अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (10) खंड पाँच

यह परीक्षा लेने की कसौटी कि क्या अगुआ और कार्यकर्ता मानक स्तर के हैं

आज की संगति के जरिए, क्या अब तुम लोगों के पास उन जिम्मेदारियों की ज्यादा स्पष्ट समझ है जो अगुआओं, कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को पूरी करनी चाहिए? क्या तुम्हारे मन में कोई बेहतर विचार है? क्या अगुआओं और कार्यकर्ताओं की भूमिका के बारे में तुम्हारी समझ ज्यादा सटीक हुई है? (हाँ, हुई है।) एक बात यह है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने इस बात की कुछ समझ प्राप्त कर ली है कि उन्हें कौन-से कार्य करने चाहिए; दूसरी बात यह है कि अब बाकी सभी के पास यह भेद पहचानने के लिए कुछ मार्ग हैं कि कोई अगुआ या कार्यकर्ता मानक स्तर के हैं या नहीं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं की नौवीं जिम्मेदारी की अपेक्षाओं के अनुसार, क्या ज्यादातर अगुआ और कार्यकर्ता मानक स्तर के हैं? (नहीं।) तो, फिर कौन-से अगुआ और कार्यकर्ता मानक स्तर के बन सकते हैं और कौन-से नहीं? जिनके पास काबिलियत है जो मानक स्तर की है, कुछ व्यावहारिक अनुभव, चीजों को सँभालने के कुछ सिद्धांत, और कलीसियाई कार्य के लिए जिम्मेदारी की भावना है, वे प्रशिक्षण की एक अवधि के बाद अगुआ और कार्यकर्ता के रूप में मानक स्तर पर खरे उतर सकते हैं। लेकिन, जिनकी काबिलियत खराब है और जिनमें समझने की क्षमता बिल्कुल नहीं है, जो चाहे सत्य की कितनी भी संगति क्यों ना की जाए सिद्धांतों को नहीं समझ पाते हैं, वे अगुआ और कार्यकर्ता के रूप में मानक स्तर के नहीं बन सकते हैं और उन्हें सिर्फ हटाया जा सकता है। इसलिए, अगर तुम ऐसा अगुआ या कार्यकर्ता बनना चाहते हो जो मानक स्तर का हो, और चाहते हो कि दूसरे लोग तुम्हें अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में चुनें, तो तुम्हें पहले यह आकलन करना चाहिए कि क्या तुम्हारी काबिलियत पर्याप्त है। तुम इसका मूल्यांकन कैसे कर सकते हो? यह देखकर कि क्या तुम कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित कर सकते हो। हाल ही की कोई कार्य-व्यवस्था लो, उसे पढ़ो और यह पता लगाने के लिए अपनी परीक्षा लो कि क्या तुम्हारे पास इसके कार्यान्वयन के लिए चरण और योजनाएँ हैं। अगर तुम्हारे पास विचार और योजनाएँ हैं और तुम जानते हो कि इसे कैसे कार्यान्वित करना है, तो जब भाई-बहन तुम्हें चुनते हैं तो तुम्हें उस कार्य को अपना परम कर्तव्य समझकर ग्रहण करना चाहिए। लेकिन, अगर कार्य-व्यवस्था पढ़ने के बाद तुम्हारा दिमाग खाली है, तुम यह बिल्कुल नहीं समझ पाते हो कि कौन-सा व्यक्ति कार्य का प्रभाऱी नियुक्त किए जाने के लिए सबसे उपयुक्त है, और इससे भी ज्यादा, तुम यह नहीं समझ पाते हो कि कलीसिया के कार्य की विभिन्न मदों को विशिष्ट रूप से कैसे कार्यान्वित करना है, और ना ही तुम्हें यह पता है कि संगति, निगरानी, निरीक्षण और अनुवर्ती कार्रवाई कैसे करनी है, और तुम्हारे दिमाग में कार्यान्वयन के लिए कोई चरण या योजना नहीं है, लेकिन कुछ भाई-बहन गलती से सोचते हैं कि तुम बहुत प्रतिभाशाली हो और अगुआ या कार्यकर्ता बनने के लिए उपयुक्त हो, तो तुम्हारा रवैया क्या होना चाहिए? तुम्हें कहना चाहिए, “मेरी तारीफ करने के लिए धन्यवाद, लेकिन वास्तव में मुझमें ज्यादा प्रतिभा नहीं है। मेरे पास इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं है—तुमने मेरे बारे में गलत राय बनाई है। अगर तुमने मुझे अगुआ के रूप में चुना, तो इससे कलीसिया के कार्य में देरी होगी। मुझे अपना आध्यात्मिक कद पता है; मुझे तो एक सरल कार्य-व्यवस्था को भी कार्यान्वित करना नहीं आता है—मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि कहाँ से शुरू करना है और मेरे पास कोई सूत्र नहीं हैं जिन्हें पकड़कर मैं शुरूआत कर सकूँ। सत्य समझे बिना, कलीसिया का कार्य अच्छी तरह से नहीं किया जा सकता है। अगर ऊपरवाला मुझे नियुक्त कर भी दे, तो भी मैं इसे नहीं कर पाऊँगा। मैं वाकई इस भूमिका के लिए सही व्यक्ति नहीं हूँ।” इस किस्म की स्वीकारोक्ति के बारे में तुम क्या सोचते हो? इस दृष्टिकोण से सूझ-बूझ का पता चलता है; ऐसा कहने वाले लोगों में नकली अगुआओं से कहीं ज्यादा सूझ-बूझ होती है। नकली अगुआ इतनी सूझ-बूझ के साथ कभी ऐसा कुछ नहीं कह सकते हैं। नकली अगुआ सोचते हैं, “मुझे चुना गया है, इसलिए मुझे अगुआ बनना चाहिए। मुझे क्यों नहीं बनना चाहिए? मैं प्रतिभाशाली हूँ, इसलिए मैं इसका हकदार हूँ। क्या कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं कर पाना एक समस्या है? किसके पास जन्म से ही यह ज्ञान होता है कि इसे कैसे करना है? क्या मैं इसे सीख नहीं सकता हूँ? जब तक मैं उपदेश दे सकता हूँ, तब तक यह पर्याप्त है। मेरे पास आध्यात्मिक समझ है, मैं परमेश्वर के वचन जानता और समझता हूँ, मैं संगति कर सकता हूँ, और मैं परमेश्वर के वचनों में अभ्यास का मार्ग ढूँढ़ सकता हूँ। मैं लोगों के भ्रष्ट स्वभावों और विभिन्न स्थितियों को सुलझाने में माहिर हूँ। परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित करना कोई बड़ी बात नहीं है। क्या यह सिर्फ प्रशासनिक प्रबंधन कार्य नहीं है? मैंने इससे पहले प्रशासनिक प्रबंधन का अध्ययन किया है, इसलिए परमेश्वर के घर का यह जरा-सा कार्य मेरे लिए कोई समस्या नहीं है!” क्या ऐसा व्यक्ति खतरे में नहीं है? (हाँ, है।) यह खतरा कहाँ है? क्या तुम लोग इस मामले की असलियत देख सकते हो? (वह कार्य नहीं कर सकता है और परमेश्वर के घर के कार्य में गड़बड़ करेगा और विघ्न-बाधाएँ डालेगा, जिससे वह न सिर्फ खुद को और भाई-बहनों को नुकसान पहुँचाएगा बल्कि परमेश्वर के घर के कार्य में भी देरी करवाएगा।) क्या यह सिर्फ नुकसान है? क्या अंत में इसका यही परिणाम होता है? अगर यह सिर्फ इतना ही होता, तो अब भी इसे ठीक किया जा सकता था। यहाँ मुख्य मुद्दा यह है कि अगर कोई नकली अगुआ लंबे समय तक अपनी भूमिका में बना रहा, तो वह मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने लगेगा और अंत में मसीह-विरोधी बन जाएगा। क्या तुम्हें लगता है कि अगुआ या कार्यकर्ता होना इतना सरल है? रुतबे के साथ लालच आता है, और लालच के साथ खतरा आता है। यह खतरा क्या है? यह खतरा मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने की संभावना है। मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने का सबसे बुरा परिणाम मसीह-विरोधी बन जाना होता है।

