अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (11) खंड चार

जब परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक वस्तुएँ आवंटित करने के कार्य की बात आती है, तो नकली अगुआ परमेश्वर के घर द्वारा अपेक्षित सिद्धांतों के अनुसार ऐसा करने में असमर्थ ही नहीं होते, बल्कि वे अपनी बहुत-सी व्यक्तिगत भावनाएँ, प्राथमिकताएँ, इच्छाएँ और साथ ही अपनी व्यक्तिगत समझ भी इसमें मिला देते हैं। वे इस कार्य को गड्ड-मड्ड करके उलझा देते हैं जिसमें कोई कहने लायक सिद्धांत बिल्कुल नहीं होता। इसलिए जब कोई नकली अगुआ परमेश्वर के घर की विभिन्न वस्तुओं का प्रबंधन कर रहा होता है तो, ऐसी परिस्थितियों में जहाँ कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है, अक्सर चीजें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, बेवजह बर्बाद हो जाती हैं या गायब हो जाती हैं और उनका हिसाब सही नहीं बैठता। कुछ अन्य वस्तुएँ लोग बिना रजिस्टर में लिखे या बिना बताए अपने निजी उपयोग के लिए ले जाते हैं। नकली अगुआ सामान्य मामलों के ऐसे सरल कार्य का प्रबंधन भी अच्छी तरह से नहीं कर सकते। वे इस कार्य को अव्यवस्थित कर देते हैं, फिर भी वे यह सोचकर सहज महसूस करते हैं कि उन्होंने बहुत काम किया है। नकली अगुआ परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक वस्तुओं का नियमित निरीक्षण, रखरखाव और देखभाल कभी नहीं करते; दिल से वे इन वस्तुओं के बारे में जरा भी परवाह नहीं करते। मान लो तुम उनसे पूछते हो, “क्या कोई इन उपकरणों का रखरखाव और देखभाल करता है? क्या इनकी मरम्मत करते समय स्पेयर पार्ट्स खरीदने में फिजूलखर्ची के मामले हुए हैं? या किसी के द्वारा ज्यादा खर्च किए जाने या ठगे जाने के मामले हुए हैं? क्या इन घटनाओं के बाद किसी को जवाबदेह ठहराया गया? क्या किसी पर जुर्माना लगाया गया या चेतावनी दी गई?” नकली अगुआ इनमें से कुछ नहीं जानते या इनमें से किसी की परवाह नहीं करते। क्या परमेश्वर के घर के लिए चीजें खरीदते समय पैसे नाजायज तरीके से खर्च किए गए थे, क्या उन चीजों को खरीदने के बाद उनका प्रबंधन करने के लिए किसी को नियुक्त किया गया था, क्या खरीदी गई चीजें उपयुक्त हैं और क्या उनका प्रभावी उपयोग किया जा सकता है, अगर नहीं तो क्या उन्हें निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर वापस किया गया या बदला गया था—वे इनमें से कुछ नहीं जानते। वे इतने मूर्ख हैं—वे कुछ नहीं जानते। नकली अगुआ सिर्फ यही सोचते हैं कि सभाओं में धर्म-सिद्धांतों का उपदेश कैसे दें ताकि लोग उनका सम्मान करें; जब वस्तुओं के प्रबंधन के विशिष्ट मामले की बात आती है तो उनमें कोई कार्य क्षमता नहीं होती, न ही उनका इस मामले के प्रति कोई रवैया होता है। वे नहीं जानते कि यह वह कार्य है जो उन्हें करना चाहिए, न ही वे यह जानते हैं कि इसे कैसे करना है। नकली अगुआओं का परमेश्वर के घर की वस्तुओं के बारे में यह दृष्टिकोण होता है कि वे सभी की हैं, इसलिए जो कोई भी किसी चीज का इस्तेमाल करना चाहे वह कर सकता है और जिसे किसी चीज की जरूरत हो वह उसे ले सकता है या उच्च अधिकारियों से उसके लिए आवेदन कर सकता है—यह सभी का अधिकार है और परमेश्वर के घर की वस्तुएँ किसी व्यक्ति के प्रबंधन या नियंत्रण में नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर कोई व्यक्ति मशीन तोड़ दे या खो दे तो वे परवाह नहीं करते और अगर कोई कुछ खरीदने के लिए आवेदन करता है तो वे इस बात की भी परवाह नहीं करते कि वह महँगी है या सस्ती। तथ्य