परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 574
जब तुमने कुछ काम किया था, तो परमेश्वर बहुत असंतुष्ट हुआ था। जब तुम उसे करने जा रहे थे, तब क्या तुमने उससे प्रार्थना की थी? क्या तुमने कभी...
हम परमेश्वर के प्रकटन के लिए बेसब्र सभी साधकों का स्वागत करते हैं!
परमेश्वर का प्रत्येक वचन हमारे किसी मर्मस्थल पर चोट करता है और हमें घायल और भयभीत कर डालता है। वह हमारी धारणाओं, कल्पनाओं और हमारे भ्रष्ट स्वभावों को उजागर करता है। हम जो कुछ भी कहते और करते हैं, उससे लेकर हमारे सभी विचारों और मतों तक, हमारा स्वभाव और सार उसके वचनों में प्रकट होता है, जो हमें भय और सिहरन की स्थिति में डाल देता है और हम कहीं मुँह छिपाने लायक नहीं रहते। वह एक-एक करके हमें हमारे समस्त कार्यों, लक्ष्यों और इरादों, यहाँ तक कि हमारे उन भ्रष्ट स्वभावों के बारे में भी बताता है, जिन्हें हम खुद भी कभी नहीं जान पाए थे, और हमें हमारी संपूर्ण अधम अपूर्णता में उजागर होने, यहाँ तक कि पूर्णत: जीत लिए जाने का एहसास कराता है। वह अपना विरोध करने के लिए हमारा न्याय करता है, अपनी निंदा और तिरस्कार करने के लिए हमें ताड़ना देता है, और हमें यह एहसास कराता है कि उसकी नज़र में हमारे अंदर छुटकारा पाने का एक भी लक्षण नहीं है, और हम जीते-जागते शैतान हैं। हमारी आशाएँ चूर-चूर हो जाती हैं, हम उससे अब कोई अविवेकपूर्ण माँग करने या कोई उम्मीद रखने का साहस नहीं करते, यहाँ तक कि हमारे स्वप्न भी रातोंरात नष्ट हो जाते हैं। यह वह तथ्य है, जिसकी हममें से कोई कल्पना नहीं कर सकता और जिसे हममें से कोई स्वीकार नहीं कर सकता। पल भर के अंतराल में हम अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं और समझ नहीं पाते कि मार्ग पर आगे कैसे बढ़ें, या अपने विश्वास को कैसे जारी रखें। ऐसा लगता है कि हमारा विश्वास वापस प्रारंभिक बिंदु पर पहुँच गया है, और मानो हम कभी प्रभु यीशु से मिले ही नहीं या उसे जानते ही नहीं। हमारी आँखों के सामने हर चीज़ हमें परेशानी से भर देती है और अनिर्णय से डगमगा देती है। हम बेचैन हो जाते हैं, हम निराश हो जाते हैं, और हमारे हृदय की गहराई में अदम्य क्रोध और अपमान पैदा हो जाता है। हम उसे बाहर निकालने का प्रयास करते हैं, कोई तरीका ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं और, इससे भी अधिक, हम अपने उद्धारकर्ता यीशु की प्रतीक्षा जारी रखने का प्रयास करते हैं, ताकि उसके सामने अपने हृदय उड़ेल सकें। यद्यपि कई बार हम बाहर से संतुलित दिखाई देते हैं, न तो घमंडी, न ही विनम्र, फिर भी अपने हृदयों में हम नाकामी की ऐसी भावना से व्यथित होते हैं, जिसका अनुभव हमने पहले कभी नहीं किया होता। यद्यपि कभी-कभी हम बाहरी तौर पर असामान्य रूप से शांत दिखाई दे सकते हैं, किंतु हमारा मन किसी तूफ़ानी समुद्र की तरह पीड़ा से क्षुब्ध होता है। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें हमारी सभी आशाओं और स्वप्नों से वंचित कर दिया है, और हमारी अनावश्यक इच्छाओं का अंत कर दिया है, और हम यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि वह हमारा उद्धारकर्ता है और हमें बचाने में सक्षम है। उसके न्याय और ताड़ना ने हमारे और उसके बीच एक खाई पैदा कर दी है, जो इतनी गहरी है कि कोई उसे पार करने को तैयार नहीं है। उसके न्याय और ताड़ना के कारण हमने अपने जीवन में पहली बार इतना बड़ा आघात, इतना बड़ा अपमान झेला है। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें परमेश्वर के आदर और मनुष्य के अपराध के प्रति उसकी असहिष्णुता को वास्तव में समझने के लिए प्रेरित किया है, जिनकी तुलना में हम अत्यधिक अधम, अत्यधिक अशुद्ध हैं। उसके न्याय और ताड़ना ने पहली बार हमें अनुभव कराया है कि हम कितने अभिमानी और आडंबरपूर्ण हैं, और कैसे मनुष्य कभी परमेश्वर की बराबरी नहीं कर सकता, उसके समान नहीं हो सकता। उसके न्याय और ताड़ना ने हमारे भीतर यह उत्कंठा उत्पन्न की है कि हम अब और ऐसे भ्रष्ट स्वभाव में न रहें, जल्दी से जल्दी इस प्रकृति और सार से पीछा छुड़ाएँ, और आगे उसके द्वारा तिरस्कृत और घृणित होना बंद करें। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें खुशी-खुशी उसके वचनों का पालन करने और उसके आयोजनों और व्यवस्थाओं के विरुद्ध विद्रोह न करने लायक बनाया है। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें एक बार फिर जीवित रहने की इच्छा दी है और उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करने की प्रसन्नता दी है...। हम विजय के कार्य से, नरक से, मृत्यु की छाया की घाटी से बाहर आ गए हैं...। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमें, लोगों के इस समूह को, प्राप्त कर लिया है! उसने शैतान पर विजय पाई है, और अपने असंख्य शत्रुओं को पराजित कर दिया है!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 4: परमेश्वर के प्रकटन को उसके न्याय और ताड़ना में देखना
God’s Judgment Gives Us Life
I
Each one of God’s words hits our mortal spot, and it leaves us sorrowful and afraid. He reveals our imaginings and notions, He reveals our corrupt dispositions. In all we say and do, our thoughts and ideas, His words reveal our nature and substance, leaving us trembling with fear and ashamed, leaving us unable to show our face. Plain folk with corrupt and satanic disposition, we’re the ones God predestined before the ages, we’re the needy He has lifted from the dunghill. We denied and condemned God, yet now, conquered by Him. We’ve received life and eternal life’s way. No matter where we are, and come what may, we can’t leave Almighty God’s salvation. He’s our Creator and only redemption.
II
He tells us all of our actions and our aims. He tells us all about our intentions and corrupt dispositions that we didn’t know. And we feel exposed, fully convinced now. He judges us for opposing Him, chastises our blaspheming, condemning Him. He makes us feel so worthless in His eyes, we are like living Satan in His eyes. Plain folk with corrupt and satanic disposition, we’re the ones God predestined before the ages, we’re the needy He has lifted from the dunghill. We denied and condemned God, yet now, conquered by Him. We’ve received life and eternal life’s way. No matter where we are, and come what may, we can’t leave Almighty God’s salvation. He’s our Creator and only redemption.
III
God’s love extends forth like a water spring, and it is given to you and me, to all who seek the truth and are sincere, who long for and wait for, for God to appear, for God to appear. As the moon follows the sun, God keeps working. His work’s carried out on you and me and him, and him, and those who choose to follow His footsteps and accept His judgment and chastisement. We’ve received life and eternal life’s way. No matter where we are, and come what may, we can’t leave Almighty God’s salvation. He’s our Creator and only redemption. He’s our Creator and only redemption. He’s our Creator and only redemption.
from Follow the Lamb and Sing New Songs
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यदि लोगों को परमेश्वर को जानना है, तो सब से पहले उन्हें यह अवश्य जानना चाहिए कि परमेश्वर वास्तविक परमेश्वर है, और परमेश्वर के वचनों को, देह...
तुम लोगों को परमेश्वर के कार्य के दर्शनों को जानना और उसके कार्य के सामान्य निर्देशों को समझना होगा। यह सकारात्मक प्रवेश है। एक बार जब...
तुम कितनी धार्मिक परम्पराओं का पालन करते हो? कितनी बार तुमने परमेश्वर के वचन के खिलाफ विद्रोह किया है और अपने तरीके से चले हो? कितनी बार...