अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (18) खंड एक
मद बारह : उन विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों की तुरंत और सटीक रूप से पहचान करो, जो परमेश्वर के कार्य और कलीसिया की सामान्य व्यवस्था में विघ्न-बाधा उत्पन्न करती हैं; उन्हें रोको और प्रतिबंधित करो, और चीजों को बदलो; इसके अतिरिक्त, सत्य के बारे में संगति करो, ताकि परमेश्वर के चुने हुए लोग ऐसी बातों के माध्यम से समझ विकसित करें और उनसे सीखें (भाग छह)
विभिन्न लोग, घटनाएँ और चीजें जो कलीसियाई जीवन को अस्त-व्यस्त करती हैं
X. निराधार अफवाहें फैलाना
पिछली सभा में, हमने अगुआओं और कार्यकर्ताओं की बारहवीं जिम्मेदारी पर संगति की थी : “उन विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों की तुरंत और सटीक रूप से पहचान करो, जो परमेश्वर के कार्य और कलीसिया की सामान्य व्यवस्था में विघ्न-बाधा उत्पन्न करती हैं; उन्हें रोको और प्रतिबंधित करो, और चीजों को बदलो; इसके अतिरिक्त, सत्य के बारे में संगति करो, ताकि परमेश्वर के चुने हुए लोग ऐसी बातों के माध्यम से समझ विकसित करें और उनसे सीखें।” परमेश्वर के कार्य और कलीसिया की सामान्य व्यवस्था में विघ्न-बाधा उत्पन्न करने वाले विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों को, जो कलीसिया में दिखाई देती हैं, हमने ग्यारह मुद्दों में विभाजित किया था। उन्हें फिर से पढ़ो। (पहला, सत्य पर संगति करते समय अक्सर विषय से भटक जाना; दूसरा, लोगों को गुमराह करने और उनसे सम्मान प्राप्त करने के लिए शब्द और धर्म-सिद्धांत बोलना; तीसरा, घरेलू मामलों के बारे में बकबक करना, व्यक्तिगत संबंध बनाना और व्यक्तिगत मामले सँभालना; चौथा, गुट बनाना; पाँचवाँ, रुतबे के लिए होड़ करना; छठा, अनुचित संबंधों में लिप्त होना; सातवाँ, आपसी हमलों और मौखिक झगड़ों में लिप्त होना; आठवाँ, धारणाएँ फैलाना; नौवाँ, नकारात्मकता फैलाना; दसवाँ, निराधार अफवाहें फैलाना; और ग्यारहवाँ, चुनावों में हेराफेरी और गड़बड़ करना।) पिछली बार, हमने नौवें मुद्दे पर संगति की थी। आज, हम दसवें मुद्दे—निराधार अफवाहें फैलाने, पर संगति करेंगे।
क. निराधार अफवाहें फैलाने की अभिव्यक्तियाँ
कलीसिया में निराधार अफवाहें फैलाने की घटनाएँ हो चुकी हैं। कुछ लोग सत्य से प्रेम नहीं करते और अपने कर्तव्य के निर्वहन में सत्य का अभ्यास करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते; चाहे सत्य सिद्धांतों से संबंधित मामले हों या उनके व्यक्तिगत अनुसरण, वे सत्य की खोज पर ध्यान केंद्रित नहीं करते—इन मुद्दों का उनके दिल में कोई स्थान नहीं है। परमेश्वर में अपने विश्वास में, वे सिर्फ गपशप करना, व्यक्तिगत जानकारी के बारे में पूछताछ करना और अजीब और असामान्य कहानियाँ इकट्ठा करना पसंद करते हैं। बेशक, वे जिस चीज के बारे में ज्यादा उत्साहित हैं, वह है परमेश्वर और परमेश्वर के कार्य से जुड़े मामलों के साथ-साथ परमेश्वर के घर और कलीसिया के अगुआओं और कार्यकर्ताओं से जुड़े मामलों में दखल देना। साथ ही, वे बेबुनियादी गपशप फैलाना, जो बातें उन्होंने सुनी हैं या जिन बातों की उन्होंने कल्पना की हैं, उनका प्रसार करना पसंद करते हैं जो बिल्कुल भी सच नहीं हैं। ऐसे लोग परमेश्वर के वचनों को पढ़ना पसंद नहीं करते, वे कभी-कभार ही प्रार्थना करते हैं और सभाओं के दौरान वे शायद ही कभी सत्य पर संगति करते हैं; वे अपनी मनोदशा, व्यक्तिगत अनुसरण और प्रवेश या परमेश्वर के कार्य की अपनी समझ वगैरह के बारे में भी कभी-कभार ही बात करते हैं। बेशक, उनकी उन लोगों में कोई रुचि नहीं है जो सत्य की संगति करते हैं या अपनी अनुभवजन्य गवाही के बारे में संगति करते हैं, न ही उनकी इन मामलों में कोई रुचि है। हालाँकि, जैसे ही वे किसी को इस बारे में बात करते सुनते हैं कि परमेश्वर का कार्य किस सीमा तक पहुँच गया है, या परमेश्वर के वचनों में आपदाओं, लोगों की मंजिलों, परमेश्वर के अपना रूप बदलने वगैरह के बारे में कोई सामग्री देखते हैं, तो उनकी आँखों में अचानक चमक आ जाती है, और वे विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हैं। जैसे ही वे इन वचनों को पढ़ते या सुनते हैं, उनकी रुचि तुरंत जाग जाती है। इन लोगों की अभिव्यक्तियों से देखें तो यह स्पष्ट है कि वे सत्य का अनुसरण करने, या अपना कर्तव्य निभाने और परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते, और परमेश्वर के प्रति समर्पण करने या उसकी आराधना करने के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। वे परमेश्वर के घर में आकर अपना कर्तव्य निभाने पर बिल्कुल भी विचार नहीं करते। वे केवल पूछताछ करना चाहते हैं या कुछ गपशप इकट्ठा करना या अफवाहें फैलाना चाहते हैं। उन्हें इन गतिविधियों में आनंद आता है और उनकी अनुभवजन्य गवाहियों, भजनों या परमेश्वर के घर की फिल्मों में बिल्कुल भी कोई रुचि नहीं है। वे बस ऑनलाइन जाकर परमेश्वर के घर, कलीसिया के कार्य, और देहधारी परमेश्वर के बारे में धार्मिक संसार में मसीह-विरोधी ताकतों द्वारा दिए गए बयानों और