
विजेताओं की गवाहियाँ
खंड Iजब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मुख्य भूमि चीन में अंत के दिनों के अपना न्याय का काम करना शुरू किया, तब से यद्यपि परमेश्वर के चुने हुए लोग चीन सरकार द्वारा जंगली, क्रूर उत्पीड़न के अधीन किए गए हैं किन्तु वे शैतान पर जीत की एक ज़बर्दस्त+ गवाही गढ़ते हुए, परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में अदम्य और अचल रूप से वफादार रहे हैं। ये तथ्य पूरी तरह से प्रदर्शित करते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने वास्तव में राज्य के युग में जीतने वालों का एक समूह बना दिया है और इस तरह परमेश्वर की छह हजार वर्षों की प्रबंधन योजना को फलीभूत किया है।
अनुभव और गवाहियां
1शैतान के अंधेरे कारागार में मेरे साथ परमेश्वर का प्रेम था
2वह प्राण-शक्ति जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता
4पीड़ा से प्रेम की सुगंध उत्सर्जित होती है
5उत्पीड़न और पीड़ा ने मेरे भीतर परमेश्वर के प्रति प्रेम को और बढ़ा दिया
6मुश्किलें सहकर, परमेश्वर के लिए मेरा प्रेम और भी मज़बूत हुआ है
8कष्ट और परीक्षण—कृपा पाने की आशीषें
9संकट के समय में, परमेश्वर के वचन ने मुझे प्रोत्साहन दिया
11परमेश्वर के वचन जीवन के चमत्कारों को जन्म देते हैं
12ईश्वर के वचनों ने मुझे गवाह बनाया
13युवावस्था के शिखर-काल में कारावास
14सीसीपी सरकार का कठोर उत्पीड़न परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम को मजबूत ही करता है
15परमेश्वर के प्रेम ने मेरे दिल को मजबूत किया है
16परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से, मैंने अंधेरी ताकतों के दमन पर काबू पा लिया है
17परमेश्वर मेरे जीवन की शक्ति है
18कठिनाईयों के बीच परमेश्वर के प्रेम को अनुभव किया
19काले दानव की मांद में जीवन की चमकती रोशनी
20क्रूर यातनाओं में जीने से परमेश्वर में मेरी आस्था मज़बूत हुई है
21परमेश्वर का प्रकाश विपत्ति में मेरा मार्गदर्शन करता है
22परमेश्वर का वचन मेरी जीवन शक्ति है
23परमेश्वर मुझे राह दिखाता है ताकि मैं शैतान की क्रूरता पर काबू पर सकूँ
24अंधकार के उत्पीड़न से होकर फिर उठ खड़ा हुआ
25उत्पीड़न और कष्टों के बीच प्रबोधन
27कष्ट ने परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम को प्रेरित किया
28राक्षसों की गुफा में प्रवेश करने पर परमेश्वर के प्रेम का और भी गहरा अनुभव
29उत्पीड़न की कड़वाहट का अनुभव करने के बाद मैं प्यार और नफ़रत के बीच का अंतर जान गया हूँ
31जब मैं मौत के कगार पर था, तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर मेरी मदद के लिए आया