बाइबल के विषय में (1)

परमेश्वर में विश्वास करते हुए बाइबल को कैसे समझना चाहिए? यह एक सैद्धांतिक प्रश्न है। हम इस प्रश्न पर संवाद क्यों कर रहे हैं? क्योंकि भविष्य में तुम सुसमाचार को फैलाओगे और राज्य के युग के कार्य का विस्तार करोगे, और आज मात्र परमेश्वर के कार्य के बारे में बात करने में सक्षम होना ही काफी नहीं है। उसके कार्य का विस्तार करने के लिए, यह अधिक महत्वपूर्ण है कि तुम, लोगों की पुरानी धार्मिक धारणाओं और विश्वास के पुराने साधनों का समाधान करने में सक्षम बनो, और उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त करके छोड़ो—और उस स्थिति में आने के लिए बाइबल से वास्ता पड़ता है। बहुत सालों से, लोगों के विश्वास (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत) का परंपरागत साधन बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास करना नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक पाखंड और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकें पढ़ते हैं, तो उन पुस्तकों की बुनियाद भी बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम प्रभु में विश्वास करते हो तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, और बाइबल के अलावा तुम्हें ऐसी किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए, जिस में बाइबल शामिल न हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। बाइबल के समय से प्रभु में लोगों का विश्वास, बाइबल में विश्वास रहा है। यह कहने के बजाय कि लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, यह कहना बेहतर है कि वे बाइबल में विश्वास करते हैं; यह कहने के बजाय कि उन्होंने बाइबल पढ़नी आरंभ कर दी है, यह कहना बेहतर है कि उन्होंने बाइबल पर विश्वास करना आरंभ कर दिया है; और यह कहने के बजाय कि वे प्रभु के सामने लौट आए हैं, यह कहना बेहतर होगा कि वे बाइबल के सामने लौट आए हैं। इस तरह से, लोग बाइबल की आराधना ऐसे करते हैं मानो वह परमेश्वर हो, मानो वह उनका जीवन-रक्त हो और उसे खोना अपने जीवन को खोने के समान हो। लोग बाइबल को परमेश्वर जितना ही ऊँचा समझते हैं, और यहाँ तक कि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उसे परमेश्वर से भी ऊँचा समझते हैं। यदि लोगों के पास पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, यदि वे परमेश्वर को महसूस नहीं कर सकते, तो वे जीते रह सकते हैं—परंतु जैसे ही वे बाइबल को खो देते हैं, या बाइबल के प्रसिद्ध अध्याय और उक्तियाँ खो देते हैं, तो यह ऐसा होता है, मानो उन्होंने अपना जीवन खो दिया हो। और इसलिए, जैसे ही लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, वैसे ही वे बाइबल पढ़ना और उसे याद करना आरंभ कर देते हैं, और जितना ज़्यादा वे बाइबल को याद कर पाते हैं, उतना ही ज़्यादा यह साबित होता है कि वे प्रभु से प्रेम करते हैं और बड़े विश्वासी हैं। जिन्होंने बाइबल पढ़ी है और जो उसके बारे में दूसरों से चर्चा कर सकते हैं, वे सभी अच्छे भाई और बहन हैं। इन सारे वर्षों में, प्रभु के प्रति लोगों का विश्वास और वफादारी बाइबल की उनकी समझ की सीमा के अनुसार मापी गई है। अधिकतर लोग साधारणत: यह नहीं समझते कि उन्हें परमेश्वर पर विश्वास क्यों करना चाहिए, और न ही वे यह समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास कैसे किया जाए, और वे बाइबल के अध्यायों का गूढ़ार्थ निकालने के लिए आँख बंद करके सुराग ढूँढ़ने के अलावा कुछ नहीं करते। लोगों ने कभी भी पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा का अनुसरण नहीं किया है; शुरुआत से ही उन्होंने हताशापूर्वक बाइबल का अध्ययन और अन्वेषण करने के अलावा और कुछ नहीं किया है, और किसी ने कभी बाइबल के बाहर पवित्र आत्मा का नवीनतम कार्य नहीं पाया है। कोई कभी बाइबल से दूर नहीं गया है, न ही उसने कभी ऐसा करने की हिम्मत की है। लोगों ने इन सभी वर्षों में बाइबल