आकलनों को इकट्ठा करना पसंद करते हैं। यहाँ तक कि अगर वे कभी-कभार परमेश्वर के घर के वीडियो देखते हैं, तो भी यह अपनी समस्याओं को हल करने के लिए सत्य की तलाश करने की उनकी आंतरिक चाह से प्रेरित नहीं होता है। तो फिर वे क्या देखते हैं? वे वीडियो के नीचे दी गई टिप्पणियाँ देखते हैं, और वे जो पढ़ते हैं उसके बारे में चयनशील होते हैं। वे कलीसिया के भाई-बहनों की टिप्पणियों को छोड़ देते हैं लेकिन धार्मिक संसार और अविश्वासियों की टिप्पणियों में विशेष रुचि लेते हैं। वे बड़े लाल अजगर की टिप्पणियों और बयानों को भी विशेष रूप से देखते हैं, और उनसे कुछ चीजें पता लगाने की कोशिश करते हैं। जब वे नकारात्मक प्रचार, बयानों और गढ़ी गई अफवाहों को देखते हैं, तो वे सत्य की तलाश नहीं करते और उनके भेद नहीं पहचानते; इसके बजाय, वे इनमें से कुछ नकारात्मक टिप्पणियों और बयानों को स्वीकार भी सकते हैं, और उन्हें तथ्य मान सकते हैं। भले ही वहाँ कितनी भी सकारात्मक टिप्पणियाँ हों, वे उन्हें पढ़ना नहीं चाहते और उन्हें सच भी नहीं मानते हैं; केवल नकारात्मक टिप्पणियाँ या अफवाहें उनका ध्यान आकर्षित करती हैं और उनकी दिलचस्पी जगाती हैं। हर बार जब वे इन नकारात्मक टिप्पणियों को देखते हैं, तो उन्हें बेहद प्रसन्नता होती है और उनके दिल को सुकून मिलता है। वे दुनिया में, धार्मिक संसार में या ऑनलाइन प्रसारित हो रही पूरी तरह से असत्य अफवाहों और आलोचनाओं में विशेष रूप से, और यहाँ तक कि परमेश्वर के खिलाफ हमलों और उसकी बदनामी में भी रुचि रखते हैं, और वे हमेशा बड़ी मेहनत से इनका अध्ययन करते हैं और ऐसी जानकारी इकट्ठा करते हैं। इसके विपरीत, परमेश्वर के वचनों, धर्मोपदेशों और संगति, भाई-बहनों की अनुभवजन्य गवाहियों, और ऐसी अन्य चीजों में उनकी बिल्कुल भी कोई दिलचस्पी नहीं होती है। इसलिए, जब सभाओं के दौरान अन्य लोग परमेश्वर के वचन पढ़ते हैं, सत्य की संगति करते हैं और अनुभवजन्य गवाही साझा करते हैं, तो वे विमुख होने लगते हैं, और उन्हें ये चीजें परेशान करने वाली और अनावश्यक लगने लगती हैं। दिल से वे सत्य की संगति करने और खुद को जानने के बारे में बातचीत करने को लेकर विशेष रूप से विमुख होते हैं। तो, वे क्या सुनना चाहते हैं? वे केवल अजीब और विचित्र चीजों के बारे में सुनना चाहते हैं, चाहे वे आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े रहस्य हों या धार्मिक संसार द्वारा फैलाई गई अफवाहें और गपशप हों—वे बस इन बातों को सुनने के लिए इच्छुक रहते हैं। उनके दिल इन नकारात्मक चीजों से भरे हुए हैं, और कोई भी उनसे इन नकारात्मक चीजों को नहीं निकाल सकता या उन्हें इन नकारात्मक चीजों से दूर नहीं कर सकता है। ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी उन चीजों में खासी रुचि है और उनसे लगाव भी है! इसलिए, जब वे विशेष रूप से सभाओं के दौरान भाई-बहनों के बीच होते हैं, तो वे कुछ निराधार गपशप के बारे में बातचीत करना और परमेश्वर के घर और कलीसिया के बारे में उन्हें ऑनलाइन मिली कुछ नकारात्मक टिप्पणियाँ भी फैलाना पसंद करते हैं। इन लोगों की इन अफवाहों में अत्यधिक रुचि होती है। भले ही वे स्पष्ट रूप से जानते हैं कि इन बातों को फैलाना दूसरों के लिए फायदेमंद नहीं है, फिर भी वे खुद को नियंत्रित नहीं कर पाते और इन्हें फैलाने पर जोर देते हैं। भले ही उन्हें इन अफवाहों और नकारात्मक प्रचार को फैलाने के लिए अवसर तलाशने पड़ें, या उन्हें ऐसी चीजों को इकट्ठा करने में समय बिताना पड़े, या ऐसी चीजों को गढ़ने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल करना पड़े, फिर भी वे इसके लिए अथक प्रयास करते रहते हैं। यदि किसी कलीसिया में, कलीसिया अगुआओं की काबिलियत कम है और वे वास्तविक कार्य नहीं कर पाते हैं या लोगों का भेद नहीं पहचान पाते हैं, तो अफवाहें और भ्रांतियाँ फैलाने वाले लोगों के वहाँ मौजूद होने पर कलीसियाई जीवन बाधित और प्रभावित हो जाएगा, और ये व्यक्ति कुछ लोगों को गुमराह और नियंत्रित भी कर लेंगे। क्यों कई लोग अक्सर दूसरों द्वारा परेशान और गुमराह हो सकते हैं? एक कारण यह है कि वे सत्य नहीं समझते और परमेश्वर के घर को बदनाम करने वाली अफवाहों का भेद नहीं पहचान पाते हैं। दूसरा कारण यह है कि कुछ भाई-बहन जिन्होंने केवल कुछ समय के लिए विश्वास रखा है, उनका आध्यात्मिक कद अपरिपक्व है, वे दर्शनों के सत्य को नहीं समझते हैं, और वे परमेश्वर के देहधारण, अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य, और लोगों को बचाने के परमेश्वर के इरादे के बारे में अस्पष्ट हैं, वे इन चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में असमर्थ हैं, और वे इस बारे में अनिश्चित हैं कि कार्य का यह चरण परमेश्वर का प्रकटन और कार्य है या नहीं। नतीजतन, उनकी आस्था सच्ची नहीं है और उन्हें यह भी नहीं पता कि वे कब तक परमेश्वर का अनुसरण करने में समर्थ होंगे। स्वाभाविक रूप से, वे भी अफवाह फैलाने वालों द्वारा बहुत आसानी से गुमराह, प्रभावित और नियंत्रित हो जाते हैं।
ख. निराधार अफवाहें फैलाने का सार शैतान के सेवक के रूप में कार्य करना है
