक्ति से घृणा महसूस करेंगे : “तो वह आखिरकार एक मसीह विरोधी है! उसने पहले मेरी मदद की थी और यहाँ तक कि उपकार भी किया था। मुझे लगा कि वह एक अच्छा व्यक्ति है। इस गहन-विश्लेषण और संगति के माध्यम से, उसके पाखंड और उसके अनिवार्य मसीह-विरोधी अभिव्यक्तियों को उजागर किया गया, जिससे सभी को यह देखने में मदद मिली कि यह व्यक्ति खतरनाक है। परमेश्वर के वचनों ने उसे बहुत सटीक रूप से उजागर किया है! वह अच्छा व्यक्ति नहीं है। वह अच्छी बातें कहता है और उसके कार्यों में कोई समस्या नहीं लगती है, लेकिन उसके सार को उजागर करने से, अब यह स्पष्ट है कि वह वास्तव में एक मसीह विरोधी है।” लोगों के विचारों में बदलाव को देखा जाए, तो जब अगुआ और कार्यकर्ता मसीह-विरोधियों को उजागर करने का कार्य कर रहे होते हैं, तो वे मसीह-विरोधियों को परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह करने और बाधित करने से यथासंभव रोक रहे होते हैं। बेशक, वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों के नियंत्रण और गंभीर नुकसान से बचाने की जिम्मेदारी भी पूरी कर रहे हैं। वे अपना एक कार्य व्यावहारिक तरीके से कर रहे हैं। यह कौन-सा कार्य है? मसीह-विरोधियों को उजागर करना। मसीह-विरोधियों को उजागर करने का कार्य अगुआओं और कार्यकर्ताओं के उन कार्यों में से एक है जिसे परमेश्वर के चुने हुए लोगों की रक्षा करने के लिए उन्हें करना चाहिए। जहाँ तक उन विभिन्न कार्यों की बात है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करने चाहिए, तो हम उन्हें उनके पैमाने या उनके द्वारा प्राप्त नतीजों के आधार पर क्रमबद्ध नहीं करेंगे; आओ पहले “उजागर करने” के कार्य पर संगति करें। मसीह-विरोधियों के प्रकृति सार को उजागर करने में ये चीजें शामिल हैं : उनके निरंतर बुरे कर्मों के इरादों, उद्देश्यों और परिणामों को उजागर करना जो कलीसिया के कार्य को अस्त-व्यस्त करते हैं; यह उजागर करना कि कैसे मसीह-विरोधी, अगुआओं और कार्यकर्ताओं के रूप में सेवा करते हुए, कलीसिया का कोई वास्तविक कार्य बिल्कुल नहीं करते हैं और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश की उपेक्षा करते हैं; ऐसे लोगों के रूप में मसीह-विरोधियों के बदसूरत चेहरे को उजागर करना जो खुद को बिल्कुल भी नहीं जानते, कभी भी सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं, और लोगों को गुमराह करने के लिए केवल शब्द और धर्म-सिद्धांत बोलते हैं; और लोगों के सामने और उनकी पीठ पीछे उनकी अलग-अलग बातों और क्रियाकलापों को उजागर करना। इन पहलुओं को पूरी तरह उजागर करना शैतानों और दानवों के रूप में मसीह-विरोधियों का असली रूप दिखाता है। यह एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को जरूर करना चाहिए। तो इस कार्य को करने के लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं के पास क्या होना चाहिए? सबसे पहले, उनमें दायित्व की कुछ भावना होनी चाहिए, है न? (हाँ।) अगुआ और कार्यकर्ता इस जिम्मेदारी को उठाते समय अक्सर सोचते हैं, “वह व्यक्ति एक मसीह-विरोधी है। कुछ भाई-बहन अक्सर सवाल लेकर उसके पास जाते हैं, हमेशा उसके करीब आते हैं और उसके साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रखते हैं। इस व्यक्ति द्वारा गुमराह किए जाने के बाद, कई लोग विशेष रूप से उसे पूजते हैं। इस बारे में क्या किया जाना चाहिए?” वे प्रार्थना करने के लिए परमेश्वर के सामने आते हैं और अक्सर सचेत होकर मसीह-विरोधियों को उजागर करने वाले परमेश्वर के वचनों को ढूँढ़ते हैं, इस संबंध में खुद को सत्य से सुसज्जित करते हैं। फिर वे परमेश्वर से सही समय की तैयारी करने के लिए कहते हैं या वे इस मामले में भाई-बहनों के साथ संगति करने के लिए खुद उपयुक्त समय और अवसर की तलाश करते हैं। वे इसे अपना दायित्व और एक महत्वपूर्ण कार्य मानते हैं जिसे उन्हें आगे करना है। वे लगातार तैयारी कर रहे हैं, प्रयास कर रहे हैं, और मार्गदर्शन के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं; वे हमेशा इस तरह की मनःस्थिति और हालात में रहते हैं। दायित्व की समझ होने का यही मतलब है। कुछ समय तक इस तरह के दायित्व के साथ तैयारी करने के बाद, उन्हें तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि परिस्थितियाँ अनुकूल न हो जाएँ। कम से कम, उन्हें तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि दो या तीन लोगों को मसीह-विरोधियों की वास्तविक समझ न हो जाए, उसके बाद ही वे उन्हें उजागर करना शुरू कर सकते हैं। अगर वे सिर्फ अपनी भावनाओं के आधार पर यह तय करते हैं कि कोई व्यक्ति मसीह-विरोधी लगता है, लेकिन वे यह नहीं देख पाते कि वह व्यक्ति वास्तव में मसीह-विरोधी है या नहीं, तो उन्हें जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना चाहिए। संक्षेप में, इस कार्य को करते समय, उन्हें निश्चित रूप से परमेश्वर का प्रबोधन और मार्गदर्शन प्राप्त होगा। यही वास्तविक कार्य करने और अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों को पूरा करने का मतलब है।
II. काट-छाँट करना
