अन्य विषयों के बारे में वचन (अंश 91)
अय्यूब के बारे में परमेश्वर का मूल्यांकन पुराने नियम में दर्ज है : “उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है” (अय्यूब 1:8)। अंत के दिनों में, परमेश्वर ने न केवल यह तथ्य दिखाया कि पतरस वास्तव में उससे प्यार करता था, बल्कि यह तथ्य भी दिखाया कि अय्यूब एक ऐसा व्यक्ति था जिसे उस पर सच्ची आस्था थी और परमेश्वर चाहता है कि अंत तक उसका अनुसरण करने के लिए उसके चुने हुए लोगों के मन में कम से कम अय्यूब जैसी आस्था होनी चाहिए। तुम लोगों की कल्पनाओं में और तुम लोगों की समझ में आने वाली सीमित पाठ्य-सामग्री के दायरे में, अय्यूब किस प्रकार का व्यक्ति था? क्या वह अच्छा इंसान था? (हाँ।) यह मुख्य रूप से किन तरीकों से अभिव्यक्त होता था? सबसे पहले, वह ऐसा व्यक्ति था जो परमेश्वर का भय मानता था और उसने कभी कोई बुरा कार्य नहीं किया था। यह एक अच्छे व्यक्ति की प्राथमिक अभिव्यक्ति और पहचान है। इसके अलावा, वह अपने आचरण में और अपने बच्चों और परिवार के साथ व्यवहार में भी सिद्धांतवादी था। उसने अपने बच्चों की गलतियों को छिपाने की कोशिश नहीं की और उसने परमेश्वर से प्रार्थना की और अपने बच्चों को उसे सौंप दिया, जिससे लोगों को पता चला कि अपने बच्चों के प्रति उसका रवैया पूरी तरह से सही और परमेश्वर के इरादों के अनुरूप था। एक बच्चे के तौर पर, तुम लोगों को क्या लगता है, उसके जैसा पिता पाना कैसा होगा? क्या इससे तुम्हें खुशी महसूस नहीं होगी? लेकिन अय्यूब के दोस्त कैसे थे? जब अय्यूब को परीक्षणों और विपत्तियों का सामना करना पड़ा, तो उसके दोस्तों ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया? उनमें से कोई भी उसे समझ नहीं सका और इसके अलावा उन्होंने उसकी आलोचना की : “तुमने परमेश्वर को नाराज किया है और उसने तुम्हें शाप दिया है। जरा देखो, परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें कहाँ पहुँचा दिया है। कितनी दयनीय स्थिति है!” अय्यूब की पत्नी ने भी कहा, “क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा” (अय्यूब 2:9)। अत्यधिक पीड़ा के इस समय के दौरान, अय्यूब के दोस्तों और पत्नी ने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया, जिससे उसे अत्यधिक नुकसान और दर्द हुआ। लेकिन बहुत कम लोग थे जो अय्यूब को समझते थे—यह सच है। अब जब हम अय्यूब की कहानी पढ़ते हैं, तो हमें लगता है कि वास्तव में, अय्यूब जैसे लोग ही सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद हैं और इस प्रकार का व्यक्ति वास्तव में एक अच्छा व्यक्ति है। वे तुम्हें कभी धोखा नहीं देंगे या नुकसान नहीं पहुँचाएँगे और वे तुम्हारे साथ जिस तरह से व्यवहार करते हैं, उसमें हमेशा सिद्धांतों का पालन करेंगे। यदि तुम सही व्यक्ति हो और सिर्फ इसीलिए कि तुमने कोई एक बुरा कार्य किया है या अन्य लोग तुम्हारे बारे में बुरा बोलते हैं, तो वे तुम्हारी निंदा नहीं करेंगे या तुम्हारे बारे में बुरी बातें नहीं कहेंगे। वे तथ्यों के खिलाफ नहीं जाएँगे और लोगों पर झूठा आरोप लगाने के लिए धूर्तता से बात नहीं करेंगे। वे भावनाओं या प्राथमिकताओं को अपने भाषण पर हावी नहीं होने देंगे। समय बीतने के साथ तुम देखोगे : “अब यह अच्छा व्यक्ति है। जब भी हमें किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, तो हम अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं, लेकिन वह परमेश्वर का नाम कभी नहीं त्यागता, चाहे उसे कितने भी बड़े परीक्षणों और विपत्तियों का सामना करना पड़े। