अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (20) खंड छह

III. नकली अगुआ बुरे लोगों को उजागर नहीं करते और रोकते नहीं

इसके बाद, हम नकली अगुआओं की तीसरी अभिव्यक्ति पर संगति करेंगे, जोकि कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करने और बाधा डालने वाले लोगों की अनदेखी करना और उनके बारे में कोई पूछताछ नहीं करना है—यहाँ तक कि जब उन्हें पता चलता है कि बुरे लोग और मसीह-विरोधी कलीसिया के कार्य में बाधा डाल रहे हैं, तब भी वे इस पर ध्यान नहीं देते हैं। इसकी प्रकृति पहली दो अभिव्यक्तियों की अपेक्षा ज्यादा गंभीर है। इसे ज्यादा गंभीर क्यों कहा गया है? पहली दो अभिव्यक्तियाँ नकली अगुआओं की काबिलियत से जुड़ी हैं, लेकिन यह अभिव्यक्ति नकली अगुआओं की मानवता से संबंधित है। कुछ नकली अगुआओं की काबिलियत इतनी खराब होती है कि वे कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करने और बाधा डालने की प्रकृति की असलियत नहीं जान पाते हैं। कुछ नकली अगुआ, हालाँकि वे कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करने और बाधा डालने की समस्याओं का पता लगा सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से सत्य नहीं समझते हैं और इन समस्याओं को न तो सँभाल पाते हैं और न इनका समाधान कर पाते हैं। वे हमेशा अपने खुद के विचारों और उत्साह से काम करते हैं, जो वे करना चाहते हैं वही करते हैं, मन में यह सोचते हैं कि “जब तक मैं कलीसिया का कार्य कर रहा हूँ, ठीक है; जो लोग गड़बड़ी करते और बाधा डालते हैं, वह उनका व्यक्तिगत मामला है और इसका मुझसे कुछ लेना-देना नहीं है।” कुछ नकली अगुआ ऐसे भी हैं जिनमें थोड़ी बहुत काबिलियत होती है और वे थोड़ा बहुत काम कर सकते हैं, और जिन्हें हर तरह के व्यक्ति को सँभालने के लिए सिद्धांतों के बारे में थोड़ी समझ होती है। हालाँकि, वे लोगों को नाराज करने से डरते हैं, इसलिए जब वे बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को विघ्न-बाधा डालते हुए देखते हैं, तो वे उन्हें उजागर करने, रोकने या प्रतिबंधित करने का साहस नहीं करते हैं। वे शैतानी दर्शन के अनुसार जीते हैं, और वे उन मामलों पर आँखें मूँद लेते हैं जिनका उनसे कोई लेना-देना नहीं होता है। उन्हें इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं होती कि कलीसिया के कार्य के क्या परिणाम होंगे, या परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा; उन्हें लगता है उनका इन चीजों से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए, ऐसे नकली अगुआ के कार्यकाल के दौरान, कलीसियाई जीवन की सामान्य व्यवस्था कायम नहीं रह पाती है और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश की रक्षा नहीं हो पाती है। इस समस्या की प्रकृति क्या है? ऐसा नहीं है कि ये नकली अगुआ कार्य नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनकी काबिलियत खराब है; ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी मानवता कमजोर है, और उनमें जमीर और विवेक की कमी है, इसलिए वे वास्तविक कार्य नहीं करते हैं। नकली अगुआ किस तरह से नकली हैं? उनमें मानवता के जमीर और विवेक की कमी है; इ‍सलिए, अगुआओं के रूप में काम करने की उनकी अवधि के