यह है कि परमेश्वर के घर में इन चीजों के लिए नियम हैं। अगर अगुआ और कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते हैं और परमेश्वर के घर के सिद्धांतों के अनुसार उचित जाँच करते हैं तो ऐसे तमाम नुकसानों और बर्बादी से बचा जा सकता है। लेकिन नकली अगुआ यह सबसे आसान कार्य भी नहीं करते जो नुकसान रोक सकता है। क्या वे परमेश्वर के घर का खाना मुफ्त में नहीं खा रहे हैं? क्या वे मुफ्तखोरी नहीं कर रहे हैं? क्या यह नकली अगुआओं के “नकलीपन” की एक विशिष्ट अभिव्यक्ति नहीं है? अगर तुम्हारा सामना ऐसे किसी अगुआ से हो जाए तो तुम लोग उससे कैसे निपटोगे? (उसे बर्खास्त कर देंगे।) बस उसे बर्खास्त कर दोगे, और हो गया? क्या तुम्हें उसे एक-दो सबक सिखाने की जरूरत नहीं है? “वह मशीन वहाँ रखी थी, उसमें सीलन आ गई और किसी ने कई दिनों तक उसकी जाँच नहीं की। यह स्पष्ट नहीं है कि उसमें बिजली अभी भी जाती है या चूहों ने उसके तार कुतर दिए हैं। तुम इन चीजों की चिंता क्यों नहीं करते? मैं जिस कंप्यूटर का इस्तेमाल करता हूँ वह टूटा हुआ है और उसे मरम्मत की जरूरत है। अगर उसकी मरम्मत नहीं की गई तो कार्य में देरी होगी। फिर भी मैंने तुमसे इसके लिए कई बार आवेदन किया है—तुमने ध्यान क्यों नहीं दिया? तुम सिर-कटे मुर्गे की तरह पूरे दिन आँख मूँदकर किस काम में व्यस्त रहते हो? जब तुम जैसे अगुआ पर कार्य करने का भरोसा किया जाता है तो तुम पूरे काम में देरी करते हो और तमाम मशीनें और भौतिक वस्तुएँ तुम्हारे हाथों नष्ट हो जाती हैं। तुम परमेश्वर के घर की विभिन्न वस्तुओं की देखभाल या प्रबंधन नहीं करते। तुम अगुआ होने लायक नहीं हो—जल्दी करो और पद छोड़ दो!” क्या उसे इस तरह से डाँटना ठीक है? (हाँ।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं को डाँटने की हिम्मत करने वाले व्यक्ति में क्या होता है? पहले तो उसे बहादुर होना चाहिए और उसमें न्याय की भावना होनी चाहिए। कुछ लोग कह सकते हैं, “मैं अगुआओं और कार्यकर्ताओं को डाँटने की हिम्मत नहीं करूँगा। वे अधिकारी हैं और मैं सिर्फ प्यादा हूँ, मेरा पद उनसे बहुत नीचे का है। उनके पास सत्य है और वे धर्मोपदेश दे सकते हैं। मैं किसी भी चीज में अच्छा नहीं हूँ और उन्हें डाँटने की स्थिति में नहीं हूँ।” क्या यह एक बदमाश का तर्क नहीं है? (हाँ, है।) तो फिर तुम लोग ऐसे अगुआ को कैसे डाँटोगे? “अगर तुम यह काम कर सकते हो तो इसे करने की पूरी कोशिश करो और इसे परमेश्वर के घर के सिद्धांतों के अनुसार करो। तुम हमारे लिए जो भी व्यवस्था करोगे, हम उसका पालन करेंगे। लेकिन अगर तुम इस काम को करने की पूरी कोशिश नहीं करते, अगर तुम इसे परमेश्वर के घर के सिद्धांतों के अनुसार नहीं करते, तो तुम हमसे अपनी बात सुनने की उम्मीद नहीं कर सकते! इसके अलावा, अगर तुम कोई वास्तविक कार्य नहीं करते, तो हमें तुम्हें तुम्हारे पद से हटाकर बाहर निकालने का अधिकार है! अगर तुम किसी को नुकसान पहुँचाना ही चाहते हो तो खुद को नुकसान पहुँचाओ—तुम्हें हम सभी को नुकसान पहुँचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।” क्या तुम लोग उसे इस तरह से डाँटने की हिम्मत करोगे? (हाँ।) तुम अभी ऐसा कहते हो; लेकिन जब ऐसा करने का समय आएगा तो क्या तुम वास्तव में ऐसा करोगे? आम तौर पर सत्य सिद्धांतों और महत्वपूर्ण मामलों से जुड़ी चीजों के बारे में तुम लापरवाही से बात करने की हिम्मत नहीं करते, क्योंकि तुम डरते हो कि अंतर्दृष्टि का अभाव और बोलने में स्पष्टता की कमी का मतलब यह हो सकता है कि तुम सिर्फ अगुआओं और कार्यकर्ताओं की आलोचना करके गड़बड़ी पैदा कर रहे हो। लेकिन तुम्हें भौतिक वस्तुओं के प्रबंधन के मामले में अंतर्दृष्टि रखने में सक्षम होना चाहिए; तुम्हें इस मामले में समझदारी सीखनी चाहिए और उसके सिद्धांत समझने चाहिए।