का अध्ययन किया है, वे बहुत-सी व्याख्याओं के साथ सामने आए हैं, और उन्होंने बहुत-सा काम किया है; उनमें भी बाइबल के बारे में कई मतभेद हैं, जिस पर वे अंतहीन बहस करते हैं, इतनी कि आज दो हज़ार से ज़्यादा अलग-अलग संप्रदाय बन गए हैं। वे सभी कुछ विशेष व्याख्याओं, या बाइबल के अधिक गंभीर रहस्यों का पता लगाना चाहते हैं, और वे उसकी छानबीन करना चाहते हैं, और उसमें इस्राएल में यहोवा के कार्य की पृष्ठभूमि का या यहूदिया में यीशु के कार्य की पृष्ठभूमि का या और अधिक रहस्यों का पता लगाना चाहते हैं, जिनके बारे में कोई नहीं जानता। बाइबल के प्रति लोगों का दृष्टिकोण जूनून और विश्वास का है, और उनमें से कोई भी बाइबल की अंदर की कहानी या सार के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो सकता। इसलिए आज भी जब बाइबल की बात आती है, तो लोगों को अभी भी आश्चर्य का एक अवर्णनीय एहसास होता है, और वे उससे और भी अधिक अभिभूत हैं, और उस पर और भी अधिक विश्वास करते हैं। आज, हर कोई बाइबल में अंत के दिनों के कार्य की भविष्यवाणियाँ ढूँढ़ना चाहता है, वह यह खोजना चाहता है कि अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर क्या कार्य करता है, और अंत के दिनों के क्या लक्षण हैं। इस तरह से, बाइबल की उनकी आराधना और अधिक उत्कट हो जाती है, और जितनी ज़्यादा वह अंत के दिनों के नज़दीक आती है, उतना ही ज़्यादा अंधविश्वास वे बाइबल की भविष्यवाणियों पर करने लगते हैं, विशेषकर उन पर, जो अंत के दिनों के बारे में हैं। बाइबल पर ऐसे अंधे विश्वास के साथ, बाइबल पर ऐसे भरोसे के साथ, उनमें पवित्र आत्मा के कार्य को खोजने की कोई इच्छा नहीं होती। अपनी धारणाओं के अनुसार, लोग सोचते हैं कि केवल बाइबल ही पवित्र आत्मा के कार्य को ला सकती है; केवल बाइबल में ही वे परमेश्वर के पदचिह्न खोज सकते हैं; केवल बाइबल में ही परमेश्वर के कार्य के रहस्य छिपे हुए हैं; केवल बाइबल—न कि अन्य पुस्तकें या लोग—परमेश्वर की हर चीज़ और उसके कार्य की संपूर्णता को स्पष्ट कर सकती है; बाइबल स्वर्ग के कार्य को पृथ्वी पर ला सकती है; और बाइबल युगों का आरंभ और अंत दोनों कर सकती है। इन धारणाओं के कारण लोगों का पवित्र आत्मा के कार्य को खोजने की ओर कोई झुकाव नहीं होता। अतः अतीत में बाइबल लोगों के लिए चाहे जितनी मददगार रही हो, वह परमेश्वर के नवीनतम कार्य के लिए एक बाधा बन गई है। बाइबल के बिना ही लोग अन्यत्र परमेश्वर के पदचिह्न खोज सकते हैं, किंतु आज उसके कदम बाइबल द्वारा रोक लिए गए हैं, और उसके नवीनतम कार्य को बढ़ाना दोगुना कठिन और एक दु:साध्य संघर्ष बन गया है। यह सब बाइबल के प्रसिद्ध अध्यायों एवं उक्तियों, और साथ ही बाइबल की विभिन्न भविष्यवाणियों की वजह से है। बाइबल लोगों के मन में एक आदर्श बन चुकी है, वह उनके मस्तिष्क में एक पहेली बन चुकी है, और वे यह विश्वास करने में सर्वथा असमर्थ हैं कि परमेश्वर बाइबल के बाहर भी काम कर सकता है, वे यह विश्वास करने में असमर्थ हैं कि लोग बाइबल के बाहर भी परमेश्वर को पा सकते हैं, और यह विश्वास करने में तो वे बिलकुल ही असमर्थ हैं कि परमेश्वर अंतिम कार्य के दौरान बाइबल से प्रस्थान कर सकता है और नए सिरे से शुरुआत कर सकता है। यह लोगों के लिए अचिंत्य है; वे इस पर विश्वास नहीं कर सकते, और न ही वे इसकी कल्पना कर सकते हैं। लोगों द्वारा परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार करने में बाइबल एक बहुत बड़ी बाधा बन गई है, और उसने परमेश्वर के लिए इस नए कार्य का विस्तार करना कठिन बना दिया है। अत: यदि तुम लोग बाइबल की अंदर की कहानी नहीं समझते, तो तुम सुसमाचार को सफलतापूर्वक फैलाने में सक्षम नहीं होगे, और न ही तुम नए कार्य के गवाह बन पाओगे। यद्यपि आज तुम लोग बाइबल नहीं पढ़ते, फिर भी तुम लोग उसके प्रति अभी भी अत्यधिक स्नेह से भरे हुए हो, जिसका अर्थ है कि, बाइबल भले ही तुम लोगों के हाथ में न हो, पर तुम लोगों की बहुत-सी धारणाएँ उसी से आती