कुछ लोग कहते हैं, “कुछ नकली अगुआओं में बस कुछ हद तक खराब काबिलियत होती है, लेकिन उनकी मानवता बुरी नहीं होती है। क्या वे मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चल सकते हैं?” कौन कहता है कि यदि मानवता बुरी नहीं है तो इसका अर्थ यह है कि वे मसीह-विरोधियों के मार्ग पर नहीं चलेंगे? मसीह-विरोधी माने जाने के लिए उन्हें कितना बुरा बनना पड़ेगा? क्या तुम इसकी असलियत देख सकते हो? अगर कोई नकली अगुआ लंबे समय तक अपनी भूमिका में बना रहता है, तो इसका अर्थ है कि उसने पहले से ही मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलना शुरू कर दिया है। क्या मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने और मसीह-विरोधी बनने के बीच कोई अंतर है? (नहीं।) पिछली बातें याद करो : वे नकली अगुआ किस मार्ग पर चल रहे हैं? नकली अगुआ कोई विशिष्ट कार्य नहीं करते हैं, ना ही वे विशिष्ट कार्य करने के काबिल हैं, फिर भी वे दूसरों को उपदेश देने के लिए ऊँचे पदों पर बने रहना चाहते हैं ताकि लोग उनकी बातें सुनें और उनकी आज्ञा मानें। क्या यह मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलना है? मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने का क्या परिणाम होता है? (वे स्वाभाविक रूप से मसीह-विरोधी बन जाते हैं।) वैसे तो नकली अगुआ सहज रूप से मसीह-विरोधी या कुकर्मी नहीं होते हैं, लेकिन अगर वे बिना किसी पर्यवेक्षण के लंबे समय तक मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलते रहे और उनकी रिपोर्ट नहीं की गई और उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया तो क्या वे सत्ता हथिया सकते हैं और स्वतंत्र राज्य स्थापित कर सकते हैं? (हाँ।) उस मौके पर, क्या वे मसीह-विरोधी नहीं बन चुके होते हैं? तो अब तुम लोग देखो, क्या नकली अगुआ की भूमिका खतरनाक नहीं है? (हाँ, है।) नकली अगुआ होना पहले से ही बहुत खतरनाक है। वैसे तो फिलहाल हम नकली अगुआओं का गहन-विश्लेषण कर रहे हैं और मसीह-विरोधियों का जिक्र नहीं कर रहे हैं, लेकिन इन दोनों के सार के बीच एक संबंध है। दरअसल, नकली अगुआ मसीह-विरोधियों के मार्ग पर ही चल रहे हैं। इस मार्ग पर चलने से वे स्वाभाविक रूप से मसीह-विरोधी बन जाएँगे, जो उनके प्रकृति सार से निर्धारित होता है। उस मौके पर, उनके मानवीय सार पर विचार करने की कोई जरूरत नहीं है; अकेले उनके मार्ग से ही निर्धारित हो जाता है कि वे मसीह-विरोधी हैं या नहीं। उन नकली अगुआओं पर विचार करो जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। अगर उन्हें समय रहते बर्खास्त नहीं किया गया होता तो उनके कार्यकाल के दौरान उनके व्यवहार और उनके द्वारा प्रकट किए गए सार को देखा जाए तो, क्या अंत में वे मसीह-विरोधी के मार्ग पर चलने लगते? क्या वे मसीह-विरोधी बन गए होते? दरअसल, कुछ लोगों ने पहले से ही इसके संकेत दिखा दिए थे, और यह परमेश्वर का घर ही था जिसने उन्हें तुरंत बर्खास्त कर दिया। अगर उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया होता, तो वे कलीसिया के सहारे जीविका चलाना और लोगों को गुमराह करना शुरू कर देते। वे ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारियों या प्रभुओं की तरह कार्य करना शुरू कर देते, लोगों पर हुक्म चलाते और आदेश जारी करते, दूसरों से अपनी आज्ञा मनवाते जैसे वे परमेश्वर हों। यहाँ तक कि वे परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए गए और परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए लोग होने का दावा भी करते। क्या यह परेशान करने वाली बात नहीं है? तो हमें ऐसे नकली अगुआओं की दशाओं और अभिव्यक्तियों को कैसे