अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (20) खंड चार
II. नकली अगुआ कलीसिया के कार्य में विघ्न-बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों से सिद्धांतों के अनुसार नहीं निपटते
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की बारहवीं जिम्मेदारी में रेखांकित दूसरे कार्य के संबंध में, हम नकली अगुआओं की अभिव्यक्तियाँ उजागर करेंगे और उनका गहन-विश्लेषण करेंगे। दूसरा कार्य यह है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मुद्दों की पहचान हो जाने पर तुरंत उनका समाधान करने के लिए सत्य सिद्धांतों का उपयोग करना चाहिए। हालाँकि, नकली अगुआ इस कार्य में भी अक्षम होते हैं। इसलिए, नकली अगुआओं की जिस दूसरी अभिव्यक्ति का हमें गहन-विश्लेषण करना चाहिए वो यह है कि उन्हें परमेश्वर के कार्य और कलीसियाई जीवन के सामान्य क्रम में गड़बड़ करने और बाधा डालने वाले विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों को सँभालने के लिए सिद्धांतों का पता नहीं होता है। जब नकली अगुआ कलीसियाई जीवन में भाग लेता है, तो वह परमेश्वर के वचनों को खाता और पीता है और परमेश्वर के वचनों का प्रार्थना-पाठ करता है, फिर भी उसे कभी समझ नहीं आता कि परमेश्वर के वचनों का क्या अर्थ है, परमेश्वर जो कुछ कहता है उसके सिद्धांतों को कभी नहीं समझ पाता है, और विभिन्न मामलों के लिए परमेश्वर द्वारा अपेक्षित सिद्धांतों और मानकों की उसे जानकारी नहीं होती है। इससे यह भी साबित होता है कि नकली अगुआओं में सत्य समझने की योग्यता की कमी होती है और उनकी काबिलियत अत्यधिक खराब होती है। कुछ लोग कहते हैं, “तुम कैसे कह सकते हो कि उनकी काबिलियत खराब है? वे बहुत अच्छा खाना पकाते हैं, फैशनेबल ढंग से कपड़े पहनते हैं, और दूसरों से बात करते समय मधुर ढंग से बात करते हैं; सभी उन्हें सुनना पसंद करते हैं।” क्या किसी व्यक्ति का रूप उसके सार को दर्शा सकता है? क्या कुछ बाहरी काम अच्छे ढंग से करने में योग्य होने का यह अर्थ है कि उनमें अच्छी काबिलियत है? किसी भी चीज का मूल्यांकन करने, उसे मापने और उसे निरूपित करने के लिए हमेशा सटीक मानक होने चाहिए। किसी व्यक्ति की काबिलियत मापने का मानक यह है कि परमेश्वर के वचनों की उसकी समझ शुद्ध है या नहीं। यह कहना कि इन लोगों की काबिलियत खराब है, मुख्यतः सत्य समझने की उनकी योग्यता की कमी के बारे में होता है। हम व्यक्ति की काबिलियत को परमेश्वर के वचनों को समझने की उसकी योग्यता के आधार पर मापते हैं। क्या यह बेहद वस्तुनिष्ठ और निष्पक्ष नहीं है? (हाँ।) एक सृजित प्राणी के रूप में, यदि तुम सृष्टिकर्ता के वचनों को नहीं समझ सकते हो, तो तुम्हारी क्या काबिलियत है? क्या तुम्हारा दिमाग काम करता है? ऐसे व्यक्ति में मानवीय काबिलियत की कमी होती है; उसकी काबिलियत इस हद तक खराब है कि वह परमेश्वर के वचनों को भी नहीं समझ सकता है—क्या ऐसा व्यक्ति परमेश्वर के विश्वासी के तौर पर सत्य प्राप्त कर सकता है?