दौरान, कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करने और बाधा डालने वाले बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों के मुद्दे का बिल्कुल भी समाधान नहीं हो पाया है। कुछ भाई-बहनों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, और कलीसिया के कार्य को भी भारी नुकसान पहुँचा है। जब इस तरह के नकली अगुआ को कोई समस्या दिखाई देती है, तो जब वह किसी बुरे व्यक्ति या मसीह-विरोधी को विघ्न-बाधा डालते हुए देखता है, तो उसे पता होता है कि उसकी जिम्मेदारी क्या है, उसे क्या करना चाहिए और उसे इसे कैसे करना चाहिए, फिर भी वह कुछ भी नहीं करता, और वह तो मूर्ख बनने का नाटक भी करता है, इसे पूरी तरह अनदेखा कर देता है, और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट नहीं करता है। वे बहाना बनाते हैं कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने कुछ नहीं देखा, और बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करने और बाधा डालने देते हैं। क्या उनकी मानवता में कोई समस्या नहीं है? क्या वे बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों के खेमे के नहीं हैं? एक अगुआ के रूप में वे कौन-सा सिद्धांत अपनाते हैं? “मैं कोई व्यवधान या गड़बड़ी नहीं करता, लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा जिससे किसी को ठेस पहुँचे, या जो दूसरों की गरिमा को नुकसान पहुँचाए। भले ही तुम मुझे एक नकली अगुआ के रूप में चित्रित करो, मैं फिर भी ऐसा कुछ नहीं करूँगा जिससे किसी को ठेस पहुँचे। मुझे अपने लिए कोई रास्ता निकालना होगा।” यह किस तरह का तर्क है? यह शैतान का तर्क है। और यह किस प्रकार का स्वभाव है? क्या यह बहुत ही धूर्ततापूर्ण और कपटपूर्ण नहीं है? ऐसा इंसान परमेश्वर के आदेश के प्रति अपने व्यवहार में जरा भी ईमानदार नहीं होता; वह अपने कर्तव्य के प्रदर्शन में हमेशा चालाक और धूर्त रहता है, कई ओछी गणनाएँ करते हुए वह सभी चीजों में अपने बारे में ही सोचता है। वह कलीसिया के कार्य पर जरा भी विचार नहीं करता और उसमें बिल्कुल भी कोई जमीर या विवेक नहीं होता। वह मूल रूप से कलीसिया के एक अगुआ के रूप में सेवा करने के योग्य नहीं है। ऐसे व्यक्ति के पास कलीसिया के कार्य या परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश के प्रति थोड़ा-सा भी बोझ नहीं होता है। वह केवल अपने हितों और आनंद की परवाह करता है; वह बिना इस बात की परवाह किए कि परमेश्वर के चुने हुए लोग किस स्थिति में हैं, केवल रुतबे के लाभों में लिप्त होने पर ध्यान केंद्रित करता है। क्या वह सबसे स्वार्थी और नीच व्यक्ति नहीं है? यहाँ तक कि जब वे बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को कलीसिया के कार्य में बाधा डालते हुए पाता है, तब भी वह इस पर ध्यान नहीं देता, मानो इन मामलों का उससे कोई लेना-देना ही न हो। वह उस चरवाहे की तरह है जो भेड़िये को भेड़ खाते हुए देखता है, लेकिन कुछ नहीं करता, केवल अपने जीवन को बचाने की चिंता करता है। ऐसा व्यक्ति चरवाहा बनने के योग्य नहीं है। इस तरह का नकली अगुआ जो कुछ भी करता है वह अपनी प्रतिष्ठा, रुतबे, ताकत और वर्तमान में उसके द्वारा लिए जा रहे विभिन्न फायदों को अधिकाधिक बचाने के लिए होता