एक आदमी था जो फिल्म निर्माण टीम में कपड़ों का प्रभारी था। वह अपने कामों में उच्छृंखल था और हमेशा नजर बचाकर परमेश्वर के घर की वस्तुओं का दुरुपयोग करता था। जब उसने फिल्म निर्माण टीम छोड़ी तो वह कुछ चीजें अपने साथ ले गया और बाद में खातों की जाँच से पता चला कि उसने बहुत सारा पैसा लिया था जिसका हिसाब नहीं मिल रहा था। इसके अलावा, हालाँकि वह काम नहीं कर रहा था, फिर भी उसके पास पैसे थे और उसने बहुत-सी महँगी चीजें भी खरीदी थीं। जब वह फिल्म निर्माण टीम में था तो बहुत-से लोग उसकी चापलूसी करते थे और वे सभी उससे अच्छे संबंध बनाना चाहते थे ताकि जब उन्हें कपड़ों की जरूरत हो तो बस उनके कहते ही वह उन्हें कुछ कपड़े दे दे। अगर किसी व्यक्ति के उससे खराब संबंध थे तो वह उसे वे कपड़े भी नहीं देता था जो उसे मिलने चाहिए थे। यह क्या समस्या है? यह प्रबंधन कर्मियों की समस्या है। एक ओर वह खुद इन चीजों का दुरुपयोग कर रहा था; दूसरी ओर उसने परमेश्वर के घर की वस्तुएँ सिद्धांतों के अनुसार आवंटित नहीं कीं, बल्कि वह अपनी भावनाओं, अपनी इच्छा और अपने संबंधों के हिसाब से चला। सिद्धांतों के अनुसार इस व्यक्ति को दूर कर देना चाहिए था। यह एक स्पष्ट समस्या थी। नकली अगुआ ने न सिर्फ ऐसा नहीं किया, बल्कि उसे एक अच्छा व्यक्ति समझकर उसे अपना कर्तव्य निभाने के लिए दूसरी जगह भेजने की व्यवस्था भी कर दी। क्या यह गलती को और बढ़ाना नहीं था? तुम क्या सोचते हो, यह कार्य कैसे किया गया? क्या यह सिद्धांतों के अनुरूप था? क्या इस अगुआ ने वे जिम्मेदारियाँ निभाईं जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को निभानी चाहिए? (नहीं।) इस बात को एक तरफ रखते हुए कि अगुआ उस व्यक्ति से इस तरह निपटने से क्या लाभ प्राप्त कर सकता था—सिर्फ इस बात से आँकते हुए कि वह मामले से कैसे निपटा, इसकी प्रकृति क्या थी? यह भावनाओं के आधार पर एक बुरे व्यक्ति को आश्रय देने और उससे परमेश्वर के घर के सिद्धांतों के अनुसार नहीं निपटने की प्रकृति थी। तो इसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की दसवीं मद से जोड़ने पर, इस तरह के अगुआ और कार्यकर्ता परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक वस्तुओं के साथ पेश आने में क्या गलती करते हैं? क्या इस अगुआ ने अपनी जिम्मेदारियाँ निभाईं? क्या उसका इस मामले को सँभालने का तरीका परमेश्वर के घर की वस्तुओं की सुरक्षा करने पर आधारित था? निश्चित रूप से ऐसा नहीं था। उसने परमेश्वर के घर की वस्तुओं को गंभीरता से नहीं लिया, यहाँ तक कि उसने आँख मूँदकर इन चीजों को बुरे व्यक्ति को बर्बाद करने या अपनी मर्जी से ले जाने दिया। अगर दूसरे लोग उसकी चीजों को क्षतिग्रस्त करें या उन पर कब्जा कर लें तो क्या वह उससे इसी तरह से निपटेगा? नहीं—तब वह बदला और मुआवजा लेने के बारे में सोचेगा। तो उसने परमेश्वर के घर की वस्तुओं को उस तरह से क्यों नहीं सँभाला? उसने यह तक कहा, “अगर वह चाहे तो कुछ वस्तुएँ ले सकता है—वह बहुत ज्यादा नहीं ले रहा है। अगर वह चाहे तो इन चीजों का थोड़ा-बहुत दुरुपयोग कर सकता है—ऐसा करने की थोड़ी-बहुत इच्छा किसमें नहीं होती? वह जो थोड़ी-सी राशि का दुरुपयोग करता है, उससे क्या फर्क पड़ता है? ऐसा नहीं है कि इससे दूसरों