अब हमें नकली अगुआओं की दूसरी अभिव्यक्ति पर संगति और उसका गहन-विश्लेषण करना चाहिए। नकली अगुआ यह नहीं जानते कि उन लोगों से कैसे निपटना है जो कलीसिया के कार्य में गड़बड़ करते और बाधा डालते हैं, न ही वे विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों का भेद पहचान पाते हैं। यह ये दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि नकली अगुआओं में खराब काबिलियत और सत्य को समझने की क्षमता में कमी होती है, और उनमें परमेश्वर के वचनों को समझने की काबिलियत नहीं होती है। उदाहरण के लिए, जो भी व्यक्ति अगुआ होता है उसके विरोध में हमेशा कोई न कोई व्यक्ति होता है। नकली अगुआ भी देख सकते हैं कि इस व्यक्ति में समस्याएँ हैं और समझ सकते हैं कि वह एक बुरे व्यक्ति और एक मसीह-विरोधी जैसा दिखाई देता है। वे चीजों से संबंधित कुछ सुराग का पता लगा सकते हैं, यह तो ठीक-ठाक है। लेकिन अगर तुम उनसे पूछते हो, “तुम ऐसा क्यों कहते हो कि वह एक मसीह-विरोधी और एक बुरे व्यक्ति जैसा दिखाई देता है? क्या सबूत के रूप में विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ हैं? क्या तुम निर्धारित कर सकते हो कि वह एक मसीह-विरोधी और एक बुरा व्यक्ति केवल इसलिए है क्योंकि जो भी अगुआ हो वो हमेशा उसका विरोध करता है? उसे इस रूप में निरूपित करने के लिए केवल यह काफी नहीं है; यह केवल स्वभाव का मामला है, अहंकार और आत्मतुष्टि की समस्या है। क्या उसमें मसीह-विरोधी वाली प्रकृति है? क्या वह कोई ऐसा व्यक्ति है जो सत्य से विमुख है और सत्य से घृणा करता है? क्या उसने कलीसिया के कार्य में विघ्न डाला है? क्या उसने सभी अगुआओं और कार्यकर्ताओं की नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों के रूप में निंदा की है? क्या उसने इसमें से कुछ भी किया है?” वह प्रतिक्रिया देते हुए कहता है, “ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसने किया है।” फिर यदि तुम पूछते हो, “तब हमें उसे कैसे निरूपित करना चाहिए और उससे कैसे निपटना चाहिए?” तो वह कहता है कि वह नहीं जानता। यदि तुम पूछते हो, “इस तरह के व्यक्ति के लिए, क्या हमें उसे चेतावनी देनी चाहिए, और उजागर करना चाहिए जिससे विवेक प्राप्त करने में भाई-बहनों की मदद हो सके?” उसे अभी भी नहीं पता। यह बेखबर होने और चीजों की असलियत जान पाने में असमर्थ होने का मामला है। वह कुछ सुरागों को देख सकता है लेकिन उसे नहीं पता कि ऐसे लोगों को सिद्धांतों के अनुसार कैसे निरूपित करना या सँभालना है। क्या वह वास्तविक समस्याओं को हल कर सकता है? क्या वह परमेश्वर के चुने हुए लोगों को सबक सीखने में मदद कर सकता है? चूँकि ऐसे व्यक्ति बुरे व्यक्ति और मसीह-विरोधी होते हैं, उन्हें देर-सबेर निष्कासित कर दिया जाएगा। लेकिन यदि तुम उन्हें वास्तव में कोई बुरा कार्य करने से पहले निकाल देते हो या अलग-थलग कर देते हो, तो वे विरोध व्यक्त करेंगे और भाई-बहन यह नहीं समझ पाएँगे कि तुमने ऐसा क्यों किया। इसलिए कुछ समय के लिए प्रदर्शन करने देना आवश्यक है। जब उनके बुरे कार्य अधिकाधिक स्पष्ट हो जाएँगे और वे भ्रांतियाँ और आधारहीन अफवाहें फैलाना शुरू कर देंगे, भाई-बहनों को गुमराह करना और उनका दिल जीतने की कोशिश करेंगे, सत्ता और प्रभाव के लिए होड़ करेंगे, एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करेंगे, और कलीसिया के कार्य को नष्ट करने का प्रयास करेंगे, तो अधिकांश लोग उनके प्रकृति सार को स्पष्ट रूप से पहचान पाएँगे, और स्वाभाविक रूप से वे उन्हें उजागर करने, पहचानने और अस्वीकार करने के लिए खड़े हो पाएँगे। फिर, तुम उन्हें बाहर निकाल सकते हो और