मसीह-विरोधियों को उजागर करने का कार्य पूरा हो जाने के बाद, भाई-बहनों को कुछ समझ तो आ जाती है, लेकिन मसीह-विरोधियों को पूरी तरह से सामने लाए जाने से पहले, वे अनिवार्य रूप से भाई-बहनों को गुमराह और बाधित करने के लिए और अधिक काम करते हैं, जिससे ज्यादा लोग उन्हें पूजते हैं, उनकी प्रशंसा करते हैं और उनका अनुसरण करते हैं। इससे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को परमेश्वर में विश्वास रखने के सही मार्ग में प्रवेश करने में बहुत विलंब हो जाता है, जो उनके जीवन प्रवेश में बाधा डालता है और बहुत नुकसान पहुँचाता है। दूसरा कार्य जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए, वह यह है कि जब मसीह-विरोधी भाई-बहनों को गुमराह और बाधित करते हैं, या जब उनकी कथनी और करनी से स्पष्ट रूप से सत्य सिद्धांतों का उल्लंघन होता है, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सबूतों को जब्त करना चाहिए और तुरंत उनकी काट-छाँट करने के लिए आगे आना चाहिए, और परमेश्वर के वचनों के अनुसार उनके बुरे कर्मों को उजागर करना चाहिए, ताकि भाई-बहन मसीह-विरोधियों के असली चेहरे का भेद पहचान सकें और असलियत जान सकें। यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों की रक्षा करने और परमेश्वर के घर के कार्य की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है जिससे बचा नहीं जा सकता। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को चुपचाप आराम से नहीं बैठना चाहिए या आँखें नहीं मूँद लेनी चाहिए; उन्हें तुरंत अवसरों का लाभ उठाना चाहिए, घटनाओं को चिन्हित करना चाहिए, और मसीह-विरोधियों की काट-छाँट करने के लिए आगे आना चाहिए, उनके क्रियाकलापों, महत्वाकांक्षाओं, इच्छाओं और सार को एकदम सही ढंग से उजागर करना चाहिए। बेशक, यह भी अधिक सही ढंग से चित्रित करना आवश्यक है कि मसीह-विरोधी किस प्रकार के व्यक्ति हैं, ताकि भाई-बहन इसे स्पष्ट रूप से देख सकें, ताकि मसीह-विरोधी स्वयं इसे जान सकें, और मसीह-विरोधी इस बात से अवगत हों कि हर कोई उनके बारे में नासमझ नहीं है और उनके द्वारा मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है—कम से कम कुछ लोग उनके क्रियाकलापों और व्यवहार की असलियत जान सकें और उनकी छिपी महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं, और साथ ही उनके सार की भी असलियत जान सकें। बेशक, मसीह-विरोधियों की काट-छाँट करने का उद्देश्य, केवल शब्दों के माध्यम से उनके सार को उजागर करना नहीं है। इससे भी महत्वपूर्ण बात है कि यह क्या है? (सबसे पहले, यह भाई-बहनों को समझ विकसित करने में मदद करता है और मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों को प्रतिबंधित करता है।) सही कहा। यह उन्हें प्रतिबंधित करने के लिए है, ताकि जब वे लोगों को गुमराह और बाधित करने वाले काम करें, तो उन्हें कुछ संकोच हो और कुछ डर महसूस हो; यह उन पर प्रतिबंध लगाने, कुछ अंकुश लगाने, और लापरवाही से काम करने की हिम्मत न करने देने के लिए है; उन्हें यह बताने के लिए है कि परमेश्वर के घर में न केवल सत्य है, सत्य की सत्ता है, बल्कि प्रशासनिक आदेश भी हैं, और परमेश्वर के घर में अत्याचारी और मनमाने ढंग से लापरवाही से काम करना, परमेश्वर के घर के हितों को नुकसान पहुँचाना और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान पहुँचाना संभव नहीं है; और उन्हें यह भी बताना है कि उन्हें कलीसिया के काम को बाधित करने और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश को नुकसान पहुँचाने वाले लापरवाही से किए गए गलत काम करने के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। मसीह-विरोधियों की तुरंत काट-छाँट करते समय, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन्हें उजागर करने के लिए भी खड़ा होना चाहिए, समझ विकसित करने और मसीह-विरोधियों की महत्वाकांक्षाओं, इच्छाओं, इरादों और उद्देश्यों की असलियत जानने में लोगों की मदद करनी चाहिए। बेशक, यह भी परमेश्वर के चुने हुए लोगों की हिफाजत करने और परमेश्वर के घर के हितों की सुरक्षा करने के लिए है। इन सभी विचारों को अगुआओं और कार्यकर्ताओं को ध्यान में रखना चाहिए, और इस कार्य को पूरा करना उनकी जिम्मेदारियों के दायरे में है; वे इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते या इसके बारे में लापरवाह नहीं हो सकते। अगर अगुआओं और कार्यकर्ताओं को कलीसिया में मसीह-विरोधियों का पता चलता है, तो उन्हें हमेशा उनकी कथनी-करनी और पर्दे के पीछे उनके द्वारा फैलाई जाने वाली भ्रांतियों के बारे में सतर्क रहना चाहिए, और उन्हें उनकी काट-छाँट करने और उन्हें उजागर करने का अभ्यास करना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं का यह कार्य है कि वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने और नुकसान पहुँचाए जाने से बचाएँ।
III. गहन-विश्लेषण करना