को कम मिल रहा है।” यह किस तरह का रवैया है? क्या परमेश्वर के घर की वस्तुओं के प्रति अगुआओं और कार्यकर्ताओं का यही रवैया होना चाहिए? (नहीं।) क्या वे जिस पत्तल में खाते हैं उसी में छेद नहीं कर रहे? और अंत में उसने क्या तर्क दिया? “उसे इन चीजों का दुरुपयोग करने दो—हमें उसके साथ हिसाब चुकता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन छोटी-मोटी धनराशियों और वस्तुओं का मूल्य ही कितना है? मसीह-विरोधी उससे कहीं ज्यादा का दुरुपयोग करते हैं। उसके द्वारा इन वस्तुओं का दुरुपयोग करना उसके और परमेश्वर के बीच का मामला है—यह उसे देखना है कि समय आने पर वह परमेश्वर के सामने अपना हिसाब कैसे देगा। इसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है।” किसी अगुआ को ऐसी बात कहते सुनकर तुम लोगों में कौन-से विचार और भावनाएँ आती हैं? न्याय की थोड़ी-सी भी समझ रखने वाला, जमीर की थोड़ी-सी भी जागरूकता रखने वाला कोई भी व्यक्ति ये शब्द सुनकर मन ही मन रोएगा और अत्यंत दुखी और निराश होगा, भले ही वह एक साधारण अनुयायी ही क्यों न हों, अगुआ या कार्यकर्ता होने की तो बात ही छोड़ो! इस तरह का नकली अगुआ परमेश्वर के बहुत-से अनुग्रह और उसकी सुरक्षा, और उसके बहुत-से सत्यों का आनंद लेता है, लेकिन फिर भी वह परमेश्वर के घर की वस्तुओं के प्रति इस तरह का निष्ठुर रवैया रखता है। क्या उसमें मानवता होती है? क्या वह अगुआ या कार्यकर्ता बनने के योग्य होता है? (नहीं।) एक बार ऐसे व्यक्ति को बर्खास्त कर दिया जाए तो क्या वह भविष्य में अगुआ या कार्यकर्ता बनने के योग्य होता है? (नहीं—उसकी मानवता खराब होती है।) उसकी खराब मानवता कैसे अभिव्यक्त होती है? (उसके द्वारा परमेश्वर के घर के हित कायम नहीं रखने से।) वह कौन-सा विशिष्ट क्रियाकलाप है जिसमें वह परमेश्वर के घर के हित कायम नहीं रखता? इस विशिष्ट अभिव्यक्ति का सार क्या होता है? ऐसे लोगों के इरादे सही नहीं होते और वे निम्न चरित्र के होते हैं; वे बहुत अच्छी तरह बोलते हैं लेकिन कुछ भी वास्तविक नहीं करते। ऐसे लोग अगुआ और कार्यकर्ता बिल्कुल नहीं होने चाहिए। जिनके इरादे सही नहीं होते वे सत्य के प्रेमी नहीं होते, बल्कि अपने फायदे के लिए काम करते हैं; जिनके इरादे सही नहीं होते वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते और कलीसिया का कार्य या परमेश्वर के घर के हित बिल्कुल भी कायम नहीं रखते।

पहली बुनियादी चीज जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करनी चाहिए, वह है परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक वस्तुओं की उचित निगरानी रखना, उचित तरीके से जाँच करना और परमेश्वर के घर की ठीक से रखवाली करना, बुरे लोगों को कोई भी वस्तु खराब या बर्बाद नहीं करने देना या उस पर कब्जा नहीं करने देना। उन्हें कम से कम इतना तो करना ही चाहिए। जैसे ही तुम्हें अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में चुना जाता है, परमेश्वर का घर तुम्हें अपना प्रबंधक मानता है : तुम प्रबंधकीय वर्ग से हो और तुम्हारे द्वारा अपने कंधों पर लिया गया कार्य दूसरों के कार्य की तुलना में भारी होता है। तुम पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसीलिए तुम्हारा हर रवैया, तुम्हारा हर क्रियाकलाप, समस्याओं से निपटने की तुम्हारी हर योजना और समस्याएँ हल करने का तुम्हारा हर तरीका, सभी में परमेश्वर के घर के हित शामिल रहते हैं। अगर तुम परमेश्वर के घर के हितों पर विचार तक नहीं करते या उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, तो तुम उसके घर के प्रबंधक बनने के योग्य नहीं हो। यह किस तरह का व्यक्ति है? वह परमेश्वर के घर का प्रबंधक बनने के योग्य क्यों नहीं है? नकली अगुआओं में कुछ ऐसे भी हैं जिनकी सिर्फ काबिलियत ही खराब नहीं हैं—बल्कि उनकी मुख्य समस्या यह है कि वे कोई दायित्व नहीं उठाते; वे नहीं जानते कि काम कैसे करना है लेकिन सत्य नहीं खोजते और वे न्यूनतम जिम्मेदारियाँ निभाने में भी असमर्थ रहते हैं जो एक प्रबंधक को निभानी चाहिए। उनमें जमीर या विवेक नहीं होता। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके इरादे सही नहीं होते, वे अधम चरित्र के और स्वार्थी और नीच होते हैं; वे कलीसिया के कार्य को बिल्कुल भी कायम नहीं रखते, बल्कि अक्सर कलीसिया के हितों को नुकसान पहुँचाते हैं और उनके साथ विश्वासघात करते हैं, लोगों की चापलूसी करते हैं और कलीसिया के हितों को नुकसान पहुँचाने की कीमत पर अन्य लोगों के साथ अपने संबंध बनाए रखते हैं। वे बुरे लोगों को परमेश्वर के घर की भौतिक वस्तुओं को नुकसान पहुँचाने, बर्बाद करने, खोने, यहाँ तक कि उन पर कब्जा करने देते हैं और इसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं करते या इसके बारे में थोड़ी-सी भी कर्जदारी महसूस नहीं करते या उन्हें थोड़ा-सा भी अपराधबोध नहीं होता। इसलिए जब अगुआओं और कार्यकर्ताओं को चुनने की बात आती है तो इसे मानवता के परिप्रेक्ष्य से देखने पर वह सबसे बुनियादी चीज क्या है जो उनमें होनी चाहिए? उनमें जमीर और न्याय की भावना होनी चाहिए और उनके इरादे सही होने चाहिए। उनकी मानवता पहले निर्धारित मानदंडों पर खरी उतरनी चाहिए। उनमें चाहे जितनी भी कार्यक्षमता या जिस भी स्तर की काबिलियत हो, इस तरह के लोग अगर पर्यवेक्षक के रूप में काम करेंगे तो ही वे प्रबंधक के रूप में मानक स्तर के होंगे। कम से कम वे परमेश्वर के घर के हित और भाई-बहनों के सामान्य हित बनाए रखने में सक्षम होंगे। वे भाई-बहनों के हितों के साथ विश्वासघात बिल्कुल नहीं करेंगे और न ही परमेश्वर के घर के हितों के साथ विश्वासघात करेंगे। जब परमेश्वर के घर और भाई-बहनों के हितों को नुकसान या चोट पहुँचने वाली होगी, वे उससे पहले ही इसके बारे में सोच लेंगे और वे पहले व्यक्ति होंगे जो आगे आकर उनकी रक्षा करेंगे, भले ही ऐसा करने से उनकी अपनी सुरक्षा खतरे में पड़ जाए या उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़े या कष्ट उठाना पड़े। ये सभी ऐसी चीजें हैं जो जमीर और विवेक वाले लोग कर सकते हैं। कुछ नकली अगुआ और कार्यकर्ता खतरनाक परिस्थितियों से सामना होने पर खुद को छिपाने के लिए भागकर सुरक्षित जगह ढूँढ़ने लगते हैं, लेकिन परमेश्वर के घर की महत्वपूर्ण वस्तुओं—परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें, सेलफोन, कंप्यूटर इत्यादि—की वे न तो परवाह करते हैं न ही उनके बारे में पूछताछ करते हैं। अगर उन्हें इस बात की चिंता होती कि उनके गिरफ्तार होने पर कलीसिया के कार्य की दीर्घकालीन परियोजना पर क्या असर पड़ेगा, तो वे इन चीजों को सँभालने के लिए दूसरों को भेज सकते थे—लेकिन ये नकली अगुआ सिर्फ अपनी सुरक्षा की खातिर छिप जाते हैं। वे मौत से डरते हैं और वे जो कर सकते हैं वह नहीं करते ताकि वे सुरक्षित रह सकें। इसलिए ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ नकली अगुआओं की लापरवाही, निष्क्रियता और गैरजिम्मेदारी के कारण परमेश्वर के घर की विभिन्न वस्तुएँ और परमेश्वर को चढ़ाए गए चढ़ावे खतरनाक