अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (11) खंड एक

पिछली सभा में हमने अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की नौवीं मद पर संगति की थी : “मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण, आग्रह और निरीक्षण करते हुए, परमेश्वर के घर की विभिन्न कार्य-व्यवस्थाओं को उसकी अपेक्षाओं के अनुसार सटीक रूप से संप्रेषित, जारी और कार्यान्वित करो, और उनके कार्यान्वयन की स्थिति का निरीक्षण और अनुवर्ती कार्रवाई करो।” हमने उन जिम्मेदारियों पर संगति की जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को निभानी चाहिए और उस कार्य पर भी, जो उन्हें करना चाहिए और हमने झूठे अगुआओं के कुछ व्यवहारों का विश्लेषण भी किया। हालाँकि हमने इस बात की बारीकियों पर संगति नहीं की कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं को प्रत्येक कार्य-व्यवस्था कैसे लागू करनी है, फिर भी हमने उन व्यवस्थाओं को लागू करने के सिद्धांतों की बारीकियों के साथ-साथ इस बात पर भी संगति जरूर की कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं को क्या करना चाहिए। क्या तुम लोगों को नौवीं मद पर हमारी संगति के माध्यम से अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा किए जाने वाले कार्य की ज्यादा विशिष्ट, सटीक परिभाषा मिली है? क्या अब तुम उस कार्य के बारे में स्पष्ट हो जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए? उनके लिए मुख्य बात है कार्य को परमेश्वर की अपेक्षाओं और उसके घर की कार्य-व्यवस्थाओं के अनुसार लागू करना। मूल रूप से यही बात है। अब यह हम सभी को स्पष्ट है। परमेश्वर के घर में अगुआ या कार्यकर्ता को क्या काम करना चाहिए और उनकी क्या जिम्मेदारियाँ हैं, इस पर नौवीं मद में काफी विशिष्ट रूप से संगति की जानी चाहिए थी। यह मूल रूप से व्यापक है। उनकी जिम्मेदारियों का दायरा सीमांकित है और उन्हें जो काम करना चाहिए और उसे कैसे करना चाहिए, यह स्पष्ट रूप से बताया गया है। अब जबकि स्पष्ट रूप से बता दिया गया है, इसलिए अगर कोई व्यक्ति अभी भी नहीं जानता कि ठोस कार्य कैसे करना है तो यह उसमें खराब काबिलियत होने की समस्या है। वह ऐसा नकली अगुआ है, जो काम नहीं कर सकता। एक और तरह के नकली अगुआ होते हैं, जो सिर्फ अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार कार्य की व्यवस्था करते हैं और लोगों का बेतरतीबी से इस्तेमाल करते हैं, जिसका परिणाम ज्यादा जोगी मठ उजाड़ के रूप में होता है। न सिर्फ काम ठीक से नहीं किया जाता—बल्कि वे उसे पूरी तरह से बिगाड़ देते हैं, और आगे का कोई रास्ता नहीं छोड़ते। नकली अगुआ कभी कार्य-व्यवस्थाएँ लागू नहीं करते, वास्तविक कार्य करना तो दूर की बात है। वे बस वही कार्य करते हैं जो उन्हें पसंद होता है, वे सिर्फ सामान्य मामलों के कार्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं; जब वे कार्य करते हैं तो सिर्फ आदेश जारी करना, खोखले नारे लगाना और धर्म-सिद्धांतों के बारे में चिल्लाना जानते हैं। वे कभी कार्य की प्रगति का पता नहीं लगाते, न ही वे इस बात की परवाह करते हैं कि वह प्रभावी रहा है या नहीं। वे एक तरह के नकली अगुआ हैं। संक्षेप में, चाहे अगुआ के रूप में कोई व्यक्ति वास्तविक कार्य न कर पाए या वास्तविक कार्य न करे—चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हों—अगर वे अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ पूरी नहीं कर सकते या परमेश्वर का आदेश पूरा करने का काम नहीं कर सकते, और अगर वे परमेश्वर के घर द्वारा व्यवस्थित विभिन्न कार्यों को कार्यान्वित करने में कामयाब नहीं हो सकते, तो वे नकली अगुआ हैं।

