अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (1) खंड एक
नकली अगुआओं का भेद पहचानना क्यों जरूरी है
अब जबकि हमने मसीह विरोधियों की विभिन्न अभिव्यक्तियों पर संगति समाप्त कर ली है, हम आज एक नए विषय पर संगति करेंगे—नकली अगुआओं की विभिन्न अभिव्यक्तियाँ। परमेश्वर में विश्वास करने के इन वर्षों में, तुम लोगों ने नकली अगुआओं की सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों और तौर-तरीकों का सामना किया है। परमेश्वर के घर द्वारा सभी स्तरों पर नकली अगुआओं को खारिज करने की प्रक्रिया में, अधिकांश लोगों को नकली अगुआओं के बारे में थोड़ी-बहुत समझ हो जाती है; यानी, अधिकांश लोगों को नकली अगुआओं की कुछ विशिष्ट अभिव्यक्तियों के बारे में थोड़ी समझ होती है। लेकिन तुम्हारी समझ कितनी भी गहरी हो या तुम उसे कितना भी समझते हो, अंततः यह पर्याप्त व्यवस्थित या विशिष्ट नहीं होती। कलीसिया के चुनावों के दौरान, बहुत से लोग अगुआओं को चुनने के सिद्धांतों को समझने में विफल रहते हैं, वे यह समझने में विफल रहते हैं कि किस तरह के व्यक्ति को अगुआ के रूप में चुनना है और किस तरह का व्यक्ति अगुआ के रूप में भाई-बहनों को परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता में ले जा सकता है और किस तरह का व्यक्ति मानक स्तर का अगुआ है। वे इन चीजों के बारे में बहुत जागरूक या स्पष्ट नहीं हैं। कुछ भ्रमित और नासमझ लोग भी होते हैं जो चुनावों के दौरान साफ तौर पर नकली अगुआओं का चुनाव करते हैं, जो भी नकली अगुआ की तरह दिखता है उसे चुनते हैं जबकि जो वास्तव में अगुआ बनने के योग्य और सक्षम हैं, जिनमें अगुआ होने की काबिलियत और मानवता है, उनकी ओर ध्यान नहीं देते हैं। जिन लोगों में मूल रूप से अगुआ बनने की काबिलियत और मानवता नहीं है, उन्हें उनके बाहरी उत्साह या कुछ अच्छे व्यवहारों के कारण चुना जाता है, और क्योंकि वे लोगों की “अच्छे” होने की धारणाओं को पूरा करते हैं, जबकि जो लोग वास्तव में अगुआई करने की सभी योग्यताएँ रखते हैं, उन्हें कभी नहीं चुना जाता। जो लोग सुर्खियों में रहना चाहते हैं और उत्साह से खुद को खपाते हैं—लेकिन जिनमें कार्यक्षमता नहीं होती—वे ही हमेशा हर जगह दिखाई पड़ते हैं, बहुत सक्रिय दिखते हैं, और उनके बारे में अधिकांश लोग सोचते हैं इस तरह का व्यक्ति योग्य है और उसे ही चुना जाना चाहिए। परिणाम यह होता है कि चुने जाने के बाद ऐसे लोग किसी काम की जिम्मेदारी नहीं ले सकते। वे ऊपरवाले की कार्य व्यवस्था को लागू करने में भी असमर्थ होते हैं, वे नहीं जानते कि उसे कैसे लागू करना है। यद्यपि वे हमेशा बहुत उत्साह के साथ व्यस्त रहते हैं, लेकिन कुछ समय तक उनके अगुआई करने के बाद कलीसिया के किसी भी काम में कोई सुधार नहीं होता और बहुत कम प्रगति होती है, और अक्सर ऐसी स्थितियाँ होती हैं जिनमें दुष्ट लोगों द्वारा सत्ता हड़प लेने अथवा विघ्न-बाधाओं के कारण कलीसिया का काम अव्यवस्थित हो जाता है या लोग बिखर जाते हैं। नकली अगुआओं के काम के ये परिणाम होते हैं। किसी नकली अगुआ के चुने जाने से न केवल भाई-बहनों का जीवन प्रवेश प्रभावित होगा और उसे नुकसान पहुँचेगा, बल्कि साथ ही कलीसिया के विभिन्न कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे सुसमाचार फैलाने का काम