ये लोग जो निराधार अफवाहें फैलाते हैं, न केवल सत्य में और परमेश्वर के वचनों में विश्वास नहीं करते, बल्कि वे सही और गलत का भेद भी नहीं पहचान पाते हैं। वे हमेशा सकारात्मक चीजों पर संदेह करते हैं और अफवाहों और शैतानी शब्दों के आसानी से कायल हो जाते हैं। ये लोग परमेश्वर में विश्वास रखने और परमेश्वर का अनुसरण करने का दावा करते हैं, लेकिन फिर भी ऐसी अफवाहें फैलाते हैं जो परमेश्वर और कलीसिया को बदनाम करती हैं, और वे इकट्ठा की हुई विभिन्न अफवाहों को भाई-बहनों में फैलाते हैं; यहाँ तक कि उन्हें बेहिचक और बार-बार फैलाते हैं और हर जगह उनका प्रचार करते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि ये लोग सत्य से प्रेम नहीं करते और केवल अविश्वासियों के शैतानी शब्दों पर विश्वास करते हैं। सच पूछिए तो वे बिल्कुल भी परमेश्वर के चुने हुए लोग नहीं हैं और वे परमेश्वर के घर के सदस्य भी नहीं हैं। तो फिर वे क्या हैं? सटीक तौर पर कहें तो ये लोग छद्म-विश्वासी हैं, वे शैतान के सेवक हैं। कुछ लोगों का कहना है, “क्या शैतान के सेवक सीसीपी द्वारा भेजे गए जासूस हैं? क्या वे परमेश्वर के घर में घुसपैठ करने वाले एजेंट हैं?” यह जरूरी नहीं है। उन एजेंटों और जासूसों का भेद पहचानना आसान है, लेकिन अफवाहें फैलाने वाले ये लोग सतही तौर पर सच्चे विश्वासी नजर आते हैं। हालाँकि, वे सत्य का अनुसरण नहीं करते और अक्सर शैतान के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं, और शैतान के नाम पर वे ऐसे शब्द फैलाते हैं जो परमेश्वर को बदनाम करते हैं और उस पर हमला करते हैं, और वे कलीसिया और परमेश्वर के घर के बारे में मनगढ़ंत अफवाहें फैलाते हैं। इस आधार पर देखा जाए, तो उन्हें चाहे किसी ने भी भेजा हो, क्या ये लोग शैतान के सेवक नहीं हैं? (बिल्कुल हैं।) चाहे उन्होंने इन अफवाहों को सक्रिय रूप से खुद इकट्ठा किया हो या चुपचाप सुना हो, ये लोग सत्य की खोज करने या उनका भेद पहचानने के बारे में नहीं सोचते, बल्कि उन्हें तथ्य मानकर उन पर विश्वास करते हैं। वे इन्हें अनैतिक और अनियंत्रित तरीके से, न केवल एक स्थान पर या एक जैसे अवसर पर, लोगों के बीच फैला सकते हैं और प्रसारित कर सकते हैं। इन अफवाहों को फैलाने का उनका उद्देश्य और अधिक लोगों को इनके बारे में जागरूक करना है, कमजोर लोगों को और भी कमजोर बनाना है, और जो लोग ताकतवर हैं और परमेश्वर में आस्था रखते हैं उन्हें अफवाहों की वजह से परमेश्वर और उसके कार्य पर संदेह करवाना है—इसका उद्देश्य सभी लोगों को सत्य में, परमेश्वर के वचनों में, परमेश्वर के कार्य में और बचाए जाने के प्रति उदासीन बनाना है, और इसके बजाय उनकी दिलचस्पी विभिन्न अफवाहों और नकारात्मक प्रचार में बढ़ाना है, ठीक वैसे ही जैसे ये व्यक्ति स्वयं हैं, ताकि जब भी लोग इकट्ठा हों, वे इन नकारात्मक चीजों के बारे में बात करें। क्या सामान्य लोग और मानवता और तर्क शक्ति वाले लोग ऐसी बातें करेंगे? जब अधिकांश लोग अफवाहें या विभिन्न नकारात्मक प्रचार सुनते हैं, भले ही उन्हें पता न हो कि अफवाहें सत्य हैं या असत्य, परमेश्वर में अपनी आस्था और थोड़ा-सा परमेश्वर का भय मानने वाले अपने दिल के कारण, वे प्रार्थना करने और सत्य की खोज के लिए परमेश्वर के सामने आएँगे। भले ही वे अफवाहों से प्रभावित हों और थोड़ा कमजोर और संदिग्ध महसूस करें, लेकिन इससे उनके कर्तव्य पालन या परमेश्वर का अनुसरण करने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे खुद को आगाह भी करेंगे कि वे अपनी जबान पर लगाम लगाएँ और ऐसे काम न करें जो परमेश्वर का विरोध करते हों या उसे नाराज करते हों। इस तरह का नजरिया कुछ ऐसा है जिसे अधिकतर भाई-बहन हासिल कर सकते हैं। जब तक लोगों में थोड़ी मानवता, थोड़ी सच्ची आस्था और थोड़ा परमेश्वर का भय मानने वाला दिल है, वे इसे हासिल कर सकते हैं। चूँकि लोग मानते हैं कि परमेश्वर मौजूद है, इसलिए उन्हें यह मानना चाहिए कि परमेश्वर जो कुछ भी करता है वह सही है। चूँकि यह कार्य परमेश्वर द्वारा किया जाता है, इसलिए लोगों को इसके बारे में कोई आकलन नहीं करना चाहिए। उन्हें यह यकीन करना चाहिए कि : “कलीसिया के बाहर से चाहे जो भी अफवाहें आ रही हों, मैं उन पर विश्वास नहीं कर सकता, और मैं निश्चित रूप से उन्हें फैला नहीं सकता। भले ही मैं अपने दिल में थोड़ा कमजोर और विचलित महसूस करूँ, मुझे परमेश्वर के अस्तित्व को नकारना नहीं चाहिए!” यदि कोई परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता है, तो उसे यह विश्वास करना चाहिए कि परमेश्वर जो कुछ भी करता है वह सही है; यदि वह परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता है, तो उसके पास ऐसा दिल होना चाहिए जो परमेश्वर से डरता हो और उसका भय मानता हो—यह बिल्कुल सही है। चूँकि ऐसे लोगों के पास परमेश्वर का भय मानने वाला दिल है, इसलिए चाहे वे कोई भी अफवाह सुनें, उन्हें अपनी जबान पर लगाम लगानी होगी, वे अफवाहें फैलाने वाले नहीं बनेंगे, शैतान के फरेब के धोखे में नहीं आएँगे और शैतान की चालों में नहीं फँसेंगे। क्या