परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 154
शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट करने के लिए ज्ञान का और उसे नियंत्रित करने के लिए प्रसिद्धि और लाभ का उपयोग करना (चुना हुआ अंश)
मनुष्य के विषय में शैतान की भ्रष्टता मुख्य रूप से पाँच पहलुओं में प्रदर्शित होती है; ये पाँच पहलू पाँच तरीके हैं जिनके अंतर्गत शैतान मनुष्य को भ्रष्ट करता है। इन पाँच तरीकों में से पहला ज्ञान है जिसका हमने जिक्र किया था, अतः आइए हम पहले ज्ञान को अपनी संगति के लिए एक विषय के तौर पर लें। शैतान ज्ञान को एक चारे के तौर पर इस्तेमाल करता है। ध्यान से सुनें: यह बस एक प्रकार का चारा है। लोगों को लुभाया जाता है कि "कठिन अध्ययन करें और प्रति दिन बेहतर बनें," किसी हथियार के रूप में, ज्ञान के साथ स्वयं को सुसज्जित करें, फिर विज्ञान के द्वार को खोलने के लिए ज्ञान का उपयोग करें; दूसरे शब्दों में, जितना अधिक ज्ञान तुम अर्जित करते हो, उतना ही अधिक तुम समझोगे। शैतान लोगों को यह सब कुछ बताता है। शैतान मनुष्य को साथ ही साथ ऊँचे आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए भी कहता है, ठीक उसी समय जब वे ज्ञान सीख रहे हैं, वह उन्हें बताता है कि उनके पास महत्वाकांक्षाएँ एवं आदर्श हों। लोगों की जानकारी के बिना, शैतान इस प्रकार के अनेक सन्देश देता है, लोगों को अवचेतन रूप से यह महसूस कराता है कि ये चीज़ें सही हैं, या लाभप्रद हैं। अनजाने में, लोग इस प्रकार के मार्ग पर चलते हैं, अनजाने में ही उनके स्वयं के आदर्शों एवं महत्वाकांक्षाओं के द्वारा आगे की ओर उनकी आगुवाई की जाती है। कदम दर कदम, लोग अनजाने में ही उस ज्ञान से सीखते हैं जिसे शैतान के द्वारा दिया गया है जो महान या प्रसिद्ध लोगों की सोच है, और इन विचारों को स्वीकार करते हैं। वे साथ ही कुछ ऐसे लोगों से एक चीज़ के बाद दूसरी चीज़ सीखते हैं जिन्हें लोग नायक मानते हैं। तुम लोग उन में से कुछ को जान सकते हो जिसका समर्थन शैतान इन नायकों के कार्यों के सन्दर्भ में मनुष्य के लिए कर रहा है, या जो कुछ वह मनुष्य के मन के भीतर डालना चाहता है? शैतान मनुष्य के मन के भीतर क्या डालता है? मनुष्य को देशभक्त होना चाहिए, उसके पास राष्ट्रीय अखण्डता होनी चाहिए, और उसे वीर होना चाहिए। मनुष्य कुछ ऐतिहासिक कहानियों से या प्रसिद्ध वीरों की कुछ जीवनी से क्या सीखता है? अपने साथी के लिए या किसी मित्र के लिए व्यक्तिगत वफादारी के एहसास का होना, या उसके लिए कुछ भी करना। शैतान के इस ज्ञान के अंतर्गत, मनुष्य अनजाने में कई चीज़ों को सीखता है, और कई गैर सकारात्मक चीज़ों को सीखता है। अनभिज्ञता के मध्य, शैतान के द्वारा उनके लिए बीजों को तैयार किया जाता है और उन्हें उनके अपरिपक्व मनों में बो दिया जाता है। ये बीज उन्हें यह महसूस कराते हैं कि उन्हें महान मनुष्य होना चाहिए, प्रसिद्ध होना चाहिए, नायक होना चहिए, देशभक्त होना चाहिए, ऐसे लोग होना चाहिए जो अपने परिवार से प्रेम करते हैं, ऐसे लोग होना चाहिए जो एक मित्र के लिए कुछ भी करेगा और उनके पास व्यक्तिगत वफादारी का एहसास होना चाहिए। शैतान के द्वारा बहकाए जाने के द्वारा, वे अनजाने में ही उस रास्ते पर चल पड़ते हैं जिसे उसने उनके लिए तैयार किया था। जब वे इस रास्ते पर चलते हैं, तो उन्हें शैतान के जीवन जीने के नियमों