सुचारु या प्रभावी ढंग से नहीं चल सकेगा। यह आंशिक रूप से खुद नकली अगुआओं द्वारा पैदा की गई समस्या होती है, लेकिन आंशिक रूप से इसका संबंध उन लोगों से भी होता है जो उन्हें चुनते हैं। यदि तुम सत्य सिद्धांतों को नहीं समझते, तुम भेद नहीं पहचान पाते हो, और तुम दृष्टिहीन हो और लोगों की असलियत समझ नहीं सकते जिसके परिणामस्वरूप तुम एक नकली अगुआ को चुन लेते हो, तो तुम न केवल खुद को और दूसरों को नुकसान पहुँचाते हो, बल्कि इससे कलीसिया के काम को भी नुकसान पहुँचता है। यह नकली अगुआओं की वजह से परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश और कलीसिया के कार्य पर पड़ने वाला प्रभाव और क्षति है। इसलिए, हमें नकली अगुआओं की विभिन्न अभिव्यक्तियों को पहचानना चाहिए और एक-एक कर बताना चाहिए, और उस आधार पर मैं तुम्हें यह समझने में सक्षम बनाऊँगा कि किसी मानक स्तर के अगुआ को कौन-से व्यवहार प्रदर्शित करने चाहिए, उसे क्या कार्य करना चाहिए, और उसकी जिम्मेदारियों का दायरा वास्तव में क्या है। नकली अगुआओं को पहचानने का विषय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका संबंध कलीसिया के कार्य, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश और विशेष रूप से, प्रत्येक कर्तव्य की प्रगति से है। कुछ लोग कह सकते हैं : “मेरा चुनाव में खड़े होने का इरादा नहीं है, न ही अगुआ या कार्यकर्ता बनने की मेरी कोई महत्वाकांक्षा या इच्छा है। मुझमें आत्म-जागृति है, और साधारण विश्वासी होने के लिए इतना पर्याप्त है, इसलिए सत्य सिद्धांतों के इस पहलू से मेरा कोई मतलब नहीं है। मैं अगर कुछ सुनना चाहूँगा, तो मैं अपने जीवन प्रवेश और उद्धार के बारे में कुछ सुनूँगा। नकली अगुआओं की विभिन्न अभिव्यक्तियों और उनमें निहित सत्य मेरे अपने जीवन प्रवेश के लिए प्रासंगिक नहीं हैं, इसलिए मुझे यह सुनने की जरूरत नहीं है, या मैं इसे बेमन से या आधे-अधूरे मन से सुन सकता हूँ और बिना गंभीरता से लिए इस प्रक्रिया से गुजर सकता हूँ।” क्या यह अच्छा रवैया है? (नहीं, यह अच्छा नहीं है।) अन्य लोग कहते हैं: “मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, और मैं अगुआ बनने की उम्मीदवारी में शामिल नहीं होना चाहता। मैंने बचपन से कभी भी अधिकारी बनने या दूसरों से अलग दिखने का इरादा नहीं किया, मुझे बस एक आम, साधारण व्यक्ति बनना पसंद है। परमेश्वर में विश्वास करना शुरू करने के क्षण से ही बस अनुयायी बनना चाहता रहा हूँ। मुझे दूसरों के आदेशों का पालन करना पसंद है, और मैं वही करता हूँ जो वे मुझसे करने के लिए कहते हैं। इस तरह का व्यक्ति होना कितना सरल है! मैं बस एक साधारण व्यक्ति हूँ जो चिंता नहीं करना चाहता या दायित्व नहीं उठाना चाहता, इसलिए मुझे ये बातें सुनने की कोई जरूरत नहीं है, न ही मैं सुनना चाहता हूँ।” यह दृष्टिकोण सही है या नहीं? (यह सही नहीं है।) इसमें क्या सही नहीं है? (यद्यपि वे अगुआ नहीं बनना चाहते, लेकिन अगर वे सत्य के इस पहलू को नहीं समझते और नकली अगुआओं को नहीं पहचान पाते, तो चुनावों के दौरान, उनके द्वारा नकली अगुआ के चुने जाने की बहुत अधिक संभावना होती है, जिससे कलीसिया के काम और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश पर प्रभाव पड़ेगा।) यह एक पहलू है। और कुछ? (नकली