यह कुछ ऐसा नहीं है जिसे ज्यादातर लोग आसानी से हासिल कर सकते हैं? (हाँ।) तुम में सामान्य सोच और तर्क शक्ति है, इसलिए जब तुम अफवाहें सुनते हो, तो तुम उन्हें फैलाते हो या नहीं, यह पूरी तरह से तुम पर निर्भर करता है। क्या कोई और तुम्हें नियंत्रित कर रहा है? (नहीं।) तो इन अफवाहों को सुनने के बाद, क्या लोगों को इस बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं होना चाहिए कि उन्हें इनसे कैसे निपटना चाहिए, और उन्हें इनको कैसे मानना चाहिए और कैसे व्यवहार में लाना चाहिए ताकि वे सिद्धांतों, मानवता और तर्क के अनुरूप हों? हर किसी को थोड़ा यह निर्णय करना चाहिए और उसे दूसरों की शिक्षा के बिना इस पद्धति और अभ्यास के मार्ग को समझना चाहिए। यहाँ तक कि बच्चे भी जानते हैं कि गपशप नहीं फैलानी चाहिए, यह अपमानजनक, अनैतिक है, और मतभेद पैदा करता है, और किसी को इस तरह का व्यक्ति नहीं बनना चाहिए; ये वे विचार और व्यवहार हैं जो सामान्य तर्क शक्ति वाले लोगों में होने चाहिए। लेकिन एक किस्म के लोग ऐसे होते हैं जिनमें ऐसे विवेक का अभाव होता है और उससे भी बढ़कर, उनमें ऐसी मानवता का अभाव होता है। इस कारण वे ये बातें सुनकर जल्द से जल्द अपने करीबी लोगों तक अफवाहें फैलाना और नकारात्मक प्रचार करना चाहते हैं ताकि हर कोई उनका विश्लेषण और आलोचना कर सके, साथ मिलकर उनमें नमक-मिर्च लगा सके और फिर इन अफवाहों को और ज्यादा लोगों तक फैला सके। उन्हें लगता है, “क्या यह शानदार नहीं है? क्या यह जीवंत नहीं है? यदि कलीसियाई जीवन इस विषय-वस्तु से भरा होता तो यह कितना समृद्ध होता! लोगों को कितना अधिक ज्ञान प्राप्त होता!” ये किस तरह के विचार और दृष्टिकोण हैं? क्या ये किसी बुरे व्यक्ति के विचार और दृष्टिकोण नहीं हैं? यह किस तरह का तर्क है? क्या वे ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो अराजकता फैलाने के लिए बेताब हैं? क्या ऐसा नहीं है कि वे दूसरों को अच्छे से काम करते हुए नहीं देख सकते? अपने दिल में वे भाई-बहनों का मजाक उड़ाते हैं : “मूर्खो, कलीसिया के बाहर हर जगह अफवाहें उड़ रही हैं; परमेश्वर के घर के खिलाफ, विशेष रूप से मसीह और परमेश्वर के कार्य के खिलाफ हर जगह नकारात्मक मूल्यांकन और हमले हो रहे हैं और बदनामी की जा रही है। धार्मिक संसार की कलीसियाओं में तमाम तरह की नकारात्मक प्रचार सामग्री लटकायी गई है। जैसे ही वहाँ के लोग ‘चमकती पूर्वी बिजली’ का नाम सुनते हैं, वे निंदा करना शुरू कर देते हैं और उससे दूरी बना लेते हैं। हर कोई तुम लोगों की आलोचना और निंदा कर रहा है, फिर भी तुम मूर्ख लोग अभी भी यहाँ परमेश्वर में विश्वास और सत्य का अनुसरण कर रहे हो!” इन लोगों को इतनी दृढ़ आस्था के साथ परमेश्वर का अनुसरण करते देखना उन्हें परेशान कर देता है और बेहद घृणा से भर देता है। विशेष रूप से, जब वे देखते हैं कि सत्य पर किसी की संगति वास्तविक समझ और स्वभाव में बदलाव को दर्शाती है और हर कोई उसकी प्रशंसा करता है तो वे उस व्यक्ति से घृणा करते हैं। यदि वे किसी व्यक्ति को सिद्धांतों पर डटे, नतीजे हासिल करते और परमेश्वर के घर में वफादारी से अपना कर्तव्य निभाते देखते हैं तो वे क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं, “तुम कलीसिया के बाहर की अफवाहें या दुष्प्रचार क्यों नहीं सुनते हो? तुम इतने मूर्ख और निष्ठावान क्यों हो? देखो मैं कितना चालाक हूँ—मैं दोनों खेमों में शामिल हूँ। मैं परमेश्वर के घर के कलीसियाई जीवन में भाग लेता हूँ और मैं यह नहीं कहता कि मैं परमेश्वर में विश्वास नहीं करता, और अगर मुझे कोई कर्तव्य नहीं करने दिया जाता, तो मैं इसके लिए सहमत नहीं होता, लेकिन मैं कलीसिया के बाहर की खबरों की भी खोजबीन करता हूँ। मैं धार्मिक संसार, अविश्वासी दुनिया और इंटरनेट पर हो रहे नकारात्मक प्रचार और टिप्पणियों पर ध्यान देना जारी रखता हूँ।” उनका हमेशा एक अनुचित दृष्टिकोण होता है। भाई-बहनों को सत्य का अनुसरण करते और अपना कर्तव्य निभाते देखकर उनके मन में असंतोष पैदा होने लगता है। वे हमेशा उनमें से एक या दो लोगों को गुमराह करना और उन्हें अपने पक्ष में करना चाहते हैं और यहाँ तक कि उनमें से कुछ को लगातार परेशान और प्रभावित करना चाहते हैं। वे लगातार अफवाहें फैलाकर कुछ लोगों को “जगाना” चाहते हैं ताकि वे अफवाहों पर विश्वास करें और गुमराह हो जाएँ। मुझे बताओ, आखिर यह किस तरह का व्यक्ति है? क्या ऐसे लोगों को परमेश्वर के घर का हिस्सा और भाई-बहन मानना उचित है? (नहीं।) तो फिर उनके साथ पेश आने का सबसे उचित तरीका क्या है? उन्हें छद्म-विश्वासी, शैतान के सेवक मानना सबसे उचित है। यह उनकी बेबुनियाद निंदा करना या उन्हें गलत ठहराना नहीं है; यह एक तथ्य है।