हैं। तुम लोग बाइबल के उद्गम या परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों के बारे में अंदर की कहानी नहीं समझते। यद्यपि तुम लोग अकसर बाइबल नहीं पढ़ते, फिर भी तुम लोगों को बाइबल को समझना चाहिए, तुम्हें बाइबल का सही ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, केवल इसी तरह से तुम लोग जान सकते हो कि परमेश्वर की छह हजार वर्षीय प्रबंधन योजना क्या है। तुम लोग इन चीज़ों का उपयोग लोगों को जीतने के लिए, लोगों से यह स्वीकार कराने के लिए कि यह धारा ही सच्चा मार्ग है, और उनसे यह स्वीकार कराने के लिए करोगे कि जिस पथ पर आज तुम लोग चल रहे हो, वही सत्य का मार्ग है, कि इसका मार्गदर्शन पवित्र आत्मा द्वारा किया जाता है, और कि इसका सूत्रपात किसी मनुष्य द्वारा नहीं किया गया है।

परमेश्वर द्वारा व्यवस्था के युग का कार्य कर लेने के बाद पुराना विधान बनाया गया और तब से लोगों ने बाइबल पढ़ना शुरू किया। यीशु ने आने के बाद अनुग्रह के युग का कार्य किया, और उसके प्रेरितों ने नया विधान लिखा। इस प्रकार बाइबल के पुराने और नए विधान की रचना हुई, और आज तक वे सभी लोग, जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, बाइबल पढ़ते रहे हैं। बाइबल इतिहास की पुस्तक है। निस्संदेह, उसमें नबियों की कुछ भविष्यवाणियाँ भी शामिल हैं, और वे भविष्यवाणियाँ किसी भी मायने में इतिहास नहीं हैं। बाइबल में अनेक भाग शामिल हैं—उसमें केवल भविष्यवाणियाँ ही नहीं हैं, या केवल यहोवा का कार्य ही नहीं है, और न ही उसमें मात्र पौलुस के धर्मपत्र हैं। तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि बाइबल में कितने भाग शामिल हैं; पुराने विधान में उत्पत्ति, निर्गमन...शामिल हैं, और उसमें नबियों द्वारा लिखी गई भविष्यवाणियों की पुस्तकें भी हैं। अंत में, पुराना विधान मलाकी की पुस्तक के साथ समाप्त होता है। इसमें व्यवस्था के युग के कार्य को दर्ज किया गया है, जिसकी अगुआई यहोवा द्वारा की गई थी; उत्पत्ति से लेकर मलाकी की पुस्तक तक, यह व्यवस्था के युग के समस्त कार्य का विस्तृत अभिलेख है। अर्थात्, पुराने विधान में वह सब-कुछ दर्ज है, जिसे उन लोगों द्वारा अनुभव किया गया था, जिनका व्यवस्था के युग में यहोवा द्वारा मार्गदर्शन किया गया था। पुराने विधान के व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा द्वारा बड़ी संख्या में खड़े किए गए नबियों ने उसके लिए भविष्यवाणी की, उन्होंने विभिन्न कबीलों एवं राष्ट्रों को निर्देश दिए, और यहोवा द्वारा किए जाने वाले कार्य की भविष्यवाणी की। इन सभी खड़े किए गए लोगों को यहोवा द्वारा भविष्यवाणी की आत्मा दी गई थी : वे यहोवा से उसके दर्शन प्राप्त करने और उसकी आवाज़ सुनने में सक्षम थे, और इस प्रकार वे उसके द्वारा प्रेरित थे और उन्होंने भविष्यवाणियाँ लिखीं। उन्होंने जो कार्य किया, वह यहोवा की आवाज़ की अभिव्यक्ति था, यहोवा की भविष्यवाणी की अभिव्यक्ति था, और उस समय यहोवा का कार्य केवल पवित्रात्मा का उपयोग करके लोगों का मार्गदर्शन करना था; वह देहधारी नहीं हुआ, और लोगों ने उसका चेहरा नहीं देखा। इस प्रकार, उसने अपना कार्य करने के लिए बहुत-से नबियों को खड़ा किया और उन्हें आकाशवाणियाँ दीं, जिन्हें उन्होंने इस्राएल के प्रत्येक कबीले और कुटुंब को सौंप दिया। उनका कार्य भविष्यवाणी करना था, और उनमें से कुछ ने अन्य लोगों को दिखाने के लिए उन्हें यहोवा के निर्देश लिखकर दिए। यहोवा ने इन लोगों को भविष्यवाणी करने, भविष्य के कार्य या उस कार्य के बारे में पूर्वकथन कहने के लिए खड़ा किया था जो उस युग के दौरान अभी किया जाना था, ताकि लोग यहोवा की चमत्कारिकता एवं बुद्धि को देख सकें। भविष्यवाणी की ये पुस्तकें बाइबल की अन्य पुस्तकों से काफी अलग थीं; वे उन लोगों द्वारा बोले या लिखे गए वचन थे, जिन्हें भविष्यवाणी की आत्मा दी गई थी—उनके द्वारा, जिन्होंने यहोवा के दर्शनों या आवाज़ को प्राप्त किया था। भविष्यवाणी की पुस्तकों