अगुआओं की समस्या हम में से हर एक में मौजूद है, और हमें खुद की जाँच करनी चाहिए, आत्मचिंतन करना चाहिए और स्वयं को समझना चाहिए।) (यदि हम नकली अगुआओं को नहीं पहचान सकते, तो हमें पता ही नहीं चलेगा कि किसी ने हमें कब गुमराह कर दिया, और हमारा अपना जीवन कष्ट में रहेगा।) (इस तरह का नजरिया सत्य का अनुसरण नहीं करने की अभिव्यक्ति है। परमेश्वर के घर में अगुआ बनना महत्वाकांक्षी होने और आम दुनिया में अधिकारी बनने की चाहत रखने के बराबर नहीं है। अगुआ होने का मतलब है सत्य का बेहतर तरीके से अनुसरण करना, कलीसिया के काम का बोझ उठाना और परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील होना। यह सत्य की ओर बढ़ने के लिए प्रयासरत होना है।) (परमेश्वर के चुने हुए लोगों में शामिल व्यक्ति के रूप में, नकली अगुआओं की रिपोर्ट करना हमारा दायित्व और जिम्मेदारी है। यदि हम नकली अगुआओं को नहीं पहचान सकते, तो हम किसी को भी सत्ता हासिल करने और कलीसिया के काम को प्रभावित करने दे सकते हैं।) ये कितने पहलू हो गए? (पाँच पहलू।) इन पाँचों पहलुओं में से प्रत्येक सही है, और काफी सटीक है। मैंने अभी-अभी जिस प्रकार के व्यक्ति का उल्लेख किया है, उसके मद्देनजर इस समस्या के सार का गहन-विश्लेषण करते हुए, मूल रूप से इसके ये पाँच पहलू हैं। चाहे तुम अगुआ बनना चाहो या नहीं, परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से एक के रूप में तुम्हें अगुआओं और कार्यकर्ताओं के प्रति पर्यवेक्षक की भूमिका निभानी चाहिए। परमेश्वर का घर तुम्हारा भी घर है, और अगुआ एक छोटे से गृह-प्रबंधक जैसा होता है। यदि वह चीजों का अच्छी तरह से प्रबंधन नहीं करता, तो तुम भी प्रभावित होगे और आरोपी बनोगे, इसलिए तुम्हारे पास उसके सभी कामों की निगरानी करने की जिम्मेदारी और दायित्व है।
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की पंद्रह जिम्मेदारियों का विवरण
नकली अगुआओं की पहचान करना मुश्किल नहीं है, क्योंकि इस तरह के लोगों का कलीसिया में होना असामान्य नहीं हैं; वे तब से मौजूद हैं जब से कलीसिया के अगुआओं और कलीसिया के काम का अस्तित्व है। उनकी काबिलियत और समझने की क्षमता, उनके चरित्र और चुने हुए मार्ग आदि सभी में कई निश्चित अभिव्यक्तियाँ हैं। इन निश्चित अभिव्यक्तियों का गहन-विश्लेषण करने से पहले हमें यह समझना चाहिए कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ क्या हैं, और इनमें मुख्य रूप से कौन-सा विशिष्ट कार्य शामिल है। केवल वे ही मानक स्तर के अगुआ और कार्यकर्ता हैं जो इस विशिष्ट कार्य को अच्छी तरह से करने में सक्षम हैं; जो यह कार्य नहीं कर सकते वे नकली अगुआ हैं। शायद अधिकांश लोगों को अभी भी नकली अगुआओं को पहचानना नहीं आता, वे बुनियादी सिद्धांतों को नहीं समझ सकते और नहीं जानते हैं कि पहचान के लिए कौन-से पहलू सबसे महत्वपूर्ण हैं। आज आओ, हम पहले व्यवस्थित रूप से इस बात पर संगति करें कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ वास्तव में क्या हैं, उन्हें एक-एक करके सूचीबद्ध करें ताकि सभी को स्पष्ट रूप से पता चल सके। इन सिद्धांतों को समझने के बाद, जब तुम दोबारा अगुआओं और कार्यकर्ताओं का चुनाव करोगे, तो तुम्हारे पास एक सटीक मानक होगा जिससे तुम तुलना कर सकोगे कि बिलकुल ठीक तरीके से चुनाव कैसे करना है और चुने जाने के लिए बिल्कुल सही व्यक्ति कौन है। तो आओ, हम पहले अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करें।