सत्य सिद्धांतों के अनुसार उनसे निपट सकते हो। केवल इस तरह काम करने से भाई-बहनों को विवेक विकसित करने में मदद मिलेगी। क्या नकली अगुआ इस तरीके से समस्याओं को सँभाल और हल कर सकते हैं? नकली अगुआओं में इस काबिलियत और ज्ञान की कमी होती है। क्या तुमने ऐसा कोई नकली अगुआ देखा है जो कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों से तुरंत निपट सके? एक भी नहीं। इसलिए, नकली अगुआ भाई-बहनों को कुकर्मियों की बाधाओं और मसीह-विरोधियों के गुमराह करने से बिल्कुल भी नहीं बचाएँगे। अधिकांश नकली अगुआ बर्खास्त कर दिए जाने के बाद न केवल खुद को जानने में विफल होते हैं, बल्कि वे यह कहते हुए बहुत शिकायत भी करते हैं कि परमेश्वर के घर ने उनके साथ अन्याय किया है, यह “काम निकल जाने के बाद कामगार के हाथ काटने” जैसा है, और वे यह दावा करते हैं कि उन्होंने प्रयास किया लेकिन उन्हें कोई सराहना नहीं मिली और उनके साथ गलत हुआ। यदि तुम उन्हें नकली अगुआ के रूप में उजागर करते हो, तो वे यह सोचकर विद्रोही बने रहते हैं : “मैंने कई वर्षों तक एक अगुआ के रूप में सेवा की; भले ही मेरी कोई उपलब्धियाँ नहीं थीं, लेकिन मैंने कम से कम कठिनाई तो सही। मुझे क्यों बर्खास्त किया गया? यह तो काम निकल जाने के बाद कामगार के हाथ काटने जैसा है!” भले ही तुम उन्हें कैसे भी उजागर करो, वे विद्रोही बने रहते हैं। वे यह भी कहते हैं, “जब मुझे एक मसीह-विरोधी का पता चला था, तो मैं इतना चिंतित हो गया था कि अक्सर मेरे मुँह में छाले पड़ जाते थे और मैं अच्छे से सो नहीं पाता था। अगर मैं एक नकली अगुआ होता तो मैं इतना बोझ कैसे उठा सकता था?” उन्होंने कोई भी जरूरी काम नहीं किया, वे इसमें से कुछ भी काम करने में अक्षम थे, और उन्हें यह भी नहीं पता था कि क्या काम करना है, फिर भी वे अपनी प्रशंसा करने में सफल हो जाते हैं। क्या यह परेशानी की बात नहीं है? कितनी घिनौनी बात है!
जहाँ तक कलीसिया में पैदा होने वाली विभिन्न समस्याओं का संबंध है, नकली अगुआओं को साफ तौर पर पता है कि उनकी प्रकृति कलीसिया के कार्य में गड़बड़ियाँ और बाधाएँ पैदा करने की है, फिर भी वे उन्हें नजरअंदाज करते हैं। जब उन्हें स्पष्ट समस्याएँ दिखाई देती हैं तो वे केवल औपचारिकता निभाते हैं और मुद्दों के महत्वपूर्ण सार को उजागर करने का साहस नहीं करते। वे मुद्दों को ठोस रूप से संबोधित किए बिना केवल कुछ आक्षेप लगाते हैं और धर्म-सिद्धांतों के प्रवचन देकर कुछ प्रोत्साहन देते हैं, और बस इतना ही। बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों का सामना करते समय वे असमंजस में पड़ जाते हैं और उदासीनता का रवैया अपना लेते हैं, मानो उनसे उनका कोई लेना-देना ही न हो। वे इन मुद्दों से निपटने का सबसे उपयुक्त तरीका नहीं जानते हैं, न ही यह जानते हैं कि समस्याओं को हल करने के लिए क्या कहना चाहिए, नहीं जानते कि भाई-बहनों को कैसे बचाना है, और उन पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। उनके पास बस थोड़ी सद्भावना है : “मुझे पता है कि तुम एक बुरे व्यक्ति हो। मैं तुम्हें भाई-बहनों को परेशान करने और नुकसान पहुँचाने नहीं दूँगा। जब तक मैं इस पद पर हूँ, मैं भाई-बहनों की रक्षा अवश्य करूँगा और अंत तक अपनी जिम्मेदारी निभाऊँगा।” इसका क्या उपयोग है? क्या तुमने समस्या का