अब अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की नौवीं मद पर हमारी संगति और हमारे द्वारा उन विभिन्न तरीकों के खुलासों के जरिये, जिनसे नकली अगुआ खुद को अभिव्यक्त करते हैं, क्या तुम लोगों ने इस बात का कुछ बुनियादी ज्ञान और समझ हासिल की है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ कैसे पूरी की जाएँ? (हाँ।) तो क्या तुम लोग परमेश्वर के घर के कार्य को आसान मानते हो? क्या मनुष्य से की गई अपेक्षाएँ ऊँची हैं? क्या वे अत्यधिक हैं? (वे ऊँची नहीं हैं; वे तमाम अपेक्षाएँ ऐसी हैं जिन्हें हम पूरी कर सकते हैं।) क्या ऐसे अगुआ और कार्यकर्ता हैं जो कहते हैं, “परमेश्वर का घर हमसे बहुत-सी चीजों की और बहुत तरह के काम करने की अपेक्षा करता है। अगुआ जितना ऊँचा होता है उसके काम का दायरा उतना ही बड़ा होता है और उतने ही ज्यादा कामों के लिए वह जिम्मेदार होता है। उस काम को अच्छी तरह से करने और यह देखने में कि वह ऊपरवाले की अपेक्षाओं के अनुसार कार्यान्वित हो—हम तो थकावट से मर ही जाएँगे, है ना?” क्या कोई व्यक्ति तमाम ठोस काम अच्छी तरह से करने, काम की हर मद जहाँ कार्यान्वित की जानी चाहिए वहाँ कार्यान्वित करने के कारण थकावट से गिरा है? (नहीं।) क्या कोई थकावट से बीमार हुआ है? क्या कोई इतना व्यस्त होता है कि उसके पास खाने या सोने का भी समय नहीं हो? (नहीं।) कुछ लोग कह सकते हैं, “नहीं से तुम्हारा क्या मतलब है? कुछ लोग कलीसिया का काम करने से बेशक थक जाते हैं, क्योंकि वे लंबे समय तक नियमित समय पर खाना नहीं खा पाते या नियमित तरीके से काम के बीच में थोड़ा आराम नहीं कर पाते, और संतुलित मात्रा में काम और आराम नहीं कर पाते। वे थकावट से बीमार पड़ जाते हैं।” क्या तुम लोगों ने ऐसी स्थिति घटित होने के बारे में सुना है? (नहीं।) क्या कोई व्यक्ति नौवीं मद सुनने और परमेश्वर के घर में कार्य की विभिन्न मदों की विशिष्ट विषयवस्तु के साथ-साथ उस विशिष्ट कार्य को करने में अगुआओं और कार्यकर्ताओं से अपेक्षित मानक देखने के बाद भय और डर महसूस करता है? क्या उसे लगता है, “अगुआ या कार्यकर्ता होना आसान नहीं है। स्वस्थ शरीर, अच्छी काबिलियत, विशालहृदयता, और अतिमानवीय ऊर्जा और शक्ति के बिना कौन अच्छी तरह से कार्य कर सकता है?” क्या किसी के मन में यह विचार आया है? क्या यह मान्य है? (नहीं।) इसे कौन-सी चीज अमान्य बनाती है? पहली बात तो यह है कि परमेश्वर के घर का काम करते समय अगुआओं और कार्यकर्ताओं को, चाहे उनका पद कुछ भी हो और चाहे उनकी जिम्मेदारी व्यापक हो या कार्य की एक ही मद तक सीमित हो, कम से कम अपना प्राथमिक कार्य अच्छी तरह से करना चाहिए, साथ ही एक या ज्यादा से ज्यादा दो अतिरिक्त कार्य भी करने चाहिए। अगर उन्हें व्यापक कार्य भी सौंपा जाए, तो भी इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें आगे की व्यापक कार्रवाई करनी है या व्यापक निर्देशन देना है। उन्हें सबसे महत्वपूर्ण कार्य का प्रभार लेने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या साथ ही साथ, कार्य की कुछ मदों में कमजोर कड़ियों पर भी ध्यान देना चाहिए। कुछ लोग ऊर्जा से भरे हो सकते हैं, उनमें जिम्मेदारी की भावना और अच्छी काबिलियत हो सकती है और वे बहुआयामी कार्य की एक बड़ी शृंखला पूरी करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन उनके मुख्य कार्य में प्राथमिक रूप से सिर्फ एक या दो मदें ही होती हैं। रहा दूसरा कार्य, तो उसके बारे में उन्हें सिर्फ जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, उसके