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ :
1. परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने और समझने, और परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता में प्रवेश करने में लोगों की अगुआई करो।
2. हर तरह के व्यक्ति की स्थितियों से परिचित हो, और जीवन प्रवेश से संबंधित जिन विभिन्न कठिनाइयों का वे अपने वास्तविक जीवन में सामना करते हैं, उनका समाधान करो।
3. उन सत्य सिद्धांतों के बारे में संगति करो, जिन्हें प्रत्येक कर्तव्य को ठीक से निभाने के लिए समझा जाना चाहिए।
4. विभिन्न कार्यों के निरीक्षकों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कर्मियों की परिस्थितियों से अवगत रहो, और आवश्यकतानुसार तुरंत उनके कर्तव्यों में बदलाव करो या उन्हें बरखास्त करो, ताकि अनुपयुक्त लोगों को काम पर रखने से होने वाला नुकसान रोका या कम किया जा सके, और कार्य की दक्षता और सुचारु प्रगति की गारंटी दी जा सके।
5. कार्य के प्रत्येक मद की स्थिति और प्रगति की अद्यतन जानकारी और समझ बनाए रखो, और कार्य में आने वाली समस्याएँ ठीक करने, विचलन सही करने और त्रुटियों को तुरंत सुधारने में सक्षम रहो, ताकि वह सुचारु रूप से आगे बढ़े।
6. सभी प्रकार की योग्य प्रतिभाओं को बढ़ावा दो और उन्हें विकसित करो, ताकि सत्य का अनुसरण करने वाले सभी लोगों को प्रशिक्षण प्राप्त करने और सत्य वास्तविकता में प्रवेश करने का अवसर यथाशीघ्र मिल सके।
7. विभिन्न प्रकार के लोगों को उनकी मानवता और खूबियों के आधार पर समझदारी से कार्य आवंटित कर उनका उपयोग करो, ताकि उनमें से प्रत्येक का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके।
8. काम के दौरान आने वाली उलझनों और कठिनाइयों की तुरंत सूचना दो और उन्हें हल करने का तरीका खोजो।
9. मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण, आग्रह और निरीक्षण करते हुए, परमेश्वर के घर की विभिन्न कार्य-व्यवस्थाओं को उसकी अपेक्षाओं के अनुसार सटीक रूप से संप्रेषित, जारी और कार्यान्वित करो, और उनके कार्यान्वयन की स्थिति का निरीक्षण और अनुवर्ती कार्रवाई करो।
10. परमेश्वर के घर की विभिन्न भौतिक चीजों (पुस्तकें, विभिन्न उपकरण, अनाज आदि) की उचित रूप से सुरक्षा करो और उनका समझदारी से आवंटन करो, और क्षति और बरबादी कम करने के लिए नियमित निरीक्षण, रखरखाव और मरम्मत करो; साथ ही, बुरे लोगों को उन्हें कब्जे में लेने से रोको।
11. विशेषकर भेंटों के व्यवस्थित रूप से पंजीकरण, मिलान और सुरक्षा के कार्य के लिए मानक स्तर की मानवता वाले भरोसेमंद लोगों को चुनो; आवक और जावक चीजों की नियमित रूप से समीक्षा और जाँच करो, ताकि फिजूलखर्ची या बरबादी के मामलों के साथ-साथ अनुचित व्यय के मामलों की भी तुरंत पहचान की जा सके—ऐसी चीजों पर रोक लगाओ और उचित मुआवजे की माँग करो; इसके अतिरिक्त, किसी भी तरह से, भेंटों को दुष्ट लोगों के हाथों में पड़ने और उनके कब्जे में जाने से रोको।