हल कर लिया है? जब तुम चिंता करने में व्यस्त हो तो क्या मसीह-विरोधी शांत बैठे रहेंगे? क्या वे कलीसिया के कार्य में विघ्न डालना बंद कर देंगे? जब वे देखते हैं कि तुम एक बेकार और कायर अगुआ हो, बुद्धिहीन निरर्थक हो और निश्चित रूप से तुम्हारे पास कोई कार्य क्षमता नहीं है, तो वे तुम्हें बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लेंगे। अधिकांश मसीह-विरोधी और बुरे लोग विशेष रूप से धूर्त और कपटी होते हैं। वे भाई-बहनों को गुमराह करते हैं और उन्हें बाधित करते हैं, और तुम्हारे पास उन्हें रोकने या प्रतिबंधित करने का कोई तरीका नहीं होता। न ही तुम्हें पता होता है कि मुद्दों को सुलझाने के लिए किससे मदद लें; तुम बस चिंतित और उत्तेजित होते हो, और प्रार्थना करते हुए रोते हो। तुम बहुत दयनीय दिखाई देते हो; ऐसा प्रतीत होता है जैसे तुम परमेश्वर के इरादों के प्रति बहुत विचारशील हो और भाई-बहनों की बहुत परवाह करते हो। यहाँ तक कि मसीह-विरोधियों जैसे ऐसे स्पष्ट बुरे लोगों के होते हुए भी तुम उनका समाधान नहीं कर सकते। तुम सत्य के अनुसार मसीह-विरोधियों के क्रियाकलापों और व्यवहारों का गहन-विश्लेषण करने में असमर्थ हो, न ही तुम विवेक विकसित करने के लिए भाई-बहनों की मदद करने के लिए मसीह-विरोधियों के इरादों, उद्देश्यों और व्यवहार को सार्वजनिक रूप से उजागर करने में समर्थ हो। तुम इनमें से कोई काम भी नहीं कर सकते हो। कुछ नकली अगुआ यह भी कहते हैं, “किसी को भी मसीह-विरोधियों को उजागर नहीं करना चाहिए। यदि भाई-बहनों को पता चल जाए कि वे मसीह-विरोधी हैं और वे उनसे दूर रहें, तो मसीह-विरोधी उनसे बदला लेने की कोशिश करेंगे।” क्या यह निकम्मा कायर होना नहीं है? क्या ऐसे लोग कलीसिया का कार्य सँभाल सकते हैं? क्या वे भाई-बहनों को बचा सकते हैं ताकि वे एक सामान्य कलीसियाई जीवन जी सकें? समस्या का हल करने की यह किस प्रकार की पद्धति है? जब कुछ नहीं हो रहा है, तो वे निरंतर धर्म-सिद्धांतों के प्रवचन दे सकते हैं, लेकिन जब कुछ हो जाता है, तो वे उलझन में पड़ जाते हैं और भ्रमित हो जाते हैं, और बस रोने लगते हैं। क्या वे निकम्मे कायर नहीं हैं? भाई-बहनों को मसीह-विरोधियों द्वारा गुमराह होते और कुकर्मियों द्वारा बाधित होते हुए देखकर, वे असमंजस में पड़ जाते हैं, और उनके पास प्रतिक्रिया देने का कोई तरीका नहीं होता। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि कलीसिया में उन भाई-बहनों के साथ एकजुट होने का सबसे बुनियादी काम कैसे किया जाए, जिनमें अपेक्षाकृत न्याय की भावना होती है, मानवता होती है, और जो साथ संगति करने के लिए सत्य को स्वीकार कर सकते हैं, इन समस्याओं को हल करने के लिए परमेश्वर के वचनों का उपयोग कर सकते हैं, और मसीह-विरोधियों को उजागर कर सकते हैं और उन्हें पहचान सकते हैं। क्या ऐसा व्यक्ति बेकार नहीं है? (हाँ।) कुछ नकली अगुआ अत्यधिक सतर्क, कायर और बेकार होते हैं। वे किस हद तक कायर और बेकार हैं? जब कुकर्मी कलीसिया के कार्य में गड़बड़ करने और बाधा डालने के लिए सामने आते हैं, विशेष रूप से कठोर और अहंकारपूर्ण ढंग से बोलते हैं, तो वे इतने डर जाते हैं कि यह सोचते हुए कांपने लगते हैं, “मैं उनसे निपटने की हिम्मत नहीं कर सकता। वे खतरनाक हैं; वे दुनिया में कुकर्मी हैं। यदि मैं भाई-बहनों