बारे में पूछताछ करनी चाहिए, उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हीं समस्याओं का समाधान करना चाहिए जिनके बारे में उन्हें पता चले। यह इसका एक हिस्सा है। दूसरा हिस्सा यह है कि अगर वे एक-साथ कई कार्य सँभाल भी रहे हों, तो भी उन्हें वे कार्य करने के लिए सिर्फ प्राथमिक पर्यवेक्षकों पर निर्भर रहने की जरूरत है। वे बस कार्य की विभिन्न मदों का पर्यवेक्षण करते हैं, उनकी जाँच करते हैं और उनका निर्देशन करते हैं; मुख्य कार्य जो उन्हें खुद करना है वह अभी भी कार्य की एक ही मद होती है। और क्या कोई कार्य की एक ही मद करके थक जाएगा? (नहीं।) अगर व्यक्ति की काबिलियत पर्याप्त है और उसका दिमाग लचीला है, तो वह समय आवंटित करने और कार्य को कारगर बनाने की दृष्टि से उसे उचित रूप से व्यवस्थित करेगा। वह अव्यवस्थित गड़बड़झाले में नहीं होगा, जिसके आगे कोई रास्ता न हो। वह इतना व्यस्त नहीं दिखेगा—वह एक निर्धारित दिनचर्या के अनुसार कार्य करेगा—लेकिन कार्य बेअसर नहीं होगा और वह अच्छे परिणाम देगा। वह ऐसा व्यक्ति होता है जिसमें काबिलियत होती है, जो जानता है कि श्रमशक्ति और समय का उचित आवंटन कैसे किया जाए। जिन लोगों में काबिलियत नहीं होती या खराब काबिलियत होती है, वे जो भी कार्य करते हैं वह अव्यवस्थित होता है। वे रोज काफी व्यस्त रहते हैं, लेकिन वे खुद निश्चित रूप से नहीं बता सकते कि वे किस चीज में व्यस्त हैं। उनके पास समय-सारणी नहीं होती, समय की अवधारणा नहीं होती; वे सुबह काफी जल्दी उठते हैं और रात काफी देर से सोते हैं; वे नियमित समय पर खाना नहीं खा सकते—लेकिन कार्य की प्रभावोत्पादकता को देखते हुए वे बिल्कुल भी कोई वास्तविक कार्य नहीं करते। क्या यह अत्यधिक खराब काबिलियत का मामला नहीं है? (हाँ, है।) ऐसे व्यक्ति रोज बिना आराम किए भागते-दौड़ते दिखते हैं, लेकिन वे कार्य के मूल तक नहीं पहुँच पाते, न ही वे इसमें भेद कर पाते हैं कि किसे पहले करना जरूरी है और किसे बाद में किया जा सकता है, और वे समस्याएँ हल करने में अक्षम होते हैं। इससे कार्य धीमा हो जाता है। वे दिल से फट पड़ने के लिए बेचैन रहते हैं और उनके मुँह में छाले हो जाते हैं। लेकिन इन मामलों में भी वे थकावट से गिर नहीं जाते। खराब काबिलियत वाले लोग दिन में आठ घंटे से ज्यादा कार्य कर सकते हैं, फिर भी उनके कार्य की प्रभावोत्पादकता अच्छी काबिलियत वाले लोगों से बहुत कम होती है। इसलिए उन्हें व्यस्त रहना पड़ता है, है ना? उन्हें व्यस्त रहना चाहिए—व्यस्त रहकर भी वे परिणाम नहीं पा सकते; अगर वे व्यस्त न रहें, तब तो काम रुक ही जाएगा। यह इतनी खराब काबिलियत वाला व्यक्ति है कि कार्य करने या उसकी जिम्मेदारी लेने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा, परमेश्वर के घर के कार्य में कई मदें होती हैं और कर्मियों और समय के मामले में अपेक्षाएँ कुछ हद तक सख्त होती हैं। ज्यादातर लोगों के साथ, जब वे थोड़े व्यस्त होते हैं तो यह उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए होता है, क्योंकि परमेश्वर के घर का कार्य गैर-विश्वासी संसार के व्यवसायों और कारखानों से अलग होता है : वे आर्थिक फायदों की माँग करते हैं, जबकि हम कार्य के परिणामों पर जोर देते हैं। लेकिन चूँकि ज्यादातर लोग खराब काबिलियत वाले, सिद्धांतहीन और अपने कार्य में अत्यधिक अक्षम होते हैं, इसलिए उन्हें परिणाम देने में ज्यादा समय लगता है। क्या अब तुममें से ज्यादातर लोगों के मन में अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के बारे में कोई नकारात्मक विचार नहीं है? एक बात तो तय है : अगुआ और कार्यकर्ता परमेश्वर