12. उन विभिन्न लोगों, घटनाओं और चीजों की तुरंत और सटीक रूप से पहचान करो, जो परमेश्वर के कार्य और कलीसिया की सामान्य व्यवस्था में विघ्न-बाधा उत्पन्न करती हैं; उन्हें रोको और प्रतिबंधित करो, और चीजों को बदलो; इसके अतिरिक्त, सत्य के बारे में संगति करो, ताकि परमेश्वर के चुने हुए लोग ऐसी बातों के माध्यम से समझ विकसित करें और उनसे सीखें।
13. परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मसीह-विरोधियों द्वारा बाधित किए जाने, गुमराह किए जाने, नियंत्रित किए जाने और गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाए जाने से बचाओ, और उन्हें मसीह-विरोधियों को पहचानने और अपने दिलों से त्यागने में सक्षम बनाओ।
14. सभी प्रकार के बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को तुरंत पहचानो और फिर बहिष्कृत या निष्कासित कर दो।
15. सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों की रक्षा करो, उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखो, और कार्य की विभिन्न महत्वपूर्ण मदों को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सुरक्षित रखो।
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों को कुल पंद्रह मदों में संक्षेपित किया गया है, और हम इनके आधार पर संगति करेंगे। आओ, सबसे पहले इन पंद्रह मदों में शामिल प्रत्येक कार्य को देखें। पहली तीन मदों का संबंध लोगों द्वारा सत्य समझने और जीवन प्रवेश के मुद्दे से है। यह सबसे बुनियादी काम है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए, और यह प्रमुख श्रेणियों में से एक है। एक अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में, सबसे बुनियादी रूप से तुम्हें इन कार्यों को करने में सक्षम होना चाहिए, तुम में ऐसी काबिलियत होनी चाहिए, इस तरह का बोझ उठाना चाहिए, और इस जिम्मेदारी को उठाने में सक्षम होना चाहिए। ये वे सबसे बुनियादी चीजें हैं जो तुम्हारे पास होनी चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को परमेश्वर के वचनों पर संगति करने, उनसे अभ्यास का मार्ग खोजने, लोगों में परमेश्वर के वचनों की समझ पैदा करने में उनकी अगुआई करने, और वास्तविक जीवन में परमेश्वर के वचनों का अनुभव करने और उनमें प्रवेश करने में लोगों की अगुआई करने में सक्षम होना चाहिए और उन्हें वास्तविक जीवन में उतारने में सक्षम होना चाहिए, वास्तविक जीवन में और अपना कर्तव्य करने की प्रक्रिया में आने वाली विभिन्न समस्याओं या कठिनाइयों को हल करने के लिए उनका उपयोग करना चाहिए। यदि परमेश्वर के चुने हुए लोगों के सामने ऐसी समस्याएँ हों, जिन्हें हल करने के लिए किसी अगुआ या कार्यकर्ता की आवश्यकता है, लेकिन अगुआ या कार्यकर्ता समस्याओं को हल करने के लिए सत्य का उपयोग न कर सके, तो वह अगुआ या कार्यकर्ता बेकार है, सबसे बुनियादी काम करने में भी असमर्थ है। इस तरह का अगुआ या कार्यकर्ता मानक स्तर का नहीं है। चौथी और पाँचवीं मद कलीसिया के कार्य की विभिन्न मदों और उन मदों के पर्यवेक्षकों से संबंधित है। यदि अगुआ और कार्यकर्ता पर्यवेक्षकों पर उचित निगरानी नहीं रखते, तो कलीसिया का कार्य अव्यवस्थित हो सकता है या दुष्टों द्वारा बाधित किया जा सकता है, इससे कार्य की प्रभावोत्पादकता और प्रगति प्रभावित होगी, और पूरा काम ही शिथिल पड़ सकता है। इसलिए, चौथे और पाँचवें कार्य ऐसे भी हैं जिन्हें किसी