परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 83

परमेश्वर सभी चीजों की सृष्टि करने के लिए वचनों को प्रयोग करता है

(चुने हुए अंश)

उत्पत्ति 1:3-5 जब परमेश्‍वर ने कहा, "उजियाला हो," तो उजियाला हो गया। और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। और परमेश्‍वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:6-7 फिर परमेश्‍वर ने कहा, "जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।" तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:9-11 फिर परमेश्‍वर ने कहा, "आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे," और वैसा ही हो गया। परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है। फिर परमेश्‍वर ने कहा, "पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक एक की जाति के अनुसार हैं, पृथ्वी पर उगें," और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:14-15 फिर परमेश्‍वर ने कहा, "दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियाँ हों; और वे चिह्नों, और नियत समयों और दिनों, और वर्षों के कारण हों; और वे ज्योतियाँ आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देनेवाली भी ठहरें," और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:20-21 फिर परमेश्‍वर ने कहा, "जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।" इसलिये परमेश्‍वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्‍टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया, और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्‍टि की: और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:24-25 फिर परमेश्‍वर ने कहा, "पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात् घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों," और वैसा ही हो गया। इस प्रकार परमेश्‍वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन-पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।

पहले दिन, परमेश्वर के अधिकार के कारण, मानव-जाति के दिन और रात उत्पन्न हुए और स्थिर बने हुए हैं

आओ, हम पहले अंश को देखें : "जब परमेश्‍वर ने कहा, 'उजियाला हो,' तो उजियाला हो गया। और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। और परमेश्‍वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया" (उत्पत्ति 1:3-5)। यह अंश सृष्टि की शुरुआत में परमेश्वर के पहले कार्य का विवरण देता है, और पहला दिन जिसे परमेश्वर ने गुजारा, उसमें एक शाम और एक सुबह थी। पर वह एक असाधारण दिन था : परमेश्वर ने सभी चीजों के लिए उजाला तैयार करना शुरू किया, और इतना ही नहीं, उजाले को अँधेरे से अलग किया। इस दिन, परमेश्वर ने बोलना शुरू किया, और उसके वचन और अधिकार साथ-साथ मौजूद रहे। उसका अधिकार सभी चीजों के बीच दिखाई देने लगा, और उसके वचनों के परिणामस्वरूप उसका सामर्थ्‍य सभी चीजों में फैल गया। इस दिन से परमेश्वर के वचनों, परमेश्वर के अधिकार, और परमेश्वर के सामर्थ्‍य के कारण सभी चीजें बन गईं और सुदृढ़ रहीं, और उन्होंने परमेश्वर के वचनों, परमेश्वर के अधिकार, और परमेश्वर के सामर्थ्‍य की वजह से काम करना शुरू कर दिया। जब परमेश्वर ने ये वचन कहे "उजियाला हो," तो उजियाला हो गया। परमेश्वर कार्यों के किसी क्रम में शामिल नहीं हुआ; उजाला उसके वचनों के परिणामस्वरूप प्रकट हुआ था। इस उजाले को परमेश्वर ने दिन कहा, जिस पर आज भी मनुष्य अपने अस्तित्व के लिए निर्भर रहता है। परमेश्वर की आज्ञा से उसका सार और मूल्य कभी नहीं बदले, और वह कभी गायब नहीं हुआ। उसका अस्तित्व परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्‍य को दर्शाता है, और सृष्टिकर्ता के अस्तित्व की घोषणा करता है। यह सृष्टिकर्ता की पहचान और हैसियत की बारंबार पुष्टि करता है। यह अमूर्त या मायावी नहीं, बल्कि वास्तविक प्रकाश है, जिसे मनुष्य द्वारा देखा जा सकता है। उस समय के बाद से इस खाली संसार में, जिसमें "पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था," पहली भौतिक चीज पैदा हुई। यह चीज परमेश्वर के मुँह से निकले वचनों से आई, और परमेश्वर के अधिकार और कथनों के कारण सभी चीजों की सृष्टि के पहले कार्य में दिखाई दी। इसके तुरंत बाद, परमेश्वर ने उजाले और अँधेरे को अलग-अलग होने की आज्ञा दी...। परमेश्वर के वचनों के कारण हर चीज बदल गई और पूर्ण हो गई...। परमेश्वर ने उजाले को "दिन" कहा और अँधेरे को उसने "रात" कहा। उस समय, संसार में, जिसे परमेश्वर सृजित करना चाहता था, पहली शाम और पहली सुबह बनाए गए, और परमेश्वर ने कहा कि यह पहला दिन है। सृष्टिकर्ता द्वारा सभी चीजों की सृष्टि का यह पहला दिन था, और यह सभी चीजों की सृष्टि का प्रारंभ था, और यह पहली बार था, जब सृष्टिकर्ता का अधिकार और सामर्थ्‍य उसके द्वारा सृजित इस संसार में दिखाया गया था।

इन वचनों के माध्यम से मनुष्य परमेश्वर और उसके वचनों के अधिकार, और साथ ही परमेश्वर के सामर्थ्‍य को देखने में सक्षम हुआ। चूँकि केवल परमेश्वर के पास ही ऐसा सामर्थ्‍य है, अत: केवल परमेश्वर के पास ही ऐसा अधिकार है; चूँकि परमेश्वर के पास ही ऐसा अधिकार है, अत: केवल परमेश्वर के पास ही ऐसा सामर्थ्‍य है। क्या किसी मनुष्य या वस्तु के पास ऐसा अधिकार और सामर्थ्‍य हो सकता है? क्या तुम लोगों के दिल में इसका कोई उत्तर है? परमेश्वर को छोड़, क्या किसी सृजित या गैर-सृजित प्राणी के पास ऐसा अधिकार है? क्या तुम लोगों ने किसी पुस्तक या प्रकाशन में कभी ऐसी चीज का उदाहरण देखा है? क्या ऐसा कोई अभिलेख है कि किसी ने स्वर्ग और पृथ्वी और सभी चीजों की सृष्टि की हो? यह किसी अन्य पुस्तक या अभिलेखों में नहीं पाया जाता; निस्संदेह, ये परमेश्वर द्वारा दुनिया की भव्य सृष्टि के बारे में एकमात्र आधिकारिक और शक्तिशाली वचन हैं, जो बाइबल में दर्ज हैं; ये वचन परमेश्वर के अद्वितीय अधिकार और पहचान के बारे में बताते हैं। क्या इस तरह के अधिकार और सामर्थ्‍य को परमेश्वर की अद्वितीय पहचान का प्रतीक कहा जा सकता है? क्या यह कहा जा सकता है कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ परमेश्वर ही धारण करता है? निस्संदेह, सिर्फ परमेश्वर ही ऐसा अधिकार और सामर्थ्‍य धारण करता है! यह अधिकार और सामर्थ्य किसी अन्य सृजित या गैर-सृजित प्राणी द्वारा धारण या प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता! क्या यह स्वयं अद्वितीय परमेश्वर के विशिष्ट गुणों में से एक है? क्या तुम लोगों ने इसे देखा है? इन वचनों से लोग शीघ्रता और स्पष्टता से इस तथ्य को समझ जाते हैं कि परमेश्वर अद्वितीय अधिकार, अद्वितीय सामर्थ्‍य, सर्वोच्च पहचान और हैसियत धारण करता है। उपर्युक्त बातों की संगति से, क्या तुम लोग कह सकते हो कि वह परमेश्वर, जिस पर तुम लोग विश्वास करते हो, अद्वितीय परमेश्वर है?

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I

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