के घर की अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करके थकावट से सिकुड़ेंगे नहीं। इन बाहरी, वस्तुनिष्ठ कारकों से परे, एक और बात है जिसके बारे में तुम निश्चित हो सकते हो : अगर किसी व्यक्ति के पास कोई दायित्व है और वह एक निश्चित काबिलियत वाला व्यक्ति है—और इस तथ्य को नजरअंदाज मत करो कि पवित्र आत्मा का कार्य भी है—तो कुछ समस्याओं में जिनकी वह कल्पना नहीं कर सकता या जिनका वह पूर्वानुमान नहीं लगा सकता, और कुछ मामलों में जिनसे वह पहले नहीं गुजरा है और जिनका उसे कोई अनुभव नहीं है, पवित्र आत्मा उसे निरंतर याद दिलाएगा, हर समय उसे प्रबुद्ध करेगा और उसकी मदद करेगा। कलीसिया का कार्य पूरी तरह से मानव-शक्ति, ऊर्जा और निभाए जाने वाले दायित्वों पर निर्भर नहीं करता—उसका एक हिस्सा पवित्र आत्मा के कार्य और अगुआई पर निर्भर होना चाहिए, जैसा कि ज्यादातर लोगों ने अनुभव किया है। इसलिए कोई इसे किसी भी तरह से देखे, अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करना ऐसी चीज है जिसे अगुआ या कार्यकर्ता को हासिल करना ही चाहिए। यह उनसे कोई अतिरिक्त अपेक्षा नहीं है। जब गैर-विश्वासी लोग दुनिया में कार्य करते हैं तो वे अपनी व्यक्तिगत काबिलियत के आधार पर कार्य करते हैं। परमेश्वर के घर में कर्तव्य निभाना अलग है : व्यक्ति सिर्फ अपनी काबिलियत के आधार पर कार्य नहीं करता—अगर परिणाम प्राप्त करने हैं तो उन्हें सत्य-सिद्धांतों की अपनी समझ पर भी भरोसा करना चाहिए। अगर अपना कर्तव्य अच्छी तरह से निभाना है तो उन्हें एक-दूसरे की मदद भी करनी चाहिए और सामंजस्य के साथ सहयोग करना चाहिए। कुछ लोग पूछ सकते हैं, “क्या परमेश्वर के घर में कार्य करने के लिए हमसे ‘कोई कार्य स्वीकार करना और मरते दम तक सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करना’ अपेक्षित है? ‘वसंत के रेशम के कीड़े मरते दम तक बुनते रहेंगे’—क्या हमें यह हासिल करने की जरूरत है? क्या परमेश्वर का घर हमें तभी छोड़ेगा, जब हम थकावट से मर रहे होंगे?” क्या परमेश्वर मनुष्य से यही अपेक्षा करता है? (नहीं।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों संबंधी अपेक्षाओं पर हमारी संगति का उद्देश्य सिर्फ लोगों को इस बारे में स्पष्टता और समझ देना है कि परमेश्वर के कार्य के साथ उसके द्वारा अपेक्षित सत्य सिद्धांतों और कार्यपद्धतियों के अनुसार कैसे सहयोग किया जाए, ताकि उसका कार्य एक व्यवस्थित, प्रभावी तरीके से आगे बढ़ सके और उसके वचन और कार्य उसके चुने हुए लोगों में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें। इसका एक पहलू कार्य का विकास और विस्तार करने के बारे में है; दूसरा इस बारे में है कि परमेश्वर के वचन और कार्य उन लोगों पर अपेक्षित परिणाम हासिल कर सकें, जो उसका अनुसरण करते हैं। ये अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ हैं और वे चीजें हैं जो उन्हें अपने कार्य में हासिल करनी हैं।

मद दस : परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक चीजों (पुस्तकें, विभिन्न उपकरण, अनाज आदि) की उचित रूप से सुरक्षा करो और उनका समझदारी से आवंटन करो, और क्षति और बरबादी कम करने के लिए नियमित निरीक्षण, रखरखाव और मरम्मत करो; साथ ही, बुरे लोगों को उन्हें कब्जे में लेने से रोको