देखना और निरूपित करना चाहिए? उन्हें प्रारंभिक रूप से ढोंगियों, कलीसिया के सहारे जीविका चलाने वाले लोगों, फरीसियों के रूप में निरूपित किया जा सकता है। और अगर आगे भी ऐसा ही जारी रहा तो क्या होगा? वैसे तो हो सकता है कि नकली अगुआ मसीह-विरोधियों की तरह क्रूर या दुष्ट न हों, और वैसे तो ऊपरी तौर पर वे कष्ट सहने और कड़ी मेहनत करने में, हर मोड़ पर दूसरों की सहायता करने में और लोगों के साथ धीरज रखने और उन्हें सहन करने में सक्षम लग सकते हैं, ठीक उन्हीं फरीसियों की तरह जो प्रचार और कार्य करने के लिए जमीन और समुंदर पर यात्रा करते थे, लेकिन अंत में इससे क्या फर्क पड़ता है? अगर वे एक अकेला कार्य कार्यान्वित नहीं कर सकते हैं, तो उनके क्रियाकलाप और व्यवहार फरीसियों से कैसे अलग हैं? क्या उनके कर्म परमेश्वर के कार्य में सहयोग करते हैं, या क्या वे परमेश्वर के कार्य की अवहेलना कर रहे हैं और उसमें बाधा डाल रहे हैं? स्पष्ट रूप से, वे परमेश्वर के कार्य का प्रतिरोध कर रहे हैं और कलीसिया के कार्य की विभिन्न मदों की सामान्य प्रगति को रोक रहे हैं। क्या यह फरीसियों और धार्मिक दुनिया के उन पादरियों और एल्डरों के व्यवहार के समान नहीं है? नकली अगुआ बिल्कुल उनके जैसे ही होते हैं। तो हमें उन्हें कैसे निरूपित करना चाहिए? अगर नकली अगुआ कार्य करना जारी रखते हैं, तो क्या होगा? वे न सिर्फ परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित करने में विफल रहेंगे, बल्कि इन व्यवस्थाओं को बदनाम करना, उनकी आलोचना करना, उनके बारे में राय बनाना, उनकी निंदा करना और इस तरह की दूसरी चीजें भी करना शुरू कर देंगे—मसीह-विरोधी वाले व्यवहारों की एक पूरी श्रृंखला प्रकट हो जाएगी। वे न सिर्फ कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित करने में विफल रहते हैं, बल्कि वे उनके कार्यान्वयन का प्रतिरोध करने और उसे रोकने के लिए विभिन्न बहाने भी ढूँढ़ लेते हैं। यह परमेश्वर के कार्य में सहयोग करना नहीं है, बल्कि परमेश्वर के घर के कार्य को रोकना और उसमें बाधा डालना है। यह उनके द्वारा अपनी धारणाओं और कल्पनाओं का, और परमेश्वर के घर द्वारा उन्हें दी गई शक्ति और रुतबे का उपयोग करना है, ताकि वे परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं का कार्यान्वयन रोक सकें। क्या यही समस्या का सार नहीं है? (हाँ, है।) नकली अगुआ वास्तविक कार्य नहीं करते हैं और ऊपरवाले द्वारा व्यवस्थित विभिन्न कार्यों को कार्यान्वित नहीं कर पाते हैं, फिर भी वे लोगों को उपदेश देने के लिए अपने रुतबे का हक जताते हैं, यह महसूस करते हैं कि वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों के मुखिया हैं, उनके कप्तान हैं। यह उन्हें पहले से ही मसीह-विरोधी बनाता है—असली मसीह-विरोधी। क्या ऐसे लोगों का यह निरूपण सटीक है? यह अत्यंत सटीक है, इसमें कोई गलती नहीं है! यह तर्कसंगत विचार नहीं है, बल्कि उनके सार पर आधारित निरूपण है। जो लोग परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं कर पाते हैं वे नकली अगुआ हैं, और जो लोग परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं करते हैं वे भी नकली अगुआ हैं। फरीसी के रूप में उन्हें बेनकाब किए जाने से पहले, उन्हें नकली अगुआओं के रूप में निरूपित किया जा सकता है। लेकिन, जिस पल से वे फरीसी बन जाते हैं और कलीसिया के सहारे