है। उसके दिल पर परमेश्वर के आदेश, कलीसिया के कार्य या परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश के लिए कोई बोझ नहीं होता है, जो उसका कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ हैं; वह इन पर कभी विचार नहीं करता। वह सोचता है, “एक अगुआ को ये कार्य क्यों करने चाहिए? इन कार्यों को न करने का परिणाम काट-छाँट, निंदा और भाई-बहनों द्वारा नकार दिया जाना क्यों होता है?” वह समझ नहीं पाता और पूरी तरह से उदासीन हो जाता है। मेरे विचार से, इस तरह का इंसान कितना भी शिष्ट, या कितना भी नियम को मानने वाला या अल्पभाषी, या मेहनती और सक्षम क्यों न दिखे, यह तथ्य कि वह सिद्धांतों के बिना कार्य करता है और कलीसिया के कार्य के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता, मुझे उसे, “अलग दृष्टिकोण” से देखने के लिए बाध्य करता है। अंततः, मैं इस तरह के व्यक्ति को ऐसे परिभाषित करूँगा : हो सकता है कि वे कोई बड़ी गलती न करें, पर वे बहुत धूर्त और धोखेबाज होते हैं; वे बिल्कुल भी कोई जिम्मेदारी नहीं लेते, न ही वे कलीसिया का कार्य बिल्कुल भी कायम रखते हैं। उनमें कोई मानवता नहीं होती। मुझे लगता है कि वे किसी जानवर जैसे होते हैं—चालाकी में वे कुछ लोमड़ी की तरह होते हैं। लोग कहते हैं कि लोमड़ी चालाक होती है, लेकिन असल में ये लोग लोमड़ियों से भी ज्यादा चालाक होते हैं। सतही तौर पर ऐसा लगता है कि उन्होंने कोई बुरा काम नहीं किया है, लेकिन वास्तव में वे जो कुछ भी कहते और करते हैं वह उनके अपने यश, लाभ और रुतबे के लिए होता है। वे जो कुछ भी करते हैं, वह अपने रुतबे का लाभ उठाने के उद्देश्य से करते हैं, और वे परमेश्वर के इरादों पर बिल्कुल भी विचार नहीं करते। वे कलीसिया के कार्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं का जरा भी समाधान नहीं करते, न ही वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश से संबंधित वास्तविक मुद्दों को संबोधित करते हैं। ये नकली अगुआ परमेश्वर के चुने हुए लोगों को सत्य वास्तविकता में ले जाने के लिए कोई काम नहीं करते। आखिर वे जो कुछ भी करते हैं उसका उद्देश्य क्या है? क्या यह सिर्फ लोगों को खुश करने और इसलिए नहीं है कि दूसरे लोग उनका अत्यधिक सम्मान करें? वे बिना किसी का अपमान किए सभी को अपने बारे में अच्छा सोचने पर मजबूर करने की कोशिश करते हैं, इस तरह वे अपनी प्रतिष्ठा और अपने रुतबे का लाभ उठाते हैं। उनके बारे में सबसे ज्यादा नफरत की बात यह है कि उनके सभी काम परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश में कोई फायदा नहीं पहुँचाते; इसके बजाए, वे लोगों को गुमराह करते हैं, दूसरों को उनकी प्रशंसा करने और उन्हें पूजने के लिए मजबूर करते हैं। क्या ये लोग लोमड़ियों से भी ज्यादा धूर्त और धोखेबाज नहीं हैं? ये लोग आदर्श रूप से वास्तविक नकली अगुआ हैं। इनके पास अगुआ का रुतबा है और ये इस पद को धारण करते हैं, लेकिन कोई वास्तविक काम नहीं करते, सिर्फ कुछ दिखने वाले, सतही सामान्य मामलों का ध्यान रखते हैं, या फिर ऊपरवाले द्वारा विशेष रूप से सौंपे गए काम को अनिच्छा से करते हैं। यदि ऊपरवाले से कोई विशेष कार्य नहीं मिलता है, तो वे कलीसिया का कोई भी आवश्यक कार्य नहीं करते हैं। कलीसिया