परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 445

जब तुम्हारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में तुम्हारे साथ कुछ घटित होता है, तो तुम यह फर्क कैसे कर पाते हो कि यह पवित्र आत्मा के कार्य के कारण है या शैतान के कार्य के कारण? जब लोगों की परिस्थितियाँ सामान्य होती हैं, तो उनके आत्मिक जीवन और दैहिक जीवन भी सामान्य होते हैं, उनका विवेक भी सामान्य और तर्कसंगत होता है; सामान्यतः इस समय अपने भीतर जो वे अनुभव करते हैं या जान पाते हैं, उसके विषय में कहा जा सकता है कि वह पवित्र आत्मा के स्पर्श के द्वारा आया है (जब वे परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हैं तो अंतर्दृष्टि रखना या कुछ सतही ज्ञान को रखना, या जब उनके साथ कुछ घटित होता है तब विश्वासयोग्य बने रहना, या कुछ घटित होने के समय परमेश्वर से प्रेम करने के सामर्थ्य को रखना—यह सब पवित्र आत्मा के कार्य हैं)। मनुष्य में पवित्र आत्मा का कार्य विशेष रूप से सामान्य है; मनुष्य इसको महसूस करने के योग्य है, और यह स्वयं मनुष्य के द्वारा ही प्रतीत होता है—परंतु वास्तव में यह पवित्र आत्मा का कार्य होता है। दिन प्रतिदिन के जीवन में पवित्र आत्मा प्रत्येक व्यक्ति में बड़े और छोटे रूप में कार्य करता है, और यह एक सामान्य बात है कि इस कार्य की सीमा अलग-अलग होती है। कुछ लोगों की क्षमता अधिक होती है, वे बातों को जल्दी समझ लेते हैं, और पवित्र आत्मा का प्रकाशन उनके भीतर विशेष रूप से अधिक होता है; कुछ लोगों में क्षमता की कमी होती है, और उन्हें बातों को समझने में बहुत समय लगता है, परंतु पवित्र आत्मा उन्हें भीतर से स्पर्श करता है, और वे भी परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्यता को प्राप्त कर पाते हैं—पवित्र आत्मा उन सब में कार्य करता है जो परमेश्वर का अनुसरण करते हैं। दिन प्रतिदिन के जीवन में जब लोग परमेश्वर का विरोध नहीं करते या परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह नहीं करते, ऐसे कार्यों को नहीं करते जो परमेश्वर के प्रबंधन के विरोध में हों, और परमेश्वर के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते, तो उन सब में परमेश्वर के आत्मा का कार्य बड़े या छोटे रूप में होता है, और वह उन्हें स्पर्श करता है, प्रकाशित करता है, उन्हें विश्वास प्रदान करता है, सामर्थ्य प्रदान करता है, और सक्रिय रूप में प्रवेश करने के लिए बढ़ाता है, आलसी नहीं बनने देता या शरीर के कामों का आनंद लेने का लालच करने नहीं देता, सत्य को क्रियान्वित करने को तैयार रहता है, और परमेश्वर के वचनों की चाहत करता है—यह सब ऐसा कार्य है जो पवित्र आत्मा की ओर से आता है।