निराधार अफवाहें फैलाने वाले इन लोगों के बारे में क्या घृणास्पद है? चाहे वे किसी भी माध्यम से नकारात्मक प्रचार सुनें, भले ही उन्हें स्पष्ट रूप से पता हो कि ये बिना किसी तथ्यात्मक आधार की अफवाहें और शैतानी शब्द हैं, फिर भी वे अथक उत्साह के साथ इन्हें दूसरों तक फैलाते हैं। इसकी प्रकृति क्या है? परमेश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति अफवाहें सुनने पर घृणा महसूस करेगा। विशेष तौर पर जब बात परमेश्वर पर हमला करने और उसका अपमान करने वाले शब्दों की आती है, तो वे अपनी जुबान को गंदा होने से बचाने के लिए उनका जिक्र बिल्कुल नहीं करेंगे, जिससे साबित होता है कि उनके पास परमेश्वर का भय मानने वाला दिल है। वे कहते हैं, “दूसरों का परमेश्वर की आलोचना करना और उसकी निंदा करना, कलीसिया पर हमला करना और उसे बदनाम करना, उनका काम है। मुझे उनके पापों में भागीदार नहीं होना चाहिए। उनके द्वारा परमेश्वर की बदनामी करना पहले से ही एक घोर विद्रोह और जघन्य पाप है—मैं अपने मुँह से ये शब्द नहीं बोल सकता। मुझे उन जैसी बातें नहीं कहनी चाहिए। मैं बिल्कुल भी ऐसा नहीं करूँगा!” लेकिन जो लोग शैतान के सेवक हैं, वे नकारात्मक प्रचार और अफवाहों को शब्दशः सुना सकते हैं और वे ऐसा बार-बार और बिना किसी आशंका के करते हैं, यहाँ तक कि इन्हें हर जगह फैलाते हैं। क्या इन लोगों के पास थोड़ा-सा भी परमेश्वर का भय मानने वाला दिल है? क्या वे परमेश्वर से डरते हैं? नहीं, वे नहीं डरते। सतही तौर पर वे परमेश्वर के अस्तित्व में भी विश्वास करते हैं, लेकिन विश्वास करना यह स्वीकारने के बराबर नहीं है कि परमेश्वर ही वह सृष्टिकर्ता है जो सभी चीजों पर संप्रभुता रखता है। शैतान भी यह मानता है कि दुनिया में और ब्रह्मांड में और सभी चीजों में परमेश्वर है, लेकिन जब परमेश्वर उससे बात करता है तो वह परमेश्वर के साथ कैसा व्यवहार करता है? वह परमेश्वर से कैसे बातचीत करता है? क्या उसके पास परमेश्वर का भय मानने वाला दिल होता है? क्या वह परमेश्वर के साथ परमेश्वर की तरह पेश आता है? नहीं। परमेश्वर से बातचीत करने के लिए वह कौन-सा तरीका अपनाता है? वह परमेश्वर को परखता है, उसे धोखा देता है और उसका उपहास उड़ाता है, मानो मसखरी कर रहा हो। जब परमेश्वर ने पूछा, “तू कहाँ से आता है?” तो शैतान ने कैसे उत्तर दिया? (“पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ” (अय्यूब 1:7)।) क्या ये मानवीय शब्द हैं? (नहीं।) तो इन शब्दों का क्या अर्थ है? शैतान ने इस तरह बात क्यों की? किस प्रकार के रवैये से ऐसे शब्द निकलते हैं? क्या यह उपहास की बात नहीं है? (हाँ।) उपहास का क्या अर्थ है? यह किसी के साथ खिलवाड़ करना है, है ना? “मैं तुम्हें नहीं बताऊँगा कि मैं कहाँ से आया हूँ। तुम क्या कर लोगे?” ये शब्द तुमसे बोले गए हैं, लेकिन उसका इरादा तुम्हें यह बताना नहीं है कि वास्तव में क्या हो रहा है—बोलने वाला तुम्हें यह बताने से इनकार कर रहा है, बल्कि वह तुम्हारे साथ बस खिलवाड़ कर रहा है। यह उपहास है। क्या यह रवैया परमेश्वर के साथ परमेश्वर की तरह पेश आने का कोई भाव दिखाता है? क्या इसमें परमेश्वर का सम्मान करने या उसका भय मानने का कोई भाव है? बिल्कुल भी नहीं—यही शैतान का चेहरा है। जो अफवाहें फैलाते हैं वे इन्हें भाई-बहनों के बीच आसानी से फैला सकते हैं। उन्हें अच्छी तरह पता है कि ये अफवाहें तथ्यात्मक नहीं हैं, फिर भी वे इन्हें फैलाने की पूरी कोशिश करते हैं, ऐसा करने के लिए हर तरह के अवसर और मौके की ताक में रहते हैं। क्या यह शैतान का व्यवहार और नजरिया नहीं है? शैतान इसी तरह काम करता है। वह परमेश्वर के अस्तित्व को स्वीकारता है और जानता है कि परमेश्वर की सभी चीजों पर संप्रभुता है लेकिन उसे उसका थोड़ा-सा भी भय नहीं होता है। यह शैतान का चेहरा है, यह शैतान का प्रकृति सार है। कुछ भाई या बहन कह सकते हैं, “भले ही यह व्यक्ति सत्य का अनुसरण नहीं करता है लेकिन परमेश्वर में उसका विश्वास सच्चा है। जब उसने सुना कि कलीसिया उसे अलग-थलग करने या बाहर निकालने जा रही है, तो वह इतना व्यथित हो गया कि रो पड़ा और बहुत दुखी हो गया; यहाँ तक कि उसके मुँह में छाले भी हो गए! वह परमेश्वर के घर को छोड़ने को तैयार नहीं है; वह परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता है। इसलिए वह चाहे कुछ भी करे, हमें उसके साथ एक भाई की तरह व्यवहार करना चाहिए, उसे प्यार देना चाहिए और सहनशीलता बरतनी चाहिए और यहाँ तक कि जब वह अफवाहें फैलाए, तब भी हमें उसकी मदद और समर्थन करने के लिए उसके साथ प्यार से पेश आना चाहिए।” क्या ये शब्द सही हैं? क्या ये सत्य हैं? (नहीं।) परमेश्वर ने बहुत सारे वचन कहे हैं, फिर भी ये लोग उन पर विश्वास नहीं करते। वहीं, दानव और शैतान चाहे जितनी भी अफवाहें फैलाएँ, ये लोग उन सभी पर विश्वास करते हैं और यहाँ तक कि परमेश्वर पर हमला करने और उसे बदनाम करने के लिए निर्लज्ज होकर ये अफवाहें फैलाते हैं। सिर्फ इसी आधार पर वे भाई या बहन कहलाने लायक नहीं हैं। क्या यह सही है? (हाँ।) चूँकि वे निर्लज्ज होकर अफवाहें फैला सकते हैं, परमेश्वर को बदनाम कर सकते हैं, परमेश्वर पर हमला कर सकते हैं और परमेश्वर के घर और कलीसिया को बदनाम कर सकते हैं, इसलिए हमारे पास उन्हें शैतान के सेवक, शैतान मानने का अच्छा कारण है। वे परमेश्वर के दुश्मन हैं और परमेश्वर के सभी चुने हुए लोगों के दुश्मन हैं। तो हमें अपने दुश्मनों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? (उन्हें ठुकरा देना चाहिए।) सही कहा, हमें उन्हें ठुकरा देना चाहिए।