के कार्य और कलीसियाई जीवन की व्यवस्था को बनाए रखने से जुड़े मामलों के संबंध में, वे लोगों को नाराज करने से डरते हैं और सिद्धांतों को बनाए रखने की हिम्मत नहीं करते। वे कलीसिया के कार्य में संचित समस्याओं में से किसी का भी समाधान नहीं करते, और यहाँ तक कि जब वे देखते हैं कि परमेश्वर के घर की संपत्ति मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों द्वारा बर्बाद की जा रही है, तो वे इसे रोकने या प्रतिबंधित करने के लिए कुछ नहीं करते हैं। अपने दिल में, वे स्पष्ट रूप से जानते हैं कि ये लोग बुराई कर रहे हैं और परमेश्वर के घर के हितों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, फिर भी वे मूर्ख बनने का नाटक करते हैं और एक शब्द भी नहीं बोलते हैं। ये धूर्त और धोखेबाज लोग हैं। क्या ये लोग लोमड़ियों से भी ज्यादा चालाक नहीं हैं? वे बाहरी तौर पर सभी के साथ मिलनसार होते हैं और किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ नहीं करते, लेकिन वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश, कलीसिया के कार्य और सुसमाचार फैलाने के काम के प्रमुख मामले में विलंब करते हैं। क्या ऐसे लोग अगुआ और कार्यकर्ता बनने के योग्य हैं? क्या वे शैतान के चाकर नहीं हैं? क्या वे कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करने और बाधा डालने वाले नहीं हैं? हालाँकि सतही तौर पर उन्होंने साफ-साफ कोई बुराई नहीं की है, लेकिन उनके इस तरह काम करने के दुष्परिणाम बुराई करने से भी ज्यादा गंभीर होते हैं। वे परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने में बाधा डालते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं, और कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करते और बाधा डालते हैं। वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं और यहाँ तक कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों के बचाए जाने की आशा को भी नष्ट कर सकते हैं। मुझे बताओ, क्या यह बुराई करना नहीं है? यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा लोगों को खुश करने वाला व्यक्ति करता है जो सिद्धांतों का बिल्कुल भी पालन नहीं करता। जो लोग सत्य नहीं समझते हैं वे इस तरह से काम करने वाले नकली अगुआओं के भयानक परिणामों की असलियत नहीं जान सकते हैं, न ही वे समझ सकते हैं कि उनके इरादे, मंतव्य और उद्देश्य क्या हैं। तुम कभी नहीं समझ पाओगे कि उनके दिल में क्या चल रहा है और वे वास्तव में क्या करना चाहते हैं—ऐसे लोग बहुत धूर्त होते हैं! लाक्षणिक रूप से कहें, तो वे धूर्त लोमड़ियाँ हैं; सही से कहें, तो वे जीवित दानव हैं, लोगों के बीच जीवित दानव!

जब बात आती है कि इन नकली अगुआओं को उनके स्वभाव सार के आधार पर कैसे चित्रण किया जाना चाहिए, तो उन्हें मनमाने ढंग से बुरे लोगों, मसीह-विरोधियों, पाखंडियों आदि की श्रेणियों में नहीं रखा जा सकता है। हालाँकि, जो कुछ वे अभिव्यक्त करते हैं, जैसे कि उनकी मानवता की अभिव्यक्तियाँ और कलीसिया के कार्य के प्रति उनका रवैया, साथ ही साथ जिन समस्याओं का उन्हें पता चलता है उनका समाधान नहीं करना, उसे मद्देनजर रखें तो वे सबसे ज्यादा भ्रष्ट प्रकार के नकली अगुआ हैं। उनकी