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि परमेश्वर इस प्रकार के व्यक्ति को पसंद करता है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति मेरे साथ होता, तो चाहे मुझ पर कोई भी बीमारी या विपत्ति क्यों न आए, वह पहले की तरह ही मेरी मदद, सहायता, देखभाल करता और मुझे बर्दाश्त करता रहता। ऐसा व्यक्ति बहुत अच्छा होता है। भले ही वह कभी-कभी मुझे परेशान कर देता हो या अगर हम हमेशा एक-दूसरे से सहमत नहीं हो पाते हों, तो भी मैं उन शैतानों और राक्षसों में से किसी एक के बजाय उसे ही अपने साथ रखना पसंद करूंगा!” आम तौर पर, शैतान और राक्षस बाहर से कहेंगे, “तुम बहुत अच्छे हो। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और तुम्हारी बहुत परवाह करता हूँ,” लेकिन जैसे ही तुम किसी परेशानी का सामना करोगे, वे तुम्हें नजरअंदाज कर देंगे और तभी तुम्हें एहसास होगा कि अच्छा व्यक्ति होना क्या है और विश्वसनीय व्यक्ति होना क्या है। केवल भरोसेमंद और परमेश्वर का भय मानने वाले और बुराई से दूर रहने वाले लोग, वास्तव में अच्छे लोग हैं और अच्छे लोग बहुत मूल्यवान हैं। यदि तुम्हारे पास अय्यूब जैसे एक दर्जन लोग हों तो यह बहुत बढ़िया होगा—लेकिन अब तुम्हारे पास कोई नहीं है! इस समय, तुम्हें महसूस होगा कि अच्छा व्यक्ति कितना दुर्लभ है। हर किसी को ऐसे अच्छे व्यक्ति की जरूरत होती है। धार्मिक और परोपकारी लोग, सैद्धांतिक तरीके से कार्य करने वाले दयालु लोग, जिनमें न्याय की भावना होती है, जो परमेश्वर का भय मानते हैं और बुराई से दूर रहते हैं और जो भरोसे के योग्य होते हैं, ऐसे लोगों को हर कोई पसंद करता है।
जब तुम विपत्तियों और बीमारी से घिरे हुए होते हो, जब तुम्हें सबसे ज़्यादा तकलीफ होती है, तो तुम्हें अपने पास किस तरह के व्यक्ति की जरूरत होगी? क्या तुम्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो झूठे और मधुर वचन बोलता हो? क्या तुम्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो तुम्हारी आलोचना, निंदा करे और तुममें दोष निकाले? (नहीं।) तो फिर तुम्हें सबसे ज्यादा किस प्रकार के व्यक्ति की जरूरत है? तुम्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो तुम्हारी कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति दिखा सके और तुम्हें सांत्वना दे सके, जिसे तुम अपने दिल का दर्द बता सको और फिर वह तुम्हारी नकारात्मकता, कमजोरी और पीड़ा से उभरने में तुम्हारी मदद कर सके। यह व्यक्ति तुम्हारी मदद कर सकता है—जब तुम गिरोगे तो वह तुम पर हँसेगा नहीं या तुम्हें लात नहीं मारेगा और वह तुम्हारी कठिनाइयों को नजरअंदाज नहीं करेगा। अर्थात्, अगर तुम्हें जरूरत है कि वह तुम्हें दिलासा दे और जब तुम कठिनाइयों में पड़े हो, कमजोर महसूस कर रहे हो और निजी समस्याओं में उलझे हुए हो, तो तुम इन बातों को उसके साथ साझा कर सको और वह उन बातों को तुम्हारे पीठ पीछे लोगों को न बताए, तुम्हारा उपहास न करे, तुम्हारा मजाक न उड़ाए, या तुम्हारे निजी मामलों में गड़बड़ी पैदा न करे। वह तुम्हारी कठिनाइयों, कमजोरी, नकारात्मकता और तुम्हारी मानवता के कमजोर पहलुओं के प्रति सही नजरिया रख सके। क्या इन बातों के प्रति सही नजरिया रखना सैद्धांतिक नहीं है? क्या ये एक अच्छे व्यक्ति की अभिव्यक्तियाँ नहीं हैं? इस प्रकार का व्यक्ति तुम्हें समझ सकता है, तुम्हें बर्दाश्त कर सकता है और तुम्हारा ख्याल रख सकता है। वह तुम्हारा समर्थन कर सकता है, तुम्हें पोषण दे सकता है और पीड़ा और कमजोरी से बाहर निकलने में तुम्हारी मदद