जीविका चलाने लगते हैं, अपनी “पिछली उपलब्धियों” पर भरोसा करने लगते हैं, और कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित किए बिना या विशिष्ट कार्य किए बिना पदों पर कब्जा जमा लेते हैं, परमेश्वर के घर के कार्य में रुकावटें बन जाते हैं, तभी से ऐसे लोगों को मसीह-विरोधियों के रूप में निरूपित कर देना चाहिए। तुम यह कैसे निर्धारित करते हो कि कोई व्यक्ति नकली अगुआ है या मसीह-विरोधी है? नकली अगुआ को इस आधार पर निरूपित किया जाता है कि क्या वह कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित कर सकता है और वास्तविक कार्य कर सकता है। जो लोग कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं करते हैं और वास्तविक कार्य नहीं करते हैं वे नकली अगुआ हैं। लेकिन, अगर उन्हें पता है कि वे वास्तविक कार्य नहीं कर सकते हैं और ऊपरवाले की कार्य-व्यवस्थाओं को कार्यान्वित नहीं कर सकते हैं, फिर भी वे लोगों के दिल जीतने के उद्देश्य से प्रचार करने और नारे लगाने के लिए अपने रुतबे का रोब डालना चाहते हैं, और परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं को नजरअंदाज कर देते हैं, और इस तथ्य की रोशनी में कि उन्होंने कई वर्षों से परमेश्वर में विश्वास रखा है और वे कई वर्षों से कलीसिया के कार्य के लिए कष्ट सह रहे हैं, वे उम्मीद करते हैं कि परमेश्वर का घर उन्हें अपने आसपास रखेगा ताकि वे कलीसिया के सहारे जीविका चला सकें और एक सेवानिवृत्ति घर के रूप में परमेश्वर के घर का शोषण कर सकें, भाई-बहनों को गुमराह करना जारी रख सकें, यहाँ तक कि प्रवचन तैयार करने और फैसला लेने के अधिकार पा सकें, तो ऐसे लोग मसीह-विरोधी हैं। इस तरह से तुम यह निर्धारित कर सकते हो कि क्या कोई व्यक्ति नकली अगुआ है या मसीह-विरोधी है। क्या इसके निरूपण के लिए यह सिद्धांत और मानक स्पष्ट है? (हाँ।)

अगुआओं और कार्यकर्ताओं की नौवीं जिम्मेदारी में मुख्य रूप से कार्य-व्यवस्थाएँ शामिल हैं। कोई अगुआ या कार्यकर्ता कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित करता है या नहीं, यह इस चीज की परीक्षा लेने की कसौटी है कि क्या वह मानक स्तर का है। अगुआ और कार्यकर्ता सच्चे हैं या नकली हैं, इसका मूल्यांकन इस आधार पर करना कि क्या वे कलीसिया का कार्य कार्य-व्यवस्थाओं के अनुसार पूरा करते हैं, सबसे सटीक तरीका है। नकली अगुआओं का भेद पहचानने और उनका गहन-विश्लेषण करने के लिए कार्य-व्यवस्थाओं के प्रति अपने रवैये का उपयोग करना, और यह तय करना कि वे नकली अगुआ हैं या मसीह-विरोधी हैं, पूरी तरह से न्यायसंगत है। इस आधार पर अगुआओं और कार्यकर्ताओं का मूल्यांकन करना कि वे कार्य-व्यवस्थाएँ कैसे कार्यान्वित करते हैं, क्या वे कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित कर सकते हैं, और उनके कार्यान्वयन की प्रभावशीलता और संपूर्णता कैसी है, किसी भी अगुआ या कार्यकर्ता के लिए न्यायसंगत और उचित है। इसका उद्देश्य जानबूझकर किसी के लिए चीजों को मुश्किल बनाना नहीं है। क्या तुम लोग यह भेद पहचान सकते हो कि कुछ नकली अगुआ कार्य-व्यवस्था कार्यान्वित नहीं करते हैं और अंत में मसीह-विरोधी बन जाते हैं? क्या यह दावा मान्य है? (हाँ।) यह क्यों मान्य है? (क्योंकि नकली अगुआ कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं करते हैं और अपने खुद के स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के