जब लोगों की अवस्था सामान्य नहीं होती, तो वे पवित्र आत्मा के द्वारा त्याग दिए जाते हैं, उनके भीतर कुड़कुड़ाहट होती है, उनकी प्रेरणाएँ गलत होती हैं, वे आलसी होते हैं, वे शरीर के कार्यों में आसक्त रहते हैं, और उनके हृदय सत्य के विरुद्ध विद्रोह करते हैं, और यह सब कुछ शैतान की ओर से आता है। जब लोगों की परिस्थितियाँ सामान्य नहीं होतीं, जब वे अपने भीतर अंधकारमय होते हैं और उन्होंने अपने सामान्य विवेक को खो दिया हो, पवित्र आत्मा के द्वारा त्याग दिए गए हों, और अपने भीतर परमेश्वर को महसूस करने में योग्य न हों, तो यही वह समय होता है जब शैतान उनके भीतर कार्य करता है। यदि लोगों के भीतर सदैव बल रहे और वे सदैव परमेश्वर से प्रेम करें, तो सामान्यतः जब उनके साथ कुछ घटित होता है तो वह पवित्र आत्मा की ओर से होता है, और जिससे भी वे मिलते हैं, वह परमेश्वर के प्रबंधनों का प्रतिफल होता है। कहने का अर्थ है कि जब तुम्हारी परिस्थितियाँ सामान्य होती हैं, जब तुम पवित्र आत्मा के महान कार्य में होते हो, तो शैतान के लिए यह असंभव हो जाता है कि वह तुम्हें डगमगा सके; इस बुनियाद पर यह कहा जा सकता है कि सब कुछ पवित्र आत्मा की ओर से आता है, और यद्यपि तुम्हारे मन में गलत विचार आ सकते हैं, फिर भी तुम उनको ठुकराने और उनका अनुसरण न करने में सक्षम होते हो। यह सब पवित्र आत्मा के कार्य से होता है। किन परिस्थितियों में शैतान हस्तक्षेप करता है? जब तुम्हारी परिस्थितियाँ सामान्य नहीं होतीं, जब तुम्हें परमेश्वर के द्वारा स्पर्श न मिला हो, और तुम परमेश्वर के कार्य से रहित हो, और तुम भीतर से सूखे और बंजर हो, जब तुम परमेश्वर से प्रार्थना तो करो परंतु तुम्हें कुछ समझ न आए, और तुम परमेश्वर के वचनों को खाओ और पीओ तो सही परंतु प्रकाशित या ज्योतिर्मय न हो—ऐसे समयों पर शैतान के लिए यह सहज हो जाता है कि वह तुम्हारे भीतर कार्य करे। अन्य शब्दों में, जब तुम पवित्र आत्मा के द्वारा त्याग दिए जाते हो और परमेश्वर को महसूस नहीं कर पाते, तो ऐसी बहुत सी बातें घटित होती हैं जो शैतान की ओर से परीक्षा करने के कारण आती हैं। शैतान उसी समय कार्य करता है जब पवित्र आत्मा कार्य करता है, और उसी समय मनुष्य में हस्तक्षेप करता है जब पवित्र आत्मा मनुष्य के अंतर्मन को स्पर्श करता है; परंतु ऐसे समयों में पवित्र आत्मा का कार्य अग्रणी स्थान ले लेता है, और ऐसे लोग जिनकी परिस्थितियाँ सामान्य होती हैं वे विजय को प्राप्त करते हैं, जो कि शैतान के कार्य के ऊपर पवित्र आत्मा के कार्य की विजय होती है। जब पवित्र आत्मा कार्य करता है, तब भी लोगों में एक भ्रष्ट स्वभाव बना रहता है; लेकिन पवित्र आत्मा के कार्य के दौरान लोगों के लिए अपने विद्रोहीपन, अभिप्रेरणा, मिलावट की खोज करना और उसे पहचानना सरल हो जाता है। केवल तभी लोगों को पछतावा महसूस होता है और वे प्रायश्चित करने को तैयार होते हैं। इस तरह, उनका विद्रोही और भ्रष्ट स्वभाव धीरे-धीरे परमेश्वर के कार्य के भीतर त्याग दिया जाता है। पवित्र आत्मा का कार्य विशेष रूप से सामान्य होता है, और जब वह लोगों में कार्य करता है, तब भी उनके जीवन में कठिनाइयाँ होती हैं, वे तब भी रोते हैं, वे तब भी दुःख उठाते हैं, वे तब भी कमज़ोर होते हैं, और ऐसी बहुत सी बातें होती हैं जो उनके लिए अस्पष्ट हों, फिर भी ऐसी अवस्था में वे पीछे हटने से स्वयं को रोक सकते हैं और परमेश्वर से प्रेम कर सकते हैं, और यद्यपि वे रोते हैं और भीतर से व्याकुल होते हैं, वे फिर भी परमेश्वर की प्रशंसा कर सकते हैं; पवित्र आत्मा का कार्य विशेष रूप से सामान्य होता है, और उसमें थोड़ा सा भी अलौकिक नहीं होता। अधिकाँश लोग सोचते हैं कि जैसे ही पवित्र आत्मा कार्य करना आरंभ करता है, वैसे ही लोगों की दशा में परिवर्तन आ जाता है और उनकी आधारभूत बातें हट जाती हैं। ऐसी धारणाएँ त्रुटिपूर्ण होती हैं। जब पवित्र आत्मा मनुष्य के भीतर कार्य करता है, तो मनुष्य की निष्क्रिय बातें तब भी उसमें होती हैं और उसकी अवस्था वही रहती है, परंतु पवित्र आत्मा का प्रकाशन और प्रज्ज्वलन आ जाता है, और इसलिये उसकी दशा और अधिक सक्रिय हो जाती है, उसके भीतर की परिस्थितियाँ सामान्य हो जाती हैं, और वह शीघ्रता से बदल जाता है। लोगों के वास्तविक अनुभवों में वे प्राथमिक रूप से या तो पवित्र आत्मा के कार्य का अनुभव करते हैं या शैतान के कार्य का, और यदि वे इन अवस्थाओं को समझने में सक्षम नहीं होते, और इनमें भेद नहीं करते, तो वास्तविक अनुभवों का तो सवाल ही नहीं उठता, कहने का अर्थ है कि उनके स्वभाव में कुछ नहीं बदलता। इस प्रकार, परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने की कुँजी इन बातों को समझना ही है; इस रूप में, उनके लिए यह अनुभव करना सहज होगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पवित्र आत्मा का कार्य और शैतान का कार्य

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