अगुआओं और कार्यकर्ताओं का अगला काम क्या है? गहन-विश्लेषण करना। गहन-विश्लेषण करना लगभग उजागर करने के समान है, लेकिन दोनों के स्तर में अंतर हैं। जब गहन-विश्लेषण करने की बात आती है, तो यह केवल एक तथ्य, वास्तविक स्थिति या पृष्ठभूमि को उजागर करने के बारे में नहीं है; इसमें चरित्र-चित्रण का मुद्दा शामिल है, यानी इसमें मसीह-विरोधियों का स्वभाव शामिल है, जो अनिवार्य, मूल मुद्दा है। परमेश्वर, सत्य, उनके कर्तव्य और परमेश्वर के घर के कार्य के प्रति उनके रवैये, साथ ही भ्रम फैलाने के पीछे की उनकी मंशाओं, इरादों और उद्देश्य का गहन-विश्लेषण करें—वे ऐसा क्यों करते हैं—और उनके विचारों, दृष्टिकोणों, भाषण, क्रियाकलापों और उनके द्वारा प्रकट किए गए स्वभावों और अभिव्यक्तियों के माध्यम से उनके सार का भेद पहचानें। इनकी तुलना परमेश्वर के वचनों से की जानी चाहिए और समझाया जाना चाहिए ताकि भाई-बहन मसीह-विरोधियों के बारे में गहरी समझ प्राप्त कर सकें और व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य से स्पष्ट रूप से देख सकें कि उनके पहले के मसीह-विरोधी ये बातें क्यों कहते और करते हैं, ऐसे लोगों के बारे में परमेश्वर का परिप्रेक्ष्य क्या है और वह उन्हें कैसे चित्रांकित करता है। बेशक, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को भाई-बहनों को यह भी बताना चाहिए कि वे मसीह-विरोधियों से खुद को दूर रखें और उन्हें अस्वीकार करें, और मसीह-विरोधियों के क्रियाकलापों, व्यवहारों, भाषण और दृष्टिकोणों से गुमराह होने के प्रति भी सतर्क रहें, ताकि परमेश्वर को गलत समझने, परमेश्वर से सावधान रहने, परमेश्वर से खुद को दूर रखने, परमेश्वर को अस्वीकार करने और यहाँ तक कि मसीह-विरोधियों की तरह परमेश्वर की आलोचना करने और उसकी निंदा करने से बचें। उजागर करने और काट-छाँट करने जैसे अन्य कार्यों की तरह, गहन-विश्लेषण करने का उद्देश्य मसीह-विरोधियों को परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह करने, बाधित करने और नुकसान पहुँचाने से रोकना है। यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से और परमेश्वर में विश्वास रखने के सही मार्ग से भटकने से बचाने के लिए है। जब परमेश्वर के चुने हुए लोग स्पष्ट रूप से तथ्यों और वास्तविक स्थिति को देखते हैं कि मसीह-विरोधी किस तरह से कलीसिया को बाधित करते हैं और मसीह-विरोधियों के सार को स्पष्ट रूप से देखते हैं, तो वे अब उनके द्वारा गुमराह और नियंत्रित नहीं होंगे। भले ही कुछ भ्रमित और मूर्ख लोग अभी भी अंदर से उनकी प्रशंसा करते और उन्हें पूजते हैं, उनके साथ बातचीत करते हैं और उनके करीब आते हैं, फिर भी मसीह-विरोधी अब बड़ी समस्याएँ पैदा नहीं कर सकते। ईमानदारी से परमेश्वर में विश्वास रखने वाले लोगों के जीवन प्रवेश को प्रभावित किए बिना वे मूर्ख लोगों के साथ केवल कुछ चीजें करेंगे, और इस प्रकार, वे कलीसिया के काम को अस्त-व्यस्त नहीं कर पाएँगे। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस स्तर तक पहुँचने में सक्षम होना चाहिए। यानी उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लोग ईमानदारी से परमेश्वर में विश्वास रखते हैं और स्वेच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और जो सत्य से प्रेम करते हैं वे एक सामान्य कलीसियाई जीवन जी सकते हैं और अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकते हैं। साथ ही, उन्हें यह भी सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए कि ये लोग मसीह-विरोधियों द्वारा गुमराह और बाधित किए जाने से सतर्क रहेंगे और मसीह-विरोधियों को अस्वीकार कर सकेंगे। यह मसीह-विरोधियों के बुरे कामों और बाधाओं को काफी हद तक रोक कर परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बचाने के प्रभाव को पूरी तरह से प्राप्त करना है। बेशक, चाहे तुम अपना काम कितने भी प्रभावी ढंग से करो और तुम कितनी भी अच्छी तरह से बोलो, निश्चित रूप से कुछ मूर्ख लोग, कम काबिलियत वाले और भ्रमित लोग होंगे जो मसीह-विरोधियों को अस्वीकार नहीं कर सकते और अभी भी अपने दिल में उनकी प्रशंसा करेंगे और उनका सम्मान करेंगे। हालाँकि, अधिकांश लोग उस हद तक पहुँच चुके होंगे जहाँ वे मसीह-विरोधियों को अस्वीकार कर सकते हैं। यदि अगुआ और कार्यकर्ता ऐसा कर सकते हैं तो वे पूरी तरह से वांछित नतीजे प्राप्त कर पहले ही परमेश्वर के चुने हुए लोगों को काफी हद तक बचा चुके होंगे। जहाँ तक उन मंदबुद्धि लोगों का सवाल है जो सत्य को नहीं समझ सकते, चाहे जैसे भी संगति की जाए, अगर वे अभी भी थोड़ा परिश्रम कर सकते हैं, तो उन्हें थोड़ी देखरेख और मदद देने के साथ ही थोड़ा और प्यार, धैर्य और सहनशीलता भी दिखानी चाहिए। यह वो सब कुछ है जो व्यक्ति को करना चाहिए और इस तरह से काम करना सिद्धांत के हिसाब से सही है। क्या ऐसे बहुत-से अगुआ और कार्यकर्ता हैं जो इस मानक को पूरा कर सकते हैं? (नहीं।) इसलिए अधिकतम प्रयास किया जाना चाहिए; तुम्हें अथक प्रयास करके और जितना अधिक हो सके परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बचाना चाहिए। “जितना अधिक हो सके” का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि तुम जो सत्य सिद्धांत समझते हो, उन पर संगति करने के लिए हर संभव प्रयास करना, पहले से प्राप्त सबूत—मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों की विभिन्न अभिव्यक्तियाँ—प्रस्तुत करना, उन्हें मसीह-विरोधियों को उजागर करने वाले परमेश्वर के वचनों से सह-संबंधित करना, और उनकी संगति करना और उनका गहन-विश्लेषण करना। ऐसा इसलिए है ताकि भाई-बहन तथ्यात्मक, वास्तविक स्थिति को स्पष्ट रूप से देख सकें, मसीह-विरोधियों के सार का भेद पहचान सकें और उसकी असलियत जान सकें, और मसीह-विरोधियों के प्रति परमेश्वर के रवैये को जान सकें। यह एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए।