स्थितियाँ आने पर बड़े लाल अजगर द्वारा लूट लिए जाते हैं, जिससे गंभीर नुकसान होता है। जब कलीसिया में ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई ही होती हैं तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं का पहला विचार परमेश्वर के घर के उपकरण और भौतिक वस्तुएँ उपयुक्त स्थानों पर रखने, उन्हें प्रबंधन के लिए उपयुक्त लोगों को सौंपने का होना चाहिए; बड़े लाल अजगर को उन्हें नहीं ले जाने देना चाहिए। लेकिन नकली अगुआओं के मन में कभी ऐसी बातें नहीं आतीं; वे परमेश्वर के घर के हितों को कभी पहले नहीं रखते, इसके बजाय वे अपनी सुरक्षा को पहले रखते हैं। वास्तविक कार्य करने में नकली अगुआओं की विफलता के कारण अक्सर परमेश्वर के घर की विभिन्न महत्वपूर्ण वस्तुओं को नुकसान या क्षति पहुँचती है। क्या यह नकली अगुआओं द्वारा जिम्मेदारी की गंभीर उपेक्षा नहीं है? (हाँ, है।)

अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की दसवीं मद के संबंध में नकली अगुआओं की वह मुख्य अभिव्यक्ति क्या है जिसे हम उजागर कर रहे हैं? परमेश्वर के घर की भौतिक वस्तुओं के प्रति नकली अगुआओं का रवैया उदासीनता और उपेक्षा का होता है; वे सिद्धांतों के अनुसार नहीं चलते, बल्कि अपनी कल्पनाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर उन चीजों को बेतरतीबी से आवंटित करते हैं। जब वे चीजों का प्रबंधन कर रहे होते हैं तो अक्सर परमेश्वर के घर की वस्तुएँ कमोबेश क्षतिग्रस्त और बर्बाद हो जाती हैं, जिससे परमेश्वर के घर के कार्य का नुकसान होता है। यह नकली अगुआओं की मुख्य अभिव्यक्ति है। नकली अगुआ सामान्य मामलों का यह सबसे सरल, एकल कार्य भी नहीं सँभाल सकते; वे इसे कर ही नहीं पाते या इसे अच्छी तरह से नहीं कर सकते—तो फिर वे क्या कर सकते हैं? इसलिए जब तुम ऐसे लोगों को अगुआओं के रूप में कार्य करते हुए देखो तो तुम उनके कार्य का निरीक्षण और पर्यवेक्षण कर सकते हो। अगर वे सामान्य मामलों वाले इस एकल कार्य को भी बर्बाद कर देते हैं, वह भी नहीं करते जो वे कर सकते हैं और जब उनके पास समय नहीं होता तो इसे करने के लिए अन्य उपयुक्त लोगों को नहीं ढूँढ़ते तो ऐसे अगुआ तुरंत बर्खास्त कर दिए जाने चाहिए और उनके पदों से हटा दिए जाने चाहिए। परमेश्वर का घर उनका कभी उपयोग नहीं करेगा। क्या यह उचित है? (हाँ, उचित है।) क्यों? जिस व्यक्ति के इरादे सही नहीं होते, जिसकी समझ विकृत होती है और जो सिर्फ अपनी भावनाओं और अपनी स्वार्थपूर्ण, नीच महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं के अनुसार कार्य करता है, वह भरोसेमंद नहीं होता। अविश्वसनीय व्यक्ति कौन-सा कार्य अच्छी तरह से कर सकता है? वह कौन-सा कर्तव्य अच्छी तरह से निभा सकता है? क्या वह निष्ठा के साथ कर्तव्य निभाने में सक्षम होता है? (नहीं।)

अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की दसवीं मद पर आज की संगति के जरिये क्या मैंने अगुआओं और कार्यकर्ताओं से अपेक्षित सिद्धांतों और मानकों में से एक और को स्पष्ट रूप से नहीं समझा दिया है? यहाँ जो शामिल है वह काबिलियत का सवाल नहीं है, न ही यह कार्यक्षमता का सवाल है, बल्कि मानवता का सवाल है। उन लोगों का निरीक्षण करो जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं के रूप में सेवा कर रहे हैं या जिन्हें कलीसिया विकसित कर रही है और देखो कि क्या उनमें से कोई ऐसा है जिसकी मानवता खराब है और जिसके इरादे सही नहीं हैं, जिसकी मानवता दसवीं मद में गहन-विश्लेषित नकली अगुआओं जैसी ही