के अलावा, पुराने विधान में हर चीज़ उन अभिलेखों से बनी है, जिन्हें लोगों द्वारा तब तैयार किया गया था, जब यहोवा ने अपना काम समाप्त कर लिया था। ये पुस्तकें यहोवा द्वारा खड़े किए गए नबियों द्वारा की गई भविष्यवाणियों का स्थान नहीं ले सकतीं, बिलकुल वैसे ही जैसे उत्पत्ति और निर्गमन की तुलना यशायाह की पुस्तक और दानिय्येल की पुस्तक से नहीं की जा सकती। भविष्यवाणियाँ कार्य पूरा होने से पहले की गई थीं; जबकि अन्य पुस्तकें कार्य पूरा होने के बाद लिखी गई थीं, जिसे करने में वे लोग समर्थ थे। उस समय के नबी यहोवा द्वारा प्रेरित थे और उन्होंने कुछ भविष्यवाणियाँ कीं, उन्होंने कई वचन बोले, और अनुग्रह के युग की चीजों, और साथ ही अंत के दिनों में संसार के विनाश—वह कार्य, जिसे करने की यहोवा की योजना थी—के बारे में भविष्यवाणी की। बाकी सभी पुस्तकों में यहोवा के द्वारा इस्राएल में किए गए कार्य को दर्ज किया गया है। इस प्रकार, जब तुम बाइबल पढ़ते हो, तो तुम मुख्य रूप से यहोवा द्वारा इस्राएल में किए गए कार्यों के बारे में पढ़ रहे होते हो; बाइबल के पुराने विधान में मुख्यतः इस्राएल का मार्गदर्शन करने का यहोवा का कार्य और मिस्र से बाहर इस्राएलियों का मार्गदर्शन करने के लिए उसके द्वारा मूसा का उपयोग दर्ज किया गया है, जिसने उन्हें फिरौन के बंधनों से छुटकारा दिलाया और उन्हें बाहर सुनसान जंगल में ले गया, जिसके बाद उन्होंने कनान में प्रवेश किया और इसके बाद कनान का जीवन ही उनके लिए सब-कुछ था। इसके अलावा सब पूरे इस्राएल में यहोवा के कार्य के अभिलेख से निर्मित है। पुराने विधान में दर्ज सब-कुछ इस्राएल में यहोवा का कार्य है, यह वह कार्य है जिसे यहोवा ने उस भूमि पर किया, जिसमें उसने आदम और हव्वा को बनाया था। जबसे परमेश्वर ने नूह के बाद आधिकारिक रूप से पृथ्वी पर लोगों की अगुआई करनी आरंभ की, तब से पुराने विधान में दर्ज सब-कुछ इस्राएल का कार्य है। और उसमें इस्राएल के बाहर का कोई भी कार्य दर्ज क्यों नहीं किया गया है? क्योंकि इस्राएल की भूमि मानवजाति का पालना है। शुरुआत में, इस्राएल के अलावा कोई अन्य देश नहीं थे, और यहोवा ने अन्य किसी स्थान पर कार्य नहीं किया। इस तरह, बाइबल के पुराने विधान में जो कुछ भी दर्ज है, वह केवल उस समय इस्राएल में किया गया परमेश्वर का कार्य है। नबियों द्वारा, यशायाह, दानिय्येल, यिर्मयाह और यहेज़केल द्वारा बोले गए वचन ... उनके वचन पृथ्वी पर उसके अन्य कार्य के बारे में पूर्वकथन करते हैं, वे यहोवा स्वयं परमेश्वर के कार्य का पूर्वकथन करते हैं। यह सब-कुछ परमेश्वर से आया, यह पवित्र आत्मा का कार्य था, और नबियों की इन पुस्तकों के अलावा, बाकी हर चीज़ उस समय यहोवा के कार्य के बारे में लोगों के अनुभवों का अभिलेख है।

सृष्टि की रचना का कार्य मानवजाति के आने से पहले हुआ, किंतु उत्पत्ति की पुस्तक मानवजाति के आने के बाद ही आई; यह व्यवस्था के युग के दौरान मूसा द्वारा लिखी गई पुस्तक थी। यह आज तुम लोगों के बीच होने वाली चीज़ों के समान है : तुम उन्हें उनके होने के बाद भविष्य में लोगों को दिखाने के लिए, और भविष्य के लोगों के लिए, लिख लेते हो; जो कुछ भी तुम लोगों ने दर्ज किया, वे ऐसी चीज़ें हैं जो अतीत में घटित हुई थीं—वे इतिहास से बढ़कर और कुछ नहीं हैं। पुराने विधान में दर्ज की गई चीजें इस्राएल में यहोवा के कार्य हैं, और जो कुछ नए विधान में दर्ज है, वह अनुग्रह के युग के दौरान यीशु के कार्य हैं; वे परमेश्वर द्वारा दो भिन्न-भिन्न युगों में किए गए कार्य के दस्तावेज़ हैं। पुराना विधान व्यवस्था के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य का दस्तावेज़ीकरण करता है, और इस प्रकार पुराना विधान एक ऐतिहासिक पुस्तक है, जबकि नया विधान अनुग्रह के युग के कार्य का उत्पाद है। जब नया कार्य आरंभ हुआ, तो नया विधान भी पुराना पड़ गया—और इस प्रकार, नया विधान भी एक ऐतिहासिक पुस्तक है। निस्संदेह, नया विधान पुराने विधान के समान