विभिन्न अभिव्यक्तियों को देखें तो, भले ही वे सक्रिय रूप से गुट नहीं बनाते हैं या अपने स्वयं के स्वतंत्र राज्य स्थापित नहीं करते हैं, और शायद ही कभी खुद की गवाही देते हैं, और भले ही भाई-बहनों के साथ उनकी अच्छी बनती है, वे कठिनाई सहन कर सकते हैं, कीमत चुका सकते हैं, चढ़ावे चुराने से बच सकते हैं, और यहाँ तक कि खास विशेषाधिकार माँगने से खुद को कड़ाई से रोक सकते हैं, फिर भी, जब वे कलीसिया के कार्य में विघ्न-बाधा डालने वाले विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों का सामना करते हैं, या उन विभिन्न लोगों का सामना करते हैं जो चढ़ावे को बर्बाद करते हैं और परमेश्वर के घर की संपत्ति को नुकसान पहुँचाते हैं, तो वे उन्हें रोकते या सँभालते नहीं हैं, वे कुछ नहीं कहते या कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे लोग दिल दहला देने वाले हैं! वे सबसे घृणित प्रकार के नकली अगुआ हैं; वे कभी सुधरने वाले नहीं हैं! मैं क्यों कहता हूँ कि वे कभी नहीं सुधरने वाले हैं? ऐसा नहीं है कि उनकी काबिलियत खराब है या वे परमेश्वर के वचन नहीं समझ सकते हैं—उनमें समझने की एक निश्चित क्षमता और कार्य क्षमता होती है, लेकिन जब वे किसी को कलीसिया के कार्य में विघ्न-बाधा डालते हुए पाते हैं, तो वे इसे सँभालते नहीं या इसका समाधान नहीं करते हैं। वे इस काम को अनिच्छा से तभी करते हैं जब उन्हें अपने वरिष्ठ अगुआओं की सख्त निगरानी और लगातार पूछताछ का सामना करना पड़ता है, या जब उनकी काट-छाँट की जाती है। चाहे वे इस काम को करें या नहीं, या वे इसे कैसे भी करें, खुद को बचाना उनकी शीर्ष प्राथमिकता होती है। वे अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों को बिल्कुल भी पूरा नहीं करते हैं। खुद को बचाने और अपने खुद के हितों को बनाए रखने के अलावा, वे कोई अनिवार्य काम नहीं करते हैं, और वे केवल थोड़ा बहुत सतही काम करते हैं जिसे करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं होता। खुद को बचाने के अलावा, वे किसी भी चीज के बारे में परवाह नहीं करते हैं। क्या वे लोमड़ी से ज्यादा धूर्त और चालाक नहीं हैं? कुछ लोगों का कहना है, “छोटे जानवरों को खाना लोमड़ी की सहज प्रवृत्ति होती है, तो क्या खुद को बचाना नकली अगुआओं की सहज प्रवृत्ति नहीं है?” क्या य‍ह एक सहज प्रवृत्ति है? यह उनकी प्रकृति है! ये नकली अगुआ परमेश्वर के घर के हितों को नुकसान पहुँचाने और कलीसिया के कार्य को बर्बाद करने की कीमत पर अपने खुद के रुतबे, प्रतिष्ठा, और अपनी इज्जत को बचाते हैं, लोगों के साथ संबंध बनाकर रखते हैं, और किसी का भी अपमान करने से बचते हैं। वे क्रियाकलापों को खारिज करने या उनके समायोजन का काम भी व्यक्तिगत रूप से नहीं करते, बल्कि दूसरों को यह काम सौंप देते हैं। वे सोचते हैं, “यदि वह व्यक्ति बदला लेता है, तो वह मेरे पीछे नहीं आएगा। मेरा जिस भी स्थिति से सामना हो, उसमें सबसे पहले मुझे खुद को बचाना है।” ये लोग कुछ ज्यादा ही धूर्त हैं! एक अगुआ के रूप में तुम इस जिम्मेदारी को भी नहीं ले सकते हो तो क्या तुम अगुआ होने लायक हो? तुम बस निकम्मे कायर हो! इस मामूली-से साहस के बिना भी क्या तुम परमेश्वर के विश्वासी हो? क्या अपने कर्तव्य निभाने के दौरान अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए चालाकी का सहारा लेने वाले लोग परमेश्वर के अनुयायी होते हैं? परमेश्वर ऐसे लोगों को नहीं चाहता है। ये नकली अगुआ लोमड़ियों की भाँति धूर्त और चालाक होते हैं। जब वे किसी को गड़बड़ी या बाधा पैदा करते देखते हैं तो वे न इसे सँभालते हैं और न इसका समाधान करते हैं—वे बस वास्तविक कार्य नहीं करते हैं। चाहे उन्हें कितना भी उजागर किया जाए या उनकी काट-छाँट की जाए, वे कोई कार्य नहीं करते। चूँकि तुम अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ पूरी नहीं करते हो तो फिर उस पद पर क्यों कब्जा किए हुए हो? क्या ऐसा इसलिए है कि तुम सजावट का हिस्सा बन सको? क्या ऐसा इसलिए है कि तुम रुतबे के लाभों में लिप्त रह सको? तुम उसके लायक नहीं हो! कोई वास्तविक कार्य न करने के बावजूद यह चाहना कि भाई-बहन तुम्हारा आदर करें और तुम्हारी आराधना करें—क्या यह एक दानव की मानसिकता नहीं है? यह कितनी शर्मनाक बात है! कुछ लोग कहते हैं कि वे बिल्कुल भी अगुआ बनना नहीं चाहते हैं। तो फिर तुम अपनी प्रतिष्ठा और रुतबा क्यों बरकरार रखते हो? लोगों को गुमराह करने में तुम्हारा क्या उद्देश्य है? यदि तुम अगुआ नहीं बनना चाहते तो तुम आगे बढ़कर इस्तीफा दे सकते हो। तुम इस्तीफा क्यों नहीं देते हो? तुम उस पद पर क्यों बैठे हो और उसे छोड़ते क्यों नहीं? यदि तुम इस्तीफा देना नहीं चाहते हो तो तुम्हें कर्तव्यनिष्ठा से कुछ वास्तविक कार्य करना चाहिए। और कोई विकल्प नहीं है—यह तुम्हारी जिम्मेदारी है। यदि तुम वास्तविक कार्य नहीं कर सकते हो तो तुम्हारे लिए यह सबसे अच्‍छा होगा कि तुम इसके लिए जवाबदेह बनो और इस्तीफा दे दो; तुम्हें कलीसिया के कार्य में विलंब नहीं करना चाहिए या परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। यदि तुममें इतना लेशमात्र भी जमीर और विवेक नहीं है तो क्या तुममें अभी भी कोई मानवता है? तुम मानव कहलाने के लायक नहीं हो! परमेश्वर में विश्वास रखने वाले लोग चाहे अगुआ या कार्यकर्ता हो या न हों, वे केवल तभी मानव कहलाने लायक होते हैं जब उनमें कम से कम थोड़ा जमीर और विवेक होता है।

एक अगुआ या कार्यकर्ता होने के लिए, व्यक्ति में काबिलियत का एक निश्चित स्तर अवश्य होना चाहिए। व्यक्ति की काबिलियत उसकी कार्य क्षमता और उस हद को निर्धारित करती है जिस हद तक वह सत्य सिद्धांतों को समझ सकता है। यदि तुम्हारी काबिलियत में कुछ कमी है और तुममें सत्य की पर्याप्त गहन समझ नहीं है, लेकिन तुम जितना समझ सकते हो उतना अभ्यास करने में समर्थ हो, और तुम जो समझते हो उसे अमल में ला सकते हो, और दिल से तुम शुद्ध और ईमानदार हो, और अपने खुद की ओर से कोई षडयंत्र नहीं रचते हो या प्रसिद्धि, लाभ, और रुतबा पाने के पीछे नहीं भागते हो, और परमेश्वर की जाँच को स्वीकार कर सकते हो, तो तुम सही व्यक्ति हो। हालाँकि, नकली अगुआओं में ये गुण नहीं होते हैं। वे कलीसिया में पैदा होने वाली विभिन्न विघ्न-बाधाओं की परवाह नहीं करते हैं; यदि वे इन समस्याओं को देखते भी हैं, तो उन पर ध्यान नहीं देते। यदि यह पूछा जाए कि क्या उन्हें स्थिति की जानकारी है तो वे कहेंगे, “मेरे विचार में मुझे इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है, लेकिन मुझे