आज हम अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों की दसवीं मद के बारे में संगति करेंगे : “परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक चीजों (पुस्तकें, विभिन्न उपकरण, अनाज आदि) की उचित रूप से सुरक्षा करो और उनका समझदारी से आवंटन करो, और क्षति और बरबादी कम करने के लिए नियमित निरीक्षण, रखरखाव और मरम्मत करो; साथ ही, बुरे लोगों को उन्हें कब्जे में लेने से रोको।” नौवीं मद अगुआओं और कार्यकर्ताओं से अपेक्षाकृत व्यापक अपेक्षा के बारे में है। दसवीं मद कार्य के बारे में एक और बड़ा खंड है, जिसमें अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के संबंध में एक और विशिष्ट अपेक्षा शामिल है। कार्य के इस भाग में वे चीजें शामिल हैं जो परमेश्वर के घर से संबंधित हैं, जिनमें से कुछ को उन लोगों की जीवन संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए खरीदा जाता है जो अपने कर्तव्य पूर्णकालिक रूप से निभाते हैं, और बाकी चीजें उपकरण, सामग्री इत्यादि हैं जो सुसमाचार फैलाने के कार्य के लिए खरीदे जाते हैं। परमेश्वर के वचनों की कुछ पुस्तकें और कुछ ऐसी चीजें भी इनमें शामिल हैं जो भाई-बहनों के जीवन प्रवेश से जुड़ी हैं और जो परमेश्वर के घर को रखनी चाहिए। ये वे वस्तुएँ हैं जो परमेश्वर में लोगों के विश्वास से जुड़ी हैं। कुल मिलाकर तीन श्रेणियाँ हैं : जीवन के लिए आवश्यक चीजें, कार्य के लिए आवश्यक चीजें और परमेश्वर में विश्वास के लिए आवश्यक चीजें। चाहे ये चीजें परमेश्वर का घर खरीदे या भाई-बहन भेंट करें, जब ये परमेश्वर के घर के कब्जे में आ जाती हैं तो इनका संबंध अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा भौतिक चीजों के प्रबंधन और आवंटन के मुद्दे से हो जाता है। हालाँकि यह कार्य बाहर से कलीसियाई जीवन, प्रशासनिक कार्य या पेशेवर कार्य की तुलना में उतना महत्वपूर्ण नहीं लगता और ऐसा कुछ नहीं लगता जिसे एजेंडे में शामिल करने की जरूरत हो, फिर भी यह वो महत्वपूर्ण कार्य है जिसे करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए जरूरी है। परमेश्वर के घर की विभिन्न वस्तुएँ कर्तव्य निभाने वाले सभी कर्मियों के कार्य, जीवन, अध्ययन और ऐसी ही अन्य चीजों में शामिल हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा और समझदारी से आवंटन बहुत महत्वपूर्ण है और इन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।

उचित सुरक्षा करना

अगुआओं और कार्यकर्ताओं के रूप में कलीसिया के प्रशासनिक कार्य को अच्छी तरह से करने और कलीसियाई जीवन को अच्छा बनाने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है सुसमाचार फैलाने का कार्य और साथ ही उससे जुड़े विभिन्न कार्य अच्छी तरह से करना। इसके अलावा, परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक चीजों का उचित प्रबंधन भी किया जाना चाहिए। ये चीजें अच्छी तरह से सुरक्षित रखनी चाहिए; इन्हें फफूँद या कीड़े-मकोड़ों से ग्रस्त मत होने दो और लोगों को उन पर ऐसे कब्जा मत करने दो जैसे वह उनकी निजी संपत्ति हो। परमेश्वर के घर में इस बात के लिए विशिष्ट अपेक्षाएँ हैं कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह कार्य अच्छी तरह से कैसे करना है और इसे करने के विशिष्ट चरण भी हैं। उन्हें यह जाँच करने से शुरुआत करनी है कि क्या इन चीजों का प्रबंधन करने वाले कर्मचारी उपयुक्त, जिम्मेदार लोग हैं और क्या वे जानते हैं कि उनका प्रबंधन कैसे करना है और क्या वे अपनी जिम्मेदारी कर्मठता से निभा सकते हैं—क्या ये चीजें उनके हाथों में सुरक्षित रहेंगी। उदाहरण के लिए, अनाज रखने के मामले में, बरसात के मौसम में—जब मौसम नम होता है और बहुत बारिश होती है—क्या वह स्थान जहाँ उसे रखा जाता है, सीलन भरा तो नहीं? क्या उसका प्रबंधन करने वाले लोग समय पर इसकी जाँच करते हैं? अगर अनाज में सीलन आ जाती है, तो क्या वे उसे सुखाने के लिए बाहर निकालते हैं? क्या