कुछ लोग सत्य से प्रेम नहीं करते। अफवाहें सुनने के बाद, भले ही वे कलीसिया में उन्हें खुलकर नहीं फैलाते हैं, मगर पर्दे के पीछे से उन लोगों में उन्हें फैलाते हैं जो उनके नजदीकी होते हैं। भेद न पहचानने वाले कुछ लोग इन अफवाहों को सुनने पर नकारात्मक और कमजोर हो जाते हैं; कुछ लोग सभाओं में भाग लेना बंद कर देते हैं, और कुछ कलीसिया से निकल जाते हैं—फिर भी अफवाहें फैलाने वाला व्यक्ति अब भी यह स्वीकार नहीं करता कि उसके अफवाहें फैलाने के कारण ऐसा हुआ। बार-बार की चेतावनियों और संगति के बावजूद, वे ऐसे मामलों का सामना करने पर ऐसा करना जारी रखते हैं, केवल खुद को उजागर करने, भाई-बहनों द्वारा ठुकराए जाने या कलीसिया द्वारा बाहर निकाल दिए जाने के भय से सभाओं में या सार्वजनिक रूप से खुले तौर पर और निर्लज्जता से अफवाहों को फैलाने से परहेज करते हैं, इसके बजाय वे दूसरों को संदेश भेजकर या लोगों से संपर्क करके गुप्त रूप से कुछ अफवाहें फैलाने का विकल्प चुनते हैं। तो क्या ऐसा है कि ऐसे लोग बुरे नहीं हैं? वास्तव में, वे और भी अधिक कपटी हैं। चाहे वे कितना भी गुप्त रूप से कार्य करें, उनकी मंशाएँ और उनके क्रियाकलापों की प्रकृति शैतान के सेवकों के समान ही है। अफवाहें फैलाने का उनका मकसद लोगों के कर्तव्य-पालन में बाधा डालना, लोगों को नकारात्मक और कमजोर बनाना, उनसे परमेश्वर को अस्वीकार करवाना, खुद को परमेश्वर से दूर करना और अपने कर्तव्यों का त्याग करना है। क्या कभी किसी ने कहा है, “अफवाहें फैलाने का मेरा उद्देश्य लोगों के कर्तव्य-पालन में बाधा डालना या उनकी पहल को कमजोर करना नहीं है, बल्कि समझ विकसित करने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उनकी मदद करना है, ताकि जब वे अफवाहें सुनें, तो उनका बचाव हो जाए, वे उन पर विश्वास न करें, सत्य का उचित रूप से अनुसरण कर सकें और शांति से अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें”? क्या कभी किसी ने इस इरादे से अफवाहें फैलाई हैं? (नहीं।) क्या यह दावा सही है? वास्तव में, यह दावा सही नहीं है। जब तक वे अफवाहें फैला सकते हैं, विशेष रूप से वे जो परमेश्वर पर हमला करते हैं, उसकी बदनामी करते हैं और उसका तिरस्कार करते हैं—जब भी वे अपना मुँह खोलते हैं तो ये बातें बेपरवाही से बोलते हैं और बिना किसी संकोच के उन्हें हर जगह फैलाते हैं—चाहे वे कितनी भी अफवाहें फैलाएँ, चाहे अफवाहें खुलेआम फैलाई जाएँ या पीठ पीछे, और चाहे लोगों पर उनका कैसा भी प्रभाव हो, संक्षेप में, अफवाहें फैलाने का उनका उद्देश्य लोगों को सत्य समझने और समझ विकसित करने में मदद करना नहीं है, बल्कि उन्हें परेशान और गुमराह करना है, और उन्हें परमेश्वर पर संदेह करना सिखाना और परमेश्वर से दूर करना है—वे जो कर रहे हैं वह कलीसिया के कार्य में बाधा पैदा करना और उसे नष्ट करना है। इस परिप्रेक्ष्य से, चाहे जिस कारण या संदर्भ में अफवाहें फैलाई जाएँ, अफवाहें फैलाने वाले लोगों का सार निःसंदेह शैतान के सेवकों का है। जो कोई भी अफवाहें फैलाता है, जिनसे परमेश्वर की बदनामी होती है, उस पर हमला होता है और उसका तिरस्कार होता है, वह परमेश्वर का विरोध कर रहा है और परमेश्वर का दुश्मन है। क्या यह सही है? (हाँ।) भले ही तुम अफवाहों के जनक नहीं हो, लेकिन यह तथ्य कि तुम उन्हें फैला सकते हो, साबित करता है कि तुम मानते हो कि अफवाहें सच हैं या आंतरिक रूप से तुम उन पर विश्वास करने के लिए बहुत इच्छुक हो। “अगर केवल अफवाहें सच होतीं, तो मुझे परमेश्वर पर विश्वास करने की आवश्यकता नहीं होती, परमेश्वर परमेश्वर नहीं होता, और परमेश्वर के देहधारण के तथ्य का कोई वजूद नहीं होता। वह केवल एक व्यक्ति होता, और मैं उसके बारे में बेधड़क अफवाहें गढ़ता, उसे बदनाम करता, और उस पर हमला करता और उसकी बदनामी करता।” क्या यही लक्ष्य नहीं है? यदि तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो, लेकिन हमेशा मनमाने ढंग से बोलना और कार्य करना चाहते हो, तो क्या यह परमेश्वर का विरोध करना नहीं है? (हाँ।) कुछ लोग कहते हैं, “क्या यह परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करना है? क्या यह परमेश्वर में कोई आस्था नहीं रखना है?” इसकी प्रकृति बहुत अधिक गंभीर है। यह परमेश्वर का प्रतिरोध करना और उसका विरोध करना है। केवल परमेश्वर के शत्रु ही इस तरह से परमेश्वर का प्रतिरोध और विरोध करते हैं। भ्रष्ट मानवजाति, शैतान के भ्रष्ट स्वभाव के कारण और सत्य की समझ और परमेश्वर के ज्ञान की कमी के कारण, परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह कर सकती है। लेकिन, शैतान परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करने से कहीं अधिक करता है; यह परमेश्वर को धोखा देता है, परमेश्वर का प्रतिरोध करता है, और परमेश्वर का विरोध करता है। यह उसे परमेश्वर का शत्रु बनाता है। परमेश्वर के शत्रुओं और परमेश्वर के बीच का संबंध विरोध का है। विरोध