कर सकता है। वह तुम्हारी इतनी अधिक मदद करता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत मूल्यवान होता है। यह एक अच्छा व्यक्ति है! मान लो कि कोई तुम्हें नजरअंदाज करता है और तुम्हें किसी समस्या में देखकर वह तुम्हारा मजाक उड़ाता है और उपहास भी करता है। तुम उस पर भरोसा करके उसे कोई बात बताना चाहते हो, लेकिन फिर तुम मन में सोचते हो, “मैं उसे नहीं बता सकता। अगर मैंने ऐसा किया तो इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। वह मेरे पीठ पीछे मेरे निजी मामलों के बारे में बात कर सकता है। तब हर कोई मुझ पर हँसेगा और कौन जाने, मुझे बदनाम करने के लिए वह कैसी कहानियाँ गढ़ेगा।” क्या तुममें ऐसे किसी व्यक्ति से बात करने की हिम्मत है? वह क्या कर सकता है इसका तुम्हें कोई अंदाजा नहीं है। संभव है कि वह तुम्हारी कोई मदद या समर्थन न करे, ऊपर से वह तुम्हारे निजी मामलों में गडबडी कर सकता है और तुम्हें धोखा देकर नुकसान पहुँचा सकता है। क्या तुम उस पर भरोसा करके कुछ बताने की हिम्मत करोगे? इस समय, तुम्हें एहसास होगा कि अच्छे लोग कितने महत्वपूर्ण, मूल्यवान और अनमोल हैं और किसी भी अन्य प्रकार के व्यक्ति होने की तुलना में एक अच्छा व्यक्ति होने का महत्व अधिक है। जब तुम तकलीफ और पीड़ा में होते हो तब तुम्हारे माता-पिता भी शायद तुम्हारी कठिनाइयों और जरूरतों को ठीक से न समझ पाएँ और वे तुम्हें सांत्वना न दे पाएँ। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं और घर से दूर नौकरी करते हैं—विशेष रूप से, कुछ महिलाओं को थोड़े से पैसे कमाने के लिए अपने मालिकों की चापलूसी करनी पड़ती है या अपना शरीर भी बेचना पड़ता है—और बच्चों के लिए घर से दूर काम करना या पैसा कमाना कितना मुश्किल है इसके बारे में उनके माता-पिता कभी नहीं पूछते। अगर उनके बच्चे बहुत सारा पैसा कमाकर नहीं लाते हैं तो वे शिकायत भी करते हैं और दूसरों से उनकी तुलना करते हैं। इससे उनके बच्चे कैसा महसूस करते हैं? (उदास, निराश।) उनके दिल बैठ जाते हैं। वे सोचते है कि दुनिया एक अंधेरी जगह है और उनके अपने माता-पिता भी ऐसे ही हैं और सोचते हैं कि वे कैसे अपना जीवन काटेंगे। इसलिए तुम्हें एक अच्छा व्यक्ति होना चाहिए। हर किसी को एक अच्छे व्यक्ति की आवश्यकता होती है। और अच्छे लोग कैसे बनते हैं? क्या वे आसमान से गिरते हैं? क्या वे जमीन से उगते हैं? क्या वे किसी जानवर से विकसित होते हैं? क्या वे उच्च श्रेणी की पाठशालाओं की शिक्षा के उत्पाद होते हैं? या तपस्वी धार्मिक साधना के उत्पाद हैं? नहीं, इनमें से कोई भी स्पष्टीकरण सही नहीं है, ये सभी बिल्कुल असंभव हैं। केवल परमेश्वर का अनुसरण करके, सत्य का अभ्यास करके और परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करके ही अच्छा व्यक्ति बना जा सकता है। अच्छे लोग भ्रष्ट मनुष्यों के अचानक परिवर्तन से उत्पन्न नहीं होते हैं—लोगों को परमेश्वर में विश्वास करना और उसका उद्धार प्राप्त करना जरूरी है, उन्हें सत्य का अनुसरण करना चाहिए, पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त करना चाहिए और अच्छा व्यक्ति बनने के लिए पूर्ण बनाया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को मित्र और विश्वासपात्र के रूप में एक अच्छे व्यक्ति की जरूरत होती है। मुझे बताओ, क्या परमेश्वर को भी उनकी जरूरत है? (हाँ।) परमेश्वर को अच्छे लोगों की जरूरत है और लोगों को भी अच्छे लोगों की जरूरत है। इस मामले को समझने से तुम पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तुममें