परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर के कार्य को जानना | अंश 205

तुम लोगों को अपना सर्वस्व मेरे कार्य के लिए अर्पित कर देना चाहिए। तुम्हें वह कार्य करना चाहिए, जिससे मुझे लाभ हो। मैं तुम लोगों को वह सब समझाने के लिए तैयार हूँ, जो तुम लोग नहीं समझते, ताकि तुम लोग मुझसे वह सब प्राप्त कर सको, जिसका तुम लोगों में अभाव है। यद्यपि तुम लोगों के दोष इतने ज्यादा हैं कि गिने नहीं जा सकते, फिर भी, तुम लोगों को अपनी अंतिम दया प्रदान करते हुए, मैं तुम लोगों पर वह कार्य करते रहने के लिए तैयार हूँ जो मुझे करना चाहिए, ताकि तुम लोग मुझसे लाभान्वित हो सको और वह महिमा प्राप्त कर सको, जो तुम लोगों में अनुपस्थित है और जिसे संसार ने कभी देखा नहीं है। मैंने इतने अधिक वर्षों तक कार्य किया है, फिर भी किसी मनुष्य ने मुझे कभी जाना नहीं है। मैं तुम लोगों को वे रहस्य बताना चाहता हूँ, जो मैंने कभी किसी और को नहीं बताए हैं।

