परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 467
पवित्र आत्मा वर्तमान समय में कलीसिया के भीतर किस प्रकार से कार्य कर रहा है? क्या तुम्हें इस प्रश्न की कोई ठोस समझ है? तुम्हारे भाइयों और बहनों की सबसे बड़ी कठिनाइयाँ क्या हैं? उनमें सबसे अधिक किस चीज की कमी है? वर्तमान में, कुछ लोग परीक्षणों से गुज़रने पर नकारात्मक हो जाते हैं, और उनमें से कुछ तो शिकायत भी करते हैं। अन्य लोग अब आगे नहीं बढ़ रहे हैं, क्योंकि परमेश्वर ने बोलना समाप्त कर दिया है। लोगों ने परमेश्वर में विश्वास के सही मार्ग में प्रवेश नहीं किया है। वे स्वतंत्र रूप से नहीं जी सकते, और वे अपना आध्यात्मिक जीवन नहीं बनाए रख सकते। कुछ लोग साथ-साथ अनुसरण करते हैं और ऊर्जा के साथ खोज करते हैं, और जब परमेश्वर बोलता है तब अभ्यास करने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन जब परमेश्वर नहीं बोलता, तो वे और आगे नहीं बढ़ते। लोगों ने अभी भी परमेश्वर की इच्छा को अपने दिल में नहीं समझा है और उनमें परमेश्वर के लिए स्वत:स्फूर्त प्रेम नहीं है; अतीत में उन्होंने परमेश्वर का अनुसरण इसलिए किया था, क्योंकि वे मजबूर थे। अब कुछ लोग हैं, जो परमेश्वर के कार्य से थक गए हैं। क्या ऐसे लोग खतरे में नहीं हैं? बहुत सारे लोग सिर्फ निभाने की स्थिति में रहते हैं। यद्यपि वे परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हैं और उससे प्रार्थना करते हैं, पर वे ऐसा आधे-अधूरे मन से करते हैं, और उनमें अब वह सहज प्रवृत्ति नहीं है जो उनमें कभी थी। अधिकतर लोग शुद्धिकरण और पूर्ण बनाने के परमेश्वर के कार्य में रुचि नहीं रखते, और वास्तव में यह ऐसा है, मानो वे लगातार किसी अंत:प्रेरणा से रहित हों। जब वे पापों के वशीभूत हो जाते हैं, तो वे परमेश्वर के प्रति ऋणी महसूस नहीं करते, न ही उनमें पश्चात्ताप अनुभव करने की जागरूकता होती है। वे सत्य की खोज नहीं करते और न ही कलीसिया को छोड़ते हैं, इसके बजाय वे केवल अस्थायी सुख ढूँढ़ते हैं। ये लोग मूर्ख हैं, एकदम मूढ़! समय आने पर वे बहिष्कृत कर दिए जाएँगे, और किसी एक को भी नहीं बचाया जाएगा! क्या तुम्हें लगता है कि यदि किसी को एक बार बचाया गया है, तो उसे हमेशा बचाया जाएगा? यह विश्वास शुद्ध धोखा है! जो लोग जीवन में प्रवेश करने का प्रयास नहीं करते, उन सभी को ताड़ना दी जाएगी। अधिकतर लोगों की जीवन में प्रवेश करने में, दर्शनों में, या सत्य का अभ्यास करने में बिलकुल भी रुचि नहीं है। वे प्रवेश करने का प्रयास नहीं करते, और वे अधिक गहराई से प्रवेश करने का प्रयास तो निश्चित रूप से नहीं करते। क्या वे स्वयं को बरबाद नहीं कर रहे? अभी कुछ लोग हैं, जिनकी स्थितियाँ लगातार बेहतर हो रही हैं। पवित्र आत्मा जितना अधिक कार्य करता है, उतना ही अधिक आत्मविश्वास उनमें आता है, और जितना अधिक वे अनुभव करते हैं, उतना ही अधिक वे परमेश्वर के कार्य के गहन रहस्य का अनुभव करते हैं। जितना गहरे वे प्रवेश करते हैं, उतना ही अधिक वे समझते हैं। वे अनुभव करते हैं कि परमेश्वर का प्रेम बहुत महान है, और वे अपने भीतर स्थिर और प्रबुद्ध