हर चीज पता नहीं है।” यह सब ठीक तुम्हारी नाक के नीचे हुआ—तुम ऐसा क्यों कहते हो कि तुम्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता? क्या तुम लोगों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हो? चूँकि तुम्हें इस बारे में पता है तो क्या तुमने सोचा है कि इसे कैसे सँभालना है? क्या तुमने कोई कार्य किया है? क्या तुमने कोई समाधान ढूँढ़ने की कोशिश की है? उनका उत्तर होता है, “उस व्यक्ति की काबिलियत मुझसे बेहतर है और वह वाक्पटु और मधुरभाषी है; मेरी उसके बीच में हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं होती है। क्या होगा अगर मैं किसी ऐसी बात पर बोलूँ जो वास्तव में कोई मुद्दा ही नहीं है और इससे उसे ठेस पहुँचे? उसके बाद मेरा काम मुश्किल हो जाएगा!” चूँकि तुम्हारी हिम्मत नहीं होती, इसलिए तुम एक निकम्मे कायर हो और अपनी जिम्मेदारियों में लापरवाही बरतते हो और तुम अगुआ होने के काबिल नहीं हो! जब तुम इस तरह की स्थिति का सामना करते हो तो क्या तुम्हें पता होता है कि इसे कैसे सँभालना है? वे कहते हैं, “हालाँकि मुझे पता है कि इससे कैसे निपटना है, फिर भी मेरी हिम्मत नहीं होती। क्या ऊपरवाला इसी के लिए नहीं है? एक निर्णय लेने वाला समूह भी है। मैं वह व्यक्ति कैसे हो सकता हूँ जिस पर यह कार्य आ पड़ा है?” चूँकि तुम इसे देखते थे और इसके बारे में जानते हो, इसलिए तुम्हें इस स्थिति को सँभालना चाहिए। यदि तुम्हारा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है और तुम इस मसले से नहीं निपट सकते हो तो क्या तुमने समस्या के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया है? क्या तुमने इसकी रिपोर्ट की है? क्या तुमने वह काम कर लिया है जो तुम्हारी जिम्मेदारियों और तुम्हें मिले काम के दायरे में आता है? क्या तुमने अपनी कोई भी जिम्मेदारी पूरी की है? बिल्कुल भी नहीं! अपने दिल में उन्हें अच्छी तरह से पता है : “मुझे इस मुद्दे की जानकारी थी, लेकिन मैंने कोई कार्य नहीं किया। मैं दोषी महसूस करता हूँ! मुझे उस मामले की रिपोर्ट करनी चाहिए थी लेकिन नहीं की। लेकिन दूसरे लोगों ने भी ऐसा नहीं किया—इसका मुझसे क्या लेना-देना है?” क्या दूसरे लोग भी अगुआ हैं? चाहे दूसरे लोग ऐसा करें या न करें, यह उन लोगों का सरोकार है—तुमने यह क्यों नहीं किया है? यदि दूसरे लोग इसे नहीं करते हैं तो क्या इसका यह अर्थ है कि तुम्हें यह नहीं करना है? क्या यह सत्य है? अगर दूसरे लोगों ने इसे किया भी होता तो क्या वह तुम्हारे इस कार्य को करने का स्थान ले सकता था? तुम जो करते हो वह तुम्हारा अपना काम है। क्या तुमने अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों को पूरा किया है? यदि तुमने ऐसा नहीं किया है तो तुम अपनी जिम्मेदारियों में लापरवाह हो, अगुआ बनने के अयोग्य हो और तुम्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफा दे देना चाहिए। तुम इस बात की कोई सराहना नहीं करते कि तुम्हें कैसे ऊपर उठाया गया है, तुम भाई-बहनों के भरोसे के अयोग्य हो, तुम परमेश्वर के घर के भरोसे के अयोग्य हो और तुम परमेश्वर के उत्कर्ष के तो और भी अधिक अयोग्य हो। तुम हृदयहीन दुष्ट हो। तीसरे प्रकार के नकली अगुआ में उनके चरित्र की समस्या होती है। चाहे