है। अगर तुम्हें वाकई ऐसे अगुआ और कार्यकर्ता मिलें, तो तुम्हें उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए और याद रखना चाहिए कि ऐसे लोगों को कभी अगुआ के रूप में नहीं चुनना है और ऐसे लोगों को कभी अगुआ और कार्यकर्ता बनने के लिए विकसित नहीं करना है। अगर कुछ लोग उन लोगों का चरित्र नहीं समझते और उन्हें चुन लेते हैं तो तुरंत उनकी रिपोर्ट करो। उन्हें अगुआ और कार्यकर्ता बनने का मौका मत दो। वे लोग वास्तविक कार्य करने के लिए अगुआ और कार्यकर्ता नहीं बनते, बल्कि कलीसिया का कार्य नष्ट करने के लिए बनते हैं। अगर वे अगुआ बन जाते हैं तो इसके परिणामस्वरूप परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक वस्तुएँ बर्बाद हो जाएँगी। क्या तुम लोग ऐसा परिणाम देखने के लिए तैयार हो? (नहीं।) तो फिर तुम्हें ऐसे लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? अगर वे वर्तमान में अगुआ के रूप में सेवा कर रहे हैं, तो उनकी रिपोर्ट करो और उन्हें उनके पदों से हटा दो। अगर वे वर्तमान में अगुआ के रूप में सेवा नहीं कर रहे हैं, अगर वे अभी चुने नहीं गए हैं तो सभी को बताओ : “यह व्यक्ति अच्छा नहीं है। इसे मत चुनो, चाहे कुछ भी करो; यह कलीसिया के लिए हानिकारक होगा।” और अगर लोग धोखे में आकर और गुमराह होकर उन्हें चुन लेते हैं तो तुम्हें तुरंत सभी को सूचित करना चाहिए : “हमने आज कुछ गलत कर दिया। हमने खराब मानवता वाले एक ऐसे व्यक्ति को अपना अगुआ चुन लिया, जिसके इरादे सही नहीं हैं। अब जबकि हमने ऐसा कर दिया है तो परमेश्वर के घर के हितों को नुकसान और क्षति पहुँचेगी। परमेश्वर के घर के हितों और विभिन्न वस्तुओं को नुकसान से बचाने के लिए हमें उसे तुरंत उसके पद से हटाना होगा। हमें उसे उसके षड्यंत्र में सफल नहीं होने देना चाहिए।” क्या ऐसा करना उचित है? (हाँ, उचित है।)

अगुआओं और कार्यकर्ताओं के रूप में चुने जाने वाले लोगों में काबिलियत और कार्यक्षमता होनी आवश्यक है; अब उनके चरित्र से संबंधित अपेक्षाएँ भी हैं। तुम लोग क्या कहते हो, क्या ऐसा है कि ज्यादातर लोग अगुआ और कार्यकर्ता होने के मानदंड पूरे नहीं करते? इन तीनों में से क्या सबसे महत्वपूर्ण है? (मानवता।) और दूसरी? (कार्यक्षमता।) उसके बाद? (उनमें काबिलियत है या नहीं।) यह क्रम काफी सटीक है। जब तुम लोग भविष्य में अगुआओं का चुनाव करो, तो उन्हें इसी क्रम के अनुसार मापना। कुछ लोग कहते हैं, “इस क्रम में एक समस्या है। मान लो मानवता पहले आती है, और कुछ लोग हैं जिनकी मानवता तो अच्छी है लेकिन काबिलियत खराब है, और अगर वे अगुआ के रूप में चुन लिए जाते हैं तो वे कोई वास्तविक कार्य करने में सक्षम नहीं होंगे—तो क्या फिर भी केवल लोगों की मानवता पर विचार करना ठीक है?” लोगों की मानवता सबसे महत्वपूर्ण है और यह पहली चीज है जिस पर तुम्हें ध्यान देना चाहिए, लेकिन अगुआओं और कार्यकर्ताओं का चुनाव करते समय केवल यही एक विचारणीय चीज नहीं है। अगर व्यक्ति की मानवता मानक स्तर की हो, तो फिर उसकी कार्यक्षमता देखो। अगर उसमें कार्यक्षमता की कमी हो और वह कोई वास्तविक काम न कर सकता हो, तो तुम उससे ऐसा काम करने के लिए कह सकते हो, जो उसकी क्षमताओं पर भारी न पड़े। अगर वह अच्छी इंसानियत का हो, काम अपने कंधों पर लेकर उसे अच्छी तरह से करने की पूरी कोशिश कर सकता हो और भरोसेमंद हो, परमेश्वर के घर को उसका उपयोग करने में कोई आशंका न हो, और वह ज्यादातर भाई-बहनों के लिए शिक्षाप्रद, मददगार और फायदेमंद हो, तो वह पर्याप्त अच्छा है। अगर उसकी