परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 174

(5) वायु का बहाव

पाँचवीं चीज़ क्या है? यह चीज़ प्रत्येक मनुष्य के जीवन से बहुत ज़्यादा जुड़ी हुई है, और यह कुछ ऐसा है जिसके बगैर मानव शरीर इस भौतिक संसार में जीवित नहीं रह सकता है। यह चीज़ वायु का बहाव है। "वायु का बहाव" एक शब्द है जिसे शायद सभी लोग समझते हैं। अतः वायु का बहाव क्या है? अपने स्वयं के शब्दों में समझाने की कोशिश करो। (वायु के बहाव का अर्थ है हवा का बहना।) तुम लोग ऐसा कह सकते हो। हवा के बहने को "वायु का बहाव" कहते हैं। क्या कोई और व्याख्याएँ है? "वायु के बहाव" शब्द का अर्थ क्या है? वायु का बहाव एक हवा है जिसे मानवीय आँखें देख नहीं सकती हैं। यह एक ऐसा तरीका भी है जिसके तहत गैस बहती है। यह भी सही है। किन्तु वायु का बहाव क्या है जिसके विषय में हम यहाँ पर बात कर रहे हैं? जैसे ही मैं कहूँगा तुम लोग समझ जाओगे। पृथ्वी घूमती हुई पहाड़ों, महासागरों और सभी चीज़ों को उठाए रहती है, और जब यह घूमती है तो उसमें गति होती है। यद्यपि तुम किसी परिक्रमा को महसूस नहीं कर सकते हो, फिर भी उसकी परिक्रमा वास्तव में विद्यमान है। उसकी परिक्रमा क्या लेकर आती है? जब एक व्यक्ति दौड़ता है तो क्या होता है? जब तुम दौड़ते हो तो तुम्हारे कानों के आस पास हवा होती है? (हाँ।) बस यही। यदि जब तुम दौड़ते हो तो हवा पैदा हो सकती है, तो वहाँ हवा की शक्ति क्यों नहीं हो सकती है जब पृथ्वी परिक्रमा करती है? जब पृथ्वी परिक्रमा करती है, तब सभी चीज़ें गतिमान होती हैं। यह गतिमान होती है और एक निश्चित गति से परिक्रमा करती है, जबकि पृथ्वी पर सभी चीज़ें निरन्तर आगे बढ़ रही हैं और विकसित हो रही हैं। इसलिए, एक निश्चित गति से गतिमान होने से स्वाभाविक रूप से वायु का बहाव उत्पन्न होगा। वायु का बहाव ऐसा ही है। क्या यह वायु का बहाव कुछ निश्चित हद तक मानव शरीर को प्रभावित करता है? ताईवान और होंग कोंग दोनों देशों में तूफान आते हैं। वे तूफान उतने प्रबल नहीं हैं, परन्तु जब वे आते हैं, लोग स्थिर खड़े नहीं हो सकते हैं और उन्हें हवा में चलने में कठिनाई होती है। यहाँ तक कि एक कदम लेने में भी मुश्किल होती है। यह एक माध्यम है जिससे वायु का बहाव मानवजाति को प्रभावित कर सकता है। यदि सारी पृथ्वी समतल भूमि से भरी होती, और जब पृथ्वी परिक्रमा करती तो जो वायु का बहाव उत्पन्न होता वह कुछ ऐसा नहीं होता जिसका सामना मानव शरीर कर सकता था। इसे संभालना बहुत ही कठिन होता। यदि मामला ऐसा होता, तो यह वायु का बहाव न केवल मानवजाति के लिए क्षति लेकर आता, बल्कि विध्वंस भी लेकर आता। कोई भी ऐसे वातावरण में ज़िन्दा बचने के योग्य नहीं होगा। इसी लिए ऐसे वायु के बहाव का समाधान करने के लिए परमेश्वर विभिन्न भौगोलिक वातावरणों को इस्तेमाल करता है, वह उनकी दिशा, गति और बल को परिवर्तित करने के द्वारा एवं विभिन्न वातावरणों के जरिए ऐसे वायु के बहावों को कमज़ोर करता है। इसी लिए लोग विभिन्न भौगोलिक वातावरणों को देख सकते हैं, जैसे पहाड़, पर्वत मालाएँ, समतल भूमि, पहाड़ियाँ, घाटियाँ, तराईयाँ, पठार एवं नदियाँ। परमेश्वर वायु के बहाव की गति, दिशा और बल को परिवर्तित करने के लिए इन विभिन्न भौगोलिक वातावरणों को काम में लाता है, वह ऐसी पद्धतियों का इस्तेमाल करके उसे घटाता है एवं कुशलता से उसका उपयोग करता है जिससे वह एक उचित वायु गति, वायु दिशा और वायु बल बन जाए, ताकि मनुष्यों के पास एक सामान्य सजीव वातावरण हो सके। कुछ ऐसा करना मनुष्यों के लिए कठिन प्रतीत होता है, किन्तु यह परमेश्वर के लिए आसान है क्योंकि वह सभी चीज़ों का अवलोकन करता है। उसके लिए मानवजाति के लिए उपयुक्त वायु के बहाव के साथ एक वातावरण बनाना बहुत ही सरल है और बहुत ही आसान है। इसलिए, परमेश्वर के द्वारा बनाए गए एक ऐसे वातावरण में, सभी चीज़ों के मध्य हर चीज़ एवं प्रत्येक चीज़ अति आवश्यक है। उन सभी के अस्तित्व का महत्व एवं आवश्यकता है। फिर भी, शैतान और भ्रष्ट मानवजाति के पास ऐसा दर्शनज्ञान नहीं है। वे लगातार नष्ट होते रहते हैं और विकसित होते रहते हैं, पहाड़ों को समतल भूमि बनाने के लिए व्यर्थ स्वप्न देखते रहते हैं, घाटियों को भरते रहते हैं, और सीमेंट के जंगल बनाने के लिए समतल भूमि में गगनचुम्बी इमारतें बनाते रहते हैं। यह परमेश्वर की आशा है कि मानवजाति प्रसन्नता से रहे, प्रसन्नता से प्रगति करे, और प्रत्येक दिन को उस उपयुक्त वातावरण में प्रसन्नता से बिताए जिसे उसने उनके लिए बनाया है। इसी लिए जब मानवजाति के लिए सजीव वातावरण के प्रबंधन की बात आती है तो परमेश्वर कभी असावधान नहीं रहा है। तापमान से लेकर वायु तक, आवाज़ से लेकर प्रकाश तक, परमेश्वर ने जटिल योजनाएँ बनाई हैं और जटिल समायोजन किए हैं, जिससे मानवजाति का सजीव वातावरण और उनका शारीर प्राकृतिक स्थितियों की ओर से किसी विघ्न के अधीन नहीं होगा, और उसके बजाए मानवजाति जीवित रहने और सभी चीज़ों के मध्य शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के साथ सामान्य रूप से बहुगुणित होने और जीने के योग्य होगा। इन सबको परमेश्वर के द्वारा सभी चीज़ों और मानवजाति को प्रदान किया गया है।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VIII

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