परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर के कार्य को जानना | अंश 141

इन दिनों में परमेश्वर के कार्यों को जानना, अधिकांशतः, अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर को जानना है, यह जानना है कि उसकी मुख्य सेवकाई क्या है और पृथ्वी पर वह क्या करने के लिए आया है। मैंने पहले अपने वचनों में उल्लेख किया था कि प्रस्थान से पहले हमारे सामने एक उदाहरण स्थापित करने के लिए परमेश्वर पृथ्वी पर (अंत के दिनों के दौरान) आया है। परमेश्वर किस प्रकार यह उदाहरण स्थापित करता है? वचनों को बोलने के द्वारा, सम्पूर्ण देश में कार्य करने और बोलने के द्वारा। अंत के दिनों में यही परमेश्वर का कार्य है; वह केवल बोलता है, ताकि पृथ्वी वचनों का संसार बन जाए, ताकि प्रत्येक व्यक्ति को उसके वचनों द्वारा भरण पोषण और प्रबुद्ध किया जाए, और ताकि मनुष्य की आत्मा जागरूक हो जाए और वह स्वप्न के बारे में स्पष्ट हो जाए। अंत के दिनों के दौरान, देहधारी परमेश्वर मुख्य रूप से वचनों को कहने के लिए आया है। जब यीशु आया, उसने स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार को फैलाया और क्रूसीकरण के छुटकारे का कार्य पूरा किया। वह व्यवस्था के युग का अंत लाया और उसने सभी पुरानी बातों को समाप्त कर दिया। यीशु के आगमन से व्यवस्था के युग का अंत हो गया और अनुग्रह के युग का आरम्भ हुआ। अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर का आगमन अनुग्रह के युग के अंत को लाया है। वह मुख्य रूप से अपने वचनों को कहने, मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए वचनों का उपयोग करने, मनुष्य को रोशन और प्रबुद्ध करने, और मनुष्य के हृदय से अज्ञात परमेश्वर के स्थान को हटाने के लिए आया है। यह कार्य का वह चरण नहीं है जो यीशु ने तब किया था जब वह आया था। जब यीशु आया, तो उसने कई चमत्कार किए, उसने बीमारों को चंगा किया और पिशाचों को निकाला, और सलीब पर चढ़ने का छुटकारे का कार्य पूर्ण किया। परिणामस्वरूप, अपनी धारणाओं में, मनुष्य विश्वास करता है कि परमेश्वर को ऐसा ही होना चाहिए। क्योंकि जब यीशु आया, तो उसने मनुष्य के हृदय से अज्ञात परमेश्वर की छवि को हटाने का कार्य नहीं किया; जब वह आया, तो उसे सलीब पर चढ़ा दिया गया, उसने बीमारों को चंगा किया और पिशाचों को बाहर निकाला, और उसने स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार को फैलाया। एक विचार से, अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर का देहधारण मनुष्य की धारणाओं में अज्ञात परमेश्वर द्वारा धारण किए गए स्थान को हटाता है, ताकि मनुष्य के हृदय में अज्ञात परमेश्वर की छवि अब और नहीं रहे। अपने वास्तविक कार्य और वचनों का उपयोग करके, वह सम्पूर्ण देशों में जाता है और मनुष्यों के बीच वह जो कार्य करता है वह असाधारण रूप से वास्तविक और सामान्य होता है, इतना कि मनुष्य को परमेश्वर की सच्चाई पता लग जाती है, और मनुष्य के हृदय में अज्ञात परमेश्वर का स्थान समाप्त हो जाता है। दूसरे विचार से, परमेश्वर अपनी देह द्वारा कहे गए वचनों का उपयोग मनुष्य को पूर्ण करने, और सभी बातों को निष्पादित करने के लिए करता है। यही वह कार्य है जो परमेश्वर अंत के दिनों में निष्पादित करेगा।

तुम लोगों को क्या अवश्य जानना चाहिए:

1. परमेश्वर का कार्य अलौकिक नहीं है, और इसके बारे में तुम लोगों को कोई भी अवधारणाएँ नहीं रखनी चाहिए।

2. तुम लोगों को मुख्य कार्य को अवश्य समझना चाहिए जो इस बार देहधारी परमेश्वर करने के लिए आया है।

वह चंगा करने या पिशाचों को निकालने, या चमत्कार करने नहीं आया है और वह पश्चाताप का सुसमाचार फैलाने, या मनुष्य को छुटकारा प्रदान करने के लिए नहीं आया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यीशु ने पहले ही इस कार्य को कर दिया है, और परमेश्वर एक ही कार्य को फिर कभी नहीं दोहराता है। आज, परमेश्वर अनुग्रह के युग को समाप्त करने और अनुग्रह के युग की सभी प्रथाओं को बाहर निकालने आया है। व्यावहारिक परमेश्वर मुख्य रूप से यह दिखाने आया है कि वह वास्तविक है। जब यीशु आया, तो उसने कुछ वचन कहे; उसने मुख्य रूप से चिह्न और चमत्कार प्रदर्शित किए और लोगों को चंगा किया तथा दुष्टात्माओं को बाहर निकाला, या अन्यथा उसने मनुष्यों को आश्वस्त करने, और मनुष्य को यह दिखाने के लिए कि वह ही वास्तव में परमेश्वर है, और एक निष्पक्ष परमेश्वर है, भविष्यवाणियाँ की। अंततः, उसने क्रूसीकरण का कार्य पूर्ण किया। आज का परमेश्वर चिह्न और चमत्कार नहीं करता है, न ही वह चंगा करता और पिशाचों को निकालता है। जब यीशु आया, तो उसने परमेश्वर के एक भाग को प्रकट करने वाला कार्य किया, परन्तु इस समय परमेश्वर कार्य के उस चरण को करने आया है जो बाकी है, क्योंकि परमेश्वर एक ही कार्य को दोहराता नहीं है; वह हमेशा नया रहने वाला परमेश्वर है और कभी भी पुराना नहीं पड़ता है, और इसलिए तुम आज जो कुछ भी देख रहे हो वह व्यावहारिक परमेश्वर के वचन और कार्य हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज परमेश्वर के कार्य को जानना

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