को बचाने के लिए उन्हें उजागर करता हूँ, तो वे निश्चित रूप से मेरे खिलाफ कुछ ढूँढ़ लेंगे और बदला लेंगे। फिर मैं अगुआ बना कैसे रह सकता हूँ? उन्हें पता है कि मैं कहाँ रहता हूँ। क्या वे मेरे परिवार को नुकसान पहुँचाएँगे? क्या परमेश्वर में विश्वास करने के लिए वे मेरी रिपोर्ट करेंगे?” ऐसे नकली अगुआ कलीसिया के कार्य की जिम्मेदारी नहीं ले सकते। उनका अत्यधिक भय उन्हें निष्क्रियता में फँसाए रखता है; स्वाभाविक रूप से वे ऐसे मुद्दों और ऐसे लोगों से निपटने के सिद्धांतों को संभवतः समझ नहीं पाते हैं। जिस किसी को भी कलीसिया के कार्य में गड़बड़ करने और बाधा डालने वाले के तौर पर निरूपित किया जाता है, वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जो बस कभी-कभार गलती करता है। बल्कि, उनकी मानवता इतनी बुरी है कि वे हमेशा लापरवाही भरे दुष्कर्म करते रहते हैं और कई बुरे काम करते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों में निःसंदेह कुकर्मियों का सार होता है। कुकर्मियों को सँभालने के लिए भी कुछ बुद्धिमानी भरे तरीकों की आवश्यकता होती है। तुम्हें पृष्ठभूमि और परिवेश पर और इस बात पर विचार करने की आवश्यकता होती है कि बुरे लोगों से निपटने पर वे क्या कदम उठा सकते हैं और क्या इससे कलीसिया में परेशानी खड़ी हो सकती है। केवल इन पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार करने पर ही तुम मामले को उचित ढंग से, सत्य सिद्धांतों के अनुरूप और बुद्धि से काम लेते हुए सँभाल सकते हो। जो लोग सत्य समझते हैं, वे ऐसे मुद्दों से निपटते समय अनजाने में ही सिद्धांतों को समझ लेंगे। जैसे-जैसे वे यह कार्य करेंगे, वे धीरे-धीरे समझ लेंगे कि विभिन्न लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना है, तरीके और पद्धतियाँ विकसित करेंगे, और उनके मन बुद्धि से भरे होंगे। लेकिन नकली अगुआओं में इन तरीकों, पद्धतियों और बुद्धि की पूरी तरह से कमी होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील नहीं होते; वे इस बात पर विचार नहीं करते कि परमेश्वर के घर का कार्य प्रभावित होगा या नहीं, या अगुआओं और कार्यकर्ताओं को खतरे का सामना करना पड़ेगा या नहीं। चूँकि वे इन बातों पर विचार नहीं करते, इसलिए वे मामलों को बिना सिद्धांतों के और उससे भी अधिक बिना बुद्धि के निपटाते हैं। नकली अगुआ इन समस्याओं को सँभाल नहीं पाते और इनसे सबक नहीं सीखते, जिससे यह साबित होता है कि वे सीखने के लिए तैयार नहीं हैं, अयोग्य हैं, उचित कार्यों की उपेक्षा करते हैं, तथा कोई भी काम करने में असमर्थ हैं। जब वे कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों को बुराई करते और विघ्न डालते हुए देखते हैं, तो वे न तो इन लोगों को उजागर करते हैं और न ही मुद्दों को हल करते हैं। वे केवल अपने हितों की रक्षा के बारे में सोचते हैं, कलीसिया के कार्य या परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश के बारे में कोई परवाह नहीं करते। कुछ नकली अगुआ कमजोर लोगों को धमकाते हैं और साथ ही अपने से अधिक शक्तिशाली लोगों से डरते भी हैं; वे लगातार अपेक्षाकृत नम्र लोगों को धमकाते हैं और उनके सामने अपनी ताकत का दिखावा करते हैं, लेकिन जब उनका सामना कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों से होता