IV. प्रतिबंध लगाना
अगुआओं और कार्यकर्ताओं को कौन-सा अगला काम करना चाहिए? यह है प्रतिबंध लगाना। “प्रतिबंध लगाने” का यह काम करना आसान है; इसमें प्रतिबंध लगाने के नतीजे प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय अपनाना शामिल है। उदाहरण के लिए, मसीह-विरोधी सभाओं के दौरान हमेशा शब्द और धर्म-सिद्धांत बोलते हैं, हमेशा अपनी बड़ाई करते हैं, कभी-कभी दूसरों को नीचा दिखाते हैं, अक्सर इस बात की गवाही देते हैं कि उन्होंने कितना कष्ट सहा है और परमेश्वर के घर में उन्होंने क्या योगदान दिया है, और दूसरे लोग कैसे उनकी प्रशंसा करते हैं, वे दूसरों से कैसे बेहतर हैं, वे कैसे अनूठे हैं, इत्यादि के बारे में बात करते हुए, बेशर्मी से खुद की गवाही देते हैं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मसीह-विरोधियों के विभिन्न बुरे कर्मों को प्रतिबंधित करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए जो परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह और नियंत्रित करते हैं, बजाय इसके कि वे लगातार उन्हें बढ़ावा दें। उन्हें उनके बोलने के समय और चर्चा के विषयों को प्रतिबंधित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, मसीह-विरोधियों के सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के क्रियाकलापों, जैसे कि लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए छोटे-मोटे उपकार करना, कलह के बीज बोना, धारणाएँ और नकारात्मक टिप्पणियाँ फैलाना इत्यादि, के संबंध में अगुआओं और कार्यकर्ताओं को बहरे या अंधे की तरह कार्य नहीं करना चाहिए। उन्हें तुरंत मसीह-विरोधियों के क्रियाकलापों को समझ लेना चाहिए; जैसे ही उन्हें दूसरों को गुमराह और बाधित करने वाले व्यवहारों का पता चलता है, उन्हें तुरंत इन व्यवहारों को उजागर करना चाहिए और इनका गहन-विश्लेषण करना चाहिए और मसीह-विरोधियों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए, उन्हें लोगों को गुमराह करने और कलीसिया के काम में बाधा डालने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। क्या यह उन महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए? (हाँ।) क्या तुम मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों को सिर्फ उनकी काट-छाँट करके, उन्हें उजागर करके और उनका गहन-विश्लेषण करके प्रतिबंधित कर सकते हो? (नहीं।) तुम उन्हें इस तरह से प्रतिबंधित नहीं कर सकते क्योंकि वे शैतान और दानव हैं। जब तक उनके हाथ-पैर बंधे नहीं हैं, और उनके मुँह बंद नहीं हैं, वे भ्रांतियाँ फैलाएँगे और शैतानी शब्द बोलेंगे जो लोगों को बाधित करते हैं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन्हें प्रतिबंधित करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए; खासकर जब वे लोगों को गुमराह करने और बाधित करने के लिए भ्रांतियाँ फैलाते हैं, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को समय रहते उन्हें रोकना चाहिए। उन्हें परमेश्वर के चुने हुए लोगों को समझ रखने और मसीह-विरोधियों का असली चेहरा स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम बनाना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह वास्तविक कार्य करना चाहिए।
V. निगरानी करना
मसीह-विरोधियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, अगला काम उनकी निगरानी करना है। देखो कि मसीह-विरोधियों ने किसे गुमराह किया है और पर्दे के पीछे उन्होंने कौन-सी भ्रांतियाँ और शैतानी बातें फैलाई हैं, जाँच करो कि क्या वे बड़े लाल अजगर का पक्ष ले रहे हैं और उसके साथ मिलकर काम कर रहे हैं, क्या उन्होंने धार्मिक संसार के साथ गठजोड़ कर लिया है, क्या वे अपने गिरोह के सदस्यों के साथ गुप्त रूप से अवैध गतिविधियाँ कर रहे हैं, क्या वे परमेश्वर के घर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दूसरों को देकर विश्वासघात कर सकते हैं, इत्यादि। यह भी एक जिम्मेदारी है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को निभानी चाहिए। मसीह-विरोधियों के क्रियाकलाप सामने आने से पहले, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को “संतों की पुस्तकों का अध्ययन करने में पूरी तरह से खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए और बाहरी मामलों पर कोई ध्यान नहीं देना चाहिए,” बल्कि साँपों की तरह चतुर होना चाहिए। एक बार जब अगुआओं और कार्यकर्ताओं को पता चलता है कि कोई व्यक्ति मसीह-विरोधी है, अगर उस व्यक्ति को बाहर निकालने या निष्कासित करने