को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाता है। अनजाने में और अपने आप में पूरी तरह से बेखबर, वे जीवन जीने के स्वयं के नियमों को विकसित कर लेते हैं, जबकि ये नियम शैतान के उन नियमों से बढ़कर और कुछ भी नहीं हैं जिन्हें जबरदस्ती उनके भीतर डाला गया है। सीखने की प्रक्रिया के दौरान, शैतान उन्हें उकसाता है कि वे अपने स्वयं के लक्ष्यों को बढ़ावा दें, कि अपने स्वयं के जीवन के लक्ष्यों को, जीवन जीने के सिद्धान्तों को, और जीवन की दिशा को निर्धारित करें, इसी बीच कहानियों का उपयोग करते हुए, जीवनी का उपयोग करते हुए, और सभी संभावित माध्यमों का उपयोग करते हुए शैतान उनमें इन चीज़ों को भरता है, ताकि लोग थोड़ा थोड़ा करके उसके चारे (प्रलोभन) को ले सकें। इस रीति से, लोग अपने सीखने के पथक्रम के दौरान अपने स्वयं के शौक एवं उद्यमों (अनुसरण) को विकसित कर लेते हैं: कुछ लोग साहित्य, कुछ लोग अर्थशास्त्र, कुछ लोग खगोल विज्ञान या भूगोल पसन्द करने लगते हैं। फिर यहाँ पर कुछ लोग हैं जो राजनीति को पसन्द करने लगते हैं, कुछ लोग हैं जो भौतिक विज्ञान, कुछ रसायन विज्ञान, और यहाँ तक कि कुछ लोग अध्यात्म विज्ञान को पसन्द करते हैं। ये सब ज्ञान का एक भाग है और तुम लोग इन के सम्पर्क में आ गए हो। अपने अपने हृदयों में, तुम लोगों में से प्रत्येक जानता है कि इन चीज़ों के साथ क्या होता है, हर कोई पहले से ही उनके साथ सम्पर्क में है। इस किस्म के ज्ञान के सम्बन्ध में, उनमें से किसी एक के विषय में कोई भी निरन्तर बिना रुके बात कर सकता है। और इस प्रकार यह स्पष्ट है कि यह ज्ञान मनुष्य के मन में कितनी गहराई से प्रवेश कर चुका है, यह उस स्थिति को दिखाता है जिस पर इस ज्ञान के द्वारा मनुष्य के मन में कब्ज़ा किया गया है और इसका मनुष्य पर कितना गहरा प्रभाव है। जब एक बार कोई व्यक्ति ज्ञान के किसी पहलू को पसन्द करता है, जब कोई व्यक्ति अपने हृदय में किसी एक के साथ गहराई से प्रेम करने लगता है, तब वे अनजाने में ही आदर्शों को विकसित कर लेते हैं: कुछ लोग ग्रंथकार बनना चाहते हैं, कुछ लोग लेखक बनना चाहते हैं, कुछ लोग राजनीति में अपनी जीवन वृत्ति (कैरियर) बनाना चाहते हैं, और कुछ अर्थशास्त्र में संलग्न होना और व्यवसायी बनना चाहते हैं। फिर लोगों का ऐसा समूह है जो नायक बनना चाहते हैं, महान या प्रसिद्ध बनना चाहते हैं। इसकी परवाह किए बगैर कि कोई किस प्रकार का व्यक्ति बनना चाहता है, उनका लक्ष्य यह है कि ज्ञान को सीखने के इस तरीके को लिया जाए और इसका उपयोग अपने उद्देश्य के लिए और अपनी इच्छाओं और आदर्शों को साकार करने के लिए किया जाए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि यह कितना अच्छा सुनाई देता है—वे अपने स्वप्नों को हासिल करना चाहते हैं, वे इस जीवन को बेकार में जीना नहीं चाहते हैं, या वे अपनी जीवन वृत्ति (कैरियर) में लगे रहना चाहते हैं—वे अपने ऊँचे आदर्शों एवं महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देते हैं परन्तु, मुख्य तौर पर, यह सब किस लिए है? क्या तुम लोगों ने इसके बारे में पहले कभी सोचा है? शैतान यह सब क्यों करना चाहता है? इन चीज़ों को मनुष्य के भीतर डालने में शैतान का क्या उद्देश्य है? तुम लोगों के हृदय इस प्रश्न के प्रति स्पष्ट होने चाहिए।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI
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