सुव्यवस्थित नहीं है, न ही उसमें उतनी बातें दर्ज हैं। यहोवा द्वारा बोले गए अनेक वचनों में से सभी बाइबल के पुराने विधान में दर्ज किए गए हैं, जबकि सुसमाचार की चार पुस्तकों में यीशु के कुछ ही वचन दर्ज किए गए हैं। निस्संदेह, यीशु ने भी बहुत काम किया, किंतु उसे विस्तार से दर्ज नहीं किया गया। नए विधान में कम दर्ज किया गया है, क्योंकि यीशु ने कितना काम किया; पृथ्वी पर साढ़े तीन वर्षों के दौरान किए गए उसके कार्य और प्रेरितों के कार्य की मात्रा यहोवा के कार्य से बहुत ही कम थी। और इसलिए, पुराने विधान की तुलना में नए विधान में कम पुस्तकें हैं।

बाइबल किस प्रकार की पुस्तक है? पुराना विधान व्यवस्था के युग के दौरान किया गया परमेश्वर का कार्य है। बाइबल के पुराने विधान में व्यवस्था के युग के दौरान किया गया यहोवा का समस्त कार्य और उसका सृष्टि के निर्माण का कार्य दर्ज है। इसमें यहोवा द्वारा किया गया समस्त कार्य दर्ज है, और वह अंततः मलाकी की पुस्तक के साथ यहोवा के कार्य का वृत्तांत समाप्त करता है। पुराने विधान में परमेश्वर द्वारा किए गए दो तरह के कार्य दर्ज हैं : एक सृष्टि की रचना का कार्य, और दूसरा व्यवस्था की आज्ञा देना। दोनों ही यहोवा द्वारा किए गए कार्य थे। व्यवस्था का युग यहोवा परमेश्वर के नाम से किए गए कार्य का प्रतिनिधित्व करता है; यह मुख्यतः यहोवा के नाम से किए गए कार्य की समग्रता है। इस प्रकार, पुराने विधान में यहोवा का कार्य दर्ज है, और नए विधान में यीशु का कार्य, वह कार्य जिसे मुख्यतः यीशु के नाम से किया गया था। यीशु के नाम का महत्व और उसके द्वारा किया गया कार्य अधिकांशत: नए विधान में दर्ज हैं। पुराने विधान के व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा ने इस्राएल में मंदिर और वेदी का निर्माण किया, उसने यह साबित करते हुए पृथ्वी पर इस्राएलियों के जीवन का मार्गदर्शन किया कि वे उसके चुने हुए लोग हैं, उसके द्वारा पृथ्वी पर चुने गए उसके मनोनुकूल लोगों का पहला समूह हैं, वह पहला समूह, जिसकी उसने व्यक्तिगत रूप से अगुआई की थी। इस्राएल के बारह कबीले यहोवा के चुने हुए पहले लोग थे, और इसलिए उसने, व्यवस्था के युग के यहोवा के कार्य का समापन हो जाने तक, हमेशा उनमें कार्य किया। कार्य का दूसरा चरण नए विधान के अनुग्रह के युग का कार्य था, और उसे यहूदी लोगों के बीच, इस्राएल के बारह कबीलों में से एक के बीच किया गया था। उस कार्य का दायरा छोटा था, क्योंकि यीशु देहधारी हुआ परमेश्वर था। यीशु ने केवल यहूदिया की पूरी धरती पर काम किया, और सिर्फ साढ़े तीन वर्षों का काम किया; इस प्रकार, जो कुछ नए विधान में दर्ज है, वह पुराने विधान में दर्ज कार्य की मात्रा से आगे निकलने में सक्षम नहीं है। अनुग्रह के युग के यीशु का कार्य मुख्यतः सुसमाचार की चार पुस्तकों में दर्ज है। जिस मार्ग पर अनुग्रह के युग के लोग चले, वह उनके जीवन-स्वभाव में सबसे सतही परिवर्तनों का मार्ग था, जिनमें से अधिकांश धर्मपत्रों में दर्ज हैं। ये धर्मपत्र दर्शाते हैं कि उस समय पवित्र आत्मा ने किस प्रकार कार्य किया। (निस्संदेह, भले ही पौलुस को ताड़ित किया गया या वह दुर्भाग्य के घेरे में आया, उसने जो कार्य किया, उसमें उसे पवित्र आत्मा द्वारा निर्देश दिया गया था, वह एक ऐसा व्यक्ति था जिसका उस समय पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किया गया था; पतरस का भी पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किया गया था, किंतु उसने उतना अधिक कार्य नहीं किया, जितना पौलुस ने किया। हालाँकि पौलुस के काम में मनुष्य की अशुद्धताएँ शामिल थीं, लेकिन उसके द्वारा लिखे गए धर्मपत्रों से यह देखा जा सकता है कि उस समय पवित्र आत्मा ने किस प्रकार काम किया। पौलुस द्वारा अपनाया गया मार्ग सच्चा मार्ग था, वह सही था और वह पवित्र आत्मा का मार्ग था।)