वे इन चीजों का प्रबंधन उसी तरह निष्ठापूर्वक करते हैं, मानो वे उनकी अपनी चीजें हों? क्या उनमें ऐसी मानवता है? क्या उनमें ऐसी वफादारी है? उन्हें इन चीजों का प्रबंधन करने वाले लोगों की जाँच करने से शुरुआत करनी है, ताकि यह देखा जा सके कि उनकी मानवता कैसी है और क्या उनमें जमीर है और वे सद्गुणी हैं। अगर कोई व्यक्ति अच्छी मानवता वाला और दयालु लगता है और दूसरे ज्यादातर लोग उसके बारे में अच्छी रिपोर्ट देते हैं, फिर भी तुम नहीं जानते कि वह परमेश्वर के घर की चीजों का प्रबंधन करने के लिए उपयुक्त है या नहीं, तो क्या करना चाहिए? तुम्हें कार्य की प्रगति की जानकारी लेनी चाहिए, चीजों की जाँच करनी चाहिए और पर्यवेक्षण करना चाहिए। तुम्हें कुछ समय बाद चीजों के बारे में पूछताछ करनी चाहिए, ताकि पता चल सके कि अभिरक्षक अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है या नहीं। उदाहरण के लिए, अनाज के मामले में सबसे बड़ी चिंता नमी की होती है। अभिरक्षक को यह जाँच करनी चाहिए कि क्या अनाज-भंडार में नमी है और क्या अनाज में कीड़े होने की संभावना है, और उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना चाहिए जो ऐसी चीजों के बारे में जानता हो, जिससे परामर्श कर यह समझा जा सके कि कौन-से तरीके अनाज में सीलन न आना और फफूँद या कीड़े न लगना सुनिश्चित कर सकते हैं। अनाज निकालकर बाहर रख देने के बाद उन्हें अक्सर अनाज-भंडार की जाँच करनी चाहिए या हवा आने-जाने के लिए अनाज-भंडार की खिड़कियाँ खोल देनी चाहिए। यह वास्तव में अपनी जिम्मेदारी पूरी करना होगा। अगर अभिरक्षक बिना किसी के आग्रह किए या बिना याद दिलाए ये चीजें करने की पहल करता है तो वह भरोसेमंद है, जो आश्वस्त करने वाली बात है। तो विभिन्न प्रकार के उपकरणों की सुरक्षा करने वाले लोगों के बारे में क्या खयाल है—क्या वे इस कार्य के लिए सही हैं? तुम अभी नहीं जानते; तुम्हें उनकी भी जाँच करनी चाहिए। ज्यादातर उपकरण—इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर, सुविधाएँ इत्यादि—अगर सामान्य रूप से उपयोग में न लिए जा रहे हों तो उनकी सुरक्षा कैसे की जाती है? क्या अभिरक्षक उनकी देखभाल और रखरखाव करता है? क्या वह इलेक्ट्रॉनिक्स की नियमित जाँच करता है, क्या वह उन्हें नियमित रूप से चलाकर देखता है? आसपास पूछने पर तुम्हें पता चल सकता है कि इन चीजों का अभिरक्षक नियमित रूप से ऐसा कर रहा है या नहीं। हो सकता है कि वे चीजें बेकार पड़ी हों, लेकिन उन पर कोई धूल नहीं जमी है, जिसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति अक्सर उनकी देखभाल करने आता है—तुम देखोगे कि उनका अभिरक्षक ठीक है, वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है। तब तुम आश्वस्त हो सकते हो। परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें भी हैं। उनमें से प्रत्येक को पाना कठिन है और इसके अलावा, परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें परमेश्वर के प्रत्येक विश्वासी के लिए किसी भी अन्य चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं—अनाज, इलेक्ट्रॉनिक्स या ऐसी किसी अन्य वस्तु से भी ज्यादा। तो इन चीजों के मामले में तुम्हें उनका प्रबंधन करने के लिए और भी ज्यादा सही व्यक्ति और उन्हें संगृहीत करने के लिए और भी ज्यादा सही जगह ढूँढ़नी चाहिए। उचित वातायन, निगरानी और निरीक्षण भी आवश्यक हैं—इससे पुस्तकों में नमी या सीलन नहीं आएगी, न चूहे ही उन्हें कुतर पाएँगे। इन सभी चीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। तो क्या ऐसी चीजों का प्रबंधन करने वाले लोग इस काम के लिए