का समय अभी नहीं आया है, तो उन्हें उसे बुराई करने से रोकने के लिए उसकी बारीकी से निगरानी करनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी कथनी और करनी की निगरानी परमेश्वर के चुने हुए लोगों द्वारा की जाए। क्योंकि मसीह-विरोधी सत्ता और शक्तिशाली लोगों के साथ संबंध बनाना पसंद करते हैं, इसलिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस बात पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए कि मसीह-विरोधी पर्दे के पीछे किन लोगों के साथ बातचीत करते हैं और क्या वे धार्मिक लोगों के संपर्क में हैं। कुछ मसीह-विरोधी अक्सर धार्मिक पादरियों और एल्डर्स के साथ जुड़ते हैं, और कुछ तो यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के लोगों से भी मिलते-जुलते हैं। जब ऐसी घटनाएँ होती हैं, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस पर आँखें मूँदकर नहीं बैठना चाहिए, बल्कि मसीह-विरोधी लोगों के खिलाफ सतर्क और सावधान रहना चाहिए। अगर कोई मसीह-विरोधी देखता है कि लोगों को गुमराह करने और अपनी तरफ आकर्षित करने के उनके तरीके परमेश्वर के घर में काम नहीं करते हैं और उनके बुरे कर्म उजागर हो गए हैं, और उन्हें पता है कि उनका अंत अच्छा नहीं होगा, तो तुम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि वे क्या कर सकते हैं या उनकी बुराई किस हद तक जा सकती है। इसलिए, एक बार जब तुम अपने दिल में निश्चित हो जाओ कि कोई मसीह-विरोधी है, तो तुम्हें बिना रुके उसकी निगरानी करनी चाहिए और उस पर नजर रखनी चाहिए। यह तुम्हारी जिम्मेदारी है। ऐसा करने का क्या मतलब है? यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बचाना, और जहाँ तक हो सके मसीह-विरोधी लोगों को भाई-बहनों को नुकसान पहुँचाने के लिए कलीसिया और भाई-बहनों के खिलाफ गलत काम करने से रोकना है। कुछ मसीह-विरोधी हमेशा चढ़ावे के बारे में पूछते हैं : “परमेश्वर के घर के पैसे का प्रबंधन कौन करता है? हिसाब-किताब कौन रखता है? क्या हिसाब-किताब सही तरीके से रखा जाता है? क्या यह संभव है कि गबन हो रहा हो? कलीसिया का पैसा कहाँ रखा जाता है? क्या इन चीजों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए, ताकि हर किसी को इनके बारे में जानने का अधिकार मिल सके? परमेश्वर के घर में कितनी संपत्तियाँ हैं? सबसे ज्यादा दान किसने दिया है? मुझे ये बातें क्यों नहीं पता?” उनकी बातों से ऐसा लगता है कि वे परमेश्वर के घर के वित्तीय मामलों के बारे में चिंतित हैं, लेकिन वास्तव में, उनकी मंशा कुछ और है। ऐसा एक भी मसीह-विरोधी नहीं है जो पैसे का लालच न करता हो। तो ऐसे मामलों में अगुआओं और कार्यकर्ताओं को क्या करना चाहिए? सबसे पहले, तुम्हें चढ़ावे का उचित प्रबंधन करना चाहिए, उन्हें सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी विश्वसनीय लोगों को सौंपनी चाहिए, और तुम्हें मसीह-विरोधियों को उनके उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं होने देना चाहिए—तुम्हें इस बिंदु पर भ्रमित नहीं होना चाहिए। जैसे ही इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है, तुम्हें एहसास होना चाहिए : “कुछ तो गड़बड़ है। मसीह-विरोधी कुछ करने जा रहा है। वह कलीसिया के पैसे को निशाना बनाएगा। वह कलीसिया के पैसे को जब्त करने के लिए बड़े लाल अजगर के साथ गठजोड़ करने की योजना बना रहा होगा। हमें इसे तुरंत दूसरी जगह भेजना होगा!” एक बात तो यह है कि तुम मसीह-विरोधियों को यह नहीं बता सकते कि परमेश्वर के घर के वित्त का प्रबंधन कौन करता है। इसके अलावा, अगर पैसे का प्रबंधन करने वाले लोगों को लगता है कि कोई सुरक्षा जोखिम है, तो पैसे और इसे प्रबंधित करने वाले लोगों दोनों को जल्दी से दूसरी जगह भेज दिया जाना चाहिए। क्या यह ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में अगुआओं और कार्यकर्ताओं को खुद चिंतित होना चाहिए और क्या यही वह कार्य नहीं है जो उन्हें करना चाहिए? (हाँ।) इसके विपरीत, मूर्ख अगुआ मसीह-विरोधियों को ये बातें कहते हुए सुनते हैं और फिर भी वे सोचते हैं, “यह व्यक्ति दायित्व उठाता है और परमेश्वर के घर के पैसे की चिंता करना जानता है, इसलिए चलो उसे कुछ जिम्मेदारी दें और उसे हिसाब-किताब में मदद करने दें।” ऐसा करने से, क्या वे यहूदा नहीं बन गए हैं? (हाँ।) न केवल वे चढ़ावे की रक्षा करने में विफल रहे हैं, बल्कि प्रभावी रूप से यहूदा बनते हुए उन्होंने उस चढ़ावे को मसीह-विरोधियों के हाथों बेच दिया है। तुम इन अगुआओं और कार्यकर्ताओं के बारे में क्या सोचते हो? क्या वे बुरे लोग नहीं हैं? क्या वे दानव नहीं हैं? वे न केवल अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहे हैं, बल्कि उन्होंने परमेश्वर के चढ़ावे और भाई-बहनों को भी मसीह-विरोधियों को सौंप दिया है। इसलिए, जहाँ मसीह-विरोधी हैं, वहाँ अगुआओं और कार्यकर्ताओं को एक बार इसका कोई सुराग मिल जाए, तो उन्हें छानबीन शुरू करनी चाहिए और कुछ विशिष्ट कार्य करना चाहिए, जिसके भीतर “निगरानी करने” का कार्य अपरिहार्य है।
अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला निगरानी का कार्य कोई जासूसी करना या जासूसी गतिविधियाँ करना नहीं है; यह केवल अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना, अधिक चिंतित होना, ध्यान से निरीक्षण करना और यह जानना है कि मसीह-विरोधी क्या कर रहे हैं और क्या करने का इरादा रखते हैं। यदि तुम्हें उनके द्वारा कोई बुराई करने और कलीसिया को बाधित करने के कोई संकेत मिलते हैं, तो तुम्हें जल्द से जल्द निवारक उपाय करने चाहिए; तुम उन्हें बिल्कुल भी सफल होने नहीं दे सकते। यह मसीह-विरोधी लोगों द्वारा की जाने वाली उन घटनाओं को काफी हद तक रोकना है जो कलीसिया के काम को बाधित करती हैं। स्वाभाविक रूप से, यह कलीसिया के काम की सबसे अच्छी सुरक्षा भी करता है और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बचाता है। यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की एक अभिव्यक्ति है। निगरानी करने का मतलब गुप्त एजेंट के रूप में काम करने के लिए कुछ लोगों की व्यवस्था करना और उन्हें जासूसों की तरह लोगों के पीछे लगाना, उनका पीछा करना और उनकी निगरानी करना या उनके घरों की तलाशी लेना और पूछताछ के गंभीर तरीकों का इस्तेमाल करना नहीं है। परमेश्वर का घर ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होता है। लेकिन तुम्हें तुरंत मसीह-विरोधी लोगों की स्थिति को समझना चाहिए। तुम उनके परिवार के सदस्यों या भाई-बहनों से बात करके उनकी हाल की स्थिति के बारे में पूछताछ कर सकते हो जो उनका भेद पहचान सकते हैं या उनसे परिचित हैं। क्या ये सभी इस कार्य को करने की पद्धतियाँ और तरीके नहीं हैं? यदि अगुआ और कार्यकर्ता उन कार्यों को करते हैं जो उनकी जिम्मेदारियों के दायरे में आते हैं और परमेश्वर द्वारा अपेक्षित सिद्धांतों के अनुरूप हैं, तो वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का उद्देश्य क्या है? यह तुम पर निर्भर है कि तुम यथासंभव वह सब करो जिससे मसीह-विरोधियों को विघ्न-बाधाएँ डालने से रोका जा सके, जिससे मसीह-विरोधियों को परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान पहुँचाने और परमेश्वर के घर के हितों का सौदा करने से रोका जा सके। यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। क्या यह काफी हद तक मसीह-विरोधी घटनाओं को होने से नहीं रोकता है? क्या अगुआ और कार्यकर्ता जो ये कार्य करते हैं, वे वह सब नहीं कर रहे हैं जो मानवीय रूप से संभव है? (हाँ।) क्या ऐसा करना मुश्किल है? (नहीं।) यह मुश्किल नहीं है; यह कुछ ऐसा है जिसे सत्य समझने वाले लोग हासिल कर सकते हैं। लोग जो हासिल कर सकते हैं, उसे पूरा करने के लिए उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए; बाकी सब परमेश्वर के हाथों में है कि वह अपनी संप्रभुता का प्रयोग करे, उसे आयोजित करे और उसका मार्गदर्शन करे। हमें इस बारे में सबसे कम चिंता करनी है। हमारे पीछे परमेश्वर है। न केवल हमारे दिलों में परमेश्वर है, बल्कि हमारे पास सच्ची आस्था भी है। यह कोई आध्यात्मिक सहारा नहीं है; वास्तव में, परमेश्वर दिखाई नहीं देता लेकिन वह लोगों के साथ है और सदा उनके साथ मौजूद रहता है। जब भी लोग कुछ करते हैं या कोई कर्तव्य निभाते हैं, तो वह देख रहा होता है; वह किसी भी समय और स्थान पर तुम्हारी मदद करने, तुम्हारी रक्षा करने और तुम्हें बचाने के लिए मौजूद होता है। लोगों को बस इतना करना चाहिए कि उन्हें जो करना चाहिए उसे पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। अगर तुम परमेश्वर के वचनों से अवगत हो जाते हो, उन्हें अपने दिल में महसूस करते हो और उन्हें समझते हो, तुम्हारे आस-पास के लोग तुम्हें याद दिलाते हैं या परमेश्वर द्वारा तुम्हें कोई संकेत या शकुन दिया जाता है जो तुम्हें जानकारी प्रदान करता है—यह कुछ ऐसा है जो तुम्हें करना चाहिए, यह परमेश्वर का तुम्हें दिया गया आदेश है—तो तुम्हें अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए और निष्क्रिय होकर नहीं बैठना चाहिए या किनारे खड़े होकर इसे नहीं देखना चाहिए। तुम रोबोट नहीं हो; तुम्हारे पास दिमाग और विचार हैं। जब कुछ होता है, तो तुम्हें बिल्कुल पता होता है कि तुम्हें क्या करना चाहिए और तुम्हारे पास निश्चित रूप से भावनाएँ और जागरूकता होती है। इसलिए इन भावनाओं और जागरूकता को वास्तविक स्थितियों पर लागू करो, उन्हें जियो और उन्हें अपने क्रियाकलापों में तब्दील करो, और इस तरह तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली होगी। जिन चीजों के बारे में तुम जान सकते हो, उनके लिए तुम्हें उन सत्य सिद्धांतों के अनुसार अभ्यास करना चाहिए जिन्हें तुम समझते हो। इस तरह, तुम अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हो और अपना कर्तव्य निभाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हो। एक अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में, जब तुम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हो, यानी जब तुम मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों को काफी हद तक होने से रोक देते हो, तो परमेश्वर संतुष्ट होगा कि तुम इस तरह से अभ्यास कर सकते हो। परमेश्वर संतुष्ट क्यों होगा? परमेश्वर ऐसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं के बारे में यह निर्धारण करेगा : वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं और अपनी भूमिका में निहित कार्य को करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। क्या यह परमेश्वर की स्वीकृति है? (है।)