यदि तुम व्यवस्था के युग के कार्य को देखना चाहते हो, और यह देखना चाहते हो कि इस्राएली किस प्रकार यहोवा के मार्ग का अनुसरण करते थे, तो तुम्हें पुराना विधान पढ़ना चाहिए; यदि तुम अनुग्रह के युग के कार्य को समझना चाहते हो, तो तुम्हें नया विधान पढ़ना चाहिए। पर तुम अंतिम दिनों के कार्य को किस प्रकार देखते हो? तुम्हें आज के परमेश्वर की अगुआई स्वीकार करनी चाहिए, और आज के कार्य में प्रवेश करना चाहिए, क्योंकि यह नया कार्य है, और किसी ने पूर्व में इसे बाइबल में दर्ज नहीं किया है। आज परमेश्वर देहधारी हो चुका है और उसने चीन में अन्य चयनित लोगों को छाँट लिया है। परमेश्वर इन लोगों में कार्य करता है, वह पृथ्वी पर अपना काम जारी रख रहा है, और अनुग्रह के युग के कार्य से आगे जारी रख रहा है। आज का कार्य वह मार्ग है जिस पर मनुष्य कभी नहीं चला, और ऐसा तरीका है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा। यह वह कार्य है, जिसे पहले कभी नहीं किया गया—यह पृथ्वी पर परमेश्वर का नवीनतम कार्य है। इस प्रकार, जो कार्य पहले कभी नहीं किया गया, वह इतिहास नहीं है, क्योंकि अभी तो अभी है, और वह अभी अतीत नहीं बना है। लोग नहीं जानते कि परमेश्वर ने पृथ्वी पर और इस्राएल के बाहर पहले से बड़ा और नया काम किया है, जो पहले ही इस्राएल के दायरे के बाहर और नबियों के पूर्वकथनों के पार जा चुका है, वह भविष्यवाणियों के बाहर नया और अद्भुत, और इस्राएल के परे नवीनतर कार्य है, और ऐसा कार्य, जिसे लोग न तो समझ सकते हैं और न ही उसकी कल्पना कर सकते हैं। बाइबल ऐसे कार्य के सुस्पष्ट अभिलेखों को कैसे समाविष्ट कर सकती है? कौन आज के कार्य के प्रत्येक अंश को, बिना किसी चूक के, अग्रिम रूप से दर्ज कर सकता है? कौन इस अति पराक्रमी, अति बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य को, जो परंपरा के विरुद्ध जाता है, इस पुरानी घिसी-पिटी पुस्तक में दर्ज कर सकता है? आज का कार्य इतिहास नहीं है, और इसलिए, यदि तुम आज के नए पथ पर चलना चाहते हो, तो तुम्हें बाइबल से विदा लेनी चाहिए, तुम्हें बाइबल की भविष्यवाणियों या इतिहास की पुस्तकों के परे जाना चाहिए। केवल तभी तुम नए मार्ग पर उचित तरीके से चल पाओगे, और केवल तभी तुम एक नए राज्य और नए कार्य में प्रवेश कर पाओगे। तुम्हें यह समझना चाहिए कि आज तुमसे बाइबल न पढ़ने के लिए क्यों कहा जा रहा है, क्यों एक अन्य कार्य है जो बाइबल से अलग है, क्यों परमेश्वर बाइबल में कोई अधिक नवीन और अधिक विस्तृत अभ्यास नहीं देखता, इसके बजाय बाइबल के बाहर अधिक पराक्रमी कार्य क्यों है। यही सब है, जो तुम लोगों को समझना चाहिए। तुम्हें पुराने और नए कार्य के बीच का अंतर जानना चाहिए, और भले ही तुम बाइबल को न पढ़ते हो, फिर भी तुम्हें उसकी आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए; यदि नहीं, तो तुम अभी भी बाइबल की आराधना करोगे, और तुम्हारे लिए नए कार्य में प्रवेश करना और नए परिवर्तनों से गुज़रना कठिन होगा। जब एक उच्चतर मार्ग मौजूद है, तो फिर निम्न, पुराने मार्ग का अध्ययन क्यों करते हो? जब यहाँ अधिक नवीन कथन और अधिक नया कार्य उपलब्ध है, तो पुराने ऐतिहासिक अभिलेखों के मध्य क्यों जीते हो? नए कथन तुम्हारा भरण-पोषण कर सकते हैं, जिससे साबित होता है कि यह नया कार्य है; पुराने अभिलेख तुम्हें तृप्त नहीं कर सकते, या तुम्हारी वर्तमान आवश्यकताएँ पूरी नहीं कर सकते, जिससे साबित होता है कि वे इतिहास हैं, और यहाँ का और अभी का कार्य नहीं हैं। उच्चतम मार्ग ही नवीनतम कार्य है, और नए कार्य के साथ, भले ही अतीत का मार्ग कितना भी ऊँचा हो, वह अभी भी लोगों के चिंतनों का इतिहास है, और भले ही संदर्भ के रूप में उसका कितना भी महत्व हो, वह फिर भी एक पुराना मार्ग है। भले ही वह "पवित्र पुस्तक" में दर्ज किया गया हो, फिर भी पुराना मार्ग इतिहास है; भले ही "पवित्र पुस्तक" में नए मार्ग का कोई अभिलेख न हो, फिर भी नया मार्ग यहाँ का और अभी का है। यह मार्ग तुम्हें बचा सकता है, और यह मार्ग तुम्हें बदल सकता है, क्योंकि यह पवित्र आत्मा का कार्य है।