एक अच्छा व्यक्ति बनने का प्रयास करने का निश्चय और इच्छा होनी चाहिए। अगर तुम कहते हो, “अच्छा व्यक्ति बनना कठिन और थकानेवाला है, लेकिन मेरे भीतर अच्छा व्यक्ति बनने के लिए प्रयास करने का निश्चय होना जरूरी है। लोगों को अच्छे लोगों की सख्त जरूरत है और मुझे भी अच्छे लोगों की जरूरत है। इसलिए, सबसे पहले मैं स्वयं एक अच्छा व्यक्ति बनूँगा और दूसरों की सहायता और समर्थन करूँगा, परमेश्वर को और अच्छे लोगों को प्राप्त करने में मदद करने का प्रयास करूँगा,” तो यह सही है। अगर हर कोई अच्छा व्यक्ति बनने का प्रयास करे, तो मानवजाति के लिए कुछ आशा होगी। तुम कह सकते हो, “मानवजाति बहुत भ्रष्ट और बुरी है। अगर परमेश्वर में विश्वास करने वाले केवल कुछ लोग ही अच्छे लोग हों तो इसका कोई फायदा नहीं है। उन पर अब भी धौंस जमाई जाएगी क्योंकि दुनिया में बहुत सारे बुरे लोग हैं।” यह कहना मूर्खतापूर्ण बात है। तुम उद्धार प्राप्त करने के लिए परमेश्वर में विश्वास करते हो। अगर तुम अच्छे और धार्मिक व्यक्ति बन जाते हो, तो परमेश्वर तुम्हें आशीष देगा। मनुष्य चाहे कितने भी दुष्ट और बुरे क्यों न हों, परमेश्वर के पास उनसे निपटने के तरीके होते हैं। इस बारे में लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। तुम्हें केवल सत्य का अनुसरण करने और परमेश्वर का उद्धार प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना है। यही उसके इरादों के अनुरूप है। जब नूह ने जहाज बनाया तो अंत में केवल आठ लोग बचाए गए। जिन्होंने परमेश्वर के वचनों पर विश्वास नहीं किया और सही मार्ग पर नहीं चले वे सभी अंत में परमेश्वर की बाढ़ से नष्ट हो गए। यह सर्वमान्य तथ्य है। ऐसा क्यों है कि तुम परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता को नहीं पहचान सकते? तुम क्यों नहीं पहचान सकते कि परमेश्वर एक धार्मिक परमेश्वर है? जब परमेश्वर अपना कार्य समाप्त करता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने लोग उद्धार प्राप्त करते हैं, इस युग का अंत तो अवश्य होगा। बड़ी आपदाएँ आएँगी और परमेश्वर इन सभी समस्याओं का समाधान कर देगा। तुम सत्य का अनुसरण करते हो और अपने लिए एक धार्मिक व्यक्ति बनते हो—इससे तुम्हें लाभ होता है, और दूसरों को लाभ होता है। कुछ लोग कहते हैं, “अच्छे लोग जिसके हकदार होते हैं वह उन्हें नहीं मिलता,” लेकिन यह गलत है। जो लोग सत्य का अनुसरण करते हैं, उन्हें अंततः स्वर्ग के राज्य में अपना स्थान मिलेगा और पृथ्वी पर बुरे लोग चाहे कितना भी फले-फूलें, अंत में वे सभी नष्ट कर नरक में डाल दिए जाएँगे। तो, अच्छे और बुरे दोनों को उनकी न्यायसंगत सजा मिलती है, क्या नहीं मिलती? बाइबल में क्या कहा गया है? “हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है” (प्रकाशितवाक्य 22:12)।
जो चीजें अय्यूब ने कीं और जो अय्यूब की किताब में दर्ज हैं, वे ज्यादा जगह नहीं लेती हैं, वे बहुत सरल हैं और उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है। लेकिन तुम्हें अय्यूब के कार्यों के भीतर सुराग ढूँढ़ना आना चाहिए और अच्छा व्यक्ति बनने के लिए अय्यूब के सिद्धांतों और अभ्यास के मार्ग को ढूँढ़ना आना चाहिए। सबसे पहले, अपने बच्चों और अपने सबसे करीबी लोगों के साथ व्यवहार के संबंध में अय्यूब का सिद्धांत क्या था? यह था कि अपने स्नेह पर निर्भर न रहना, बल्कि सिद्धांतों पर कायम रहना। जो कुछ हुआ उसके कारण वह परमेश्वर के विरुद्ध पाप नहीं करने वाला था। यह उसके परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का