VI. निष्कासित करना
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की तेरहवीं जिम्मेदारी में विशेष कार्य शामिल हैं जो उन्हें पूरे करने होते हैं, जिनमें से कई कार्यों को हमने सूचीबद्ध किया है : उन्हें मसीह-विरोधियों को उजागर करने, उनकी काट-छाँट करने, उनका गहन-विश्लेषण करने, उन्हें प्रतिबंधित करने और उनकी निगरानी करने का अभ्यास करना चाहिए। इन बुनियादी सिद्धांतों पर संगति पूरी हो चुकी है। विशेष स्थितियों में अगुआ और कार्यकर्ता चाहे जो भी विशिष्ट कार्य करें, मसीह-विरोधियों से निपटने के सिद्धांतों में कोई बदलाव नहीं होता है। इसके अलावा, इन कार्यों का मुख्य उद्देश्य परमेश्वर के चुने हुए लोगों की रक्षा करना है। मान लो कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों ने पहले ही सर्वसम्मति से किसी को मसीह-विरोधी के रूप में पहचान लिया है और यह भेद पहचान लिया है और भली-भाँति समझ लिया है कि मसीह-विरोधी हमेशा लोगों को गुमराह करने और नियंत्रित करने की कोशिश करता है; उन्हें पता है कि मसीह-विरोधी की उपस्थिति में न तो अच्छे दिन हो सकते हैं और न ही अच्छा कलीसियाई जीवन हो सकता है, और हर कोई सर्वसम्मति से मसीह-विरोधी को कलीसिया से निकाल दिए जाने की माँग करता है। ऐसी परिस्थितियों में, यदि कुछ अगुआ और कार्यकर्ता अभी भी मसीह-विरोधी को रहने देने का समर्थन करते हैं ताकि वे मसीह-विरोधियों को उजागर करने, उनकी काट-छाँट करने, उनका गहन-विश्लेषण करने, उन्हें प्रतिबंधित करने और उनकी निगरानी करने का अभ्यास करने के लिए प्रशिक्षण के रूप में उनका उपयोग कर सकें—तो क्या इन प्रक्रियाओं को पूरा करने की अभी भी आवश्यकता है? हो सकता है कुछ अगुआ और कार्यकर्ता कहें, “यदि मैं इन प्रक्रियाओं को पूरा नहीं करता, तो क्या मैं अपनी जिम्मेदारियों की उपेक्षा नहीं करूँगा? केवल इन प्रक्रियाओं को पूरा करने से अगुआ के रूप में मेरी भूमिका स्पष्ट होती है। मुझे इस कार्य को अवश्य करना चाहिए। चाहे भाई-बहनों की सहमति हो या नहीं, मुझे पहले मसीह-विरोधी को रहने देना चाहिए। मैं पहले उन्हें उजागर करूँगा, फिर उनकी काट-छाँट और गहन-विश्लेषण करूँगा, और भाई-बहनों को यह पुष्टि करने दूँगा कि वे मसीह-विरोधी हैं। सर्वसम्मति से सहमति मिलने के बाद, हम उसे बाहर निकाल देंगे या निष्कासित कर देंगे। क्या यह तरीका अधिक प्रभावी नहीं होगा?” नतीजतन इस दौरान मसीह-विरोधी फिर से लोगों को गुमराह करने और कलीसिया के कार्य को बाधित करने के लिए धारणाएँ फैलाना शुरू कर देता है, जिससे सभी में दहशत फैल जाती है, और कुछ लोग तो सभाओं में आने से भी इनकार कर देते हैं। अपनी दृढ़ता दिखाने और यह साबित करने के लिए कि वे अपनी जिम्मेदारियों की अनदेखी नहीं कर रहे हैं, ये अगुआ और कार्यकर्ता केवल सतही तौर पर खानापूर्ति करते हैं और काम को किसी तरह घसीटते रहते हैं। नतीजतन, वे कई अनावश्यक चक्कर लगाते हैं, कलीसियाई जीवन की व्यवस्था को बाधित करते हैं, और परमेश्वर के चुने हुए लोगों का सत्य का अनुसरण करने में लगने वाला कीमती समय बर्बाद कर देते हैं, और बाद में मसीह-विरोधी को बाहर निकाल दिया जाता है। क्या यह दृष्टिकोण स्वीकार्य है? (नहीं।) इसमें क्या गलत है? (यह केवल विनियमों का पालन करना और खानापूर्ति करना है।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा इन कार्यों को करने का क्या उद्देश्य है? (परमेश्वर के चुने हुए लोगों की रक्षा करना।) तो यदि कुछ लोगों ने अभी तक मसीह-विरोधी का भेद नहीं पहचाना है और वे अब भी उससे काफी जुड़े हुए हैं, और जब अगुआ और कार्यकर्ता मसीह-विरोधी को कलीसिया से निष्कासित करने का निर्णय लेते हैं, तब कुछ लोग यह कहते हुए नाराज हो जाते हैं कि परमेश्वर का घर लोगों के साथ स्नेही या निष्पक्ष नहीं है, इसके काम करने के तरीके में सिद्धांतों का अभाव है, इत्यादि। यहाँ तक कि कुछ भ्रमित लोग मसीह-विरोधी द्वारा गुमराह और प्रभावित हो जाते हैं और कलीसिया छोड़ने के बाद उनका अनुसरण करने की इच्छा रखते हैं। इस स्थिति में क्या किया जाना चाहिए? इस समय, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को कुछ अनिवार्य कार्य करना जरूरी होता है, जैसे कि मसीह-विरोधी की काट-छाँट करना और परमेश्वर के वचनों का उपयोग करके उन्हें उजागर करना और उनका गहन-विश्लेषण करना ताकि भाई-बहन व्यावहारिक रूप से सबक सीख सकें और अंततः मसीह-विरोधी का भेद पहचान सकें। एक दिन, वे कहते हैं, “यह व्यक्ति कितना घृणास्पद है। यह वास्तव में एक बुरा व्यक्ति और मसीह-विरोधी है। आओ, जल्दी से इसे दूर भगा दें!” यह केवल किसी एक व्यक्ति की आवाज नहीं है, बल्कि कई भाई-बहनों की सामूहिक आवाज है। ऐसी स्थिति में, क्या अभी