है तो वे केवल मुस्कुराते हैं और चापलूसी करते हैं। क्या परमेश्वर ऐसे नकली अगुआओं और नकली कार्यकर्ताओं को पसंद कर सकता है जिनके पास कोई सिद्धांत नहीं है? बिल्कुल नहीं। क्या परमेश्वर का घर ऐसे लोगों को अगुआ और कार्यकर्ता बनने के लिए तैयार कर सकता है जो कमजोरों पर रौब जमाते हैं और ताकतवरों से डरते हैं, और जिनमें न्याय की कोई समझ नहीं है? बिल्कुल नहीं। ये सभी लोग छद्म-विश्वासी और अविश्वासी हैं जिनके पास कोई विवेक या तर्क नहीं है और वे सत्य बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करते हैं, और परमेश्वर का घर उन्हें नहीं चाहता है।
जब किसी नकली अगुआ के काम में समस्याएँ आती हैं, तो उसकी प्रतिक्रिया हमेशा जिम्मेदारी से बचने की होती है। उनका सबसे आम कथन है, “मैंने उनके साथ संगति कर ली है।” यहाँ निहितार्थ यह है कि “मैंने वह सब कह दिया है जो मुझे कहना चाहिए था, इसलिए अगर कुछ गलत होता है तो यह उनकी जिम्मेदारी है। मेरा इससे कुछ लेना-देना नहीं है।” यही कारण है कि “मैंने उनके साथ संगति कर ली है” वाक्य नकली अगुआओं के लिए एक ताबीज और आदर्श-वाक्य होता है। अगर नकली अगुआ किसी मसीह-विरोधी को खुद को कानून मानते हुए, निरंकुशता से काम करते हुए और कलीसिया में विघ्न पैदा करते हुए देखता है, तो भी वह संगति और सहायता के तरीके का ही उपयोग करता है। प्रोत्साहन और चेतावनी के कुछ शब्द कहने के बाद वह मान लेता है कि मसीह-विरोधी आज्ञाकारी और विनम्र हो जाएगा, और अब लोगों को गुमराह नहीं करेगा या कलीसियाई जीवन को बाधित नहीं करेगा। क्या यह मूर्खतापूर्ण मान्यता नहीं है? मसीह-विरोधियों की बाधाओं पर रोक लगाने के लिए इस तरह के मूर्खतापूर्ण दृष्टिकोण का उपयोग करना दर्शाता है कि एक नकली अगुआ कैसे काम करता है, और यह सच में पूरी तरह से मूर्खता है! नकली अगुआ आँख मूँदकर फालतू के काम में संलग्न रहने के अलावा कुछ नहीं करते। वे अपने काम के मूलभूत कार्य निष्पादित करने में असमर्थ होते हैं और खुद को सामान्य मामलों में व्यस्त रखते हैं। वे उन लोगों का सिंचन नहीं करते जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, वे उन लोगों को नहीं रोकते जो गड़बड़ी करते और बाधा डालते हैं, और वे उन लोगों को बाहर नहीं निकालते जो लापरवाही से बुरे कार्य करते हैं और बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद बदलने से इनकार कर देते हैं। वे विशेष रूप से इस बात पर गौर नहीं करते हैं कि मसीह-विरोधी बुरे काम कैसे करते हैं और कैसे विघ्न डालते हैं। वे न तो उन्हें उजागर करते हैं और न ही उन्हें पहचानते हैं, न ही उन्हें बाहर निकालते या निष्कासित करते हैं, और मसीह-विरोधियों को बुरे काम करने और कलीसिया के कार्य में विघ्न डालने देते हैं। वे इसकी कोई परवाह नहीं करते और सोचते हैं कि मसीह-विरोधियों के बुरे कार्यों का उनसे कोई लेना-देना नहीं है। नकली अगुआ अपने काम में केवल औपचारिकताएँ निभा पाते हैं; वे बस सामान्य मामलों से संबंधित थोड़ा-बहुत काम करते हैं और फिर सोचते हैं कि उन्होंने वास्तविक काम कर लिया है और वे अगुआओं और कार्यकर्ताओं के मानक पर खरे उतरते हैं। कलीसिया के कार्य में भले ही कोई भी गड़बड़ी करे और बाधाएँ डाले, वे केवल उन्हें कुछ धर्म-सिद्धांत बताते हैं, कुछ उपदेश और अनुस्मारक देते हैं, और