काबिलियत खराब है और उसमें कार्यक्षमता नहीं है या फिर वह अपनी कार्यक्षमता के मामले में औसत है, तो उससे कोई साधारण काम या एक ही काम करवाओ। अगर उसमें अच्छी काबिलियत और मजबूत कार्यक्षमता है तो वह कोई महत्वपूर्ण कार्य या कई विभिन्न कार्य कर सकता है। क्या तुम इस तरह की व्यवस्था करने का प्रबंध भी नहीं कर सकते? अगर वह तुच्छ मानवता वाला है और उसके इरादे सही नहीं हैं, तो चाहे उसकी कार्यक्षमता कितनी भी बढ़िया क्यों न हो, क्या वह काम अच्छी तरह से कर पाएगा? (नहीं।) अगर वह किसी कंपनी या कुछ कर्मचारियों का प्रबंधन कर रहा होता, तो शायद कोई समस्या न होती—लेकिन अगर उससे परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक वस्तुओं का प्रबंधन करने के लिए कहा जाए, तो क्या समस्याएँ पैदा होंगी? सबसे पहले, वह उन वस्तुओं का प्रबंधन या रखरखाव परमेश्वर के घर द्वारा अपेक्षित सिद्धांतों के अनुसार बिल्कुल नहीं करेगा। उसके इरादे सही नहीं होते, वह सत्य से प्रेम नहीं करता और उसके दिल में षड्यंत्रों के अतिरिक्त कुछ नहीं होता, दुष्ट विचारों और सोच के अतिरिक्त कुछ नहीं होता, इसलिए जब भी वह कार्य करता है, अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार और अपने हितों के आधार पर करता है, सत्य सिद्धांतों के आधार पर नहीं, न ही न्याय के आधार पर। वह केवल इस बात पर विचार करता है कि वह क्या खोएगा या पाएगा और परमेश्वर के घर द्वारा अपेक्षित सिद्धांतों पर कोई विचार नहीं करता—और इस प्रकार उसका अगुआओं और कार्यकर्ताओं के काम में विफल होना नियत है। यह किससे निर्धारित होता है? उसके चरित्र से; यह उसकी कार्यक्षमता से निर्धारित नहीं होता। और इसलिए, यह आँकते हुए कि कोई सज्जन है या नीच, और वह अगुआओं और कार्यकर्ताओं के चयन के लिए परमेश्वर के घर के मानक पूरे करता है या नहीं, पहले उसकी मानवता देखो : अगर उसकी मानवता भरोसेमंद और मानक स्तर की है, तो इसके बाद इस बात पर विचार करो कि क्या उसमें कार्यक्षमता है और क्या उसके पास दायित्व है; फिर अन्य पहलुओं पर विचार करो।

यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की दसवीं मद है। यह कमोबेश वही है जिसका नकली अगुआओं की विभिन्न अभिव्यक्तियों की दसवीं मद में गहन-विश्लेषण किया गया है। नकली अगुआ परमेश्वर के घर की भौतिक वस्तुओं के साथ जिस रवैये और अभिव्यक्तियों से पेश आते हैं, उनमें देखा जा सकता है कि उनमें से ज्यादातर में जमीर और विवेक नहीं होता, उनकी मानवता बहुत खराब होती है और वे कोई जिम्मेदारी नहीं लेते—तुम कह सकते हो कि उनके इरादे सही नहीं होते। क्या अब हमारे पास एक और सबूत नहीं है जिसका उपयोग हम यह निर्धारित करने के लिए कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति नकली अगुआ है या नहीं? कुछ नकली अगुआ इसलिए काम नहीं कर सकते क्योंकि उनकी काबिलियत कम होती है, वे अंधे होते हैं और चीजों के बारे में कोई अंतर्दृष्टि नहीं रखते। कुछ इसलिए वास्तविक कार्य नहीं करते क्योंकि उनके इरादे सही नहीं होते और वे सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते हैं—वे परमेश्वर के घर के हित कायम नहीं रखते और उन्हें इस बात की परवाह नहीं होती कि परमेश्वर के चुने हुए लोग जीते हैं या मरते हैं। परमेश्वर के घर के कार्य में देरी होने और उसके चुने हुए लोगों को नुकसान पहुँचने से रोकने के लिए हर तरह के नकली अगुआ को जल्दी से जल्दी बर्खास्त कर हटा देना चाहिए।

1 मई 2021

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