लिए अपने पदों पर कब्जा जमाए रखते हैं। इसका अर्थ है कि वे पहले से ही मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने लगे हैं।) यही परिघटना है—इस समस्या का सार क्या है? कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं करने का अर्थ परमेश्वर का प्रतिरोध करना और उसका विरोध करना है। परमेश्वर का विरोध करने का क्या अर्थ है? जो लोग मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलते हैं, वे परमेश्वर का विरोध कर रहे हैं, उसके सीधे विरोध में खड़े हैं। अगर कोई महज एक नकली अगुआ है, तो वह वाकई यह नहीं जानता है कि कार्य कैसे करना है या कार्य-व्यवस्थाएँ कैसे कार्यान्वित करनी हैं; वह जानबूझकर परमेश्वर का विरोध नहीं कर रहा है। लेकिन, मसीह-विरोधियों के विशिष्ट लक्षण नकली अगुआओं की तुलना में कहीं ज्यादा गंभीर प्रकृति के होते हैं। कुछ नकली अगुआ लंबे समय से मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चल रहे हैं। ये व्यक्ति वास्तविक कार्य नहीं करके और कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित नहीं करके शुरुआत करते हैं। लंबे समय तक अगुआ बने रहने और कुछ शब्दों और धर्म-सिद्धांतों का प्रचार कर पाने के बाद, उन्हें लगता है कि उनकी स्थिति सुरक्षित है, उनके पास पूँजी है, और लोगों के बीच उन्होंने प्रतिष्ठा हासिल कर ली है। फिर वे जो चाहे वही करना शुरू करने की हिम्मत करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं। वे हमेशा खुद को वास्तविकता से ज्यादा मूल्यांकित करते हैं, यह मानते हैं कि उन्होंने भाई-बहनों के बीच प्रतिष्ठा हासिल कर ली है, उनके शब्दों में वजन है, और इसलिए वे जो भी कार्य करते हैं उसमें उनके पास पूर्ण विवेचनात्मक प्रभुत्व और फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए। उन्हें लगता है कि लोगों को उनकी बात सुननी चाहिए; अगर कुछ करते समय वे खुद को शर्मिंदा कर देते हैं या अपने शब्दों में गड़बड़ कर देते हैं, तो लोगों को उनकी लाज रखनी चाहिए—और परमेश्वर के घर को भी ऐसा ही करना चाहिए। परमेश्वर के घर को उत्पन्न होने वाले हर मुद्दे पर उनकी सलाह लेनी चाहिए और उन्हें अच्छी चीजों में हिस्सा देना चाहिए, और उन्हें दूसरों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ और ज्यादा तारीफ मिलनी चाहिए। उन्हें लगता है कि परमेश्वर को भी उन्हें एक अलग रोशनी में देखना चाहिए। अपने इन कथित फायदों और श्रेष्ठता के चलते, वे मानते हैं कि परमेश्वर के घर को उनकी आसानी से काट-छाँट नहीं करनी चाहिए या दूसरों के सामने उनके भ्रष्ट स्वभाव को उजागर नहीं करना चाहिए, उनकी भावनाओं का ध्यान रखे बिना उन्हें बर्खास्त तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग खतरे में हैं। वे अपनी “पिछली उपलब्धियों” पर भरोसा कर रहे हैं। वे फरीसी हैं, और पहले से ही मसीह-विरोधी बन चुके हैं। क्या यह उनके प्रकृति सार से निर्धारित नहीं होता है? अगर कोई सत्य का अनुसरण करता है और उसमें सत्य वास्तविकता है, तो क्या वह परमेश्वर के घर और परमेश्वर से ये अनुचित माँगें करेगा? (नहीं।) एक किस्म का व्यक्ति होता है, जिसे लंबे समय तक कार्य करने के बाद लगता है कि उसने रुतबा हासिल कर लिया है और उसके पास पूँजी है, और इस तरह से उसमें इस किस्म के विचार और श्रेष्ठता की ऐसी भावना विकसित होने