परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 61

जब पूर्व से बिजली चमकती है, जो कि निश्चित रूप से वो क्षण भी होता है जब मैं बोलना आरम्भ करता हूँ—जब बिजली चमकती है, तो संपूर्ण ब्रह्मांड रोशन हो उठता है, और सभी तारों का रूपान्तरण हो जाता है। मानो पूरी मानवजाति को निपटा दिया जा चुका हो। पूर्व से आने वाले इस प्रकाश की रोशनी में, समस्त मानवजाति अपने मूल स्वरूप में प्रकट हो जाती है, उनकी आँखें चुँधिया जाती हैं, उन्हें समझ नहीं आता कि क्या करें और यह तो वे और भी नहीं समझ पाते कि अपने कुरूप स्वरूप को कैसे छिपाएँ। वे उन पशुओं की तरह भी हैं जो मेरे प्रकाश से दूर भागते हैं और पहाड़ी गुफाओं में शरण लेते हैं—फिर भी, उनमें से एक को भी मेरे प्रकाश में से मिटाया नहीं जा सकता। सभी मनुष्य भौचक्के हैं, सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं, सभी देख रहे हैं; मेरे प्रकाश के आगमन के साथ ही, सभी उस दिन का आनन्द मनाते हैं जब वे पैदा हुए थे, और उसी प्रकार सभी उस दिन को कोसते हैं जब वे पैदा हुए थे। परस्पर-विरोधी भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना असंभव है; आत्म-ताड़ना के आँसुओं की नदियाँ बन जाती हैं और वे व्यापक जल प्रवाह में बह जाते हैं और फिर पल भर में ही उनका नामो-निशान मिट जाता है। एक बार फिर, मेरा दिन समस्त मानवजाति के नज़दीक आ रहा है, एक बार फिर मानवजाति को जाग्रत कर रहा है और मानवजाति को एक और नई शुरुआत दे रहा है। मेरा हृदय धड़कता है और मेरी धड़कनों की लय का अनुसरण करते हुए, पहाड़ आनन्द से उछलते हैं, समुद्र खुशी से नृत्य करता है और लहरें लय में चट्टानों की दीवारों से टकराती हैं। जो मेरे हृदय में है, उसे व्यक्त करना कठिन है। मैं सभी अशुद्ध चीज़ों को घूरकर भस्म कर देना चाहता हूँ; मैं चाहता हूँ कि सभी अवज्ञाकारी पुत्र मेरी नज़रों के सामने से ओझल हो जाएँ और आगे से उनका कोई अस्तित्व ही न रहे। मैंने न केवल बड़े लाल अजगर के निवास स्थान में एक नई शुरुआत की है, बल्कि विश्व में एक नए कार्य की शुरुआत भी की है। शीघ्र ही पृथ्वी के राज्य मेरा राज्य बन जाएँगे; शीघ्र ही पृथ्वी के राज्य, मेरे राज्य के कारण हमेशा के लिए अस्तित्वहीन हो जाएँगे, क्योंकि मैंने पहले ही विजय प्राप्त कर ली है, क्योंकि मैं विजयी होकर लौटा हूँ। पृथ्वी पर मेरे कार्य को मिटा देने की आशा में, बड़ा लाल अजगर मेरी योजना में रुकावट डालने का हर हथकंडा आज़मा चुका है, लेकिन क्या मैं उसकी छलपूर्ण कार्यनीतियों के कारण निराश हो सकता हूँ? क्या मैं उसकी धमकियों से डरकर आत्मविश्वास खो सकता हूँ? स्वर्ग या पृथ्वी पर कभी एक भी ऐसा प्राणी नहीं हुआ है जिसे मैंने अपनी मुट्ठी में न रखा हो; बड़े लाल अजगर के बारे में यह बात और भी सत्य है, क्या वह मेरे लिए एक विषमता की तरह है? क्या वह ऐसी चीज़ नहीं है जिसे मैं अपने हाथों अपने हिसाब से चलाता हूँ?

मानव जगत में मेरे देहधारण के दौरान मानवजाति मेरे मार्गदर्शन में अनजाने में इस दिन तक आ पहुँची है, और अनजाने में मुझे जान गयी है। लेकिन, जहाँ तक इसकी बात है कि जो मार्ग सामने है उस पर कैसे चला जाए, तो किसी को कोई आभास नहीं है, कोई नहीं जानता है, और किसी के पास इसका कोई सुराग तो और भी नहीं है कि वह मार्ग उन्हें किस दिशा में ले जाएगा? सर्वशक्तिमान की निगरानी में ही कोई भी मार्ग पर अंत तक चल पाएगा; केवल चमकती पूर्वी बिजली के मार्गदर्शन से ही कोई भी मेरे राज्य तक ले जाने वाली दहलीज़ को पार कर पाएगा। इंसानों में कभी ऐसा कोई नहीं हुआ है जिसने मेरा चेहरा देखा हो, जिसने चमकती पूर्वी बिजली को देखा हो; ऐसा कौन हुआ है जिसने मेरे सिंहासन से जारी कथनों को सुना हो? वास्तव में, प्राचीन काल से ही कोई भी मनुष्य सीधे मेरे व्यक्तित्व के सम्पर्क में नहीं आया है; केवल आज जबकि मैं संसार में आ चुका हूँ, तो लोगों के पास मुझे देखने का अवसर है। किन्तु आज भी, लोग मुझे नहीं जानते, ठीक वैसे ही जैसे वे बस मेरे चेहरे को देखते हैं और केवल मेरी आवाज़ सुनते हैं, लेकिन यह नहीं समझते कि मेरे कहने का क्या अर्थ है। सभी मनुष्य ऐसे ही हैं। मेरे लोगों में से एक होने के नाते, जब तुम लोग मेरा चेहरा देखते हो, तो क्या तुम लोग बहुत ज़्यादा गर्व महसूस नहीं करते? और क्या तुम लोग बेहद शर्मिन्दगी महसूस नहीं करते, क्योंकि तुम लोग मुझे नहीं जानते? मैं इंसानों के बीच चलता-फिरता हूँ, उन्हीं के बीच रहता हूँ, क्योंकि मैं देह बन गया हूँ और मानव जगत में आ गया हूँ। मेरा उद्देश्य मात्र इतना नहीं है कि इंसान मेरे देह को देख पाए; अधिक महत्वपूर्ण यह है कि इंसान मुझे जान सके। इसके अलावा, मैं अपने देहधारण के माध्यम से मानवजाति को उसके पापों का आरोपी सिद्ध करूँगा; मैं अपने देहधारण के माध्यम से उस बड़े लाल अजगर को परास्त करूँगा और उसके अड्डे को नष्ट कर दूँगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 12

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