पहला मानदंड था—उसने इसकी शुरुआत अपने परिवार के सदस्यों के प्रति अपने व्यवहार से की। दूसरा, उसकी संपत्ति के प्रति उसका व्यवहार था। अय्यूब जानता था, हालाँकि उसकी संपत्ति केवल सांसारिक संपत्ति थी, लेकिन वह परमेश्वर से आई थीं और वह परमेश्वर ने ही उसे प्रदान की थीं और आशीष के तौर पर परमेश्वर ने उसे सौंपी थी। लोगों को इन चीजों का सावधानीपूर्वक और अच्छी तरह से प्रबंधन और उनकी देखभाल करनी चाहिए। उनकी अच्छी तरह से देखभाल करने का मतलब लालच से उन्हें अपने पास रखना या उनका आनंद लेना नहीं है और इसका मतलब इन चीजों के लिए जीना नहीं है; इसका अर्थ है उनके लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना, परमेश्वर के आयोजन और उनके भीतर उनकी संप्रभुता को देखना और इन चीजों के माध्यम से परमेश्वर को जानना। जब लोग परमेश्वर को जानते हैं तो वे उसकी संप्रभुता के प्रति समर्पण कर पाते हैं और अच्छा व्यक्ति होने के लिए वास्तव में यही सबसे महत्वपूर्ण मानदंड है। यदि तुम दूसरों से पेश आते समय सिद्धांतों का पालन कर सकते हो लेकिन परमेश्वर के प्रति समर्पण नहीं कर सकते तो क्या तुम वास्तव में अच्छे व्यक्ति हो? नहीं, तुम नहीं हो। इसके अलावा, परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति पेश आते हुए अय्यूब परमेश्वर की संपूर्ण संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होने में सक्षम था। परमेश्वर की व्यवस्थाओं में उसका अभाव और उसके परीक्षण शामिल हैं। परमेश्वर कभी वंचित रखता है, कभी परीक्षा लेता है। उसके परीक्षणों में क्या शामिल है? कभी-कभी वह तुम्हें बीमार कर सकता है, या तुम्हारे परिवार में कुछ प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है, या वह कुछ ऐसा कर सकता है जिससे अपना कर्तव्य निभाने के दौरान तुम्हें कुछ कठिनाइयों और काट-छाँट का सामना करना पड़े और वह तुम्हें दंड दे, अनुशासित करे, तुम्हारा न्याय करे और ताड़ना दे। ये सभी परमेश्वर की व्यवस्थाएँ हैं—और उनके प्रति तुम्हारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? अगर तुम उनके प्रति समर्पित नहीं हो सकते और तुम लगातार उनसे दूर भागना चाहते हो, तो तुम परमेश्वर के कार्य का अनुभव नहीं कर रहे हो। इसके अलावा, लोगों को अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होना जरूरी है। उन्हें अपनी वफादारी दिखाना जरूरी है। यहाँ वफादारी का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि वे जो कुछ कर सकते हैं और जो कुछ उनके पास है, उसे अर्पित करना। यही वफादारी है! यह अच्छा व्यक्ति होने का मानदंड है। अगर अभी तुम लोगों के बीच अय्यूब जैसा केवल एक ही व्यक्ति होता—और लोगों की कोई आवश्यकता नहीं है, केवल एक—तो तुम लोगों के बीच एक स्तंभ होता। जब तुम लोगों पर कोई विपत्ति आती, तो वह हर समय तुम लोगों के आदर्श के रूप में काम करता। तुम लोगों को बस वैसा ही करना होता जैसा वह करता है और समय के साथ तुम लोग बदल जाते। तुम अपने विचारों से लेकर अपने कार्यों तक, सत्य की खोज से लेकर उसका अभ्यास करने तक सुधार करते रहते। तुम्हारी स्थिति सुधर जाती, सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती, जिससे तुम परमेश्वर में विश्वास के सही रास्ते पर चलने लगते। इस तरह से कुछ वर्षों तक परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने के बाद, तुम लोग भी परमेश्वर का भय मान पाते और अय्यूब की तरह बुराई से दूर रहकर एक आदर्श व्यक्ति बन जाते।
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