महसूस करते हैं। उन्हें परमेश्वर के कार्य की समझ है। ये ही वे लोग हैं, जिनमें पवित्र आत्मा कार्य कर रहा है। कुछ लोग कहते हैं : "यद्यपि परमेश्वर की ओर से कोई नए वचन नहीं हैं, फिर भी मुझे सत्य में और गहरे जाने का प्रयास करना चाहिए, मुझे अपने वास्तविक अनुभव में हर चीज के बारे में ईमानदार होना चाहिए और परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता में प्रवेश करना चाहिए।" इस तरह के व्यक्ति में पवित्र आत्मा का कार्य होता है। यद्यपि परमेश्वर अपना चेहरा नहीं दिखाता और हर एक व्यक्ति से छिपा रहता है, और यद्यपि वह एक भी वचन नहीं बोलता और कई बार लोग कुछ आंतरिक शुद्धिकरण का अनुभव करते हैं, फिर भी परमेश्वर ने लोगों को पूरी तरह से नहीं छोड़ा है। यदि कोई व्यक्ति उस सत्य को बरकरार नहीं रख सकता, जिसका उसे पालन करना चाहिए, तो उसके पास पवित्र आत्मा का कार्य नहीं होगा। शुद्धिकरण की अवधि के दौरान, परमेश्वर के स्वयं को नहीं दिखाने के दौरान, यदि तुम्हारे भीतर आत्मविश्वास नहीं होता और तुम डरकर दुबक जाते हो, यदि तुम उसके वचनों का अनुभव करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते, तो तुम परमेश्वर के कार्य से भाग रहे होते हो। बाद में, तुम उन लोगों में से एक होगे, जिनका बहिष्कार किया जाता है। जो लोग परमेश्वर के वचन में प्रवेश करने का प्रयास नहीं करते, वे संभवतः उसके गवाह के रूप में खड़े नहीं हो सकते। जो लोग परमेश्वर के लिए गवाही देने और उसकी इच्छा पूरी करने में सक्षम हैं, वे सभी पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों का अनुसरण करने की अपनी अंत:प्रेरणा पर निर्भर हैं। परमेश्वर द्वारा लोगों में किया जाने वाला कार्य मुख्य रूप से उन्हें सत्य प्राप्त करवाने के लिए है, तुमसे जीवन का अनुसरण करवाना तुम्हें पूर्ण बनाने के लिए है, और यह सब तुम्हें परमेश्वर के उपयोग हेतु उपयुक्त बनाने के लिए है। अभी तुम सभी जो कुछ अनुसरण कर रहे हो, वह है रहस्यों को सुनना, परमेश्वर के वचनों को सुनना, अपनी आँखों को आनंदित करना और आसपास यह देखना कि कोई नई चीज़ या रुझान है या नहीं, और उससे अपनी जिज्ञासा संतुष्ट करना। यदि यही इरादा तुम्हारे दिल में है, तो तुम्हारे पास परमेश्वर की आवश्यकताएँ पूरी करने का कोई रास्ता नहीं है। जो लोग सत्य का अनुसरण नहीं करते, वे अंत तक अनुसरण नहीं कर सकते। अभी, ऐसा नहीं है कि परमेश्वर कुछ नहीं कर रहा है, बल्कि लोग उसके साथ सहयोग नहीं कर रहे, क्योंकि वे उनके कार्य से थक गए हैं। वे केवल उन वचनों को सुनना चाहते हैं, जो वह आशीष देने के लिए बोलता है, और वे उसके न्याय और ताड़ना के वचनों को सुनने के अनिच्छुक हैं। इसका क्या कारण है? इसका कारण यह है कि लोगों की आशीष प्राप्त करने की इच्छा पूरी नहीं हुई है और इसलिए वे नकारात्मक और कमजोर हो गए हैं। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर जानबूझकर लोगों को अपना अनुसरण नहीं करने देता, और न ऐसा है कि वह जानबूझकर मानवजाति पर आघात कर रहा है। लोग नकारात्मक और कमजोर केवल इसलिए हैं, क्योंकि उनके इरादे गलत हैं। परमेश्वर तो परमेश्वर है, जो मनुष्य को जीवन देता है, और वह मनुष्य को मृत्यु में नहीं ला सकता। लोगों की नकारात्मकता, कमजोरी, और पीछे हटना सब उनकी अपनी करनी के नतीजे हैं।