भी मसीह-विरोधी को प्रतिबंधित करने और उसकी निगरानी करने का कार्य करने की आवश्यकता है? नहीं, बस उसे सीधे निष्कासित कर दो। जो अगुआ और कार्यकर्ता अपने कार्य में इस स्तर तक पहुँच जाते हैं, उन्होंने परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों के नुकसान से बचाने का नतीजा हासिल कर लिया है। यह क्या साबित करता है? एक तरफ, यह साबित करता है कि इस कलीसिया के भाई-बहनों में समझ, काबिलियत और न्याय की भावना है। दूसरी तरफ, यह हो सकता है कि अगुआ और कार्यकर्ता वास्तविक कार्य करने में सक्षम हैं, या यह कि इस मसीह-विरोधी के क्रियाकलाप बेहद स्पष्ट हैं, उसकी मानवता बेहद बुरी और दुष्ट है, जिसने जन आक्रोश को जन्म दिया है, और उसने खुद अपनी राह पहले ही अलग कर ली है, जिससे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उससे निपटने की प्रक्रिया में बहुत राहत मिली है। क्या इससे बहुत सारा परिश्रम नहीं बच जाता? ऐसी स्थिति में, उसे बाहर निकालना या निष्कासित करना अच्छी बात है, है ना? इसके अलावा, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को बहुत व्यापक कार्य करने होते हैं और उनके कार्य का दायरा केवल इस एक कार्य तक सीमित नहीं होता है। क्या तुम सोचते हो कि मसीह-विरोधी को निष्कासित करना ही इस समस्या का अंत है? तुमने सब कुछ पूरी सफलता तक पहुँचा दिया है? ऐसा बिल्कुल नहीं है! तुम्हारे पास करने को अन्य कार्य भी हैं। मसीह-विरोधियों से निपटने और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उनके द्वारा नुकसान पहुँचाए जाने से बचाने के अलावा, अनेक अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के साथ अगुआओं और कार्यकर्ताओं की यह भी जिम्मेदारी है कि वे परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता में परमेश्वर के चुने हुए लोगों की अगुआई करें, उनके भ्रष्ट स्वभाव का समाधान करने में उनकी अगुआई करें, और उनमें मसीह-विरोधी स्वभाव को भी ठीक करने में उनकी अगुआई करें। हालाँकि, अगर इन कार्यों को करते समय कोई मसीह-विरोधी दिखाई देता है, तो मसीह-विरोधी से निपटना सबसे बड़ी प्राथमिकता बन जाती है। उन्हें सबसे पहले मसीह-विरोधी को उजागर करना और उससे निपटना चाहिए, और साथ ही सत्य के अन्य पहलुओं पर संगति भी करनी चाहिए। यदि मसीह-विरोधी की बाधा उत्पन्न होती है और अन्य कार्यों को आगे बढ़ाना अत्यंत कठिन हो जाता है, कार्य में रुकावट और हस्तक्षेप होता है, और मसीह-विरोधी भाई-बहनों के जीवन के विकास, कलीसियाई जीवन की व्यवस्था और कर्तव्य निभाने के परिवेश पर गंभीर असर डालता है, तो बेशक यह आवश्यक है कि पहले इस सबसे बड़े संकट और आपदा के मूल कारण से निपटा जाए। केवल मसीह-विरोधी को बाहर निकालने और उससे निपटने के बाद ही अन्य कार्य सामान्य और व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ सकते हैं। इसलिए, यदि किसी कलीसिया में कोई मसीह-विरोधी दिखाई देता है और भाई-बहन थोड़े ही समय में उसका भेद पहचान लेते हैं और सर्वसम्मति से कहते हैं, “भागो यहाँ से, मसीह-विरोधी!” तो क्या इससे अगुआओं और कार्यकर्ताओं का बहुत सारा परिश्रम नहीं बच जाएगा? क्या तुम्हें मन-ही-मन खुश नहीं होना चाहिए? तुम शायद कहो, “मुझे चिंता थी कि मैं इस मसीह-विरोधी, इस दानव को प्रतिबंधित नहीं कर पाऊँगा। मुझे यह भी चिंता थी कि कुछ भाई-बहन उनके द्वारा गुमराह हो जाएँगे और उन्हें भारी नुकसान पहुँचेगा, और मेरा अपना आध्यात्मिक कद इतना छोटा है कि मैं मसीह-विरोधी के सार को उजागर नहीं कर पाऊँगा, इन बातों का पूरी तरह से गहन-विश्लेषण नहीं कर पाऊँगा और इस समस्या को हल नहीं कर पाऊँगा।” अब चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। भाई-बहनों के इस एक कथन के साथ ही समस्या हल हो गई है और अगुआओं और कार्यकर्ताओं का “दायित्व” हट गया है। यह कितना बढ़िया है! तुम्हें परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए; यह परमेश्वर का अनुग्रह है! ऐसा कुछ कलीसिया में होने की संभावना रहती है, क्योंकि मसीह-विरोधियों को उजागर करने के विषय में बहुत चर्चा की जा चुकी है, और क्योंकि अगुआओं और कार्यकर्ताओं के मुकाबले भाई-बहन उतने कमजोर नहीं हैं जितना शायद तुम मानते हो। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में, उनके पास सत्य को स्वतंत्र रूप से समझने और समस्याओं को हल करने की कुछ क्षमता भी होती है। जब वे एकजुट होकर मतदान करवाते हैं और किसी मसीह-विरोधी को निष्कासित कर देते हैं, तो यह एक अच्छी बात है, एक अच्छी घटना है! अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस पर दुःखी, निराश या नकारात्मक महसूस करने की आवश्यकता नहीं है। इन बाधाओं, अर्थात् मसीह-विरोधियों को हटाने के बाद भी, आने वाले कार्य का प्रत्येक कदम अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए एक गंभीर परीक्षा की तरह होता है। जो भी कार्य उन्हें करने होते हैं, वे उनकी जिम्मेदारियों से जुड़े होते हैं और उनकी काबिलियत और कार्यक्षमता से संबंधित मुद्दे होते हैं।
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