लगती है। यह किस किस्म का व्यक्ति है? यह ऐसा व्यक्ति है जिसमें मसीह-विरोधी का सार है। क्योंकि वह सत्य का अनुसरण नहीं करता है और मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलता है, इसलिए वह घमंडी और आत्मतुष्ट है, परमेश्वर और परमेश्वर के घर से सभी किस्म की अनुचित माँगें करता है। वह अपनी “पिछली उपलब्धियों” पर भरोसा करता है, कलीसिया के सहारे जीविका चलाता है, अपने रुतबे से चिपका रहता है, और अंत में मसीह-विरोधी बन जाता है। यह एक ठेठ मसीह-विरोधी है। क्या कलीसिया में ऐसे लोग हैं? जो कोई भी अपने आध्यात्मिक व्यक्ति होने पर गर्व करता है, वह इसी किस्म का है। ऐसे लोग स्पष्ट रूप से बेकार हैं और कोई विशिष्ट कार्य नहीं कर सकते हैं, फिर भी वे खुद को आध्यात्मिक मानते हैं; वे खुद को ऐसे लोग मानते हैं जिन पर परमेश्वर अपनी कृपा दृष्टि रखता है और जो उसकी पूर्णता के लक्ष्य हैं। उनका मानना है कि वे परमेश्वर के प्रिय पुत्र हैं, विजेता हैं। ऐसे लोग किस मार्ग पर चल रहे हैं? क्या वे ऐसे लोग हैं जो सत्य का अनुसरण करते हैं? क्या वे ऐसे लोग हैं जो सत्य के प्रति समर्पण करते हैं? क्या वे ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करते हैं? बिल्कुल नहीं, सौ प्रतिशत नहीं। वे ऐसे लोग हैं जो रुतबा, प्रतिष्ठा और आशीष का अनुसरण करते हैं, और मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलते हैं। जब ऐसे लोग लंबे समय तक कोई पद सँभालते हैं, लंबे समय तक नकली अगुआओं के रूप में सेवा करते हैं, तो वे अनिवार्य रूप से मसीह-विरोधी बन जाते हैं। मसीह-विरोधी परमेश्वर के घर के कार्य में बाधाएँ हैं। वे संभवतः कार्य-व्यवस्थाओं के अनुसार कार्य नहीं कर सकते हैं, और वे संभवतः परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं चल सकते हैं या परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुसार चीजें नहीं कर सकते हैं; इससे भी ज्यादा, वे संभवतः कलीसिया का कार्य करने के लिए अपना रुतबा, प्रतिष्ठा और हित नहीं त्याग सकते हैं, क्योंकि वे मसीह-विरोधी हैं।

अगुआओं और कार्यकर्ताओं की नौवीं जिम्मेदारी पर संगति मुख्य रूप से कार्य-व्यवस्थाओं के कार्यान्वयन के बारे में है। क्या कोई अगुआ या कार्यकर्ता मानक स्तर का है और अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करता है, यह मुख्य रूप से इस बात से निर्धारित होता है कि वह कार्य-व्यवस्थाएँ कैसे कार्यान्वित करता है और इन कार्यान्वयनों के क्या परिणाम हैं। यकीनन, इस मानक का उपयोग नकली अगुआओं और उनके द्वारा अपनाए गए मार्गों को और साथ ही उन परिणामों को उजागर करने के लिए किया जाता है जो वे कलीसिया के कार्य और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश के लिए लाते हैं। ये सभी निर्धारण, फैसले और अंतिम निरूपण नकली अगुआओं द्वारा कार्य-व्यवस्थाओं के कार्यान्वयन पर आधारित हैं। कार्य-व्यवस्थाएँ कार्यान्वित करना एक प्राथमिक कार्य है, इसलिए किसी अगुआ और कार्यकर्ता द्वारा कार्य-व्यवस्थाओं के कार्यान्वयन के आधार पर यह निर्धारित करना कि वह मानक स्तर का है या नहीं बहुत ही यथार्थवादी और अत्यंत मौलिक है। इसके अलावा, हर अगुआ और कार्यकर्ता को इस मानक पर जाँचना पूरी तरह से उचित और न्यायसंगत है, इसमें कोई दोष नहीं है।

24 अप्रैल 2021

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