तुम लोगों को बाइबल को समझना चाहिए—यह कार्य परम आवश्यक है! आज तुम्हें बाइबल को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ भी नया नहीं है; सब-कुछ पुराना है। बाइबल एक ऐतिहासिक पुस्तक है, और यदि तुमने अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान को खाया और पीया होता—यदि तुम अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान के समय में जो अपेक्षित था, उसे व्यवहार में लाए होते—तो यीशु ने तुम्हें अस्वीकार कर दिया होता, और तुम्हारी निंदा की होती; यदि तुमने पुराने विधान को यीशु के कार्य में लागू किया होता, तो तुम एक फरीसी होते। यदि आज तुम पुराने और नए विधान को खाने और पीने के लिए एक-साथ रखोगे और अभ्यास करोगे, तो आज का परमेश्वर तुम्हारी निंदा करेगा; तुम पवित्र आत्मा के आज के कार्य में पिछड़ गए होगे! यदि तुम पुराने विधान और नए विधान को खाते और पीते हो, तो तुम पवित्र आत्मा की धारा के बाहर हो! यीशु के समय में, यीशु ने अपने भीतर पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार यहूदियों की और उन सबकी अगुआई की थी, जिन्होंने उस समय उसका अनुसरण किया था। उसने जो कुछ किया, उसमें उसने बाइबल को आधार नहीं बनाया, बल्कि वह अपने कार्य के अनुसार बोला; उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया कि बाइबल क्या कहती है, और न ही उसने अपने अनुयायियों की अगुआई करने के लिए बाइबल में कोई मार्ग ढूँढ़ा। ठीक अपना कार्य आरंभ करने के समय से ही उसने पश्चात्ताप के मार्ग को फैलाया—एक ऐसा मार्ग, जिसका पुराने विधान की भविष्यवाणियों में बिलकुल भी उल्लेख नहीं किया गया था। उसने न केवल बाइबल के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि एक नए मार्ग की अगुआई भी की, और नया कार्य किया। उपदेश देते समय उसने कभी बाइबल का उल्लेख नहीं किया। व्यवस्था के युग के दौरान, बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने के उसके चमत्कार करने में कभी कोई सक्षम नहीं हो पाया था। इसी तरह उसका कार्य, उसकी शिक्षाएँ, उसका अधिकार और उसके वचनों का सामर्थ्य भी व्यवस्था के युग में किसी भी मनुष्य से परे था। यीशु ने मात्र अपना नया काम किया, और भले ही बहुत-से लोगों ने बाइबल का उपयोग करते हुए उसकी निंदा की—और यहाँ तक कि उसे सलीब पर चढ़ाने के लिए पुराने विधान का उपयोग किया—फिर भी उसका कार्य पुराने विधान से आगे निकल गया; यदि ऐसा न होता, तो लोग उसे सलीब पर क्यों चढ़ाते? क्या यह इसलिए नहीं था, क्योंकि पुराने विधान में उसकी शिक्षाओं, और बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने की उसकी योग्यता के बारे में कुछ नहीं कहा गया था? उसका कार्य एक नए मार्ग की अगुआई करने के लिए था, वह जानबूझकर बाइबल के विरुद्ध लड़ाई करने या जानबूझकर पुराने विधान को अनावश्यक बना देने के लिए नहीं था। वह केवल अपनी सेवकाई करने और उन लोगों के लिए नया कार्य लाने के लिए आया था, जो उसके लिए लालायित थे और उसे खोजते थे। वह पुराने विधान की व्याख्या करने या उसके कार्य का समर्थन करने के लिए नहीं आया था। उसका कार्य व्यवस्था के युग को विकसित होने देने के लिए नहीं था, क्योंकि उसके कार्य ने इस बात पर कोई विचार नहीं किया कि बाइबल उसका आधार थी या नहीं; यीशु केवल वह कार्य करने के लिए आया था, जो उसके लिए करना आवश्यक था। इसलिए, उसने पुराने विधान की भविष्यवाणियों की व्याख्या नहीं की, न ही उसने पुराने विधान के व्यवस्था के युग के वचनों के अनुसार कार्य किया। उसने इस बात को नज़रअंदाज़ किया कि पुराने विधान में क्या कहा गया है, उसने इस बात की परवाह नहीं की कि पुराना विधान उसके कार्य से सहमत है या नहीं, और उसने इस बात की परवाह नहीं की कि लोग उसके कार्य के बारे में क्या जानते हैं या कैसे उसकी निंदा करते हैं। वह बस वह कार्य करता रहा जो उसे करना चाहिए था, भले ही बहुत-से लोगों ने उसकी निंदा करने के लिए पुराने विधान के नबियों के पूर्वकथनों