का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है असंगत होना। परिस्थिति या परिवेश चाहे जो भी हो, शैतान का परमेश्वर के प्रति विरोध समय या भूगोल के साथ नहीं बदलता। शैतान का सार परमेश्वर का विरोध करना है, और इसमें कोई बदलाव नहीं होता; शैतान बस परमेश्वर का शत्रु है। परमेश्वर के प्रति शैतान का प्रतिरोध और उसके साथ उसका असंगत होना एक दिन या केवल कुछ वर्षों या दशकों तक नहीं चला है; उसने परमेश्वर का विरोध करना तब से शुरू किया है जब से उसने उसे धोखा दिया। तो यह विरोध कब समाप्त होगा? क्या परमेश्वर कभी शैतान को प्रेरित कर सकेगा और सुधार सकेगा? क्या समय के साथ परमेश्वर के प्रति उसका विरोध धीरे-धीरे कम होता जाएगा? नहीं। वह परमेश्वर का विरोध करना जारी रखेगा। यह विरोध कब गायब होगा? जब परमेश्वर का कार्य समाप्त हो जाएगा, और शैतान ने अपनी सेवा पूरी कर ली होगी और वह किसी काम का नहीं रह जाएगा, और परमेश्वर ने उसे नष्ट कर दिया होगा—तभी यह विरोध समाप्त होगा। और उन लोगों का क्या जो शैतान के सेवक हैं? जब तक वे कलीसिया में हैं, वे कलीसिया, परमेश्वर के घर और परमेश्वर का विरोध करना जारी रखेंगे। कुछ लोग कहते हैं, “वे परमेश्वर में विश्वास करते हैं, कभी-कभी चढ़ावा चढ़ाते हैं, दान देते हैं, और यहाँ तक कि भाई-बहनों की मेजबानी भी करते हैं। वे परमेश्वर का विरोध कैसे कर रहे हैं? वे उसका विरोध नहीं कर रहे हैं; वे कुछ अच्छे कर्म भी करते हैं।” क्या ये शब्द सही हैं? क्या भाई-बहनों की मेजबानी करना और गरीब भाई-बहनों को थोड़ा पैसा देना परमेश्वर के प्रति उनके विरोध को रद्द कर सकता है? क्या यह साबित कर सकता है कि वे परमेश्वर के अनुकूल हैं? (नहीं।) तो यह विरोध कैसे होता है? (यह उनके प्रकृति सार से निर्धारित होता है।) यह सही है, उनका प्रकृति सार परमेश्वर का विरोध करना और उससे दुश्मनी मोल लेना है। ऐसे लोगों के लिए, तुम लोगों को परमेश्वर के वचनों के आधार पर उन्हें पहचानने की जरूरत है : विचार करो कि कौन विभिन्न माध्यमों से परमेश्वर के घर और कलीसिया पर हमला करने और बदनाम करने वाले नकारात्मक प्रचार या अफवाहें इकट्ठा करना पसंद करता है, और कौन इन नकारात्मक चीजों में रुचि रखता है और इन अफवाहों और शैतानी शब्दों पर विश्वास करने को तैयार है। इससे तुम्हें इन छद्म-विश्वासियों के असली चेहरे देखने को मिलेंगे। ये लोग आम तौर पर परमेश्वर के वचनों को नहीं पढ़ते हैं, भाई-बहनों को सत्य की संगति करते हुए सुनते समय उत्साहित नहीं होते हैं, और अपने कर्तव्यों को निभाने में उदासीन होते हैं। उन्हें हमेशा यही लगता है कि परमेश्वर में विश्वास करना दिलचस्प नहीं है। परमेश्वर के घर के वीडियो और कार्यक्रम देखते समय वे किस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं? जब वे धार्मिक लोगों द्वारा की गई सकारात्मक टिप्पणियाँ देखते हैं, तो वे असहज महसूस करते हैं और उन्हें अनदेखा कर देते हैं। लेकिन जब वे धार्मिक लोगों और अविश्वासियों को बड़े लाल अजगर के साथ खड़े होकर, कलीसिया का अपमान करते, परमेश्वर के घर का अपमान करते, और अपने शैतानी शब्दों से भाई-बहनों का अपमान करते हुए देखते हैं, तो वे विशेष रूप से खुश और उत्साहित महसूस करते हैं। जब भी वे इन नकारात्मक प्रचार और अफवाहों को सुनते हैं, तो वे इतने उत्साहित हो जाते हैं जैसे कि उन्हें एड्रिनलिन का इंजेक्शन लगा दिया गया हो, उनके पैरों में स्प्रिंग लगा दिए गए हों और यहाँ तक कि खुशी के मारे नींद से जाग उठते हैं। क्या यह दुष्टता नहीं है? अपने आस-पास के लोगों को देखो कि कौन इस प्रकार के व्यक्ति से संबंधित है; विचार करो कि क्या उनके पास ऐसा स्वभाव है जो सत्य और परमेश्वर से घृणा करता है। यदि तुम्हें वास्तव में ऐसा कोई व्यक्ति मिलता है, तो तुमको विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए और उन्हें पहचानना चाहिए; उनके शब्दों, क्रियाकलापों और चाल-ढाल का निरीक्षण करना चाहिए। एक बार जब तुम पुष्टि कर लेते हो कि वह दुष्ट व्यक्ति है, शैतान का सेवक है, तो तुम्हें उसे अस्वीकार कर देना चाहिए और उसके साथ भाई या बहन जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को जितनी जल्दी हो सके कलीसिया से बाहर निकाल देना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं, “हमें इन लोगों को बाहर क्यों निकाल देना चाहिए? परमेश्वर के घर में, एक और व्यक्ति होने का मतलब है काम करने के लिए शक्ति का एक और स्रोत होना; एक और व्यक्ति होने से यह थोड़ा और जीवंत भी बना देता है। उसने कई सालों से परमेश्वर में विश्वास रखा है, और भले ही वह सत्य से प्रेम नहीं करता या उसका अभ्यास नहीं करता, लेकिन बचपन से ही वह परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता आया है, आकाश में परमपिता परमेश्वर पर विश्वास करता आया है। उसे यह भी विश्वास है कि तुम्हारे तीन फीट ऊपर एक परमेश्वर है, और इससे भी ज्यादा उसे यह विश्वास है कि अच्छाई और बुराई का अपना प्रतिफल होता है। वह आम तौर पर स्पष्ट रूप से बुरे कर्म करने की हिम्मत नहीं करता है और दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है। बात बस इतनी सी है कि उसका यह छोटा सा शौक है; उसे अफवाहें फैलाने और गपशप करने में आनंद आता है। विशेष रूप से, वह बड़े लाल अजगर से आयी अफवाहें फैलाता है जो परमेश्वर पर कीचड़ उछालता है, वह इन बातों को बिना ज्यादा सोचे-समझे दोहराता है, शायद इसलिए क्योंकि वह नादान और अज्ञानी है।” सतही तौर पर, वह बुरे लोगों जैसा नहीं लगता और उसने कलीसिया के काम में विघ्न या बाधा उत्पन्न नहीं की है, लेकिन वह अफवाहें फैलाने में विशेष रूप से सक्रिय है और हमेशा उन्हें फैलाने वाला पहला व्यक्ति बनना चाहता है। क्या लोगों को ऐसे व्यक्तियों के प्रति सतर्क नहीं होना चाहिए? क्या वे शैतान के सेवक नहीं हैं? ऐसे लोगों का सार बिल्कुल स्पष्ट है! वे कभी भी परमेश्वर के वचनों या सत्य में रुचि नहीं रखते हैं, और वे अपना कर्तव्य निभाते समय कभी भी सत्य सिद्धांतों की खोज नहीं करते हैं। वे जो कुछ भी करते हैं, उसमें ईमानदारी नहीं दिखाते हैं, न ही काम में दिल लगाते हैं, और कठिनाई सहन करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। वे बस अनमने ढंग से काम करते हैं और लगातार मजाक करते हुए खानापूर्ति में लगे रहते हैं। अपनी कथनी और करनी से वे किसी को नाराज नहीं करते और सबके साथ मिलजुलकर रहते हैं, दूसरों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हैं—बस उन्हें इकट्ठा होना और अफवाहें फैलाना पसंद है। इन क्रियाकलापों से, क्या हम इन लोगों का चरित्र चित्रण शैतान के सेवक के रूप में कर सकते हैं? (हाँ।) हम ऐसा क्यों कर सकते हैं? क्या यह चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना है? (नहीं।) उन्हें सत्य का अनुसरण करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। जैसे ही वे कोई धर्मोपदेश सुनते हैं, वे उनींदे हो जाते हैं; जैसे ही परमेश्वर के वचनों पर संगति की जाती है, उन्हें विकर्षण और बेचैनी महसूस होने लगती है, पानी पीने या बाथरूम जाने के लिए लगातार उठते रहते हैं, हमेशा अंदर से बेचैनी महसूस करते हैं—संगति सुनना उन्हें यातना सहने जितना ही बेहद कठिन लगता है। लेकिन, जैसे ही वे शैतान की अफवाहें या अविश्वासियों के शैतानी शब्द सुनते हैं, उनकी रुचि बढ़ जाती है, वे उत्साहित हो जाते हैं, और वे बड़ी पहल के साथ इन अफवाहों और शैतानी शब्दों को फैलाना शुरू कर देते हैं। क्या ऐसे लोग भाई-बहन हैं? नहीं। वे सत्य से विमुख हैं और अपने दिल की गहराइयों में सत्य से नफरत करते हैं। परमेश्वर और उसके कार्य से संबंधित मामलों के बारे में, चाहे वह परमेश्वर की पहचान और सार हो, परमेश्वर की स्थिति हो, परमेश्वर की गरिमा हो, या वह देह हो जिसे परमेश्वर ने धारण किया है, वे दिल से इन चीजों से नफरत करते हैं। उनमें परमेश्वर का भय मानने वाला दिल बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए, वे हमेशा परमेश्वर और उसके कार्य के बारे में धारणाएँ रखते हैं। वे शैतान की सभी तरह की अफवाहों और शैतानी शब्दों को आसानी से दोहरा सकते हैं, इस प्रकार अंतरात्मा को कचोटे बिना उन्हें फैलाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह किस तरह का दुष्ट है? क्या वे परमेश्वर के विश्वासी हैं? (नहीं।) ये उन लोगों के क्रियाकलाप हैं जो मौखिक तौर पर परमेश्वर को मानते हैं और उसका अनुसरण करने का दावा करते हैं, जिनका विश्वास है कि आकाश में एक परमपिता परमेश्वर है, जो मानते हैं कि तुम्हारे तीन फीट ऊपर एक परमेश्वर है, और अच्छाई और बुराई का अपना-अपना प्रतिफल होता है। परमेश्वर के प्रति उनका यही रवैया है। अगर कोई उनके माता-पिता का अपमान करता है या उनकी पीठ पीछे उनके माता-पिता के बारे में अफवाहें फैलाता है, तो वे निःसंदेह मरते दम तक लड़ेंगे। लेकिन, जब कोई परमेश्वर का अपमान करता है, परमेश्वर पर हमला करता है या परमेश्वर की बदनामी करता है, तो न केवल परेशान नहीं होते हैं, बल्कि वे इसे मजाक के तौर पर दोहरा सकते हैं और इसे हर जगह फैला भी सकते हैं। परमेश्वर के अनुयायी को ऐसा कुछ करना चाहिए? (नहीं।) तो क्या कई लोगों का इन छद्म-विश्वासियों को भाई-बहनों के रूप में मानना उचित है? (नहीं।) इसलिए, जब ऐसे लोगों पर शैतान के सेवक होने का संदेह होता है, तो दूसरों को सतर्क हो जाना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को तुरंत भाई-बहनों को इन लोगों से सावधान रहने के लिए सूचित करना चाहिए, ताकि हर कोई उन्हें पहचान सके। एक बार जब शैतान के सेवक या शैतान के रूप में उनकी पुष्टि हो जाती है, तो सभी को सामूहिक रूप से उन्हें ठुकरा देना चाहिए और उन्हें कलीसिया से बाहर निकाल देना चाहिए। क्या यह सिद्धांतों के अनुरूप है? (बिल्कुल है।) तो फिर यही किया जाना चाहिए।
The Bible verses found in this audio are from Hindi OV and the copyright to the Bible verses belongs to the Bible Society of India. With due legal permission, they are used in this production.
परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2025 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।