सोचते हैं कि समस्या हल हो गई है। वे खुद को सारा दिन व्यस्त रखते हैं, बड़े और छोटे दोनों तरह के मामले देखते हैं, और मानते हैं कि वे अच्छा काम कर रहे हैं। वे यह कहते हुए बड़ाई भी करते हैं, “हमारी कलीसिया को देखो। हरेक का अच्छा उपयोग किया जाता है : जो सुसमाचार का प्रवचन दे सकते हैं वे सुसमाचार का प्रवचन दे रहे हैं, जो वीडियो बना सकते हैं वे वीडियो बना रहे हैं, जो गा सकते हैं वे भजन रिकॉर्ड कर रहे हैं—हमारा कलीसियाई जीवन फल-फूल रहा है!” लेकिन उन्हें कलीसिया में छिपी हुई बहुत-सी समस्याएँ बिल्कुल भी दिखाई नहीं देती हैं। वे उन बुरे लोगों और छद्म-विश्वासियों को सँभालने की हिम्मत नहीं जुटा पाते जो निरंतर कलीसिया के जीवन में गड़बड़ करते और बाधा डालते रहते हैं, इसलिए वे उन्हें नजरंदाज कर देते हैं। वे मसीह-विरोधियों की ओर से आँखें मूँद लेते हैं जो अपने तरीकों के अनुसार कार्य करते हैं, उनमें से हरेक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने और अपने खुद के छोटे गुट बनाने की कोशिश में लगा रहता है। वे उन नए विश्वासियों द्वारा किए जाने वाले अनेक सवालों को संबोधित करने में असमर्थ होते हैं जो धार्मिकता के भूखे-प्यासे हैं। इन वास्तविक समस्याओं का समाधान करने के तरीके ढूँढ़ने के बजाए, नकली अगुआ हमेशा उनसे बचने का प्रयास करते हैं, फिर भी यह दावा करते हैं कि “कलीसियाई जीवन फल-फूल रहा है।” क्या यह दिखावा और धोखाधड़ी नहीं है? नकली अगुआ इन छद्म-विश्वासियों, कुकर्मियों, और मसीह-विरोधियों को कलीसिया से बाहर निकाले बिना या उनसे निपटे बिना कलीसिया में ही छोड़ देते हैं, जिससे वे लापरवाही से गलत काम करते हैं और कलीसिया के जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर देते हैं, और इस दौरान वे ऐसा दिखावा करते हैं जैसे उन्हें यह सब दिखाई ही नहीं देता। ऐसे नकली अगुआ पूरी तरह से अंधे होते हैं! वे यह सोचते हुए छद्म-विश्वासियों, कुकर्मियों, और मसीह-विरोधियों के लिए सुरक्षात्मक आवरण का काम करते हैं, और इससे उन्हें गर्व की भावना भी मिलती है, कि इन भ्रष्ट लोगों को बाहर नहीं निकालना परमेश्वर के चुने हुए लोगों से प्रेम करना और उनका बचाव करना है। क्या यह कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करना और बाधा डालना नहीं है? क्या यह जानबूझकर परमेश्वर का प्रतिरोध करना और उसके विरुद्ध कार्य करना नहीं है? लेकिन नकली अगुआओं को इसके बारे में कोई जागरूकता नहीं होती है। यदि तुम उनसे पूछते हो कि क्या इन वास्तविक समस्याओं का समाधान हो गया है, तो वे कहेंगे, “मैंने उनकी काट-छाँट कर दी है; मैंने उनके साथ संगति कर ली है,” इसका तात्पर्य यह है कि समस्याएँ हल हो गई हैं और अब उनसे इसका कोई लेना-देना नहीं है। क्या यह जिम्मेदारी से बचना नहीं है? नकली अगुआ के लिए, जब भी कोई कदाचार करता है, तो जब तक वे अनमने ढंग से अपराधी की काट-छाँट करते हैं और उसे कुछ अनुस्मारक और उपदेश देते हैं, तब तक उनका काम पूरा हो जाता है, और मानो उसने समस्या का समाधान कर लिया है, क्या यह धोखेबाजी में लिप्त होना नहीं है? नकली अगुआ स्पष्ट रूप से छद्म-विश्वासियों, कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों को तुरंत बाहर निकालने में विफल रहते हैं, और फिर वे यह कहते हुए दिखावटी बहाने