मानक स्तर के अगुआ को अच्छी तरह से करना ही चाहिए। छठीं और सातवीं मदों का संबंध सभी प्रकार के लोगों की पदोन्नति, उनका विकास और उपयोग करने से है। लोगों का उपयोग करने का सिद्धांत सभी का सर्वोत्तम उपयोग करना है, और मानक स्तर की मानवता होने पर सभी प्रकार के लोग अपना कर्तव्य निभा सकते हैं और वे परमेश्वर के घर के वाँछित मानकों को पूरा कर सकते हैं। यानी, सभी प्रकार के लोगों को उचित कर्तव्य निभाने में सक्षम होने दिया जाए; मछली को जमीन पर रहने या सूअरों को उड़ने पर मजबूर करने की कोई जरूरत नहीं है, किसी व्यक्ति का किसी भी कार्य के लिए उपयुक्त होना, उसे अच्छी तरह से कर सकना, और काबिल होना पर्याप्त है। इसके अलावा, कुछ कार्यों में तकनीकी, पेशेवर पहलू शामिल होते हैं, और कुछ लोग उनमें अच्छे हो सकते हैं लेकिन उन्होंने वास्तव में इस क्षेत्र में कोई काम नहीं किया होता, न ही वे प्रासंगिक सिद्धांतों को समझते हैं। इन लोगों को, यदि वे परमेश्वर के घर में पदोन्नति और विकास के मानक पूरे करते हैं, तो उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए और पदोन्नत और विकसित किया जाना चाहिए, ताकि वे सीख सकें। इस तरह, परमेश्वर के घर में विभिन्न कार्यों को करने के लिए और भी अधिक उपयुक्त लोग मिल सकते हैं, और जब भी कलीसिया को विभिन्न कार्यों के लिए लोगों की आवश्यकता होगी, तो कोई रिक्तियाँ नहीं होंगी। ये लोगों को पदोन्नत व विकसित किए जाने, और लोगों का उपयोग करने के दो पहलुओं के मुद्दे हैं। आओ, आठवीं और नौवीं मदों को देखें : ये दो मदें उस रवैये के बारे में हैं जिसके साथ अगुआ और कार्यकर्ता काम से पेश आते हैं, यानी, क्या वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकते हैं, क्या उनमें निष्ठा है, और क्या उनमें परमेश्वर की अपेक्षाओं और परमेश्वर के घर की व्यवस्थाओं का सम्मान करते हुए और कार्य में कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अच्छा काम करने की क्षमता है। दसवीं और ग्यारहवीं मद परमेश्वर के घर के चढ़ावों और सभी प्रकार की संपत्तियों के साथ व्यवहार करने के सिद्धांतों के बारे में हैं। एक लिहाज से, ये दोनों मदें लोगों की काबिलियत और कार्य क्षमता से संबंधित हैं, और दूसरे लिहाज से इनका संबंध मानवता के मुद्दों से है, जैसे कि किसी व्यक्ति में वफादारी है कि नहीं, और वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकता है कि नहीं। इसके बाद हम बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं मदों पर ध्यान देंगे जो कलीसिया में होने वाली कुछ असाधारण परिस्थितियों के बारे में हैं—उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति कलीसिया के सामान्य जीवन में गड़बड़ी और बाधा डाल रहा हो और उसे अस्त-व्यस्त कर रहा हो। बेशक, सबसे गंभीर मसला है मसीह-विरोधियों या उस तरह के लोगों की उपस्थिति जिन्हें बहिष्कृत या निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। इस तरह के लोगों से कैसे निपटना है और किन सिद्धांतों के तहत काम करना है, यह भी अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी के दायरे में आता है। समस्याओं का तुरंत पता लगाने में सक्षम होना और, यह पाने पर कि कोई व्यक्ति विघ्न-बाधा पैदा कर रहा है, उस विघ्न-बाधा