मनुष्यों के बीच मैं वह पवित्रात्मा था, जिसे वे देख नहीं सकते थे, वह पवित्रात्मा जिसके साथ वे कभी जुड़ नहीं सकते थे। पृथ्वी पर अपने कार्य के तीन चरणों (संसार का सृजन, छुटकारा और विनाश) के कारण, मैं उनके बीच अपना कार्य करने के लिए भिन्न-भिन्न समयों पर प्रकट हुआ हूँ (सार्वजनिक रूप से कभी नहीं)। पहली बार मैं उनके बीच छुटकारे के युग के दौरान आया था। निस्संदेह मैं यहूदी परिवार में आया; इसलिए पृथ्वी पर परमेश्वर का आगमन देखने वाले पहले लोग यहूदी थे। मैंने इस कार्य को व्यक्तिगत रूप से इसलिए किया, क्योंकि छुटकारे के अपने कार्य में मैं अपने देहधारी शरीर का उपयोग पापबलि के रूप में करना चाहता था। इस प्रकार मुझे सबसे पहले देखने वाले अनुग्रह के युग के यहूदी थे। यह पहली बार था, जब मैंने देह में कार्य किया था। राज्य के युग में मेरा कार्य जीतना और पूर्ण बनाना है, इसलिए मैं पुनः देह में चरवाही का कार्य करता हूँ। यह दूसरी बार है, जब मैं देह में कार्य कर रहा हूँ। कार्य के अंतिम दो चरणों में लोग जिसके साथ जुड़ते हैं, वह अदृश्य, अमूर्त पवित्रात्मा नहीं है, बल्कि एक व्यक्ति है जो देह के रूप में साकार पवित्रात्मा है। इस प्रकार, मनुष्य की नजरों में मैं पुनः इंसान बन जाता हूँ, जिसमें परमेश्वर के रूप और एहसास का लेशमात्र भी नहीं है। इतना ही नहीं, जिस परमेश्वर को लोग देखते हैं, वह न सिर्फ नर, बल्कि नारी भी है, जो उनके लिए सबसे अधिक विस्मयकारी और उलझन में डालने वाला है। मेरे असाधारण कार्य ने कई-कई वर्षों से चले आ रहे पुराने विश्वास चूर-चूर कर दिए हैं। लोग अवाक् रह गए हैं! परमेश्वर केवल पवित्र आत्मा, पवित्रात्मा, सात गुना तीव्र पवित्रात्मा या सर्व-व्यापी पवित्रात्मा ही नहीं है, बल्कि एक मनुष्य भी है—एक साधारण मनुष्य, एक अत्यधिक सामान्य मनुष्य। वह नर ही नहीं, नारी भी है। वे इस बात में एक-समान हैं कि वे दोनों ही मनुष्यों से जन्मे हैं, और इस बात में असमान हैं कि एक पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आया और दूसरा मनुष्य से जन्मा किंतु सीधे पवित्रात्मा से उत्पन्न है। वे इस बात में एक-समान हैं कि परमेश्वर द्वारा धारित दोनों देह परमपिता परमेश्वर का कार्य करते हैं, और असमान इस बात में हैं कि एक ने छुटकारे का कार्य किया, जबकि दूसरा विजय का कार्य करता है। दोनों परमपिता परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन एक प्रेममय-करुणा और दयालुता से भरा मुक्तिदाता है और दूसरा कोप और न्याय से भरा धार्मिकता का परमेश्वर है। एक सर्वोच्च सेनापति है जिसने छुटकारे का कार्य आरंभ किया, जबकि दूसरा धार्मिक परमेश्वर है जो विजय का कार्य संपन्न करता है। एक आरंभ है, दूसरा अंत। एक निष्पाप देह है, दूसरा वह देह जो छुटकारे को पूरा करता है, कार्य जारी रखता है और कभी भी पापी नहीं है। दोनों एक ही पवित्रात्मा हैं, लेकिन वे भिन्न-भिन्न देहों में वास करते हैं और भिन्न-भिन्न स्थानों पर पैदा हुए थे और उनके बीच कई हजार वर्षों का अंतर है। फिर भी उनका संपूर्ण कार्य एक-दूसरे का पूरक है, कभी परस्पर-विरोधी नहीं है, और एक-दूसरे के तुल्य है। दोनों ही मनुष्य हैं, लेकिन एक बालक था और दूसरी बालिका। इन तमाम वर्षों में लोगों ने न सिर्फ पवित्रात्मा को और न सिर्फ एक मनुष्य, एक नर को देखा है, बल्कि कई ऐसी चीजें भी देखी हैं, जो मानव-धारणाओं से मेल नहीं खातीं; इसलिए मनुष्य मुझे कभी पूरी तरह नहीं समझ पाते। वे मुझ पर आधा विश्वास और आधा संदेह करते रहते हैं—मानो मेरा अस्तित्व भी हो, लेकिन मैं एक मायावी सपना भी हूँ—यही कारण है कि आज तक भी लोग नहीं जानते कि परमेश्वर क्या है। क्या तुम वास्तव में मुझे एक सरल वाक्य में समेट सकते हो? क्या तुम सचमुच यह कहने का साहस करते हो, "यीशु और कोई नहीं बल्कि परमेश्वर है, और परमेश्वर और कोई नहीं बल्कि यीशु है"? क्या तुम सचमुच इतने निर्भीक हो कि यह कह सको, "परमेश्वर और कोई नहीं बल्कि पवित्रात्मा है, और पवित्रात्मा और कोई नहीं बल्कि परमेश्वर है"? क्या तुम सहजता से कह सकते हो, "परमेश्वर केवल देहधारी मनुष्य है"? क्या तुममें सचमुच दृढ़तापूर्वक यह कहने का साहस है, "यीशु की छवि परमेश्वर की महान छवि है"? क्या तुम अपनी वाक्पटुता का उपयोग करके परमेश्वर के स्वभाव और छवि को पूर्ण रूप से समझाने में सक्षम हो? क्या तुम वास्तव में यह कहने की हिम्मत करते हो, "परमेश्वर ने अपनी छवि के अनुरूप सिर्फ नरों की रचना की, नारियों की नहीं"? अगर तुम ऐसा कहते हो, तो फिर मेरे चुने हुए लोगों के बीच कोई नारी नहीं होगी, नारियाँ मानवजाति का एक वर्ग तो बिलकुल भी नहीं होंगी। क्या अब तुम वास्तव में जानते हो कि परमेश्वर क्या है? क्या परमेश्वर मनुष्य है? क्या परमेश्वर पवित्रात्मा है? क्या परमेश्वर वास्तव में नर है? क्या जो कार्य मुझे करना है, वह केवल यीशु ही पूरा कर सकता है? अगर तुम मेरा सार प्रस्तुत करने के लिए उपर्युक्त में से केवल एक को ही चुनते हो, तो फिर तुम एक अत्यंत अज्ञानी निष्ठावान विश्वासी हो। अगर मैं एक बार, और केवल एक बार, देहधारी के रूप में कार्य करता, तो क्या तुम लोग मेरा सीमांकन करते? क्या तुम सचमुच एक झलक में मुझे पूरी तरह समझ सकते हो? क्या तुम वास्तव में मुझे अपने जीवनकाल के दौरान अनुभव की गई चीजों के आधार पर पूरी तरह से समेट सकते हो? अगर मैं अपने दोनों देहधारणों में एक-जैसा कार्य करता, तो तुम मुझे किस तरह देखते? क्या तुम मुझे हमेशा के लिए सलीब पर कीलों से जड़ा छोड़ दोगे? क्या परमेश्वर उतना सरल हो सकता है, जितना तुम दावा करते हो?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ क्या है?

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