का उपयोग किया। लोगों को ऐसा प्रतीत हुआ, मानो उसके कार्य का कोई आधार नहीं था, और उसमें बहुत-कुछ ऐसा था, जो पुराने विधान के अभिलेखों से मेल नहीं खाता था। क्या यह मनुष्य की ग़लती नहीं थी? क्या परमेश्वर के कार्य पर सिद्धांत लागू किए जाने आवश्यक हैं? और क्या परमेश्वर के कार्य का नबियों के पूर्वकथनों के अनुसार होना आवश्यक है? आख़िरकार, कौन बड़ा है : परमेश्वर या बाइबल? परमेश्वर का कार्य बाइबल के अनुसार क्यों होना चहिए? क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर को बाइबल से आगे निकलने का कोई अधिकार न हो? क्या परमेश्वर बाइबल से दूर नहीं जा सकता और अन्य काम नहीं कर सकता? यीशु और उनके शिष्यों ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया? यदि उसे सब्त का पालन करना होता और पुराने विधान की आज्ञाओं के अनुसार अभ्यास करना होता, तो आने के बाद यीशु ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया, बल्कि इसके बजाय क्यों उसने पाँव धोए, सिर ढका, रोटी तोड़ी और दाखरस पीया? क्या यह सब पुराने विधान की आज्ञाओं में अनुपस्थित नहीं है? यदि यीशु पुराने विधान का सम्मान करता, तो उसने इन सिद्धांतों को क्यों तोड़ा? तुम्हें पता होना चाहिए कि पहले कौन आया, परमेश्वर या बाइबल! सब्त का प्रभु होते हुए, क्या वह बाइबल का भी प्रभु नहीं हो सकता?

नए विधान के दौरान यीशु द्वारा किए गए कार्य ने नए कार्य की शुरुआत की : उसने पुराने विधान के कार्य के अनुसार कार्य नहीं किया, न ही उसने पुराने विधान के यहोवा द्वारा बोले गए वचनों को लागू किया। उसने अपना कार्य किया, और उसने बिलकुल नया और ऐसा कार्य किया जो व्यवस्था से ऊँचा था। इसलिए, उसने कहा : "यह न समझो, कि मैं व्यवस्था या भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ।" इसलिए, जो कुछ उसने संपन्न किया, उससे बहुत-से सिद्धांत टूट गए। सब्त के दिन जब वह अपने शिष्यों को अनाज के खेतों में ले गया, तो उन्होंने अनाज की बालियों को तोड़ा और खाया; उसने सब्त का पालन नहीं किया, और कहा "मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।" उस समय, इस्राएलियों के नियमों के अनुसार, जो कोई सब्त का पालन नहीं करता था, उसे पत्थरों से मार डाला जाता था। फिर भी यीशु ने न तो मंदिर में प्रवेश किया और न ही सब्त का पालन किया, और उसका कार्य पुराने विधान के समय के दौरान यहोवा द्वारा नहीं किया गया था। इस प्रकार, यीशु द्वारा किया गया कार्य पुराने विधान की व्यवस्था से आगे निकल गया, यह उससे ऊँचा था, और यह उसके अनुसार नहीं था। अनुग्रह के युग के दौरान यीशु ने पुराने विधान की व्यवस्था के अनुसार कार्य नहीं किया, और उसने उन सिद्धांतों को पहले ही तोड़ दिया था। लेकिन इस्राएली कसकर बाइबल से चिपके रहे और उन्होंने यीशु की निंदा की—क्या यह यीशु के कार्य को नकारना नहीं था? आज धार्मिक जगत भी बाइबल से कसकर चिपका हुआ है, और कुछ लोग कहते हैं, "बाइबल एक पवित्र पुस्तक है, और इसे अवश्य पढ़ा जाना चाहिए।" कुछ लोग कहते हैं, "परमेश्वर के कार्य को सदैव कायम रखा जाना चाहिए, पुराना विधान इस्राएलियों के साथ परमेश्वर की वाचा है, और उसे छोड़ा नहीं जा सकता, और सब्त का हमेशा पालन करना चाहिए!" क्या वे हास्यास्पद नहीं हैं? यीशु ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया? क्या वह पाप कर रहा था? कौन ऐसी चीज़ों को अच्छी तरह से समझ सकता है? चाहे लोग बाइबल को कैसे भी पढ़ते हों, उनके लिए अपनी समझने की शक्तियों का उपयोग करके परमेश्वर के कार्य को जानना असंभव होगा। न केवल वे परमेश्वर का शुद्ध ज्ञान प्राप्त नहीं करेंगे, बल्कि उनकी धारणाएँ पहले से कहीं अधिक ख़राब हो जाएँगी, इतनी ख़राब कि वे परमेश्वर का विरोध करना आरंभ कर देंगे। यदि आज परमेश्वर का देहधारण न होता, तो लोग अपनी धारणाओं के कारण बरबाद हो जाते, और वे परमेश्वर की ताड़ना के बीच मर जाते।

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