को तुरंत रोकने, सँभालने और उसका हल निकालने में सक्षम होना और यह सुनिश्चित करना कि कलीसिया का काम और कलीसियाई जीवन बाधित न हो—ये ऐसे मुद्दे हैं जिनसे इन तीन मदों का संबंध है। अंतिम मद सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्मिकों की व्यक्तिगत सुरक्षा के मुद्दे से जुड़ी है, साथ ही इस मुद्दे से भी कि क्या सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों के होने की गारंटी दी जा सकती है। काम तभी आगे बढ़ सकता है जब कार्मिक सुरक्षित हों, लेकिन अगर कार्मिकों की सुरक्षा में समस्याएँ या छिपे हुए खतरे पैदा हो जाएँ तो यह एक मुद्दा बन जाता है कि काम आगे बढ़ सकेगा या नहीं। आओ, देखें कि कुल मिलाकर कितनी प्रमुख श्रेणियाँ हैं। पहली, दूसरी और तीसरी मद पहली श्रेणी की हैं : मानव जीवन प्रवेश। चौथी और पाँचवीं मद दूसरी श्रेणी की हैं : कलीसिया के कार्य की विभिन्न मदें और कार्यों की उन मदों के पर्यवेक्षक। छठी और सातवीं मद तीसरी श्रेणी की हैं : सभी प्रकार के लोगों का उपयोग, विकास और पदोन्नति। आठवीं और नौवीं मदें चौथी श्रेणी की हैं : परमेश्वर के घर की कार्य व्यवस्था और काम में कठिनाइयाँ। दसवीं और ग्यारहवीं मदें पाँचवीं श्रेणी की हैं : परमेश्वर के घर के चढ़ावे और संपत्तियाँ। बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं मदें छठीं श्रेणी की हैं : कलीसिया में पैदा होने वाली असाधारण परिस्थितियाँ। पंद्रहवीं मद सातवीं श्रेणी की है : महत्वपूर्ण कलीसियाई कार्य और कार्मिकों की सुरक्षा। कुल मिलाकर सात श्रेणियाँ हैं, जिनमें कुल पंद्रह मदें हैं। ये सात श्रेणियाँ अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी के दायरे में हैं, और उनके काम का हिस्सा हैं। एक अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में, ये सात श्रेणियाँ तुम्हारे काम के सबसे बुनियादी कार्य हैं, और ये सात श्रेणियाँ एक अगुआ या कार्यकर्ता के लिए परमेश्वर के घर की अपेक्षाओं का दायरा हैं। अगर हम यह मापना चाहें कि कोई अगुआ अच्छा काम कर सकता है या नहीं, उसमें कार्यक्षमता है या नहीं, उसमें अगुआ बनने की काबिलियत है या नहीं, और क्या वह मानक स्तर का अगुआ है, तो हमें इन सात श्रेणियों का उपयोग करना चाहिए। इसे समझने के बाद, इन सात प्रमुख श्रेणियों के आधार पर, हम एक-एक करके नकली अगुआओं की अभिव्यक्तियों और उनके विशिष्ट तौर-तरीकों पर संगति करेंगे और उनका गहन विश्लेषण करेंगे, साथ ही यह भी देखेंगे कि एक अगुआ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जो कुछ किया है, उससे साबित होता है कि वे नकली अगुआ हैं और मानक स्तर के नहीं हैं। जब इन सात श्रेणियों के अनुसार मापन किया जाता है तो निर्णायक साक्ष्य मिलते हैं, और यह अपेक्षाकृत निष्पक्ष और उचित तरीका है। मुझे बताओ कि क्या हमें इन सात श्रेणियों पर एक-एक करके संगति करनी चाहिए, या पंद्रह मदों पर संगति करनी चाहिए? कौन-सा तरीका बेहतर है? (पंद्रह मदों पर एक-एक करके संगति करो।) यह तुम लोगों की प्राथमिकताओं के अनुकूल है—जितना अधिक विस्तार से हो, उतना बेहतर, है ना? इसके बाद, हम औपचारिक रूप से नकली अगुआओं की विभिन्न अभिव्यक्तियों पर अपनी संगति शुरू करेंगे।
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