सही हैं? तुम्हें अक्सर इस बात पर भी नजर रखनी चाहिए। अगर देखभाल करने वाले आलसी, असावधान और लापरवाह हैं, तो कुछ चीजें नमी और फफूँद से नहीं तो कीड़ों से क्षतिग्रस्त हो जाएँगी। ये सब अगुआओं और कार्यकर्ताओं की ओर से ढीली निगरानी और निरीक्षण के कारण होने वाले नुकसान हैं। अगर देखभाल करने वाले इन चीजों की उचित देखभाल करते हैं, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं की यह जिम्मेदारी पूरी हो जाती है। चाहे ये चीजें बड़ी हों या छोटी, और चाहे इनका अक्सर इस्तेमाल किया जाता हो या नहीं, अगर ये परमेश्वर के घर से संबंधित चीजों की श्रेणी में हैं तो इनका प्रबंधन करने के लिए किसी व्यक्ति की व्यवस्था करनी चाहिए। चीज चाहे जिस भी तरह की हो और जहाँ भी संगृहीत हो, सुरक्षित रहनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसके साथ कुछ भी गलत न हो। वफादार और जिम्मेदार होना यही है। अगर चीजों का प्रबंधन करने वाला व्यक्ति अयोग्य पाया जाए तो क्या करना चाहिए? उसे तुरंत किसी और काम पर लगा देना चाहिए और उसकी जगह पर रखने के लिए किसी और को ढूँढ़ना चाहिए। उदाहरण के लिए, कुछ लोग आलसी आवारा होते हैं, जो खाने के शौकीन होते हैं काम करने के नहीं और कोई जिम्मेदारी नहीं लेते। वे कलीसिया की चीजों के साथ लापरवाही से पेश आते हैं, मानो वे सार्वजनिक संपत्ति हों, और सोचते हैं कि जब तक वे खो नहीं जातीं, तब तक सब ठीक है। चाहे उन चीजों में फफूँद लग जाए या कीड़े पड़ जाएँ, या उनमें से कोई क्षतिग्रस्त हो जाए, वे न तो परवाह करते हैं और न ही इस बारे में पूछते हैं। जब भी तुम उनसे पूछते हो, वे यही कहते हैं कि वे उनकी जाँच करने गए थे और सब-कुछ ठीक है। वास्तव में, वे लंबे समय से उन चीजों को देखने गए ही नहीं। फिर एक दिन आता है जब कोई अचानक पाता है कि अनाज में फफूँद लग गई है और कुछ उपकरणों के तार चूहों ने कुतर दिए हैं, यहाँ तक कि परमेश्वर के वचनों की पुस्तकों में भी इतनी सीलन आ गई है कि उनमें लिखा हुआ धुँधला और अस्पष्ट हो गया है। इन चीजों के बारे में तभी पता लगना—क्या तब तक बहुत देर नहीं हो जाती? (हाँ, नुकसान तो हो ही चुका होता है।) यह गलत प्रबंधन का परिणाम है। तो क्या उनका प्रबंधन करने वाला व्यक्ति अयोग्य नहीं है? क्या वह खराब मानवता वाला और अनैतिक नहीं है? (हाँ, है।) गैर-विश्वासी ऐसे व्यक्ति को अनैतिक कहेंगे; हम क्या कहते हैं? यही कि इस व्यक्ति की मानवता खराब है, यह वफादार नहीं है। वह यह छोटी-सी जिम्मेदारी भी पूरी नहीं कर सकता; यहाँ तक कि वह ऐसा भी कुछ नहीं कर सकता, जिसे थोड़ी-सी मेहनत करने वाला, थोड़े-से जमीर और थोड़ी-सी मानवता वाला व्यक्ति कर सकता है। क्या वह अभी भी परमेश्वर में विश्वास रखता है? यहाँ तक कि गैर-विश्वासियों का भी यह विचार होता है, “अन्य लोगों ने तुम्हें जो कुछ भी सौंपा है, उसे निष्ठापूर्वक सँभालने की पूरी कोशिश करो”—यह व्यक्ति गैर-विश्वासियों का न्यूनतम नैतिक मानक भी पूरा नहीं करता, इसलिए यह स्पष्ट रूप से वस्तु-प्रबंधन कार्मिक दल के सदस्य के रूप में सेवा करने के अयोग्य है। अयोग्य लोगों से तुरंत निपटना चाहिए और उनकी जगह काम करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति ढूँढ़ने चाहिए। अगर तुम अपने वस्तु-प्रबंधन कार्मिक पर भरोसा नहीं करते और तुम्हारे पास खुद चीजों की जाँच करने का समय नहीं है, या किसी परिस्थितिजन्य कारण से चीजों की प्रगति की जानकारी नहीं ले सकते और उनकी जाँच नहीं कर सकते, तो उस स्थिति में क्या करना चाहिए? तुम उस व्यक्ति से, जो चीजों का प्रबंधन करता है, इस बात की गारंटी लिखवा सकते हो कि अगर उन चीजों का कोई नुकसान हुआ जिनका वह प्रबंधन करता है, तो वह उसका भुगतान करेगा या परमेश्वर के घर द्वारा दिया जाने वाला किसी भी तरह का दंड स्वीकारने के लिए तैयार रहेगा। इसे प्रशासनिक प्रणाली के अनुसार हल किया जाना चाहिए। अगर अगुआ या कार्यकर्ता इस स्तर तक अपना कार्य कर सकता है, तो वह अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।

