परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर के कार्य को जानना | अंश 220

क्या तुम लोगों ने देखा है कि इस समूह के लोगों में परमेश्वर कौन सा कार्य पूर्ण करेगा? परमेश्वर ने कहा, कि यहाँ तक कि सहस्राब्दि राज्य में भी लोगों को उसके कथनों का पालन अवश्य करना चाहिए, और भविष्य में परमेश्वर के कथन अंततोगत्वा मनुष्य के जीवन को कनान के उत्तम देश में सीधे तौर पर मार्गदर्शन करेगा। जब मूसा जंगल में था, तो परमेश्वर ने सीधे तौर पर उसे निर्देश दिया और उससे बातचीत की। स्वर्ग से परमेश्वर ने लोगों के आनन्द के लिए भोजन, पानी और मन्ना भेजा, और आज भी ऐसा ही हैः परमेश्वर ने लोगों के आनन्द के लिए व्यक्तिगत रूप से खाने और पीने की चीजें भिजवाई, और लोगों को ताड़ना देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर श्राप भेजा। और इसलिए उसके कार्य का प्रत्येक कदम व्यक्तिगत तौर पर परमेश्वर के द्वारा ही उठाया जाता है। आज, लोग तथ्यों के घटने की लालसा करते हैं, वे चिह्नों और चमत्कारों को देखने की कोशिश करते हैं, और यह सम्भव है कि इस प्रकार से सभी लोग छोड़ दिए जाएँगे, क्योंकि परमेश्वर का कार्य तेजी से वास्तविक होता जा रहा है। कोई नहीं जानता है कि परमेश्वर ने स्वर्ग से अवरोहण कर लिया है, वे अभी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि परमेश्वर ने स्वर्ग से भोजन और शक्तिवर्धक-पेय भिजवाएँ हैं—मगर परमेश्वर वास्तव में विद्यमान है, और सहस्राब्दि राज्य के जोशपूर्ण दृश्य जिनकी लोग कल्पना करते हैं वे भी परमेश्वर के व्यक्तिगत कथन हैं। यह सत्य है, और केवल यही पृथ्वी पर परमेश्वर के साथ राज करना है। परमेश्वर के साथ पृथ्वी पर राज करना देह को उद्धृत करता है। जो देह का नहीं है वह पृथ्वी का नहीं है, और इसलिए वे सभी जो तीसरे स्वर्ग में जाने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं ऐसा व्यर्थ में करते है। एक दिन, जब सम्पूर्ण विश्व परमेश्वर के पास वापस लौट जाएगा, तो सम्पूर्ण विश्व में उसके कार्य का केन्द्र परमेश्वर की वाणी का अनुसरण करेगा; और कहीं, कुछ लोग फोन करेंगे, कुछ लोग विमान लेंगे, कुछ लोग समुद्र पार करने के लिए नाव लेंगे, और कुछ लोग परमेश्वर के कथनों को प्राप्त करने के लिए लेज़र का उपयोग करेंगे। हर कोई प्रेममय होगा और शोकाकुल होगा, वे सभी परमेश्वर के निकट आएँगे और परमेश्वर की ओर जमा हो जाएँगे, और सभी परमेश्वर की आराधना करेंगे—और यह सब परमेश्वर के कर्म होंगे। इस बात को स्मरण रखें! परमेश्वर और कहीं फिर से कभी भी आरम्भ नहीं करेगा। परमेश्वर इस सत्य को पूर्ण करेगा: वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लोगों को अपने सामने आने देगा, और पृथ्वी पर परमेश्वर की आराधना करवाएगा, और अन्य स्थानों पर उसका कार्य समाप्त हो जाएगा और लोगों को सच्चा मार्ग तलाशने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह यूसुफ की तरह होगा: हर कोई भोजन के लिए उसके पास आया, और उसके सामने झुका, क्योंकि उसके पास खाने की चीज़ें थीं। अकाल से बचने के लिए लोग सच्चा मार्ग तलाशने के लिए मजबूर हो जाएँगे। सम्पूर्ण धार्मिक समुदाय गंभीर भूखमरी से पीड़ित हो रहा है और केवल परमेश्वर ही आज, मनुष्य के आनन्द के लिए हमेशा बहने वाले स्रोत को धारण किए हुए, जीवन के जल का स्रोत है, और लोग आकर उस पर निर्भर हो जाएँगे। यह वह समय होगा जब परमेश्वर के कर्म प्रकट होंगे, और परमेश्वर गौरवान्वित होगा; ब्रह्माण्ड भर के सभी लोग इस साधारण "मनुष्य" की आराधना करेंगे। क्या वह परमेश्वर की महिमा का दिन नहीं होगा? एक दिन, पुराने पादरी जीवन के जल के स्रोत से पानी की माँग करते हुए टेलीग्राम भेजेंगे। वे बुज़ुर्ग होंगे, फिर भी वे इस मनुष्य की आराधना करने आएँगे, जिसे उन्होंने तिरस्कृत किया था। अपने मुँह से वे स्वीकार करेंगे और अपने हृदय से वे भरोसा करेंगे—और क्या यही चिह्न और चमत्कार नहीं है? जब सम्पूर्ण राज्य आनन्द करता है वही दिन परमेश्वर की महिमा का है, और जो कोई भी तुम लोगों के पास आता है और परमेश्वर के शुभ समाचार को स्वीकार करता है वह परमेश्वर द्वारा धन्य किया जाएगा, और ये देश तथा ये लोग परमेश्वर द्वारा धन्य और देखभाल किए जाएँगे। भविष्य की दिशा इस प्रकार होगीः जो लोग परमेश्वर के मुख से कथनों को प्राप्त करेंगे उनके पास पृथ्वी पर चलने के लिए मार्ग होगा और चाहे वे व्यवसायी या वैज्ञानिक, या शिक्षक और उद्योगपति हों, जो लोग परमेश्वर के वचनों के बिना हैं उनके लिए एक कदम चलना भी बहुत कठिन होगा और वे सच्चे मार्ग पर चलने के लिए मजबूर हो जाएँगे। यही है वह जो "सत्य के साथ तू सम्पूर्ण संसार में चलेगा; सत्य के बिना, तू कहीं नहीं पहुँचेगा" का अर्थ है। सत्य इस प्रकार हैं: सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को आदेश देने और मानवजाति को शासित करने और जीतने के लिए परमेश्वर मार्ग का उपयोग करेगा (जिसका अर्थ है उसके समस्त वचन)। लोग हमेशा उन साधनों में एक बड़े पलटाव की आशा करते हैं जिनके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। स्पष्ट तौर पर कहें, तो यह वचन के माध्यम से है कि परमेश्वर लोगों को नियंत्रित करता है, और वह जो कहता है उसे तुम्हें पूरा अवश्य करना चाहिए चाहे तुम्हारी ऐसा करने की इच्छा हो अथवा न हो; यह एक कर्म संबंधी सत्य है, और इसका सभी के द्वारा पालन किया जाना चाहिए, और इसलिए भी, यह निष्ठुर है, और सभी को अवश्य ज्ञात होना चाहिए।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सहस्राब्दि राज्य आ चुका है

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