बनाते हैं, “मैंने उनके साथ परमेश्वर के वचन पर संगति की, वे सभी जान गए कि उन्होंने क्या किया और उन्होंने पछतावा महसूस किया, वे सभी रोए और बोले कि वे निश्चित रूप से पश्चात्ताप करेंगे और अब अपना राज्य स्थापित करने का प्रयास नहीं करेंगे।” क्या ये नकली अगुआ घर-घर खेलने वाले बच्चे की तरह खुद को धोखा नहीं दे रहे? ये छद्म-विश्वासी, कुकर्मी और मसीह-विरोधी सभी ऐसे लोग हैं, जो सत्य से विमुख होते हैं। उनमें से कोई भी सत्य को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता, और वे परमेश्वर के उद्धार का लक्ष्य नहीं हैं, बल्कि वे परमेश्वर की अतिशय नफरत और घृणा के लक्ष्य हैं। लेकिन नकली अगुआ इन छद्म-विश्वासियों, कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों को भाई-बहनों की तरह मानते हैं, और प्रेम से उनकी मदद करते हैं। यहाँ समस्या की प्रकृति क्या है? क्या यह मूर्खता और अज्ञानता है, जो उन्हें इन लोगों को स्पष्ट रूप से देखने से रोकती है, या वे उनके नाराज होने के डर से उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं? कारण जो भी हो, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है, वह यह है कि नकली अगुआ अपनी काट-छाँट किए जाने पर वास्तविक काम नहीं करते, और वे सत्य स्वीकार नहीं करते, या वे अपनी गलतियाँ नहीं मानते। यह ये दिखाने के लिए पर्याप्त है कि नकली अगुआओं में बिल्कुल भी कोई सत्य वास्तविकता नहीं होती। वे परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं के अनुसार कार्य नहीं करते और विशेष रूप से जब कलीसिया को स्वच्छ करने की बात आती है तो वे अनमने ढंग से काम करते हैं। वे केवल बेमन से कुछ स्पष्ट बुरे लोगों को दूर करते हैं। जब उन्हें उजागर किया जाता है और उनकी काट-छाँट की जाती है तो वे जिम्मेदारी से बचने और अपने पक्ष में बहस करने के लिए विभिन्न कारण और बहाने तक ढूँढ़ते हैं। इसलिए नकली अगुआ, जो कोई वास्तविक कार्य नहीं करता, एक ऐसी बाधा होता है, जो परमेश्वर की इच्छा पूरी होने से रोकता है। नकली अगुआ थोड़ा बहुत सतही, और सामान्य मामलों से संबंधित काम करते हैं, जिसका कोई मोल नहीं होता। वे कलीसिया में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान कभी नहीं करते, वे बस उन्हें टालते हैं, इससे न केवल कलीसिया के कार्य की सामान्य प्रगति में देरी होती है, बल्कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों का जीवन-प्रवेश भी प्रभावित होता है। स्पष्ट रूप से नकली अगुआ कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी करते और बाधा डालते हैं और छद्म-विश्वासियों, कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों के लिए सुरक्षा की छतरियों के रूप में कार्य करते हैं। आध्यात्मिक युद्ध के महत्वपूर्ण क्षण में, वे परमेश्वर का विरोध करने और उसे धोखा देने के लिए कुकर्मियों और मसीह-विरोधियों के पक्ष में खड़े होते हैं। क्या यह परमेश्वर से विश्वासघात की अभिव्यक्ति नहीं है? नकली अगुआओं के विचारों और व्यवहार को देखने से यह स्पष्ट होता है कि वे सत्य का अनुसरण करने वाले लोग हैं ही नहीं। वे सत्य बिल्कुल भी नहीं समझते, और वे अगुआई का कार्य करने के लिए पूरी तरह से अयोग्य होते हैं।
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