परमेश्वर के घर की कोई भी भौतिक वस्तु, चाहे वह बड़ी हो या छोटी, महँगी हो या सस्ती, चाहे वह तुम्हारे काम की हो या नहीं, अगर उसे सँभालने का काम तुम्हें दिया गया है, तो वह तुम्हारी जिम्मेदारी है। यह कार्य अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी के दायरे में आता है, इसलिए तुम्हें उसे उपयुक्त रूप से सुरक्षित रखने के लिए सही व्यक्ति और सही जगह ढूँढ़नी चाहिए। परमेश्वर के घर की चीजें क्षतिग्रस्त मत होने दो। उदाहरण के लिए, परमेश्वर के वचनों की पुस्तकों की सुरक्षा के मामले में—उनके लिए उपयुक्त कर्मी की व्यवस्था करने के बाद भी अगुआ या कार्यकर्ता को समय-समय पर इसके बारे में पूछताछ करनी चाहिए : “हाल ही में बहुत सारी पुस्तकें जारी की गई हैं, लेकिन लापरवाह मत होना, भले ही कम पुस्तकें बची हों। पुस्तकों को रखने में मुख्य बात उन्हें सीलन या धूप से क्षतिग्रस्त नहीं होने देना और उन्हें कुचलने और आकार बिगड़ने से बचाना है।” उन्हें इसके बारे में पता लगाते रहना चाहिए और समय-समय पर पूछताछ करते रहना चाहिए। अगर नई पुस्तकें आई हैं, तो उन्हें पूछना चाहिए कि उनकी कितनी अच्छी तरह से सुरक्षा की जा रही है; क्या वे सब पहले वाली जगह में आ जाएँगी, और अगर नहीं, तो क्या उनके लिए कोई दूसरा स्थान ढूँढ़ लिया गया है, और वह स्थान कैसा है, क्या वह सुरक्षित और सूखा है; क्या पुस्तकें अच्छी तरह से रखी गई हैं; और अगर चूहों की चिंता है तो क्या बिल्ली रखने की जरूरत है। ये सभी वे चीजें हैं, जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करनी चाहिए और अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह काम थोड़ा महत्वहीन लग सकता है, लेकिन यह भी उन कार्यों में से एक है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को नियमित रूप से करने चाहिए। इसे कमतर मत आँको—इसे गंभीरता से लेना चाहिए। हो सकता है, वे चीजें सार्वजनिक संपत्ति हों और किसी व्यक्ति की न हों, लेकिन उन्हें अच्छी तरह से सुरक्षित रखा जाना चाहिए; चाहे वे भविष्य में तुम्हारे काम की हों या नहीं, और चाहे वे तुम्हारे उपयोग के लिए हों या नहीं, उन्हें अच्छी तरह से सुरक्षित रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है, तुम्हारा कर्तव्य है और तुम्हें इसे टालने और नजरअंदाज करने का कोई कारण या बहाना नहीं ढूँढ़ना चाहिए। अगर कोई चीज तुम्हारी जिम्मेदारी है, तो वह ऐसी चीज है जिसका तुम्हें प्रबंधन करना चाहिए, ऐसा कार्य है जो तुम्हें करना चाहिए। इन सबके साथ ही, तुम्हें पूछताछ करनी चाहिए और चीजों को समझने की कोशिश करनी चाहिए या व्यक्तिगत रूप से इसमें भाग लेना चाहिए। अगर तुम्हारे पास साइट पर जाकर खुद देखने का समय हो, तो यह निश्चित रूप से बेहतर होगा। लेकिन अगर परिस्थितियाँ और हालात ऐसा न करने दें या अगर तुम कार्य में बहुत व्यस्त हो, तो भी तुम्हें पूछताछ करनी चाहिए और समय-समय पर इसके बारे में पूछना चाहिए, ताकि परमेश्वर के घर की चीजों को किसी भी रूप में क्षतिग्रस्त या बरबाद होने से बचाया जा सके। ऐसा करने का मतलब है कि तुमने अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी निभाई है।

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