परमेश्वर का वर्तमान कार्य लोगों में कुछ शुद्धिकरण लाता है, और जो लोग इस शुद्धिकरण के दौरान मजबूती से खड़े रह सकते हैं, केवल वे ही परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करेंगे। भले ही वह स्वयं को कैसे भी छिपाए, न बोलकर या कार्य न करके, तुम फिर भी उत्साह के साथ अनुसरण कर सकते हो। यहाँ तक कि यदि परमेश्वर ने कहा कि वह तुम्हें अस्वीकार कर देगा, तुम फिर भी उसका अनुसरण करोगे। यह परमेश्वर की गवाही में खड़े होना है। यदि परमेश्वर स्वयं को तुमसे छिपाता है और तुम उसका अनुसरण करना बंद कर देते हो, तो क्या यह परमेश्वर की गवाही में खड़े होना है? यदि लोग वास्तव में प्रवेश नहीं करते, तो उनके पास वास्तविक कद-काठी नहीं है, और जब वे वास्तव में किसी महान परीक्षण का सामना करते हैं, तो वे लड़खड़ा जाते हैं। जब परमेश्वर नहीं बोलता, या कुछ ऐसा करता है जो तुम्हारी धारणाओं के अनुरूप नहीं होता, तो तुम टूट जाते हो। यदि परमेश्वर वर्तमान में तुम्हारी धारणाओं के अनुसार कार्य कर रहा होता, यदि वह तुम्हारी इच्छा पूरी कर रहा होता और तुम खड़े होने और ऊर्जा के साथ अनुसरण करने में सक्षम होते, तो वह आधार क्या होता, जिस पर तुम जी रहे होते? मैं कहता हूँ कि बहुत लोग उस ढंग से जी रहे हैं, जो पूरी तरह से मानव-जिज्ञासा पर आधारित है! वे सच्चे दिल से खोज बिलकुल नहीं करते। जो लोग सत्य में प्रवेश का प्रयास नहीं करते, बल्कि जीवन में अपनी जिज्ञासा पर भरोसा करते हैं, वे सभी अधम लोग हैं, और खतरे में हैं! परमेश्वर के विभिन्न प्रकार के सभी कार्य मानवजाति को पूर्ण बनाने के लिए हैं। हालाँकि, लोग हमेशा उत्सुक होते हैं, वे सुनी हुई बात के बारे में पूछताछ करना चाहते हैं, वे विदेशों के वर्तमान मामलों के बारे में चिंतित होते हैं—उदाहरण के लिए, वे इस बारे में उत्सुक होते हैं कि इस्राएल में क्या हो रहा है, या मिस्र में कोई भूकंप तो नहीं आया—अपनी स्वार्थी इच्छाएँ पूरी करने के लिए वे हमेशा कुछ नई, अनूठी चीजों की तलाश करते रहते हैं। वे जीवन का अनुसरण नहीं करते, न ही वे पूर्ण बनाए जाने का प्रयास करते हैं। वे केवल परमेश्वर के दिन के शीघ्र आगमन की चाह रखते हैं, ताकि उनका सुंदर सपना पूरा हो जाए और उनकी असाधारण इच्छाएँ पूरी हो सकें। इस प्रकार का व्यक्ति व्यावहारिक नहीं होता—वह एक अनुचित परिप्रेक्ष्य वाला व्यक्ति होता है। केवल सत्य की तलाश ही परमेश्वर में मानवजाति के विश्वास की नींव है, और यदि लोग जीवन में प्रवेश करने का प्रयास नहीं करते, यदि वे परमेश्वर को संतुष्ट करने का प्रयास नहीं करते, तो वे दंड के भागी होंगे। जिन्हें दंडित किया जाना है, वे ऐसे लोग हैं, जिन पर परमेश्वर के कार्य के समय के दौरान पवित्र आत्मा का कार्य नहीं हुआ था।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति बनाए रखनी चाहिए
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