उनका व्यक्तिगत अनुसरण और जीवन प्रवेश कैसा भी हो, सिर्फ इस तथ्य से कि अपने कार्यकाल के दौरान वे कोई वास्तविक कार्य नहीं करते, कलीसिया के लिए किसी नुकसान की भरपाई नहीं करते, और निश्चित रूप से बुरे लोगों के बुरे कर्मों को तुरंत रोकने या सँभालने में सक्षम नहीं होते, यह आकलन किया जा सकता है कि इस प्रकार के व्यक्ति में न केवल खराब क्षमता और वास्तविक कार्य न करने की समस्या होती है, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें कोई मानवता नहीं होती। उनका जमीर पूरी तरह सड़ गया है, और उनके पास कोई विवेक नहीं है। आम बोलचाल में, वे नैतिक रूप से दिवालिया हैं; वे चरम सीमा तक स्वार्थी और घृणित हैं, तथा वे भरोसे लायक भी नहीं हैं। हमने जिन तीन प्रकार के लोगों का गहन-विश्लेषण किया है, उनमें से इस प्रकार की मानवता सबसे खराब है। पहले दो प्रकार के लोगों की काबिलियत खराब होती है, वे काम नहीं कर सकते, और वे लोगों को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए परमेश्वर के घर के सिद्धांतों और मानकों को पूरा नहीं करते, इसलिए उन्हें विकसित या इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उनकी काबिलियत बेहद खराब होती है, वे अंधे और सुन्न होते हैं, और वे व्यावहारिक रूप से मृत लोग हैं—वे उजागर करने और गहन-विश्लेषण करने के लायक नहीं हैं। तीसरे प्रकार के लोग सबसे अधिक नीच हैं। वे अपनी मानवता के मामले में बेहद घृणित हैं, और हम इस प्रकार को धूर्त और चालाक के रूप में चित्रित करते हैं। ये लोग लोमड़ियों से भी ज्यादा चालाक होते हैं। वे कोई वास्तविक काम नहीं करते हैं, फिर भी उनके पास बहुत सारे बहाने होते हैं और वे पूरी तरह से सहज महसूस करते हैं। चाहे कितने भी बुरे लोग और मसीह-विरोधी लोग कलीसिया के कार्य में बाधा क्यों न डालें, वे इसके बारे में चिंतित या परेशान नहीं होते हैं और फिर भी अगुआ बने रहना चाहते हैं। ये अगुआ सत्ता के इतने आसक्त क्यों हैं? इन अगुआओं का कहना है, “आदमी ऊपर की ओर जाने के लिए संघर्ष करता है; पानी नीचे की ओर बहता है। हर किसी को सत्ता से प्रेम होता है।” वे कोई भी वास्तविक कार्य नहीं करना चाहते हैं लेकिन वे अभी भी अपने पद पर बने रहना और अपने रुतबे का लाभ उठाना चाहते हैं। वे किस तरह के नीच हैं? वे शुद्ध रूप से शैतान की किस्म के हैं, वे बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं।

आज हमने अगुआओं और कार्यकर्ताओं की बारहवीं जिम्मेदारी के बारे में तीन बिंदुओं पर चर्चा की। बारहवीं जिम्मेदारी में हमने जिन नकली अगुआओं का गहन-विश्लेषण किया, वे मूल रूप से वही नकली अगुआ हैं जिन्हें हमने पहले उजागर किया था। हालाँकि हमने तीन बिंदुओं का विश्लेषण किया, लेकिन वे मुख्य रूप से दो समस्याओं को समाविष्ट करते हैं : एक यह है कि उनकी काबिलियत खराब है और वे वास्तविक कार्य नहीं कर सकते हैं; दूसरा यह है कि उनकी मानवता अधम, घृणित, धूर्त और चालाक है, और वे वास्तविक कार्य नहीं करते हैं। ये नकली अगुआओं की मूलभूत, अनिवार्य समस्याएँ हैं। अगर किसी व्यक्ति में इन दो समस्याओं में से एक है, तो वह एक नकली अगुआ है। यह किसी भी संदेह से परे है।

4 सितंबर 2021

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